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असफलता को स्वीकार

असफलता को स्वीकार करना बहुत मुश्किल है, जब आप किसी चीज के लिए जी जान से मेहनत करते हो ओर उसको पाना चाहते है, लेकिन उसको हासिल करने में आप सफल नहीं हो पाते तब आप बहुत टूट जाते है, उसके बाद आपको कोई और रास्ता भी नहीं दिखता, अब उस रास्ते से वापस आना मुश्किल हो जाता है।

मेरे साथ भी कुछ इसी तरह से हो रहा है, मैं अपनी असफलता को पचा नहीं पा रहा हूँ, और अब मैं काफी पीछे हो चुका हूँ, मेरे सभी रास्ते लगभग बंद हो चुके है। अब वो रास्ते कैसे खुलेंगे यही सोचना है, लेकिन अब सोचने का नहीं करने का वक्त है, और वो भी बहुत कम समय में क्युकी अब खर्चे के लिए पैसे चाहिए जो मेरे पास बिल्कुल भी नहीं है।

कैसे सबकुछ होगा और कैसे मैं कर पाऊँगा मुझे इसी बात की चिंता हो रही है।

क्या अब मैं नौकरी की तरफ रुख करू या कुछ और करू मुझे कुछ नहीं समझ आ रहा है, क्योंकि बिजनस करने के लिए भी मेरे पास पैसे नहीं बचे, बात सिर्फ अब बिजनस की नहीं है मेरे पास अपने घर खर्च के लिए भी पैसे नहीं बचे, मैंने अपने सारे क्रेडिट कार्ड , सैविंग, ओर जो भी कुछ भी था वो सब खत्म हो गया है। इसलिए बिजनस भी कुछ नहीं कर सकता अब सिर्फ नौकरी ही एकमात्र रास्ता दिख रहा है, लेकिन नौकरी भी मुझे कौन देगा जब मेरे पास कोई अनुभव नहीं है।

मैंने पिछले साल मई में अपनी किताबों की दुकान को छोड़ा था, की अब मैं फूल टाइम ब्लॉगिंग करूंगा, और मैंने यह फैसला लिया था की अब मैं सिर्फ लिखूँगा इसके अलावा कुछ और नहीं करूंगा, मैंने शुरुआत भी अच्छी करी ओर मैं लगातार लिख रहा था, लेकिन परिणाम मेरे अनुसार नहीं आ रहे थे, धीरे धीरे समय बीत रहा था जिसकी वजह से मुझे अपने ऊपर ही शक होने लग गया था, की मैं कोई गलती तो नहीं कर रहा हूँ, इसलिए मैं स्वयं को जाचता रहता था।

लेकिन 8 महीने बीत गए कोई प्रोग्रेस नहीं दिखी, और अब घर में कुछ परेशानी भी आने लगी जैसे की भाई को मेडिकल प्रॉब्लेम की वजह से समय और ध्यान सारा उधर ही केंद्रित हो गया, जिसके चलते अब मैं अपने कार्य पर फोकस नहीं कर पा रहा था।

यही सब सोच कर मन में घबराहट हो रही है, ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं बनी, लेकिन कुछ भी पहली बार ही होता है, जब इसमे मैं फंसा हूँ तो निकलूँगा भी बस यही एक सकारात्मक सोच मेरे मन में चलती है।

कुछ न कुछ तो कर ही लुँगा ऐसा मेरा विश्वास है, इसलिए अभी तक मैं इंतजार कर रहा था, लेकिन वो इंतजार अब खत्म हुआ कुछ किया जाए वो वक्त शुरू हो चुका है, क्या करू ओर क्या नहीं यह बात अभी तक नहीं समझ आ रही है मुझे इसलिए अब मैं बिल्कुल रुक चुका हूँ।

असफलता को स्वीकार मैं कर चुका हूँ लेकिन अब ऐसा लगता है काफी देर हो गई है, फिर से वापस मुझे उसी ओर लौटना होगा , जो मैं छोड़कर आया था ओर फिर कुछ करना होगा।

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जीवन का मिश्रण

जीवन का मिश्रण हो थोड़ा-थोड़ा कुछ कुछ रोना तो फिर हो बहुत हँसना और सब बातों के लिए जो भी मिला है, उसके प्रति धन्यवाद का सदा भाव यही रहे जीवन खूबसूरत कहानी ।

