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काल

परिवर्तन काल क्या है?

एक बार यह प्रश्न पूछा मुझसे किसी ने चलिए आज इस प्रश्न को मै एक ओर तरीके से समझाता हूं।
हमारा जीवन इस समय किस काल में चल रहा है, यह जो जीवन है वो वर्तमान काल है और हम सभी भविष्य की रचना कर रहे है एक एसा समय जिसकी हम सभी रचना करने में सहायक तत्व है वो किस प्रकार है यह आप स्वयं की हर एक प्रकार कि गतिविधि से समझ सकते है।

भूतकाल:
भूतकाल जिसे बदला नहीं जा सकता और हम सभी बहुत लंबी अवधि तय कर चुके इससे पूर्व भी हमारे अनेकानेक जन्म हो चुके है। यह समय का बहुत बड़ा हिस्सा है लगभग 14 करोड़ साल हो चुके है एक खोज के अनुसार जिसमे हस्तक्षेप करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 

वर्तमान काल:
वर्तमान काल जिसे हम जी रहे है जिसका धागा भूतकाल से जुड़ा हुआ है जो कार्य हो रहा है हम भूतकाल में अधूरा छोड़ आए या फिर किसी कारण वश अधूरा रह जाता है और साथ साथ हम अपने भविष्य को और बेहतर बनाने के लिए यह वर्तमान काल जीवन व्यतीत कर रहे है परन्तु यह समय का एक बहुत छोटा हिस्सा है। जो भूतकाल में हमारी इच्छाएं, मिलना , घटना , स्तिथि , परिस्थिति बाकी थी वह वर्तमान में पूरी हो रही है जैसा की हमें लगता है इसके पहले भी यह घटना हो चुकी है , हम यहां आ चुके है , हम इसे मिल चुके है इसी प्रकार जो इच्छाएं हमारी अभी नहीं पूरी हो रही वह सभी भविष्य काल में जा रही है और हम सारी अधूरी इच्छाओं को भविष्य में पूरा करेंगे।

भविष्य काल:
भविष्य काल  आज हम अपनी अनेकानेक इच्छाएं छोड़ रहे है कि वो सभी इच्छाएं आगे पूरी करेंगे इसी तरह से भविष्य काल लगातार असीमित हो रहा है यह एक अनंत समय अवधि में फैला हुआ है।
भविष्य काल पूर्ण रूप है जैसी हमारी इच्छाएं वर्तमान काल के समय में थी वह सभी भविष्य काल में बनी हुई होती है हमें उसी प्रकार का संसार भविष्य काल में मिलता है।

हम जिस पृथ्वी पर है उसे वर्तमान ग्रह कहते है उसके अलावा तो समानंतर ग्रह है भूतकाल ग्रह और भविष्य काल जिसमे समय कही से कही तक नही है।
क्या यह हमें ज्ञात है ? कि समय कितनी दूरी तय कर चुका नहीं हमे नही पता की भविष्य कितनी दूरी तय कर चुका होगा और अभी तक हमे यह भी नही ज्ञात की भूतकाल कितनी दूर तय करके आया है सिर्फ अनुमानित दृष्टिकोण है।

जिस ग्रह पर आज हम है यह एक सीधी रेखा की भांति है जो बार बार भूतकाल और भविष्य काल की घटनाओ से टकरा रहा है हम वर्तमान काल के जिस हिस्से में है जिसमें
कुछ भी आसानी से एडजस्ट किया जा सकता है परंतु दूसरे कालो में नहीं जैसे भूतकाल में कुछ भी संशोधन नही किया जा सकता  और वही दूसरी ओर भविष्य काल में बहुत सारी संभावनाएं पैदा की सकती है परंतु वर्तमान काल में  करने वाली एक कोशिश है आप वर्तमान काल में हो जो की बहुत छोटा हिस्सा है जो हम और आप शायद सोच भी ना सकते यह वो हिस्सा है

जो कि एक पल का भी एक लाखवा हिस्सा हो हो सकता है और शायद उससे भी कई गुना छोटा हिस्सा जिसमे कुछ भी छोड़ा जा सकता है जिसमे किसी का प्रवेश संभव है

परंतु भूतकाल में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नही किया जा सकता क्युकी वह हो चुका है और जो हो चुका है उस घटना क्रम को बदलना असम्भव है जिस तरह वाणी से निकला वचन वापस नहीं लिया जा सकता , मृतक को जीवित नहीं किया जा सकता उसी प्रकार भूतकाल में
वापस नहीं जाया हा सकता है।

