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पैसा क्यों जरूरी है

पैसा क्यों जरूरी है? पैसा आवश्यकता है हम सभी की, पैसों से बहुत सारी चीज़े पूरी हो जाती है, #पैसों से साधनों की प्राप्ति होती है,

पैसा तब बहुत जरूरी लगा जब घर में मेडिकल ईमर्जन्सी हुई तब पता चला की पास में पैसे ना हो तो कितनी तकलीफ होती है, हर जगह धक्के खाने पड़ते है, सरकारी अस्पताल में लंबी कतार में लगना पड़ता है, जब आपको किसी टेस्ट के लिए भी तारीख मिलती है सरकारी अस्पताल में तब पैसों की अहमहियत ओर ज्यादा महसूस होती है।

यदि पैसे होते तो इलाज प्राइवेट अस्पताल में करवा लेते बहुत आराम से, ओर अपनी सहूलियत के अनुसार जितनी जल्दी हम चाहते, सरकारी अस्पताल वाले तो आपको अच्छे से देखते भी नहीं है, उनको यदि आप कुछ बोल दो तो उनका जवाब यही होता है की आपको पता है कुछ या मुह उठाकर आ गए हो, हर सरकारी अस्पताल में जाता हुआ उन्हे अनपढ़ ओर गरीब ही दिखता है जिनके साथ वह किसी भी प्रकार का व्याहवार कर लेते है।

पैसों की कमी तब पता चलती है जब आप सिर्फ कुछ रुपयों की वजह से अपना केस नहीं लड़ पढ़ पाते हो, हमे ऐसा लगता है की हमारे साथ क्या बुरा होगा यदि हम किसी का बुरा नहीं करेंगे तो लेकिन कब कौनसी घटना हमारे साथ घट जाए इस बात का किसी को नहीं पता होता, इसलिए पैसा जरूरी है।

अचानक यदि कोई एक्सीडेंट हो जाए ओर आपका इलाज सिर्फ कुछ रुपयों की वजह से रुके तब आपको पैसों की कमी महसूस होती है।

पैसा क्यों जरूरी है यह बात तब और ज्यादा महसूस होती है जब आप स्वयं को असहाय मानते हो सिर्फ उन पैसों की वजह जब आप अपने बहुत सारे कार्यों को भी नहीं पूरा कर पाते।

वो पंडित भी आपको तब दर्शन करने देते है भगवान के जब आप चड़ावा ज्यादा देते हो, बिना चडावे के तो पंडित बस आपको आगे करते जाते है।

#भाई को आगे पढ़ ना पाते देखा तो पता चला पैसा बहुत जरूरी है।

#बिना खाए सोया तो पता चला पैसा बहुत जरूरी है।

#संसार में जीवन यापन करने के लिए पैसा अति महत्वपूर्ण है। बिना पैसे के न भोजन मिलेगा,न पानी ,न बिजली,न मोबाइल में रिचार्ज होगा, कि कोरा पर आकर सवाल जबाब कर सकें। जीवन की हर छोटी बड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसा बहुत जरूरी है।

#खुशी के लिए पैसा महत्वपूर्ण है

#पढ़ाई को बीच रास्ते में छूटते हुए देख लगा की पैसा बहुत जरूरी है।

#मुझे आमिर होकर देखना है पैसा है तो सब अपने है, वरना सब सपने है।

#छत से पानी टपकते हुए देखा तो पता चला पैसा बहुत जरूरी है, दीवारी की सफेदी झड़ रही थी लेकिन सफेदी के पैसे भी ना थे तो लगा ये जवानी भी किस काम यदि पैसा ना हुआ हाथ में तो

#पैसे कमाना तो सबसे जरूरी है। जीवन में और कुछ करें ना करें , लेकिन पैसे जरूर कमाएं। क्योंकि पैसा कमाते रहेंगे तो दुनिया आपकी है, सारे रिश्ते आपके है, सभी दोस्त आपको पूछते है वर्ना आपका कोई नहीं। ये मेरा निजी अनुभव है।

