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स्वयं का अध्ययन

जिंदगी में सभी को कुछ न कुछ पढ़ते रहना चाहिए, आप आजकल क्या पढ़ रहे है?मैं सिर्फ स्वयं का अध्ययन करता हूँ बाकी सभी किताबे को मैंने खुद को पढ़ना काफी समय पहले ही बंद कर दिया था, लेकिन हा मैं अब बुक समरी सुन लेता हूँ लेकिन वो भी इतनी सुन ली है की कुछ बचा नहीं है, अधिकतम किताबों की समरी एक जैसी ही है, उन्ही आदतों को बदलने के लिए बताते है जो 20 साल पहले बताई जाती है, इन सभी बाहर के लेखकों ने श्रीमद भगवत गीता ओर हमारे ही ग्रंथों से उठाकर लिख रखा है।

मैं पिछले कुछ वर्षों सिर्फ भागवत गीता ही पढ़ता हूँ, कभी कभी ओर इसके साथ स्वयं को पढ़ता हूँ बस यही इसके अलावा कुछ नहीं।

Do not read books just read yourself

यदि आप स्वयं को पढ़ते है, तो आपको अन्य किसी भी किताब को पढ़ने की आवश्यकता नहीं रह जाती है, इसलिए स्वयं का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है, हम अनेकों जन्मों से इस धरती पर जन्म ले रहे है

हमारे भीतर बहुत सारे शब्द भरे हुए है, उन शब्दों को टटोलना शुरू करो फिर आपको बाहरी शब्दों की जरूरत नहीं पड़ेगी, आपके भीतर ही अथाह भंडार है, शब्दों का जिन्हे आप पढ़ सकते है, फिर बाहरी किताबों का ज्ञान क्या लेना

इसके साथ साथ आप आसपास का वातावरण , आसपास की घटनाओ, समाज को भी पढ़ सकते है, यह आपको पूरा जीवन ओर जीवन के मूल्य को समझते है, हम सभी के मन , मस्तिष्क में हजारों विचार चलते यही कुछ न कुछ प्रश्न भी उठते है, उन सभी सवालों का जवाब भी आपको आपके आसपास ही मिल जाता है।

हो सकता है शुरुआत में आपको जवाब नहीं मिल रहा हो या थोड़ा समय लग रहा हो, लेकिन जैसे जैसे आप लगातार वही प्रश्न आप इस ब्रह्मांड करने की आदत में जुड़ जाते है, तो आप ब्रह्मांड भी आपको उन सवालों का जवाब देना शुरू कर देता है , किसी न किसी घटना , कार्य, आदि प्रकार से आपको जवाब मिलते है।

यह भी पढे: स्वयं को जाने, स्वयं का आकलन, स्वयं को नहीं रोकना, स्वयं को समय दे,

लिखने का मन

कभी कभी लिखने का भी मन नहीं करता बल्कि यही मेरा एक मनपसंद कार्य है जिसे मैं पूरी जिंदगी करना चाहता हूँ, इसके अलावा कुछ नहीं करना चाहता लेकिन कई बार एस होता की बस बहुत लिख चुका हूँ अब ओर नहीं लिखना चाहता।

लेकिन आज मुझे जुखाम हो रहा है जिसकी वजह से लिखने में ध्यान नहीं लग रहा बार बार एस लग रहा है बस सो जाऊ या आराम कर लू, लेकिन किसी ने एक बात काही है जब आप किसी लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते है तो उसमे बहुत सारी बाधाये आती है, वह मानसिक ओर शारीरिक बाधा कैसी भी हो सकती है।

कई बार हमारा ऑफिस या दुकान जाने का मन नहीं करता लेकिन हमे करना पड़ता है क्युकी जाना जरूरी होता है। इसी प्रकार मेरा कभी लिखने का मन हो या नहीं हो लेकिन मैं लिखता हूँ, क्युकी जिंदगी किसी लक्ष्य को हासिल करना है, तो आपको उस कार्य के प्रति लगातार होना ही पड़ेगा, आपको उस कार्य से अवकाश नहीं लेना।

वैसे मेरी एक आदत है जब मुझे लगता है की आगे आने वाले कुछ दिनों तक किसी दूसरे कार्य में व्यस्त हूँ, या फिर मैं कुछ ओर काम करना चाहता हूँ, तब मैं अपने कार्य को अड्वान्स में ही कर लेता हूँ, ताकि मुझे किसी भी प्रकार की परेशानी न हो, ओर मुझे कभी ऐसा नहीं लगे की आज मैंने कुछ काम ही नहीं किया।

मैं पहले से ड्राफ्ट में सेव कर लेता हूँ ओर उस दिन दिन तारीख पर सेट करके पोस्ट कर देता हूँ, लेकिन यह सुविधा आपको ओर किसी कार्य में नहीं मिलती इसलिए आपको लगातार तैयार रहना होता है।