लेकिन ये वर्तमान काल ऐसा काल जिसमे आप बार बार एक घटना को कई बार देख सकते हो एवम कर सकते हो यहाँ पर आपके द्वारा की कोई भी गलती या घटना पुनः ठीक की जा सकती है आप अपनी भूल को सुधार करने के लिए बहुत सारे प्रयत्न कर सकते हो।

  परंतु भूतकाल में जो गलतियां हो चुकी है उन्हें ठीक नही किया जा सकता या फिर उनसे कोई भी और किसी भी प्रकार की छेड़खानी नही की जा सकती वो ज्यो की त्यों ही रहेगी परंतु भविष्य के लिए उनमें संभावनाएं पैदा की जा  सकती है जिनसे वो ठीक हो सके हम उस काल में है जो इन सभी घटनाओ को ठीक कर रहा है और हमारे भविष्य में होने वाले कार्य को सुचारू रूप से चलाया जा सके उन्हें पूरी तरह से ठीक किया जा रहा है हम उस एक पल में है जहा पर छेड़खानी की, संशोधन की असीम संभावना है लेकिन यह एक बहुत छोटी और सीधी रेखा है जिसमे किसी का प्रवेश होना मुश्किल है परन्तु असम्भव नहीं।
 
  क्युकी  यह दोनो कालो के मध्य में रगड़ होने पर कोई मिलाप रेखा है जिसे हम युग परिवर्तन रेखा भी कह सकते  है इस काल को शायद इसलिए यह भी कहा जाता है कि परिवर्तन ही जीवन का नियम है हो सकता है यह इसी आधार पर कहा गया हो।  यह घटना हमारे हिसाब से बहुत बड़ी है परंतु यह घटना एक बहुत छोटी घटना का रूप है

Pareller universe concept ( Theory )
We are living in the present universe which is a straight line in btw past and future universe and this present universe is just a millionth second which can’t be seen by past and future both of them are enjoying the unlimited time and period where there is no time , no boundaries , no discussion about time
{ future }—-{present }—{past } these are Parller to each other when ever they come in connection we call it Yug Parivartan
In our present universe we can make multiple change for the future but in past universe this can not be change
And in the future universe there are million of possibilities even we can call it perfect universe for all of us who thinking about to be there who all are working and giving effort for the better future —  “A perfect future”

जिस ब्रह्मंड के बारे में हम सभी सोच रहे है यदि उसके बारे में अंदाज लगाया जाए तो वह बहुत आगे की सभ्यता हो चुकी है, क्योंकि यदि हम समझें तो हमारा जीवन हमारी गणना के अनुसार 14 करोड़ साल पुराना है।

उसके हिसाब से हम जितने तकनीकी हो चुके है, उसके हि्साब से हमारी भविष्य की सभ्यता बहुत उन्नत होगी जो सभी आराम दायक और सभी प्रकार के औजारों से समृद्ध हो चुकी हो शायद टेक्नॉलजीसे भरपूर सभी कुछ होगा और जिसे और बेहतर होने से कोई नही रोक पा रहा है,
उन्होंने अपने खाने पीने कमाने के सभी साधनों को पूरा कर लिया होगा अथवा यह भी हो सकता है उन्होंने अपने खाने को त्याग ही दिया हो, यह एक पूर्ण विकसित सभ्यता हो चुकी होगी।

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दिल्ली में प्रदूषण

दिल्ली व अन्य सभी राज्यों में प्रदूषण की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है, जिस पर कोई रोकथाम नहीं है, इस समस्या का कोई निवारण नहीं है, बल्कि लोग भी इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं देते, वह सिर्फ यही चाहते है की सरकार ही सभी समस्याओ का हल निकाले, लेकिन आम आदमी उस समस्या पर बिल्कुल भी फिक्र नहीं करे।

क्या यह समस्या सिर्फ सरकार की है, यह समस्या हमारी नहीं है, क्या हमे इस बारे में नहीं सोचना चाहिए ? क्या हमारी वजह से ही यह समस्या बढ़ नहीं रही है, सड़कों पर गाड़िया हम दौड़ा रहे है, जो कूड़ा इकट्ठा हो जाता है उसे हम जला देते है चाहे उसमे कुछ हो पन्नी, प्लास्टिक, आदि इत्यादि कुछ भी उसमे होता है वो सब कुछ हम जला देते है।