जीवन में दुख एक सच्चाई है,
लेकिन कितना लेना है
हमपर जग के मनुष्यों ने यह बात सिखाई ।

खूब खूब हँसना जीवन की सुंदरता ….
सदा बहती रहे हँसने की सरिता ।

जो भी मिला इस जीवन में उसके प्रति स्वीकार तथा धन्यवाद का भाव ….
अपना रास्ता खोजिए पहुँचिये अपनी मंजिल की ओर
मंजिल तक खो जाएँगे सारे अभाव, सदा रहेंगे हम पूर्ण भाव में

जीवन का मिश्रण ऐसा होना चाहिए की सदा सुख ओर दुख की चिंता ना हो मन में और जीवन आज में अभी ही चलता रहे, ना कल की फिक्र हो और ना बीते हुए पर कोई गम सदा रहे मौज में बस यही तराना गुनगुनाए हम।

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मैं लिखता हूँ

मैं लिखता हूँ, जिसके लिए मैंने एक डोमेन ले रखा है ओर उसके साथ ही मैं सर्वर का इस्तेमाल भी करता हूँ, ओर मैंने वेबसाईट भी बनवाई है, अब जब मैं लिखता हूँ तो यह मेरा शोक है, मैं पैसा कमाने के लिए भी लिखने लगा, लेकीन मुझे उस तरह से लिखने में कोई अच्छा नहीं लगा कभी लिखना ओर कभी नहीं लिखना यही सब चलता है, जब तक लिखने का मन ना करे तब तक मज़ा नहीं आता लिखने का ओर फिर जब आप लिखते हो की लोगों को पसंद आए तो फिर आप अपने लिए लिखना छोड़ देते हो, मैं अपने शोक के लिए लिखता हूँ।

मुझे लिखना अच्छा लगता है इसलिए मैं लिखता हूँ किसी को मेरा लिखा हुआ पसंद आता है या नहीं इस बात के लिए नहीं लिखता बस मन के विचार पन्नों पर उतार देता हूँ।

अपने मन की बात को बस पन्नों पर उतार देना मेरे लिए बहुत सुकून की बात है मुझे लिखने के लिए पैसे की जरूरत नहीं है, लेकिन पैसा जीने के लिए जरूरी हो चुका है, बस इसी कारण से लिखने से कुछ पैसा मिले तो बेहद अच्छा था लेकिन ऐसा कुछ अभी तक नहीं हुआ, लेकिन संभवत आगे हो पाएगा इसी उम्मीद में इस तरह से काम करता रहूँगा, हाँ मैं लिखूँगा लेकिन अब सिर्फ अपनी मनपसंद से अब मैं उस तरह से नहीं लिख पाऊँगा जिसको लिखने से मैं पैसों के पीछे भागना शुरू करू ऐसा नहीं करना मुझे, मुझे सिर्फ लिखना है ओर वो भी दिल से, अपने विषय पर वैसे तो मैं किसी भी विषय पर लिखना शुरू कर देता हूँ, जब कुछ लिखने का मन करता है तो लिख लेता हूँ, जब नहीं करता तो बस वही रुक जाता हूँ।

लिखने ओर ना लिखने का सिलसिला बस यू ही चलता रहता है। कभी बहुत सारा लिख लेता हूँ तो कभी बस यू ही रुक जाता हूँ जब मैं कुछ भी नहीं लिख पाता हूँ।

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आपके फैसले

जब आप गिरने लगते हो तभी वो समय होता है, जब लोग आपकी काबिलियत पर भी शक करने लगते है और आपके फैसले पर भी, और उन लोगों को लगता है की यह कुछ नहीं कर सकता अपनी जिंदगी में, बस खुद को ओर दूसरों को बेवकूफ बना रहा है। यह व्यक्ति दूसरों को सलाह तो देता है,

परंतु खुद के लिए कुछ नहीं कर पाया, जब तक आप कुछ नहीं बनते तब तक लोग इसी तरह से आप पर ताने कसते है, और आपको हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश करते है साथ यह साबित करने में लगे रहते है की आप किसी लायक नहीं है।

जब आप किसी भी दिशा में सफल नहीं हो रहे हो, तब आपको इसी प्रकार से बहुत सारी हिदायते मिलती है।

