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भीतर का मन

भीतर का मन नहीं वो सोता…
हर घटना का वो साक्षी श्रोता ।

जब भीतर हर परिस्थिति स्थिति हँसता…..
वो फिर जानता है कहाँ से कहाँ निकल रहा है रास्ता ।
बाहर चेतन भीतर गहरा अनदेखा अनजाना अवचेतन ।
उसकी भाषा संवाद अलग, कोशिशों से जान पाता बाहर का ये मन ।

अवचेतन को समझने की करे प्रयास..
चेतन में होगा सुधार ,जन्मेगा हास ।

चेतन का जैसा होगा संकल्प …..
भीतर के मन वो जाता वो छप ।

सब कार्य भीतर की शक्ति से चलते….
चेतन करे सही चुनाव खुलते सही रस्ते ।

भीतर की शक्ति को प्रणाम ….
भीतर को समझे खुलेंगे नये नये आयाम ।

भीतर का खेल बाहर विस्तारित….
जड़े धरती भीतर करती सब संचालित ।

भीतर का मन नहीं वो सोता…
हर घटना का वो साक्षी श्रोता।

जो आंखों की भाषा समझता है,
दिल के राज़ जो पढ़ता है।

चिंताओं के सागर में डूबे,
जीवन के रंगों को चढ़ता है।

जब अँधेरा छाने लगे हों,
उसकी आँखों में प्रकाश बसता है।

सुनता है धड़कनों की धड़कन,
खो जाता है ध्यान उसके भीतर।

चुपचाप बैठा होता है साक्षी,
हर रहस्य का उसका अन्तर।

जानता है वो अश्वासन देना,
जब तन्हाई का होता है संघर्ष।

भावों के लहर उठाता है वो,
जीवन के संगीत का सागर।

कभी नहीं बताता वह राज,
अपनी गहराइयों का असर।

भीतर का मन नहीं वो सोता…
हर घटना का वो साक्षी श्रोता।

यह कविता राम ललवानी जी द्वारा लिखी गई है, और यदि आप इसी प्रकार की कविताए पढ़ना चाहते है, तो लगातार हमारे साथ बने रहे ओर हमारा प्रोत्साहन बढ़ाए, हमने नीचे कुछ और भी कविताओ के लिंक दिए है आप उन्हे भी पढे, और कमेन्ट कर हमे बताए की आपको हमारी कविताए कैसी लगती है।

यह भी पढे: स्वयं का अध्ययन, दृढ़ निश्चय, भीतर सच, नहीं कोई नियम रास्ता, एक उम्मीद,

भीतर सच

भीतर सच का करना पड़ता सामना…
मन में सुखों की दुखों की अनंत कामना।

मन के छलावों को जानिए समझिए…
आप यात्री दूर के बचे, इनमें न उलझिए।

भावनाओं की सच्चाई को जानें,
अपने अंदर की गहराई को समझें।
जब अवसर आए, तब लहरें न उठाएं,
सच्ची चेतना से मन को भरपूर समझें।

छलावों की भूमि पर न चलें आप,
सत्य की ओर बढ़ें, खुद को पकड़ें आप।
साहस और धैर्य से यह यात्रा करें,
चिंताओं के बंधन से मुक्ति पाएं।

खो न जाएं अपनी मन की गहराई,
जागरूक रहें, बनें आत्मनिर्भर आप।
अवगुणों को जानें, सहज रहें आप,
स्वयं को खोजें, अपनी सत्यता को छापें।

सत्य का सामना हमेशा करें,
मन की माया से दूर हमेशा रहें।
यह यात्रा अनंत है, अथाह है रास्ता,
चिंताओं की झूली से खुद को बचाएं आप।

ख़ुद के बारे असली सूचक हम ख़ुद…
बस झांकना है भीतर इंतज़ार करे शुद्ध ।
खबर आएगी सच्ची बात ये एकदम खरी.
भीतर सब कुछ , दुनिया भीतर  हरी भरी ।

भीतर सच का करना पड़ता सामना…
मन में सुखो दुखों की अनंत कामना ।
मन के छलावो को जानिए समझिए…
आप यात्री दूर के  बचे इनमें न उलझिए ।