एक की चार गाड़िया हम लेकर बैठे है, 200-300 मीटर के रास्ते के लिए भी अपनी स्कूटी निकाल लेते है क्युकी हम पैदल नहीं चलना चाहते ओर हमे प्रदूषण से कोई मतलब नहीं, प्लास्टिक हम से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे है, बिना इस बात की चिंता के, की इस वातावरण खराब हो रहा है, बस हमरी सहूलियत के मुताबिक हम सारे काम कर रहे है, लेकिन अपने वातावरण की चिंता नहीं कर रहे जो दिन प्रतिदिन खराब हो रहा है, किसी ओर की वजह से नहीं सिर्फ हमारी वजह से ही।

चॉकलेट, चिप्स, गुटख, टॉफी इन सबके रैपर छीलकर हम रोड पर फेक देते है, कूड़ेदान का इस्तेमाल ही नहीं करते क्युकी सड़क पर गंदगी को फैलाना हमारा अधिकार बन चुका है, हम अपनी ही जिम्मेदारियों से भाग से रहे है, लेकिन हम यह चाहते की सरकार अपना काम पूरी जिम्मेदारी से करे ओर हम गेरजिम्मेदार बने रहे।

सिर्फ दिल्ली में ही प्रदूषण की समस्या नहीं बढ़ रही है ये पूरे देश में एक बड़ी समस्या बन रही है जिसका समाधान जल्द से जल्द होना चाहिए, वैसे भी हम अपनी आने पीढ़ी को क्या ही देकर जा रहे है, क्या हम उन्हे गंदी हवा , गंदा पानी, गंदा वातावरण नहीं देने की तैयारी नहीं कर रहे है।

मूड को जरा संभाल

क्या होता है ना की आप अपने मूड के साथ ही लड़ते रहते हो, कब किस तरह का मूड बन जाए आपको पता ही नहीं चलता, इसलिए अपने मूड को जरा संभाल कर रखिए क्युकी इसको बिगड़ने में समय नहीं लगता बस संभालने में वक्त बहुत है लगता, इसलिए इस मूड को क्यों ही बिगड़ने दे हम, इस मूड को हमेशा सकारात्मक विचारों से भरना बहुत जरूरी है, जब हमारे मन मस्तिष्क में नकारात्मक विचार बहुत ज्यादा हो जाते है, तभी हमारा मूड बहुत जल्दी जल्दी खराब होने लगता है, इसलिए सकारात्मक बने रहे।

बार बार अपने मूड को मत खराब करो, इस मूड को देखो की ये बार बार क्यू खराब हो जाता है, इसका क्या इलाज है की बस ठीक रहे यह क्युकी यह मूड तो हर छोटी छोटी सी चीज पर खराब हो जाता है।

“इस मूड को जरा संभाल कही ये हो न जाए बिगड़ेल”

जैसे ही हमारा मूड खराब होता है हम चिड़चिड़े हो जाते है, ओर फिर हमे कोई पसंद नहीं आता हम सभी से लड़ाई झगड़ा करने लग जाते है, कुछ भी पसंद नहीं आता, ये हमारे मूड खराब होने का नतीजा निकलता है।

इस मूड को ठीक रखने के लिए हमे क्या क्या करना चाहिए, इस मूड के बार बार खराब होने से हमारा पूरा दिन ही खराब हो जाता है, हम चिड़चिड़े हो जाते है, इसलिए इस मूड को ठीक रखने की आवश्यकता होती है, इस मूड का कुछ पता ही नहीं चलता, कभी ठीक रहता है तो कभी खराब हो जाता है, बहुत बार हमे पता ही नहीं चलता की हमारा मूड क्यों खराब हो जाता है।

जब हम अपनी मर्जी का कोई कार्य नहीं करते तब हमारा मूड ज्यादा खराब हो जाता है, या तो आप उस कार्य को करे जो आपको ज्यादा पसंद है या फिर अपनी सोच को बदलिए की कोई भी काम बेकार नहीं होता बस उसमे मन लगाना आना चाहिए, और मन लगाकर ही किसी भी कार्य को करना चाहिए।

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मैं और तुम

ये जो
मेरे और तुम्हारे
ख्वाब थे ना
उन ख्वाबो की
मंजिल जो
है ना
मैं और तुम से
“हम”
तक का एक सफर है।