पैसा आज के समय का सबसे अनमोल वस्तु बन चुका है आप बिना पैसों की आज का जीवन जीने का सोच भी नहीं सकते यह और चिकन आर्थिक दोनों ही क्षेत्र के लिए बेहद जरूरी है इसमें ना केवल व्यापार बल्कि घरेलू शोध पढ़ाई समाज सेवा मंदिर और आविष्कार सभी के लिए पैसा बेहद जरूरी है।

“पैसा कमाना जरूरी तो है” ये माइंडसेट होगा तो अच्छा है “लेकिन पैसा ही जरूरी है” ये माइंडसेट गलत है।

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मैं सुनाता हूँ

मैं सुनाता हूँ तुम्हें जबान की कहानी….
यह मीठी तो फूल बरसते यही कड़वी तो उसकी क़ीमत पड़ती चुकानी।
ज़ुबान से दिल का निकलता महामार्ग …
बात अच्छी तो दिल होता गदगद लगती बुरी तो लगाता बंदा लार्ज।

जबान से निकला तीर नहीं होता वापस….
चूस जाता इस जीवन का पूरा मधुर रस ।
इसलिए ज़बान का/ को इस्तेमाल करे
सम्भाल के….
दे इज्जत और ले इज्जत इसके सही इस्तेमाल से..

मैं सुनाता हूँ तुम्हें जबान की कहानी,
यह मीठी तो फूल बरसते यही कड़वी तो उसकी क़ीमत पड़ती चुकानी।

ज़ुबान से दिल का निकलता महामार्ग,
वक्त के साथ बदलती कहानियों का विस्तार।

शब्दों की बातें जगातीं हैं भावनाएं,
ज़ुबान की बारीकी से उभरती हैं आदतें।

एक मुस्कान की ताकत होती है शब्दों में,
खुशियों का जादू छिपा होता है बोलों में।

प्यार की मिठास छिपी होती है वाक्यों में,
दिलों के मेल को जोड़ती हैं वाचाएं।

पर कभी-कभी कटुता भी होती है ज़ुबान में,
ठेस पहुंचाते हैं कुछ निर्बाध शब्द समयांतर में।

हमें समझना चाहिए क़ीमत शब्दों की,
नकारात्मकता से दूर रखें हम भाषाओं की।

ज़ुबान को उचित उपयोग में लाएं,
सद्य और शिष्टाचार से खुशहाली पाएं।

जबान की कहानी सुनने से पहले सोचें,
शब्दों की महत्वपूर्णता को समझें और महसूस करें।

ज़ुबान की ताकत से भर जाएं आप भरपूर,
कहें अच्छे शब्द, बनें अच्छे बहुत शानदार!

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जीवन का आनंद

बच्चों से लेनी चाहिए शिक्षा पहली बात खुश रहना अकारण…..
जीवन का आनंद आ जाएगा जीवन होगा उच्च नहीं रहेगा साधारण ।
दूसरी शिक्षा हमेशा कुछ न कुछ करते रहना , रहना व्यस्त ….
कर्म की शिक्षा मन रहेगा व्यस्त तो व्यक्ति भी रहेगा स्वस्थ ।
तीसरी शिक्षा अपनी छोटी छोटी माँगो को मनवाना बिना अहंकार …..
कितनी चाहत विश्वास और ध्यान माँग पे कि होगी इच्छा मेरी स्वीकार ।
आओ बच्चों से सीखे जीवन का अर्थ….
अभी भी समय न करे यह जीवन व्यर्थ ।

यह एक छोटी रचना है, जो बच्चों को समझाती है कि शिक्षा के माध्यम से हमें खुश रहना, कार्य में व्यस्त रहना और अहंकार के बिना अपनी छोटी-छोटी मांगों को पूरा करना चाहिए। यह शिक्षा हमें साधारण जीवन को ऊँचा बनाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है, ओर जीवन का आनंद देती है।

