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किताब

क्या आप को मालूम है दुनिया की पहली किताब या कहे धर्मग्रन्थ ऋग्वेद है जो भोज पत्र पे लिखा गया था और उसकी प्रति पुणे में फ़िलहाल भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टिट्यूट में रखी हुई है
सबसे पहले मानव पत्थरों में उकेर के लिखता था और लेखन का सबसे पहले प्रमाणित सूचना आती है प्राचीन सुमेर से वहाँ कृषि के लेन देन और अनुबंधों के दस्तावेज़ो को संभलने के लिए किया गया था फिर यह फैलते फैलते इसका उपयोग वित्त , धर्म ,सरकार , क़ानून आदि अन्य विषयों को अपने ऊपर आश्रित कर लिया

यह एक पूरा विशाल चक्र है जिससे किताबें गुज़री है आज जो हम किताबों का स्वरूप देख रहे है वो इतने सारे बदलावो के बाद हम तक पहुँची है ।

किताबों का अर्थ हो सिर्फ़ और सिर्फ शुद्ध ज्ञान का विस्तार प्रचार चाहे वो विज्ञान हो चिकित्सा हो सामाजिक हो आर्थिक हो शैक्षिक हो या प्रेरणादायक हो कला से जुड़ी हो आध्यात्मिक ज्ञान धार्मिक ज्ञान की हो वहीं सच्ची और अच्छी जिनमे लेश मात्र भी लाग लपेट ना हो और प्रामाणिक हो तभी वो आपने श्रोता से न्याय कर सकेंगी और सच्ची बातों और ज्ञान का प्रचार हो सकेगा तब अच्छे शिक्षक बन सकेंगे और इस ज्ञान का प्रचार प्रसार में सहायक बन पायेंगे ।

किसी देश की जैसी किताबें प्रारंभिक शिक्षा , माध्यमिक शिक्षा या उच्च शिक्षा में होंगी वेसे ही वहाँ के लोगो का माँग , सोच और व्यक्तित्व होगा ये सत्य है ।

मैं इस लेख के माध्यम से कहना चाहूँगा जो मुझे बहुत दिल से लगता है कि आक्रांताओं द्वारा देश और हमारी शिक्षा को नुक़सान पहुँचाया गया चाहे वो नालंदा विश्वविद्यालय को आग लगाकर इतनी बेशक़ीमती ज्ञान की पुस्तकें जल कर राख हो गई जिसकी क्षतिपूर्ति कभी नहीं हो सकती या फिर अंग्रेज बहुत ही चालाक थे उन्होंने भारत देश की पीढ़ी को बर्बाद करने के लिए हमारी शिक्षा प्रणाली जो की गुरुकुल माध्यम की थी उसको पलट दिया और अंग्रेज़ी भाषा को बढ़ावा देने का माध्यम से लार्ड मेकले की शिक्षा नीतियों के आधार से कितावों का निर्माण किया और उनकी नीति इस प्रकार बनाई गई जिसने भारतीय व्यक्ति ग़ुलाम ( नौकरी माँगने वाला ) बने ज़्यादा सोच न सके और हमेशा ग़ुलामों की तरह सोचे जिसका भुगतान हम आज तक भोग रहे है बच्चे पढ़ते है अंक अर्जित करना उसका उद्देश्य चाहे सामाजिक ज्ञान शून्य हो उनका दिमाग़ सरकार से नौकरी माँगता है इसमें उनकी गलती नहीं है यह होता है किसी सभ्यता को नष्ट करने का तरीक़ा तो यह ताक़त है किताबों की ।