ये जो मेरे और तुम्हारे ख्वाब थे ना,
उन ख्वाबों की मंजिल जो है ना।
मैं और तुम से, हम एक संगीत हैं,
जो बांटते हैं खुशियों के रंग हैं।

हर सपना हमारा निर्माण करता है,
अपनी मंजिल की ओर यात्रा करता है।
साथ चलने का सौभाग्य हमें मिला है,
खुशियों का संग्रह करता हमें जीना है।

हम दोनों एक-दूजे की आँखों में खो जाते हैं,
जब हमारे ख्वाब साकार हो जाते हैं।
मिलकर ज़िंदगी के हर रंग चढ़ाना है,
प्यार और विश्वास का संगीत गाना है।

एक-दूजे के साथ चलते हैं हम,
खो जाते हैं जब दुनिया की गड़बड़ी में।
प्यार और समर्पण से बँधते हैं हम,
आपस में जीवन के खुशहाली की सरगर्मी में।

मैं और तुम
मै और तुम

ये जो मेरे और तुम्हारे ख्वाब हैं,
उन ख्वाबों की मंजिल जो है ना।
मैं और तुम से, हम एक संगीत हैं,
जो बांटते हैं खुशियों के रंग हैं।

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हृदय और मस्तिष्क

हृदय और मस्तिष्क दोनों का स्वामी एक लेकिन दोनों के अलग अलग पथ…..
मस्तिष्क हानि लाभ सोचता फिर लेता निर्णय
हृदय ने स्वाभाविक चलने की ली शपथ ।

हृदय स्वाभाविक पूरे शरीर में रक्त का करता संचालन…..
मस्तिष्क मिले रक्त के प्रयोग से सब अंगों पे करता शासन ।

मानव रूपी यंत्र में इतनी जटिल प्रक्रिया का सरलता से होता निर्वाह…..
प्रकृति ने बेजोड़ यंत्र बनाया जिस ओर निहारो बरबस निकलता वाह वाह वाह वाह ।

हृदय और मस्तिष्क, दोनों के एक स्वामी,
पर चलते हैं अलग-अलग पथ, इस भाग्य की गाथ।
मस्तिष्क सोच-विचार करता, हानि और लाभ का विचार,
निर्णय लेने में धीरज रखता, नहीं चलता बिना संकोच।

हृदय ने स्वाभाविकता की ली है शपथ,
जीने के लिए चलता है नवीनता के साथ।
उसकी सुनता है नगमा दिल का,
खुशियों और दर्द को जानता है वह सच्चा।

मस्तिष्क विचारों का अनुकरण करे,
सोच-विचार में बहकर न करे विश्वास।
हृदय जीवन की गति को जाने,
भावनाओं के साथ रहे, ना झूमे उदास।

हृदय और मस्तिष्क, दोनों संतुलित हों,
इस शरीर के संगीत में रंगीं रंगों।
सोच-विचार और भावनाएं, एक दूसरे के संग,
बनाएं जीवन को खुशहाल और संपूर्ण।

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झूठी मोहब्बत

झूठी मोहब्बत, यकीन नही आता
तुम्हे भी मुझसे
मोहब्बत थी
वो भी झूठी

वादे थे हमारे, वचन थे सुहाने,
पर अब ये सब लगते हैं वो सब ठगने।

तुम्हारी हंसी, तुम्हारी मुस्कान,
अब हर सब्बा में बस एक बहाना निगलते हैं।

जैसे रात का अंधेरा, जैसे ख़्वाबों का धोखा,
तुम्हारी बातों में छुपा था एक बड़ा सच्चा।

प्यार का वादा था, इकरार की आस,
पर तुम्हारे दिल का कच्चा, बोलता था झूठा वास।

मोहब्बत का झरोखा, दिखावे की दुकान,
तुम्हारे लिए ये सब था सिर्फ़ एक फ़साना।

अब दिल में ये गुज़रते हैं तूफ़ान,
तूम्हारी मोहब्बत की ये थी कहानी जहान।

सोचा था तुमसे मिलकर हम बनेंगे ज़माना,
पर तुम्हारे दिल का रास्ता था बस एक धोखा साना।

अब ज़िंदगी की कविता में ये शब्द लिखता हूँ,
तुम्हारी झूठी मोहब्बत का सत्य प्रकाशित करता हूँ।