इसके साथ ही समय को खराब ही कर रहा है। इसी समय आपका विश्वास भी टूटने लगता है, और हो सकता है की आप अब कुछ गलत निर्णय ले लो लेकिन यही आपकी समझदारी का समय है।

लेकिन आपके लिए यही वो समय होता है जब आप दूसरों से मदद मांगे बिना ही कुछ बनकर, कुछ करके दिखाए, जिससे लोगों को आप गलत साबित कर पाए क्युकी यही वो समय है जब आप उनका दुगना भरोसा जीत सकते है, ओर यदि आप सफल नहीं होते जो लोग बचे है वो भी आपको धीरे धीरे छोड़ देंगे।

आपके फैसले आपको फर्श और अर्श पर रखते है, आपके जीवन के परिणाम आपके फैसले पर ही निर्भर करते है, जिस तरह के आप फैसले लेते है उसी तरह से आपका जीवन भी चलता है, आपके फैसले आपके जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले की बार सोचे जल्दबाजी में लिए गए फैसले भविष्य में बहुत क्षति करते है। इसलिए जब तक आपको अपने फैसलों पर पूरा भरोसा न हो तब तक कोई फैसला ना ले।

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भलाई

भलाई: कोई भी की हुई भलाई व्यर्थ नहीं जाती किसी न किसी रूप में आपको आपके जीवन को सुखद अहसास दे जाती है,  किसी के लिए यही सुखदायी होगा, कि ईश्वर, वाहेगुरु, अल्लाह या कहे कुदरत ने हमे इतना सक्षम बनाया की हम किसी के काम आ सके  बहुत सकारात्मक ऊर्जा होती है, ऐसे व्यक्तित्व  में और ऊपर से  उनमे बदले में कुछ प्राप्त करने की  चाह न हो तो सोने पे सुहागा है, ऐसा जीवन का व्यवहार और इसका फल ज़रूर ज़रूर मिलेगा इस बात में कोई दो राय नहीं, कहने का मतलब है, नेकी कर जितनी कर सकता है जितना सामर्थ्य है।

और दिल से और कुँए में तालाब में नदी नाले या समुंदर में उसे फैंक और भूल जा , बाक़ी मुझे लगता हो करम आसमान में  उछाला जाता है, अब यहे कितनी शिद्दत से  घटा है यह देखने वाली बात है वो गुरुत्वाकर्षण के कारण धरती पर लौट के आता है, इसमे कोई संशय नहीं है।

इस धरती को देखो और उसकी भलाई देखो सूर्य के गिर्द घूम रही है वो भी दो गतियों में धरती  वालो  से आपने घूमने दिन रात  की मौसमौं की धरती के वृक्षों  की उनसे उत्पन्न  आक्सीजन की पानी की पहाड़ों की हरियाली की फल सब्ज़ियों की अनगिनत भलाई है, धरतीवासी को मिले सुखो की करोड़ों सालों से निरंतर लगातार भलाई कर रही तभी जीवन पनप रहा है आगे विस्तारित हो रहा है तो क्या यह प्रकृति धरती की भलाई नहीं है मनुष्य और यहाँ के प्राणियों के प्रति।

हमारा शरीर भी हमारा नहीं है यह हमारी माँ की भलाई ही है, उन्होंने न जाने कितने कष्ट होने के बावजूद आपको अपने शरीर में नौ महीनों हमे सम्भाला और हमे अभय दान दिया और फिर जन्म दिया पाला पोसा यह भी प्रकृति का सिस्टम भी है भलाई, बस इच्छा, बिना चाह के करते जाओ जो तुमसे बन सके वो बनाते जाओ, किसी का वुर मत सोचो, बस भलाई हो किसी, कुछ भी कार्य करो उसमे सिर्फ अपना हित मत देखो, दूसरों का भी हित देखो, यही प्रकृति का नियम है।

क्या यह प्रेरणा नहीं है भलाई के लिए , मेरे सोचे तो यह बहुत प्रेरणादायक है यह बताता है, कि निस्वार्थ भाव से अच्छा करे और जिसकी ओट में हम है, धरती माँ वो जैसे बदले में  कुछ नहीं चाहती और फिर हमारे साथ तो जुड़ा है, फल मिलेगा अब समझिए हमे भलाई करनी चाहिए और दूसरो को भी करने की प्रेरणा उत्साह देना चाहिए।