मेरा कहना है हम् सब को मिलकर निरंतर शोध कर अच्छी पुस्तकें और हो वो सस्ती किताबे जो व्यक्ति के ज्ञान और उसके विकास में सहायक हो करमबद्ध तरीक़े से हमारी आने वाली नस्लों को पढ़ने के लिए मिले हर विषय में हर क्षेत्र जिससे उनका सर्वांगीण विकास हो और देश का विकास हो।
किताब या कहे पुस्तक देश को व्यक्ति को बना सकती है या उसकी हस्ती मिटा सकती है ।
तो बड़ी ही जागरूकता से अपने पठन के लिए पुस्तकों का चुनाव करे और सरकार देश के शिक्षाविद और प्रभुद्ध वर्ग से हम सब मिलकर माँगे की एक उज्वल शिक्षा नीति और पुस्तकें वो जो देश और व्यक्ति के विकास में अच्छी किताबों का प्रचार प्रसार करे ताकि भविष्य का भारत खूब तरक़्क़ी करे उसका भविष्य उज्जवल हो।

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पैसा क्यों जरूरी है

पैसा क्यों जरूरी है? पैसा आवश्यकता है हम सभी की, पैसों से बहुत सारी चीज़े पूरी हो जाती है, #पैसों से साधनों की प्राप्ति होती है,

पैसा तब बहुत जरूरी लगा जब घर में मेडिकल ईमर्जन्सी हुई तब पता चला की पास में पैसे ना हो तो कितनी तकलीफ होती है, हर जगह धक्के खाने पड़ते है, सरकारी अस्पताल में लंबी कतार में लगना पड़ता है, जब आपको किसी टेस्ट के लिए भी तारीख मिलती है सरकारी अस्पताल में तब पैसों की अहमहियत ओर ज्यादा महसूस होती है।

यदि पैसे होते तो इलाज प्राइवेट अस्पताल में करवा लेते बहुत आराम से, ओर अपनी सहूलियत के अनुसार जितनी जल्दी हम चाहते, सरकारी अस्पताल वाले तो आपको अच्छे से देखते भी नहीं है, उनको यदि आप कुछ बोल दो तो उनका जवाब यही होता है की आपको पता है कुछ या मुह उठाकर आ गए हो, हर सरकारी अस्पताल में जाता हुआ उन्हे अनपढ़ ओर गरीब ही दिखता है जिनके साथ वह किसी भी प्रकार का व्याहवार कर लेते है।

पैसों की कमी तब पता चलती है जब आप सिर्फ कुछ रुपयों की वजह से अपना केस नहीं लड़ पढ़ पाते हो, हमे ऐसा लगता है की हमारे साथ क्या बुरा होगा यदि हम किसी का बुरा नहीं करेंगे तो लेकिन कब कौनसी घटना हमारे साथ घट जाए इस बात का किसी को नहीं पता होता, इसलिए पैसा जरूरी है।

अचानक यदि कोई एक्सीडेंट हो जाए ओर आपका इलाज सिर्फ कुछ रुपयों की वजह से रुके तब आपको पैसों की कमी महसूस होती है।

पैसा क्यों जरूरी है यह बात तब और ज्यादा महसूस होती है जब आप स्वयं को असहाय मानते हो सिर्फ उन पैसों की वजह जब आप अपने बहुत सारे कार्यों को भी नहीं पूरा कर पाते।

वो पंडित भी आपको तब दर्शन करने देते है भगवान के जब आप चड़ावा ज्यादा देते हो, बिना चडावे के तो पंडित बस आपको आगे करते जाते है।

#भाई को आगे पढ़ ना पाते देखा तो पता चला पैसा बहुत जरूरी है।

#बिना खाए सोया तो पता चला पैसा बहुत जरूरी है।

#संसार में जीवन यापन करने के लिए पैसा अति महत्वपूर्ण है। बिना पैसे के न भोजन मिलेगा,न पानी ,न बिजली,न मोबाइल में रिचार्ज होगा, कि कोरा पर आकर सवाल जबाब कर सकें। जीवन की हर छोटी बड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसा बहुत जरूरी है।