एक निर्धारित समय

एक निर्धारित समय यह ऐसा समय हो जब आप कुछ जरूरी कार्य करना चाहते हो हर रोज उसी समय, वही एक ऐसा समय हो जिस समय आप वही काम करो जिसकी आदत आप बनाना चाहते हो, वो जरूरी कार्य आपकी उन आदतों से जुड़ा होना चाहिए जिसे किसी ओर समय नहीं कर पा रहे हो, लेकिन उस निर्धारित किए हुए समय में आप वही कार्य करो, ओर लगातार करते रहो चाहे उसमे आपको सफलता नहीं मिली हो कभी, लेकिन उस कार्य में कभी तो सफलता मिलेगी इसलिए उस कार्य के प्रति लगातार बने रहे ओर उसी समय पर उस कार्य को करते रहे, एक वो दिन जरूर आएगा जब आपको सफलता मिलेगी आपके मनचाहे कार्य में।

पूरे दिन में एक निश्चित समय हो जब आप अपने दूसरे सारे कार्यों को छोड़कर उस कार्य को करे, उस कार्य को समय दे जिसमे आप सफल होना चाहते है, जो आपको बेहद पसंद है, कभी कभी उस बेहद पसंद आने वाले काम में भी मन नहीं लगता लेकिन कुछ दिन यदि मन नहीं लगता तो कोई बात नहीं लेकिन उस कार्य में मन लौटकर वापस आ जाता है, दूसरों कार्यों की तुलना में यह अधिक अच्छा कार्य है ऐसा आप जानते है इसलिए आपका मन लौटकर आ जाता है इसलिए अपना समय अपने मनपसंद के  कार्य को ओर अधिक दे, जैसे आप लिखना पसंद करते है किसी किसी दिन आपका लिखने का मन नहीं करता लेकिन लिखना आपका शोक है, आज मन नहीं है लेकिन कल फिर लिखने का ही करेगा इसलिए अपने लिखने वाले कार्य को एक निश्चित समय पर करे। मेरा एक निर्धारित समय है, जब मैं अपने लैपटॉप को लेकर बैठ जाता हूँ चाहे मैं काम कर पाउ या नहीं चाहे कुछ लिख पाउ या नहीं, मेरा काम करने का मन हो या नहीं, चाहे मैं कुछ ना करू बस बैठ ही रहु 

लेकिन उस समय मैं बैठ जाता हूँ अपने लैपटॉप के साथ बहुत बार ऐसा होता है जब हमारा किसी कार्य को करने का मन नहीं होता तब हम कुछ नहीं करना चाहते, लेकिन जब मेरा मन नहीं होता तो भी उस काम करने के लिए बैठ जाता हूँ अपना लैपटॉप लेकर चाहे मैं कुछ नहीं लिखू लेकिन उस समय बैठने की वो आदत बनी रहती है, फिर वो आदत टूटती नहीं है, चाहे आप उस समय अपने काम के साथ कुछ ओर भी कर रहे हो लेकिन उस आदत को चालू रखिए ताकि आपकी आदत बनी रहे ओर आप धीरे धीरे अपने कार्य के प्रति प्रेम करने लग जाते है, उस कार्य के आदि हो जाते, फिर आपका मन खुद ही उस कार्य में लगने लग जाता है, फिर आप उन सभी दूसरे कार्यों को छोड़ते चले जाते है जो आपके लिए जरूरी नहीं है, अब आप सिर्फ अपने मनपसंद के कार्य पर ही ध्यान लगाने लग जाते हो।

फिर उस समय आपके मन के भीतर विचार भी उस कार्य के लिए आने लग जाते है, फिर आपकी सराउन्ड वैसी ही बन जाती है उस समय में इसलिए एक निर्धारित समय पर अपनी आदत को बना लीजिए जब आप हो ओर आपका मनपसंद काम हो आपके साथ ओर कुछ नहीं हो।

एक निर्धारित समय पर किया गया कार्य आपकी आदत बन जाता है, जिससे आप उस कार्य में लगातार बने रहते है, ओर किसी भी कार्य को लगातार करने से आप उस कार्य में कुशल हो जाते है।

इसलिए एक निर्धारित को चुनिये ओर अपने मनपसंद के कार्य को हर रोज निर्धारित समय पर ही करिए, एक निर्धारित समय पर किया गया कार्य आपकी आदत बन जाती है, इसलिए उसी समय पर हर रोज उस कार्य को करे।