जीवन चलने का नाम चलते रहो सुबह शाम, चलो अच्छे से चलो किसी का कुछ भला कर सकते हो तो ज़रूर करो और मान भी लेना हो सकता है,  उधर से बुराई आये बस आपके कर्म में शुद्ध बुद्धि और हृदय का प्रयोग हो फिर आपका अंतःकरण स्वच्छ है, निर्मल है भला हो सबका मेरे लेख से यदि कोई प्रभावित हो तो उनका बहुत आभार सब का बहुत आभार।

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हमारी पृथ्वी का हृदय

पर्यावरण हमारी पृथ्वी का हृदय
उसे साँवरे नहीं इस बात में कोई संदेह ।

सब इस प्रकृति माँ का दिया देय….
इसका सही प्रयोग से करे व्यय ।

पेड़ पौधे धरती की संपदा….
सिर्फ़ उसका दोहन लाएगी विपदा ।

स्वयं से करे पर्यावरण को सुरक्षित
अपनी लालचो को करे संयमित ।

पर्यावरण में गहरा असंतुलन….
तापमान बढ़ रहा कट रहे है वन ।
एक तकलीफ़ हो रहा जलवायु परिवर्तन ।

इस गहरी समस्या पे दे ध्यान….
कैसे बाहर आयेंगे बने बुद्धिमान ।
नहीं तो जल्द गर्कं हो जाएँगे सब श्रीमान ।

सब जगह भिन्न भिन्न पेड़ उगाये…..
जल कटाव मिट्टी पहाड़ो को बचाये ।
हर दिन पर्यावरण दिवस जी कर मनाये ।
इस धरती को मानव का स्वर्ग बनाये ।
ख़ुद भी जिए दूसरी को भी जिवाए ।
यह मंत्र पढ़े और पढ़ाये ।

पर्यावरण, हमारी पृथ्वी का हृदय है। यह हमारे सभी जीवनों की जड़ है और हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक है। पर्यावरण हमें स्वच्छ और ऊर्जावान वातावरण प्रदान करता है जो हमारे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है।

हालांकि, आजकल हमारे पर्यावरण को नष्ट करने की चिंता बढ़ रही है। वनस्पति और जीव-जंतुओं के नष्ट होने, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, वायु प्रदूषण और जल संकट के कारण पर्यावरण की स्थिति गंभीर हो रही है।

हमें इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि पर्यावरण का संरक्षण आवश्यक है। हमें अपनी भूमिका समझनी चाहिए और सुस्थित और सुरक्षित पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए। हमें प्रदूषण कम करने, वनरक्षण को बढ़ावा देने, जल संरचनाओं को सुधारने और जल संचय करने के लिए जागरूक होना चाहिए। वन्य जीवों की संरक्षा और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामरिक मुकाबला भी हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

हमारे पर्यावरण को साँवरने के लिए हमें साझा संगठनिक प्रयास करने, अधिकांशतः संयुक्त राष्ट्र की मान्यताओं और समझौतों का पालन करने और नवाचारी तकनीकों का उपयोग करके समस्याओं का समाधान ढ़ूंढ़ने की आवश्यकता है। पर्यावरण के हित में सतत और संवेदनशील प्रगति करना हमारा कर्तव्य हद्वारा जारी यह संदेश स्वर्णिम संकट को दर्शाता है। पर्यावरण हमारी माता की तरह है, और हमें उसे सावरना हमारा दायित्व है। इसके बिना, हमारा अस्तित्व खतरे में है। हमें संयुक्त रूप से कार्य करना होगा और पर्यावरण की सभी मान्यताओं का पालन करना होगा ताकि हम इसे सुरक्षित रख सकें। हमें जल संचय, प्रदूषण नियंत्रण, और वन संरक्षण में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। साथ ही, हमें नवाचारी तकनीकों का उपयोग करना चाहिए जो पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी में सुधार ला सकें। यदि हम इन समस्याओं के सामाजिक, आर्थिक, और वैज्ञानिक मुद्दों को संगठित रूप से समझते हैं और उन्हें हल करने के लिए सक्रिय रूप से काम करते हैं, तो हम पर्यावरण को सावर सकते हैं। पर्यावरण हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाने योग्य एक अमूल्य धरोहर है, और हमें इसकी सुरक्षा करनी चाहिए।