#खुशी के लिए पैसा महत्वपूर्ण है

#पढ़ाई को बीच रास्ते में छूटते हुए देख लगा की पैसा बहुत जरूरी है।

#मुझे आमिर होकर देखना है पैसा है तो सब अपने है, वरना सब सपने है।

#छत से पानी टपकते हुए देखा तो पता चला पैसा बहुत जरूरी है, दीवारी की सफेदी झड़ रही थी लेकिन सफेदी के पैसे भी ना थे तो लगा ये जवानी भी किस काम यदि पैसा ना हुआ हाथ में तो

#पैसे कमाना तो सबसे जरूरी है। जीवन में और कुछ करें ना करें , लेकिन पैसे जरूर कमाएं। क्योंकि पैसा कमाते रहेंगे तो दुनिया आपकी है, सारे रिश्ते आपके है, सभी दोस्त आपको पूछते है वर्ना आपका कोई नहीं। ये मेरा निजी अनुभव है।

पैसा आज के समय का सबसे अनमोल वस्तु बन चुका है आप बिना पैसों की आज का जीवन जीने का सोच भी नहीं सकते यह और चिकन आर्थिक दोनों ही क्षेत्र के लिए बेहद जरूरी है इसमें ना केवल व्यापार बल्कि घरेलू शोध पढ़ाई समाज सेवा मंदिर और आविष्कार सभी के लिए पैसा बेहद जरूरी है।

“पैसा कमाना जरूरी तो है” ये माइंडसेट होगा तो अच्छा है “लेकिन पैसा ही जरूरी है” ये माइंडसेट गलत है।

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हमारी पृथ्वी का हृदय

पर्यावरण हमारी पृथ्वी का हृदय
उसे साँवरे नहीं इस बात में कोई संदेह ।

सब इस प्रकृति माँ का दिया देय….
इसका सही प्रयोग से करे व्यय ।

पेड़ पौधे धरती की संपदा….
सिर्फ़ उसका दोहन लाएगी विपदा ।

स्वयं से करे पर्यावरण को सुरक्षित
अपनी लालचो को करे संयमित ।

पर्यावरण में गहरा असंतुलन….
तापमान बढ़ रहा कट रहे है वन ।
एक तकलीफ़ हो रहा जलवायु परिवर्तन ।

इस गहरी समस्या पे दे ध्यान….
कैसे बाहर आयेंगे बने बुद्धिमान ।
नहीं तो जल्द गर्कं हो जाएँगे सब श्रीमान ।

सब जगह भिन्न भिन्न पेड़ उगाये…..
जल कटाव मिट्टी पहाड़ो को बचाये ।
हर दिन पर्यावरण दिवस जी कर मनाये ।
इस धरती को मानव का स्वर्ग बनाये ।
ख़ुद भी जिए दूसरी को भी जिवाए ।
यह मंत्र पढ़े और पढ़ाये ।

पर्यावरण, हमारी पृथ्वी का हृदय है। यह हमारे सभी जीवनों की जड़ है और हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक है। पर्यावरण हमें स्वच्छ और ऊर्जावान वातावरण प्रदान करता है जो हमारे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है।

हालांकि, आजकल हमारे पर्यावरण को नष्ट करने की चिंता बढ़ रही है। वनस्पति और जीव-जंतुओं के नष्ट होने, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, वायु प्रदूषण और जल संकट के कारण पर्यावरण की स्थिति गंभीर हो रही है।

हमें इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि पर्यावरण का संरक्षण आवश्यक है। हमें अपनी भूमिका समझनी चाहिए और सुस्थित और सुरक्षित पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए। हमें प्रदूषण कम करने, वनरक्षण को बढ़ावा देने, जल संरचनाओं को सुधारने और जल संचय करने के लिए जागरूक होना चाहिए। वन्य जीवों की संरक्षा और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामरिक मुकाबला भी हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

