तुमने जो तन्हाई का रास्ता मुझे दिखाया था उस पर आज भी मैं तन्हा ही हूं, तुमने जो तन्हाई का रास्ता मुझे दिखाया था,उस पर आज भी मैं तन्हा ही हूं।
ज़िन्दगी की जगमगाहट में खो गया हूं,
किसी के साथ न जाने कितनी रातें बिताया हूं।
तेरे जाने के बाद ये दुनिया सुनी हो गई,
हर रोशनी भी चली गई, अँधेरे में डूब गई।
तन्हाई की इस राह पर आज भी चलता हूं,
यादों के साथ आँसू बहाता हूं।
मेरी आवाज़ को धड़कनें सुनती हैं,
मगर खुद को तन्हा ही पाता हूं।
ये तन्हाई भरी ज़िंदगी अजनबी सी हो गई,
खुद को खो बैठा हूं, खुद से अलग हो गई।
क्या ये तन्हाई ही ज़िंदगी का मतलब है?
या कोई और मुझे समझा ही नहीं है।