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चाय की तलब

चाय की तलब सी लग रही लेकिन मुझे आजकल चाय ही नहीं मिल रही है। इस चाय की तलब भी अब खत्म हो गई है अब उतनी अलब नहीं लगती जितनी मुझे पहले लगा करती थी, मेरी चाय की आदत में अब कमी आ गई है, अब मैं सिर्फ 3 बार चाय पिता हूँ, बल्कि जो तीसरी बार वाली चाय उसकी भी तलब अब बंद हो गई है, इसलिए वो चाय कभी पी लेता हूँ कभी नहीं अब इसी वजह से मेरा पेट भी ठीक रहने लगा है।

अधिक चाय के सेवन से हमारी पाचन शक्ति कमजोर होने लगती है, साथ ही हमारी भूख भी कम हो जाती है यदि हम चाय का अधिक मात्रा में सेवन करते है तो।

अब जो तीसरी वाली चाय उसके मिलने ओर न मिलने से मुझे कोई खास फर्क नहो पड़ता क्युकी अब मेरी चाय की तलब थोड़ी कम हो गई है, जिस तरह से मुझे मेरे समय पर चाय ना मिलने पहले फर्क पड़ता था की अब इस समय चाय मिलनी चाहिए नहीं तो मेरा मूड खराब हो जाता था, बार बार दिमाग सिर्फ चाय चाय चिल्लाता रहता था।

जब तक नहीं मिलती मन शांत नहीं होता था लेकिन अब वह बात नहीं है, वो हाल नहीं है इस दिमाग का अब मन ओर दिमाग दोनों शांत है, अब चाय की जरूरत खत्म हो गई है, या फिर मन अब समझ चुका है की चाय इस शरीर की जरूरत नहीं है, और वैसे भी चाय की आदत अच्छी नहीं है जिसे छोड़ ही देना चाहिए क्युकी चाय पेट खराब करती है, गैस की अधिक समस्या चाय के कारण ही होती है, कब्ज भी चाय की वजह होती है।

आपका आलस चाय की वजह से बढ़ जाता है, चाय में कोई शारीरिक व मानसिक शक्ति नहीं होती बस यह एक आदत है जो लग चुकी है हम सभी को इसके कोई फायदे नहीं है, लेकिन हम सभी बचपन से ही चाय का सेवन करते है, इसलिए हमे चाय की आदत लगी होती है, जो अब हमे छोड़ देनी चाहिए।

इसके अलावा बहुत सारे पे पदार्थ है जिनका हम सेवन कर सकते है, ओर वे हमारी सेहत के लिए अच्छे होते है, यदि आप चाय छोड़ नहीं सकते तो कम तो अवश्य ही कर सकते है।

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यादों से कैसे बचे

किसी की यादों से कैसे बचे:इसके लिए आपको अपने ध्यान को दूसरी ओर केंद्रित करना होगा तभी आप उनकी यादों से बच सकते है

किसी की यादों से कैसे बचे, क्या किसी के साथ क्या उनके साथ आप की कोई बेकार यादे जुड़ गई है या कोई छोड़ कर चला गया है याडे जब दिल दुखती है तभी उन यादों से बचने की कोशिश की जाती है, आप उनके बारे में अपने विचार को बदल दीजिए वह यादे आपको कभी दुख , तकलीफ नहीं देगी।

आप उनके साथ बिताए अच्छे पलों को याद कीजिए ओर जीवन का सुखद आनंद लीजिए हर किसी से हमने कुछ न कुछ सीखा ही होता है जो चला गया उन्होंने भी कुछ सिखाया ही है एस सोचिए।

यादे बुरी है ऐसा सोचकर आप यादों से दूर ना भागे, बस अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए उनकी यादों का उपयोग कीजिए।

जीवन बहुत बड़ा है सिर्फ कुछ महीनो ओर सालों की यादे आपके बहुत बड़े जीवन पर कैसे अपना शासन कर सकती है उन यादों को अपने ऊपर हावी न होने दे उनसे आगे बढ़े ओर कुछ बड़ा करे।

पुरानी यादों से कैसे बचे:

सबसे पहले तो उस इंसान को माफ करदे जिसकी याद आपको आ रही हो कोई भी इंसान वो बाते याद नहीं करता जो सुलझी हो इंसान की आदत होती है वहीं बात सोचने की जहां गड़बड़ हो, तो माफ करने से आप अपने दिमाग में सुलझोगे उसकी गलती माफी लायक ना भी हो या फिर गलती आपकी हो आपको माफी मन में उसको माफी देनी है इससे आप मन में सुलझ जाओगे