हमारे पर्यावरण को साँवरने के लिए हमें साझा संगठनिक प्रयास करने, अधिकांशतः संयुक्त राष्ट्र की मान्यताओं और समझौतों का पालन करने और नवाचारी तकनीकों का उपयोग करके समस्याओं का समाधान ढ़ूंढ़ने की आवश्यकता है। पर्यावरण के हित में सतत और संवेदनशील प्रगति करना हमारा कर्तव्य हद्वारा जारी यह संदेश स्वर्णिम संकट को दर्शाता है। पर्यावरण हमारी माता की तरह है, और हमें उसे सावरना हमारा दायित्व है। इसके बिना, हमारा अस्तित्व खतरे में है। हमें संयुक्त रूप से कार्य करना होगा और पर्यावरण की सभी मान्यताओं का पालन करना होगा ताकि हम इसे सुरक्षित रख सकें। हमें जल संचय, प्रदूषण नियंत्रण, और वन संरक्षण में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। साथ ही, हमें नवाचारी तकनीकों का उपयोग करना चाहिए जो पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी में सुधार ला सकें। यदि हम इन समस्याओं के सामाजिक, आर्थिक, और वैज्ञानिक मुद्दों को संगठित रूप से समझते हैं और उन्हें हल करने के लिए सक्रिय रूप से काम करते हैं, तो हम पर्यावरण को सावर सकते हैं। पर्यावरण हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाने योग्य एक अमूल्य धरोहर है, और हमें इसकी सुरक्षा करनी चाहिए।

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स्वयं का अध्ययन

जिंदगी में सभी को कुछ न कुछ पढ़ते रहना चाहिए, आप आजकल क्या पढ़ रहे है?मैं सिर्फ स्वयं का अध्ययन करता हूँ बाकी सभी किताबे को मैंने खुद को पढ़ना काफी समय पहले ही बंद कर दिया था, लेकिन हा मैं अब बुक समरी सुन लेता हूँ लेकिन वो भी इतनी सुन ली है की कुछ बचा नहीं है, अधिकतम किताबों की समरी एक जैसी ही है, उन्ही आदतों को बदलने के लिए बताते है जो 20 साल पहले बताई जाती है, इन सभी बाहर के लेखकों ने श्रीमद भगवत गीता ओर हमारे ही ग्रंथों से उठाकर लिख रखा है।

मैं पिछले कुछ वर्षों सिर्फ भागवत गीता ही पढ़ता हूँ, कभी कभी ओर इसके साथ स्वयं को पढ़ता हूँ बस यही इसके अलावा कुछ नहीं।

Do not read books just read yourself

यदि आप स्वयं को पढ़ते है, तो आपको अन्य किसी भी किताब को पढ़ने की आवश्यकता नहीं रह जाती है, इसलिए स्वयं का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है, हम अनेकों जन्मों से इस धरती पर जन्म ले रहे है

हमारे भीतर बहुत सारे शब्द भरे हुए है, उन शब्दों को टटोलना शुरू करो फिर आपको बाहरी शब्दों की जरूरत नहीं पड़ेगी, आपके भीतर ही अथाह भंडार है, शब्दों का जिन्हे आप पढ़ सकते है, फिर बाहरी किताबों का ज्ञान क्या लेना

इसके साथ साथ आप आसपास का वातावरण , आसपास की घटनाओ, समाज को भी पढ़ सकते है, यह आपको पूरा जीवन ओर जीवन के मूल्य को समझते है, हम सभी के मन , मस्तिष्क में हजारों विचार चलते यही कुछ न कुछ प्रश्न भी उठते है, उन सभी सवालों का जवाब भी आपको आपके आसपास ही मिल जाता है।

हो सकता है शुरुआत में आपको जवाब नहीं मिल रहा हो या थोड़ा समय लग रहा हो, लेकिन जैसे जैसे आप लगातार वही प्रश्न आप इस ब्रह्मांड करने की आदत में जुड़ जाते है, तो आप ब्रह्मांड भी आपको उन सवालों का जवाब देना शुरू कर देता है , किसी न किसी घटना , कार्य, आदि प्रकार से आपको जवाब मिलते है।

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यादों से कैसे बचे

किसी की यादों से कैसे बचे:इसके लिए आपको अपने ध्यान को दूसरी ओर केंद्रित करना होगा तभी आप उनकी यादों से बच सकते है