इसलिए यदि आपका मन है तो भी कार्य को करे ओर नहीं है तो भी उस कार्य को करे, वह कार्य तभी पूरा होगा ओर इससे आप लगातार कार्य के प्रति बने रहेंगे, आपकी मंजिल आपके करीब आती है।

आपका दिमाग

आपका दिमाग क्या कहता है? आप को किस कार्य और किस दिशा की ओर प्रेरित कर रहा है आपको ?  किस दिशा में ले जाना चाहता है आपका दिमाग आपको ? क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की है।

जब आप बहुत सारे लोगो के बीच में होते हो यो बहुत शोर आता है अलग अलग लोगो के विचार आपके मस्तिष्क से टकराते है, जिनकी वजह से आपके सोचने में  परिवर्तन आ जाता है ओर आप जो सोचना चाहते हो वो सब सोच भी नही पाते हो, जिस वजह से आप भी उन लोगो में घुल मिल जाते हो ओर देखने लगते हो लोगो को जो आस पास से गुजर रहे है जो आपके सामने से जा रहे है।

जो उनकी आंखे उसी दिशा में बह जाती है जहाँ से लोग आ ओर जा रहे है, लेकिन आपको अपने विचारो को देखना है समझना है क्यों वो बह रहे है? उन लोगो के साथ क्या आपका दिमाग ऐसे ही किर्या कलापो में लगना चाहता है आप यदि करना भी चाहते हो कुछ तो  कर नही पाते बस बह जाते हो दूसरे के साथ…..

आपका मस्तिष्क आपसे कुछ कहता है या कुछ कह रहा है? लेकिन आप अपने मस्तिष्क और उसके विचारो की बात सुन नही पा रहे है या सुनकर अनसुनी कर रहे है हमारा मस्तिष्क ना जाने कितने ही, विचारों को प्रकट कर रहा है कभी हम अकेले बैठना चाहते है तो कभी भीड़ का हिस्सा होना चाहते है, इधर उधर टहलने लग जाते है यदि हमारे पास कुछ और काम नही तो अपने आपको किसी ना किसी काम में व्यस्त रखना चाहते है।

हम हमसे  अपने आपको किसी न किसी प्रकार के कार्य में व्यस्त रखते है, जिसके कारण हम अपने विचारों को सही तरह से ढंग से देख नहीं पाते है हमारा मस्तिष्क हमेशा विचारों में भरा हुआ रहता है हम कभी अपने विचारों के साथ अकेले नहीं होते, ये दिमाग कभी बिना विचारों के नहीं होता ये बात हम कभी नहीं सोचते की ये जो विचार है हमे  किस दिशा में ले जा रहे है।

हमारा मस्तिष्क भी कितने प्रकार के विचारों को प्रकट करता है, कभी किसी प्रकार की सोच में व्यस्त करता है तो कभी काही कुछ और स्तिथि और परिसतिथियों के कारण हमारा मस्तिष्क अलग अलग प्रकार की सोच को विचारों को जनम देता है, या हम यू कह सकते की हमारा मस्तिष्क की प्रकार से कार्य करता है, हमारा मस्तिष्क तो अनंत तरीकों से काम कर सकता है और इतनी किरयायाओ में व्यस्त हो सकता है शायद उसको इमैजिन करना भी मुश्किल है।

Mind work on different different level it vary accrdng to your thought how u give design to ur thought it can goes nd go beyond the limits of univers your brain is complete universe as your brain think it happen in our real life.

हमारा दिमाग भी हर समय हर पल घिरा हुआ रहता है जिसके कारण हमारा मस्तिष्क आने जाने वाले विचारों में विचार विमर्श की क्रिया और प्रतिक्रिया में लगातार उलझा रहता है, इन विचारो के दृश्य और इनकी कल्पनाएं हमारे मस्तिष्क में लगातार चलने वाली किरायायो के एक सहायक होती है, हमारी छोटी छोटी विचार का अपना एक दृश्य होता है और दृश्य की अपनी एक उसकी उचाईं और गहराई उस एक विचार के साथ होती है।

कभी कभी लगता है कि आसक्ति अब भी बाकी है मेरी बहुत सारी जगह जिसके बुलबुले फूटते है,  अंदर ही अंदर और में उनको देखता हूं रोक भी लेता हूं लेकिन फिर भी  ऐसा लगता है कि यदि मैं इन विषयों को हमेसा रोकता रहा तो इनका विस्फोट भी होगा एक दिन जो सही नही है फिर मुझमे अंतर ही कहाँ रह गया यदि मैं भी एक दिशा से दूसरी दिशा में भटकता रहूंगा तो।

इससे तात्पर्य यह है कि मुझे अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते रहना चाहिए चाहे वो छोटी सी इच्छा क्यों न हो उस इच्छा को मारना नही चाहिए उसे समझना चाहिए मेरा लगाव जीवन के प्रति अब भी बाकी है वो लगाव कम हो में इसके लिए अभ्यासरत हूं।

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