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आलस

जब बहुत सारा आलस भर जाता है, इस आलस की वजह से लिखने का मन नहीं करता, तब आपको ज्यादातर समय सिर्फ सोने ओर लेटने का ही मन करता है। खुद को व्यस्त रखना बहुत जरूरी है यदि आलसी नहीं बनना तो, स्वयं को किसी ना किसी कार्य में व्यस्त रखना बहुत जरूरी है जिससे हमारा शरीर आलसी ना बने।

शरीर इतना आलसी होता है, खुद से कुछ काम करने को मन नहीं करता एसा लगता है, कोई हमारे लिए काम करदे, अक्सर हम यही चाहते है।

ये आलस ही है, जो हमे बार बार काम को टालने की आदत से भर देता है। जो हमे हमारे लक्ष्य से दूर करता है।

आलस को कैसे दूर करे? आलस को दूर करने के लिए कुछ तरीकों को अपनाये।  

हमे व्यायाम करना चाहिए, हर आधे घंटे बाद अपने शरीर को स्ट्रेच करना चाहिए, हमे अपने दिमाग की एक्सर्साइज़ करनी चाहिए।

किसी भी कार्य की शुरुआत करना जरूरी है जिससे आलसीपन खत्म हो।

आलस की वजह से कम्फर्ट ज़ोन में चले जाते है, ओर बार बार कार्य को टालते जाते है।

आलसी होने की आदत को बदलिए।

में नींद भी बहुत आती है, हाथ ओर पैर जाम से लगते है शरीर को हिलाने तक मन नहीं करता ये शरीर इतना आलसी हो जाता है।

ज्यादा से ज्यादा किताबे पढे जिससे आपका दिमाग लगातार अच्छा सोचे ओर शरीर बेहतर करे।

शरीर चुस्त रहना चाहिए, हर रोज व्यायाम करना चाहिए जिसकी वजह से हमारा शरीर खुलता है ओर आलसीपन दूर होता है।

मानसिक तनाव

स्ट्रेस क्या है जब भी स्ट्रेस तो क्या करे? यह आपका मानसिक तनाव है जो आपको किसी भी विषय में अधिक सोचने पर होते है, छोटी छोटी बातों पर आप अधिक चिंतित होने लगते है तो आपको स्ट्रेस होने लगती है।

  • मानसिक तनाव को कम करने के लिए आप रोजाना आधे घंटे पैदल चले, पैदल चलने से दिमागी तौर पर बहुत आराम मिलता है, जितना भी स्ट्रेस होता है वह कम हो जाता है।
  • साइकिल चलाए आधा घंटा हर रोज
  • एक्सर्साइज़ करे
  • पैदल चले आधा घंटा हर रोज
  • ध्यान करे 40 मिनट
  • हर रोज 4 लीटर पानी पिए
  • हमे व्यायाम करना चाहिए ओर अपने दिन की दिनचर्या को ठीक रखना चाहिए सभी कार्यों को समय पर कर लेना चाहिए
  • हमे स्वस्थ ओर अच्छे भोजन को लेना चाहिए जितना हो सके हमे शुद्ध शाकाहारी भोजन ही लेना इससे हमारे विचार अच्छे होते है ओर सकारात्मक भी
  • सोने का समय सही होना चाहिए अधिक रात्री तक नहीं उठना चाहिए ओर अपनी नींद को पूरे 8 घंटे की लेना चाहिए।
  • अपनी मनपसंद के कार्यों में अधिक समय बिताए जिससे आप सदेव खुश रहते हो उनही कार्यों में अधिक समय बिताने से मूड अच्छा ओर स्वस्थ बना रहता है।

बिना वजह ही हमारे मस्तिसक में बहुत सारे विचार चलते रहते है, जिनकी वजह से हमारा तनाव बढ़त है इसके साथ ही हमारा मूड भी बदल जाता है, बहुत छोटी छोटी बातों से हमारे मूड में काफी बदलाव आ जाते है, जो हमारे मस्तिष्क में तनाव पैदा करता है, इस तनाव को काम करने के लिए हमे ज्यादा समय ध्यान करना चाहिए।

हमे अपने विचारों को सकारात्मक बनाना चाहिए जिससे की हमे उन छोटी छोटी बातों पर सोचने से कोई घबराहट ना हो।