किसी की यादों से कैसे बचे, क्या किसी के साथ क्या उनके साथ आप की कोई बेकार यादे जुड़ गई है या कोई छोड़ कर चला गया है याडे जब दिल दुखती है तभी उन यादों से बचने की कोशिश की जाती है, आप उनके बारे में अपने विचार को बदल दीजिए वह यादे आपको कभी दुख , तकलीफ नहीं देगी।

आप उनके साथ बिताए अच्छे पलों को याद कीजिए ओर जीवन का सुखद आनंद लीजिए हर किसी से हमने कुछ न कुछ सीखा ही होता है जो चला गया उन्होंने भी कुछ सिखाया ही है एस सोचिए।

यादे बुरी है ऐसा सोचकर आप यादों से दूर ना भागे, बस अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए उनकी यादों का उपयोग कीजिए।

जीवन बहुत बड़ा है सिर्फ कुछ महीनो ओर सालों की यादे आपके बहुत बड़े जीवन पर कैसे अपना शासन कर सकती है उन यादों को अपने ऊपर हावी न होने दे उनसे आगे बढ़े ओर कुछ बड़ा करे।

पुरानी यादों से कैसे बचे:

सबसे पहले तो उस इंसान को माफ करदे जिसकी याद आपको आ रही हो कोई भी इंसान वो बाते याद नहीं करता जो सुलझी हो इंसान की आदत होती है वहीं बात सोचने की जहां गड़बड़ हो, तो माफ करने से आप अपने दिमाग में सुलझोगे उसकी गलती माफी लायक ना भी हो या फिर गलती आपकी हो आपको माफी मन में उसको माफी देनी है इससे आप मन में सुलझ जाओगे

आपको सारी सोशल मीडिया से ब्लॉक नहीं करना है, क्यों की आपका दिमाग का ट्रिगर वहीं जाएगा कि आपने उसे ब्लॉक कर रखा है unblock ka trigger आपको परेशान करेगा। बताया ना दिमाग वहीं जाता है जो चीजें अनसुलझी हो और ना नंबर डिलीट kre ना फोटो ये सब वहीं करे तो सोने पे सुहागा आपको दिमाग का ट्रिगर अपने को प्रेरित करने वाली चीजों को दूर ही रखे तो अच्छा है इसलिए ऐसा पहले ना करे

उसकी यादों से आनंद लेना बंद करे हम उनके साथ बिताए पल को इसलिए याद करते है क्यों की हमे आनंद अपनापन लगता है और ये सोच कर हमे बुरा लगता कि ये पल दोबारा हमारे साथ नहीं होंगे उस वक़्त दिल में गहरा सा एक दर्द होता है जिसे प्यार में तड़प कहते है हमे ये वार वार इस यादों को हल्के में लेना होगा जैसे अरे यार ये तो नॉर्मली ही था कुछ स्पेशल नहीं था

जिस वक़्त आप उस व्यक्ति से बात करते थे या WhatsApp chat ya social media पर बात करते थे या कॉल में बात उस वक़्त आपको ज्यादा याद आएगी तो उस वक़्त को गुजारने के लिए बुरी आदत में ना पड़ जाए जैसे शराब सिगरेट इत्यादि क्यों की कुछ समय में आपको वहीं आदत हो जाएगी ,इसलिए उस समय में अच्छी बुक पढ़े अच्छी बुक पीडीएफ फाइल डाउनोड करे, अच्छी आदतें बनाइए आगे आप जब इससे उभर जाएंगे आपको फायदा मिलेगा

उसको भुलाने के लिए किसी जगह डिपेंड नहीं रहे जैसे की आप दोस्तो के पास जाते हो की उसकी याद ना आए कुछ देर तो आपको याद नहीं आएगी पर जैसे ही आप अकेले रहो तब एक दम से उसकी याद आने लगती है तो आपको सहारे नहीं ढूंढ ना है सहारे से आप भूलने की कोशिश करोगे तो आपके दिमाग को पता होता हैं दिमाग का ट्रिगर आपको कुछ देर रुक देगा किन्तु वो जनता है समस्या सुलझी नहीं है तो दिमाग वहीं जाएगा