वो झूठी मोहब्बत
झूठी मोहब्बत

विज्ञापन

सहवाग कहने को तो स्कूल चलाते है, लेकिन विज्ञापन गुटखे का देते है, क्या वो यही बात अपने स्कूल में भी सिखाते है, क्या जो बच्चे उनके स्कूल में पढ़ते है उनको भी वो यही शिक्षा देते है, उनके स्कूल के बच्चे भी शायद गुटखा खाते होंगे, इसलिए बाकी जिन्ह लोगों ने अपने बच्चों का दाखिला नहीं करवाया है, तो वो लोग जरा सोच समझ कर कराए। इनके साथ साथ सुनील गावस्कर भी जो दूसरों को बहुत सलाह देते है। लेकिन खुद किसी भी सलाह पर काम नहीं करते ऐसे फालतू के लोगों को अपना रोल मॉडल नहीं बनाना चाहिए।

सौरव गांगुली जिन्हे हम सभी दादा कहते है ये भी इसी तरह के कार्यों में लगे हुए है, समझ नहीं आ रहा है, इतना पैसा कमा कर ये लोग क्या कर रहे है, यदि इन्हे गुटखा, तंबाकू, ओर सट्टा खेलना ही सिखाना था, तो किसी ओर काम में चले जाते क्यों ये इस तरह पैसा कमा चाह रहे है? ये हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी बर्बाद कर देना चाहते है, इस तरह के लोगों से वयं को दूर रखे।

इसी दौड़ में सचिन जिनको क्रिकेट का भगवान कहा जाता है , इनको भारत रत्न दिया जाता है, ओर एक सांसद के रूप में नियुक्त किया गया है क्या यह सही है? अब यही सचिन तेंदुलकर Paytm के गेम का विज्ञापन कर रहे है, पहले मैं भी बहुत आदर सम्मान करता था, लेकिन अब कोई आदर नहीं ऐसे लोगों जो कुछ रुपयों के लिए बिक जाते है, इतना धन होने के बाद भी इन लोगों की धन के प्रति हवस कम नहीं होती ये लोग ओर कमाना चाहते चाहे पैसा कही से भी आ रहा हो, इस बात से शायद इन लोगों को कोई फरक नहीं पड़ता, इन्होंने गुटखे का विज्ञापन नहीं दिया क्युकी इनके पिता जी ने कहा था, लेकिन जुआ खेलों ओर खिलाओ ये बात भी इनके पिता जी ने कही थी इसलिए सचिन तेंदुलकर अपने देश को बेचने पर भी आतुर हो जाते है, सिर्फ कुछ रुपयों के लिए हो सकता है, कुछ ज्यादा भारी रकम इस काम के लिए मिली हो तभी तो सचिन पैसों के नीचे दब गए ओर ये काम शुरू कर दिया।

इसके साथ ही कुछ ऐसे फिल्मी सितारे है, जो गुटखे का विज्ञापन कर रहे है, अब लिस्ट इन लोगों की लंबी होती जा रही है, जैसे की अक्षय कुमार , शाहरुख खान , ओर अजय देवगन ये अजय देवगन तो है ही पैदाईशी नसेड़ी, हृतिक रोशन, कपिल शर्मा जो हरभजन सिंह के साथ गेमिंग एप का विज्ञापन करते है, यह लोग बहुत सारे पैसों के लिए बिक रहे है। बस किसी भी तरह से पैसा आ जाए ये लोग अपने देश को बेच देंगे।

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फोकस रखना खुद को

अपने दिमाग को एक ही तरफ फोकस रखना खुद को, इधर उधर दिमाग को नहीं दौड़ने देना, ये दिमाग जितना इधर उधर भागेगा उतना ही आपका काम से मन हटेगा, यदि आप एक स्टूडेंट है तो आपका मन पढ़ाई में नहीं लगेगा। इसलिए अपने काम की और ध्यान लगाकर रखिए उससे ना हटे चाहे आपका मन लग रहा है या नहीं बस आपको लगातार उस कार्य में बने रहना है, ओर प्रयास करते रहना है, क्युकी हमारा दिमाग तो इधर उधर भागते ही रहता है, लेकिन उस दिमाग को बार बार उस कार्य में लगाना है जिस कार्य को आप करना चाहते लेकिन जब आपका मन नहीं करता तो आप छोड़कर उठ जाते है।