हमारे मस्तिष्क में लगातार विचार आते रहते है, उन विचारों को पर रोक लगाने के लिए हमे अपने विचारों का पैटर्न बदलना होगा, हमारे जो विचार है यदि वो सही ओर सकारात्मक होंगे तो हम अपने ऊपर अधिक कंट्रोल रख सकेंगे।


घूमर फिल्म

घूमर फिल्म में कुछ ऐसे वाक्य जो हमारी जिंदगी को बदलने में सहायक है, कुछ ऐसे विचार जिनको पढ़कर आपको हिम्मत मिले

  1. लगातार कोशिश करने से जीत हासिल होती है।
  2.  जिंदगी में कब कौनसी परेशानी आपको घेर ले ये बात किसी को नहीं पता।
  3.  हम अपने सपनों को बहुत बड़ा कर लेते है लेकिन हमे नहीं पता चलता वो कब टूट जाते है।
  4.  कोई किसी के लिए नहीं रुकता , आपके बदले कोई ओर जगह जरूर लेगा , बिल्कुल वैसा हो  या नहीं वो शायद आपसे बेहतर या फिर बस कुछ कम हो सकता है बिल्कुल आप जैसा न भी हो तो भी।
  5.  उन टूटे हुए ख्वाबों को फिर से जोड़ना मुश्किल हो जाता है, लेकिन उसका टूटना बहुत बड़ा दर्द  है।
  6.  तुम खुद को दुख से भरना चाहते हो लेकिन सुख तुम्हारे साथ ही क्युकी तुम दुख को बड़ा कर लेते हो ओर सुख को छोटा।
  7.  तुम्हारा होसला ही तुम्हें कामयाबी दिलाता है।
  8.  जिंदगी जब कही पर दरवाजा बंद करती है तब दरवाजा खोलना नहीं तोड़ना पड़ता है।
  9.  हम शरीर के कुछ अंगों को बिल्कुल भूल जाते है। जिनका प्रयोग सिर्फ कुछ ऐसे कामों के लिए करते है जिसका विकल्प भी आज मौजूद है।
  10.  जरूरी नहीं है दरवाजे को तोड़ना ही पड़े बस थोड़ी मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है, उस दरवाजे की चाबी को पाने के लिए।
  11.  तीखी बाते कभी कभी इंसान को अच्छा बनाती है, तो बहुत सारे लोगों को बुरा भी बना देता है।
  12.  हमेशा सख्त होना भी अच्छा नहीं है।
  13.  हम हमेशा परफेक्ट होने में ही लगे रहते है। लेकिन क्या परफेक्ट होना जरूरी है?
  14.  कहते है रुकना नहीं है, बस चलते रहना है तभी मंजिल मिलती है।
  15.  अपनी गलतियों को सुधारना है, ओर दुबारा गलतिया ना हो ऐसा प्रयास करना है।
  16.  जिंदगी में बहुत सारी असफलता मिलती है, लेकिन सफलता हमारा अधिकार है, जो एक दिन  अवश्य मिलेगी।
  17.  क्रिकेट अनिश्चितिताओ का खेल है कुछ भी हो सकता है।
  18.  आपकी सफलता सिर्फ आप पर ही निर्भर नहीं करती वो एक समूह का भी हिस्सा है।
  19.  विश्वास जरूरी है अंधविश्वास नहीं।
  20. जब आपकी किस्मत ही किसी ने छिन ली हो, तब किस्मत पर भरोसा करोगे या खुद पर विश्वास।

यह विचार घूमर फिल्म से है, यदि आपको अच्छे लगे हो तो कृपया कमेन्ट करके बताए इसी तरह के बहुत सारे विचार फिल्मों के माध्यम से मैं लिखता रहूँगा।

बस कोशिश है

बस कोशिश है
हां कोशिश है कुछ लिखने की, कुछ बता देने की, कुछ भीतर जो हो रहा है, दिल में उसको बयां कर देने की, ये जो कोशिशे है ना लगातार चलती रहनी चाहिए।