अब सबसे अहम काम ये है कि आपको खाली समय को भरना होगा पर इसलिए नहीं की उसकी याद ना आए बल्कि इसलिए कि उसकी यादों को रोकने के लिए आप जो बेफिजूल के काम करोगे जैसे किसी भी जान अनजान को मेसेज भेजना किसी से भी बात करना बिना मतलब की या नया रिश्ता बनाने की ओर प्रेरित होना ये बाद ने चलकर आपको दुख देगा रिग्रेट feel करवाएगा इसलिए उस खाली समय को अच्छे कामों में भरों क्यों की आदत तो आपको उसके बदले में किसी भी चीज की होगी ही

बदला लेने की ना सोचे जैसे में उसको बताऊंगा या बताऊंगी की में कोन था /थी अपना ईगो सेटिस्फाई करने के चक्कर में आप ना की भूल पाओगे बल्कि खुद की स्थिति और परिवार की स्थिति को भी बिगड़ दोगे इससे आपका वक़्त फ़िज़ूल जाएगा उसकी याद में खुद को किसी के भी सामने प्रूफ करने जरूरत नहीं है, हा उसने बहुत बुरी तरह छोड़ा हो पर बदले की भावना से आप कभी आगे नहीं बढ़ पाओगे अनसुलझे हो जाओगे फिर याद आपको रहेगी ही खुद में विश्वास करे आप खुश हो बस,

अब शांत बैठ जाओ और मन में सोचना प्यार सबसे अच्छी चीज होती है दुनिया में अगर भूलना इतना आसान होता तो दुनिया में प्यार जैसा शब्द नहीं होता ये हमारी अच्छाई ही है की हम भूल नहीं पाते वरना कोई भी किसी को अपने मतलब के लिए आसानी से छोड़ सकता था, में खुश हूं कि में एक बहुत अच्छा इंसान हूं जिसके दिल में प्यार करूणा है गहरी सास लेकर छोड़ो अब सब ठीक है वक़्त के साथ हर चीज नॉर्मल हो जाती है ज्यादा तकलीफ हो तो डॉक्टर की मदद ले सकते ह

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पेन ओर पेपर

पेन ओर पेपर का इस्तेमाल करना बेहद खास होता है, यह एक बेहतर अनुभव है, पन्नों पर लिखना भी खास है, इन पर लिखने का अपना ही मजा है।

विचार कही रुके रुके से है, जो कहना जो कहना तो बहुत कुछ चाहते है, लेकिन कह नहीं पाते, ना जाने क्यू ये विचार खुद में ही काही अटके से है, लगता है कही भटके से है, मैं इंतजार करता हूँ इन विचारों का की मैं इन विचारों को लिख लुँगा, इनकी बात कुछ कह दूंगा लेकिन यह तो मौन हो जाते है, अपनी ही बाते अपने भीतर ही दबा कर बैठ जाते है।

मेरे भीतर ही कही रुक जाते है, कोशिश करता हूँ इनको बाहर निकालने की लेकिन यह विचार तो बाहर ही नहीं आते, जब जब मैं पेन ओर पेपर लेकर बैठता हूँ तो मेरे विचार भी धीमे हो जाते है, लेकिन लैपटॉप पर यही विचार बहुत तेजी दौड़ने लगते है, भागते है तो फिर इन्ही विचारों में भटकाव भी आता है, लेकिन कागज पर लिखने से विचारों में स्थिरता, नियंत्रण रहती है, जो लिखना चाहते है उसे अच्छे से सोच समझकर बहाली भांति हम लिख पाते है, लिखने के लिए ठहराव की आवश्यकता होती है, अक्सर तुम लिखने बैठते हो, लेकिन लिख नहीं पाते हो, कभी तुम्हारे विचार कही दूर तुमसे चले जाते है, तो कभी ही अपने विचारों से भटक जाते हो।