हर बार यही याद रखना की हमे बार बार नहीं भटकना जिस चीज को हम चाहते है, सिर्फ उसीके लिए जी जान लगाकर हमे है भागना नहीं पीछे मुड़कर देखना, जब तक उसमे सफलता हासिल ना करले हम तब तक हमे उसे नहीं है छोड़ना , हर एक परिस्थिति का डटकर मुकाबला करना है।

खुद पर विश्वास होना बहुत जरूरी है, यदि आपको स्वयं पर विश्वास है की आप कुछ कर सकते है, ओर बीच रास्ते से वापस नहीं आएंगे तो आप वो सभी चीज़े हासिल कर सकते है, जो आप अपनी जिंदगी में हासिल करना चाहते है।

फोकस रखना खुद को, खुद के लक्ष्य की ओर ये बहुत जरूरी है, आपका ध्यान हमेशा आपके लक्ष्य की ओर ही रहना चाहिए उससे कही ओर नहीं भटकना चाहिए, जो आप हासिल करने के लिए निकले है उसको पाकर ही लौटना है, चाहे कितनी ही अड़चने आए रास्ते में लेकिन अपने लक्ष्य को पाना है।

अपने फोकस को बरकरार रखने के लिए हमे स्वयं को बार बार Analysis करना चाहिए, जिससे की हम कही भटक रहे हो, तो दुबारा खुद को फोकस कर सके, ओर उस के ऊपर पूरी तरह से ध्यान लगा सके।

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बस कोशिश है

बस कोशिश है
हां कोशिश है कुछ लिखने की, कुछ बता देने की, कुछ भीतर जो हो रहा है, दिल में उसको बयां कर देने की, ये जो कोशिशे है ना लगातार चलती रहनी चाहिए।

जो मन के भीतर है दबा कहीं, यह कोशिश है उन सभी दबे हुए विचारो के लिए एक कोशिश है, जो उन विचारों को बाहर निकाले ओर उनके साथ कुछ बाते हो, कुछ तालमेल बने वरना वो विचार कही घुटकर मर ना जाए, जिन विचारों से चल रहा है यह जीवन, कभी इस जीवन एमी संतुलन आता है तो काभी असंतुलन बस यह जीवन यू ही चलता है, इस जीवन को बेहतर करने की कोशिश में लगे रहना ही है, यही कोशिश हो हमारी हर समय अवसर की खोज रखे जारी।

जिनको बाहर निकाल पाना बहुत मुश्किल सा है।

लेकिन फिर भी बस एक कोशिश है, कुछ हो जाने की, कुछ करने की, कुछ पाने की,
कुछ कह पाना,
कुछ समझा पाना,
कुछ बता पाना, कुछ हो पाना भी संभव नहीं दिखता बस यू ही यह जीवन चलता फिरता

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मन की बाते

मन की बाते अब मन में ना ठहर जाए
कुछ बाहर आ जाए कुछ तुमसे कह जाए

राग कोई नया तुमसे छेड जाए
फिर बिछड़े तार , टूटे तार जुड़ जाए

मन की बाते अब मन में ना ठहर जाए
कुछ बाहर आ जाए कुछ तुमसे कह जाए।

दिल के रास्ते जब खोलते हैं हम,
अनकही बातें जुबां से कह जाएं।
जैसे हवा चलती है बेख़बर,
मन की चिंगारी तुम तक पहुँच जाए।

पलकों के पीछे छुपी हैं ख्वाहिशें,
दिल की धड़कनों में बसी है आसहिष्णुता।
कहने की हिम्मत जब मिल जाती है,
वो अनहद गीत तुमसे कह जाएं।

हर एक रात को छूने की ख्वाहिश है,
हर एक चाँद को अपने में समेटने की चाहत है।
जब तुम्हारे साथ रहते हैं हम,
सुकून की नदी में बह जाएं।

अभी तो कुछ अधूरी बातें रह गईं हैं,
जो तुम्हें सुनाने को हमें तरस रही हैं।
होने को बहुत कुछ बाकी है दोस्त,
वो अविरल स्नेह तुम्हें पहुँच जाएं।

तो चलो, आओ मन की बातें करें,
जीवन की हर राह पर साथ चलें।
अनजाने रास्तों में खोये रहें,
पर एक दूसरे को खो ना जाएं।

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