आपको सारी सोशल मीडिया से ब्लॉक नहीं करना है, क्यों की आपका दिमाग का ट्रिगर वहीं जाएगा कि आपने उसे ब्लॉक कर रखा है unblock ka trigger आपको परेशान करेगा। बताया ना दिमाग वहीं जाता है जो चीजें अनसुलझी हो और ना नंबर डिलीट kre ना फोटो ये सब वहीं करे तो सोने पे सुहागा आपको दिमाग का ट्रिगर अपने को प्रेरित करने वाली चीजों को दूर ही रखे तो अच्छा है इसलिए ऐसा पहले ना करे

उसकी यादों से आनंद लेना बंद करे हम उनके साथ बिताए पल को इसलिए याद करते है क्यों की हमे आनंद अपनापन लगता है और ये सोच कर हमे बुरा लगता कि ये पल दोबारा हमारे साथ नहीं होंगे उस वक़्त दिल में गहरा सा एक दर्द होता है जिसे प्यार में तड़प कहते है हमे ये वार वार इस यादों को हल्के में लेना होगा जैसे अरे यार ये तो नॉर्मली ही था कुछ स्पेशल नहीं था

जिस वक़्त आप उस व्यक्ति से बात करते थे या WhatsApp chat ya social media पर बात करते थे या कॉल में बात उस वक़्त आपको ज्यादा याद आएगी तो उस वक़्त को गुजारने के लिए बुरी आदत में ना पड़ जाए जैसे शराब सिगरेट इत्यादि क्यों की कुछ समय में आपको वहीं आदत हो जाएगी ,इसलिए उस समय में अच्छी बुक पढ़े अच्छी बुक पीडीएफ फाइल डाउनोड करे, अच्छी आदतें बनाइए आगे आप जब इससे उभर जाएंगे आपको फायदा मिलेगा

उसको भुलाने के लिए किसी जगह डिपेंड नहीं रहे जैसे की आप दोस्तो के पास जाते हो की उसकी याद ना आए कुछ देर तो आपको याद नहीं आएगी पर जैसे ही आप अकेले रहो तब एक दम से उसकी याद आने लगती है तो आपको सहारे नहीं ढूंढ ना है सहारे से आप भूलने की कोशिश करोगे तो आपके दिमाग को पता होता हैं दिमाग का ट्रिगर आपको कुछ देर रुक देगा किन्तु वो जनता है समस्या सुलझी नहीं है तो दिमाग वहीं जाएगा

अब सबसे अहम काम ये है कि आपको खाली समय को भरना होगा पर इसलिए नहीं की उसकी याद ना आए बल्कि इसलिए कि उसकी यादों को रोकने के लिए आप जो बेफिजूल के काम करोगे जैसे किसी भी जान अनजान को मेसेज भेजना किसी से भी बात करना बिना मतलब की या नया रिश्ता बनाने की ओर प्रेरित होना ये बाद ने चलकर आपको दुख देगा रिग्रेट feel करवाएगा इसलिए उस खाली समय को अच्छे कामों में भरों क्यों की आदत तो आपको उसके बदले में किसी भी चीज की होगी ही

बदला लेने की ना सोचे जैसे में उसको बताऊंगा या बताऊंगी की में कोन था /थी अपना ईगो सेटिस्फाई करने के चक्कर में आप ना की भूल पाओगे बल्कि खुद की स्थिति और परिवार की स्थिति को भी बिगड़ दोगे इससे आपका वक़्त फ़िज़ूल जाएगा उसकी याद में खुद को किसी के भी सामने प्रूफ करने जरूरत नहीं है, हा उसने बहुत बुरी तरह छोड़ा हो पर बदले की भावना से आप कभी आगे नहीं बढ़ पाओगे अनसुलझे हो जाओगे फिर याद आपको रहेगी ही खुद में विश्वास करे आप खुश हो बस,