उन विचारों को पकड़ पाना भी मुश्किल सा हो जाता है, क्युकी यह विचार ही है, जो तुम्हें अपने इशारों पर नचा रहे है, कभी कुछ विचार आ रहे है, तो कभी कुछ तुम्हारे विचार एक स्थान पर स्थिर नहीं हो पा रहे है, जिसकी वजह से तुम बेहतर नहीं लिख पाते हो, हो सकता है की अब तुम लिखना भी नहीं चाहते हो, सिर्फ कॉपी ओर पेस्ट करना ही तुम चाह रहे हो, यह भी हो सकता है की आलस तुम्हें पकड़ रहा हो, तुम्हारा मन अब लिखने का भी नहीं कर रहा हो, यह सब तुम्हारे विचारों का ही खेल है जिसे तुम समझ नहीं पा रहे हो, ओर यदि समझ रहे हो तो भी इसी विचार जाल में फँसते ही जा रहे हो।

इससे बाहर निकलना बहुत मुश्किल होता है, इसलिए सहूलियत मत ढूंढो पेन ओर पेपर उठाकर लिखना शुरू करो, ओर बेहतर लिखते चले जाओ।

लिखने का मन

कभी कभी लिखने का भी मन नहीं करता बल्कि यही मेरा एक मनपसंद कार्य है जिसे मैं पूरी जिंदगी करना चाहता हूँ, इसके अलावा कुछ नहीं करना चाहता लेकिन कई बार एस होता की बस बहुत लिख चुका हूँ अब ओर नहीं लिखना चाहता।

लेकिन आज मुझे जुखाम हो रहा है जिसकी वजह से लिखने में ध्यान नहीं लग रहा बार बार एस लग रहा है बस सो जाऊ या आराम कर लू, लेकिन किसी ने एक बात काही है जब आप किसी लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते है तो उसमे बहुत सारी बाधाये आती है, वह मानसिक ओर शारीरिक बाधा कैसी भी हो सकती है।

कई बार हमारा ऑफिस या दुकान जाने का मन नहीं करता लेकिन हमे करना पड़ता है क्युकी जाना जरूरी होता है। इसी प्रकार मेरा कभी लिखने का मन हो या नहीं हो लेकिन मैं लिखता हूँ, क्युकी जिंदगी किसी लक्ष्य को हासिल करना है, तो आपको उस कार्य के प्रति लगातार होना ही पड़ेगा, आपको उस कार्य से अवकाश नहीं लेना।

वैसे मेरी एक आदत है जब मुझे लगता है की आगे आने वाले कुछ दिनों तक किसी दूसरे कार्य में व्यस्त हूँ, या फिर मैं कुछ ओर काम करना चाहता हूँ, तब मैं अपने कार्य को अड्वान्स में ही कर लेता हूँ, ताकि मुझे किसी भी प्रकार की परेशानी न हो, ओर मुझे कभी ऐसा नहीं लगे की आज मैंने कुछ काम ही नहीं किया।

मैं पहले से ड्राफ्ट में सेव कर लेता हूँ ओर उस दिन दिन तारीख पर सेट करके पोस्ट कर देता हूँ, लेकिन यह सुविधा आपको ओर किसी कार्य में नहीं मिलती इसलिए आपको लगातार तैयार रहना होता है।

इसलिए यदि आपका मन है तो भी कार्य को करे ओर नहीं है तो भी उस कार्य को करे, वह कार्य तभी पूरा होगा ओर इससे आप लगातार कार्य के प्रति बने रहेंगे, आपकी मंजिल आपके करीब आती है।

मूक कार्य प्रणाली

बदहवास मूक कार्य प्रणाली
आज का विषय बहुत ही गम्भीर समाज की परिस्थिति जिसमें बुना तंत्र को आपकी सहायता के लिए रचा बुना गया हे वो ही आपका दुश्मन बन जाता हे ऐसा क्या हो गया हे जिसे पोषित किया जाता हे जो शिकारी क्यूँ बन जाता हे।