जो मन के भीतर है दबा कहीं, यह कोशिश है उन सभी दबे हुए विचारो के लिए एक कोशिश है, जो उन विचारों को बाहर निकाले ओर उनके साथ कुछ बाते हो, कुछ तालमेल बने वरना वो विचार कही घुटकर मर ना जाए, जिन विचारों से चल रहा है यह जीवन, कभी इस जीवन एमी संतुलन आता है तो काभी असंतुलन बस यह जीवन यू ही चलता है, इस जीवन को बेहतर करने की कोशिश में लगे रहना ही है, यही कोशिश हो हमारी हर समय अवसर की खोज रखे जारी।

जिनको बाहर निकाल पाना बहुत मुश्किल सा है।

लेकिन फिर भी बस एक कोशिश है, कुछ हो जाने की, कुछ करने की, कुछ पाने की,
कुछ कह पाना,
कुछ समझा पाना,
कुछ बता पाना, कुछ हो पाना भी संभव नहीं दिखता बस यू ही यह जीवन चलता फिरता

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समस्या ओर समाधान

समस्या ओर समाधान कि बात की जाए तो बेहतर है, यदि सिर्फ समस्या ही गिनते रहेंगे तो आप एक दिन समस्यायों को इतना बड़ा कर लेंगे की फिर उभर नहीं पाएंगे, उन समस्याओ का समाधान ढूँढने के लिए लगातार प्रयास करते रहे, क्युकी समस्या को बड़ा नहीं होने दे, एक बार जब समस्या बड़ी हो जाती है तो उससे निकलना मुश्किल हो जाता है।

इसलिए जब भी कोई समस्या आती है उसको वही पर खतम करे, उसे देख लेंगे, या छोड़ो ना कहकर ना खतम करे, उसका हिसाब वही पर चुकता करे यही एक बेहतर समाधान है, क्युकी जब हम समाधान ढूँढने के लिए जाते है तो उसका समाधान नहीं मिलता, बस समस्या बड़ी हो जाती है ओर हम उसमे फंस जाते है।

समस्या का समाधान अवश्य मिलता है, लेकिन उसमे तकलीफ को बड़ा ना होने दे, कैसी भी समस्या हो आपको उसका हल मिल ही जाता है, बस आप समस्या को रबड़ की तरह ना खींचे यही आपकी जिम्मेदारी है।

इसलिए यदि समस्या है तो उसका समाधान भी अवश्य है, इसलिए साथ साथ उसको भी बताए सुझावों की सूची बनाएं।

सुझाव दीजिए तभी आप सशक्त होंगे तभी हम बेहतर बन पाएंगे।

सफर रोज मेट्रो का

सफर रोज मेट्रो का कुछ इस तरह से चल रहा है, जैसे जिंदगी का कुछ हिस्सा एक दूसरे हिस्से को मिल रहा है।

यात्रा रोज़ की, मेट्रो की रेलों में,
जीवन का टुकड़ा चल रहा है अधिकारों में।
यात्रा का हर स्थान, हर स्टेशन नया,
कुछ दूसरे हिस्से को सलाम कर जाता है।

जैसे सफर चलता है, जीवन भी चलता है,
हर किसी को अपना रास्ता ढूंढ़ना है।
मिलते हैं रास्ते, ना जाने कहाँ कहाँ,
दूसरे हिस्से को पाने का सब्र करता है।

धूप-छाँव, गाड़ी में आवाज़ों की बौछार,
जीवन की कठिनाइयों का कर रहा सामना यहां।
एक दूसरे को संभालते, संगठित ढंग से,
जिंदगी भी सीख रही है सहनशीलता यहां।

मेट्रो की रेलें, जीवन का प्रतीक हैं,
जोड़ती हैं अलग-अलग लोगों की भीड़ को।
प्यार और सदभावना से भरी यात्रा है यह,
जहां दूसरे हिस्से को जीने का मौका मिलता है।

सफर रोज मेट्रो का, एक बदलाव है,
जिंदगी का आदान-प्रदान यहां दिखाई देता है।
एक दूसरे से जुड़े रहने की शिक्षा देता,
ओर जीवन को सही दिशा में ले जाता है।

चलती रहे मेट्रो की यात्रा, बढ़ती रहे रेलें,
जीने का संघर्ष रहे सबके पास अवसर।
जब सफर के अंत में हम एक दूसरे को मिलें,
जिंदगी का सफर एक संगठित हिस्सा बन जाए संगीत।

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