अब शांत बैठ जाओ और मन में सोचना प्यार सबसे अच्छी चीज होती है दुनिया में अगर भूलना इतना आसान होता तो दुनिया में प्यार जैसा शब्द नहीं होता ये हमारी अच्छाई ही है की हम भूल नहीं पाते वरना कोई भी किसी को अपने मतलब के लिए आसानी से छोड़ सकता था, में खुश हूं कि में एक बहुत अच्छा इंसान हूं जिसके दिल में प्यार करूणा है गहरी सास लेकर छोड़ो अब सब ठीक है वक़्त के साथ हर चीज नॉर्मल हो जाती है ज्यादा तकलीफ हो तो डॉक्टर की मदद ले सकते ह

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नया विचार

एक समय जब मेरे मस्तिष्क में जैसे ही कोई नया विचार आता था , उसे मैं फटाक से लिख देता था, अपने सिरहाने के पास ही मैं अपनी डायरी ओर पेन लेकर सोता था , चाहे वो विचार रात को सोते हुए 2 बजे ही क्यू ना आया हो मेरे दिमाग में लेकिन वो विचार लिखना मुझे बहुत जरूरी लगता था, क्युकी वह एक विचार कब कितना बड़ा हो जाए , उस विचार का क्या कारण है? मेरे मस्तिष्क में आने वाले विचार को बस इसी वजह से मैं उस विचार को लिख लेता था।

सिर्फ इसी वजह से उन सभी विचारों को लिखते लिखते वह विचार आज हजारों की संख्या में हो चुके है, और आज भी मैं उन सभी विचारों पर थोड़ा थोड़ा काम करता रहता हूँ, उनको ओर बड़ा करने की कोशिश में लगा रहता हूँ , मैं उन सकारात्मक विचारों को लिख चुका हूँ और उन्ही विचारों के कारण मेरे जीवन में बहुत बदलाव भी आए है, क्युकी उन विचारों को मैंने अपने जीवन का हिस्सा बना लिया था।

ओर उन सभी विचारों से मेरे जीवन में जो परिवर्तन हो रहा था, मैं उन सभी परिवर्तनों को अपने भीतर महसूस कर रहा था, मेरे जीवन की गति में भी परिवर्तन दिख रहा था जिस वजह से मैं हमेशा खुद को बेहतर जीवन की ओर बढ़त हुआ देखता था, मेरा जीवन के प्रति नजरिया बड़ा होता जा रहा था , मेरे भीतर जो सवाल आ रहे थे उन सवालों के जवाब भी मैं ढूंढ प रहा था।

बचपन में मैंने एक किताब पढ़ी थी जिसका नाम पावर ऑफ पाज़िटिव थिंकिंग है यह किताब आज भी बहुत चर्चित किताबों में से एक है यही वह किताब है जिसकी वजह से मैंने उन सभी विचारों को जोड़ना शुरू कर दिया जो मुझे पाज़िटिव एनर्जी देते थे, मैं भागवत गीता का भी पाठ नियमित रूप से करता था और अपने विचारों को दृढ़ कारणए की कोशिश करता था।

हमारे मस्तिष्क में हर रोज कितने विचार आते है?

सोचने वाली बात यह की हमारे मस्तिष्क में एक दिन में लगभग 60 हजार विचार आते है लेकिन उसमे से कितने विचार सकारात्मक ओर जीवन में उतारने के लिए लायक होते है, तथा उन विचारों पर कार्य कर सके ऐसे कितने विचार होते है, कोई विचार नया विचार तो कोई पुराना विचार होता है जो हमारे मस्तिष्क में काफी समय से चल रहा होता है।

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अपने शब्दों पर जोर

अपने शब्दों पर जोर दे….
ख़याल न आवाज़ का शोर दे ।

न चाहते हुए शोर हो जाता…
बात की गरिमा पे मटिया मेट हो जाता ।

यह बात बहुत ही अच्छी….
मैं अपनाना चाहता हूँ सच्ची ।

किया है संकल्प न यह टूटे….
निरंतर ध्यान प्रयास न छूटे ।

मुद्दा शोर करने पे वो भटकाता….
रखे शब्दों पे ज़ोर व्यथा रख पाता ।

आवाज़ तेज तो नये नये मुद्दे जागते…
समस्या ज्यो की तयों रहती जानते ।

मैं कही पढ रहा था….
समस्याओं को समझ रहा था ।

बारिश बरसात से फ़ुल खिलते….
बिजलियों गड़गड़ाहट से नहीं वो पलते ।

अपने शब्दों पर जोर दे….
ख़याल न आवाज़ का शोर दे ।

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