मैं आज बात कर रहा हूँ जो हमारे देशवासी जो नववर्ष 2022 के उपलक्ष्य में माता वैष्णोदेवी के दर्शन के निमित गए ओर कई परिवारों के परिजन उनकी लाश रूप में नव वर्ष में पहुँचे ।
मैं सरकारी आँकड़ो पे बात नहीं करूँगा उसने सदा विरोधाभास रहा हे वो अक्सर बहुत कम ही आंके जाते हे वो इसका प्रभाव तो हे पर इस संवाद का मेरा विषय नहीं हे ।

मेरा कहना कि क्या ये घटना पहली बार हुई हे इस घटना का दोषी कौन कौन हे जल्द से जल्द उजागर होना चाहिए ओर समय से दंडित होना चाहिए ओर भविष्य में ऐसी दुर्घटना (में इसे हत्या की संज्ञा दूँगा )न हो उसके माप दंड बनाए जाए ओर देखा जाए उनका उचित पालन हो ।

किसी ने अपने बेटे -बेटी किसी ने अपने माँ -बाप को किसी ने दादा -दादी नाना नानी ,बुआ ओर चाची ओर न जाने कितने ही रिश्तों का दुखद अंत देखा मज़े की बात हे जो शासन प्रशासन चुस्त दुरुस्त होता तो न होता ये सरासर प्रशासन की कमी हे चाहे वो shrine बोर्ड हो पुलिस प्रशासन, क्षेत्रिये प्रशासन या राज्य प्रशासन ओर शासन की क्या बिसात हे जो उसपे उँगली उठाई जा सके ।

ये सब तंत्र आपकी सुरक्षा ओर ख़ुशहाली हे लिए बुना गया हे इसमें लाखों कर्मचारी कार्यरत हे लेकिन उनकी ऊर्जा का दुरुपयोग किया जाता हे उसमें से काफ़ी हद तक अपनी नौकरी बरकरार रहे लगे रहते हे करे चाहे कुछ भी उनको देखने वाले उनसे कुछ ओर ही उम्मीद रखते हे ये सब चल रहा हे ।

क्या हम इंसान इतने बदहवास हो चुके हे हम इतना कर चुकाते हे हर वस्तु पे कर gst ओर उसके बदले हमे क्या लोटा के देता हे ये शासन ओर प्रशासन.
जब कटरा में व्यक्तियों का पास बनता हे जो यात्री गन होते हे तो वो बदहवास होकर कार्ड बना रहे थे उनको ज्ञान नहीं था कि ऊपर कितने लोग हे कितनो को हम भेज रहे हे ओर पुलिस वाले उनसे सम्पर्क नहीं कर रहे कि न भेजिए इतने व्यक्ति दुर्घटना हो सकती हे ओर इतने समझदार लोग हे प्रशासन वाले कि एक ही रास्ता आने ओर जाने का वाह क्या बात हे फिर दुर्घटना क्यूँ न हो वो तो घटित होगी ही होगी ।

न कोई आपस में समन्वय committee न ही cc tv प्रबंधन या हे तो कोई उसका उपयोग नहीं ये घोर लापरवाही हे इतने लोगों उनका क्या दोष था वो बहुत सकारात्मक सोच के साथ आए होंगे ताकि नववर्ष उनके ओर उनके परिवार के लिए शुभ हो मंगल हो।

मैं हृदय से दिवंगत देशवासियों के लिए अपनी श्रधांजलि देता हूँ ओर इसकी सही हाथों से समयबद्ध जाँच हो ओर भविष्य में ऐसी घटना न घटे उसपे ज़रूर ज़रूर उचित कार्यवाही करे हम सब इस धरती के वासी हे न करे अन्याय किसी से ख़ाली हाथ आए थे ओर ख़ाली हाथ ही जाना हे ।
संवाद