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ज्यादातर लोग

ज्यादातर लोग जिंदगी में स्कूल की तरह 33 प्रतिशत अंक लाने से ही पास होना है, 100% लाने में डरते है, ओर उन्हे लगता है की 100% तो कभी हो ही नहीं सकते तो, हम इसी तरह से अच्छे है, वो अपनी जिंदगी में कुछ बेहतर होने की कोशिश ही नहीं करते, जैसे की वो उतने बेहतर होना ही नहीं चाहते, जैसे है बस वैसे ही अच्छे है, उन्हे यही लगता है, हम कुछ नहीं कर पाएंगे, हम जिस तरह से जी रहे है यही जीवन है, उसमे कोई सुधार नहीं करते ना ही वो करना चाहते।

ज्यादातर लोग
ज्यादातर लोग

क्या आप भी उनही लोगों में से जो जीवन में सुधार नहीं चाहते या फिर आप स्वयं को बदलना चाहते है, यदि आप स्वयं को बदलना चाहते है तो शुरुआत आज से ही करे क्युकी कल कभी नहीं आता, जब आप शुरू करते है वही समय ठीक होता है उसके लिए कोई मुहूरत नहीं होता।

आपके विचार ही आपका अच्छा ओर बुरा समय बनाते है इसलिए अपने विचारों से स्वयं को बेहतर बनाने के लिए शुरू हो जो।

हममे से ज्यादातर लोग बस जैसे है वैसे ही रहते है वे बदलाव नहीं चाहते, उनको बदलने में डर लगता है, इसलिए वह बदलाव नहीं कर पाते ना स्वयं में ओर ना ही दूसरों में

लगातार करते रहे

किसी भी कार्य लगातार करते रहे क्युकी ज़िंदगी में कुछ करने के लिए बहुत सारा जुनून, पागलपन चाहिए होता है, ओर उसी पगलपने के साथ लगातार काम करते रहना भी बहुत जरूरी है, यदि हम ऐसा नहीं करते तो सफलता हमारे हाथों से दूर निकाल जाती है, जब सफलता दूर होने लगती है तभी हम बहुत सारे बहाने बनाने लग जाते है, ओर उन्ही बहानों के साथ अपने जीवन को बिताने लग जाते है, यदि आप सफल होन चाहते है बहाने ना बनाए, उन बहानों के लिए जवाब ढूँढे ओर उन पर कार्य तभी सफलता हासिल होगी।

कार्य को अधूरा न छोड़े: हम जो भी कार्य शुरू करते है उसको बीच में ही अधूरा छोड़ देते है, जबकी हमे ऐसा नहीं करना चाहिए, हम बार किसी दूसरे कार्य की ओर भागने लगते है, हमे एसा लगता है उस कार्य से हम बोर हो गए या हमारी उस कार्य में रुचि घट जाती है, हमे मज़ा नहीं आ रहा होता है, इसलिए हम उस कार्य को बीच में छोड़ देते है, लेकिन ऐसा करने से हम बहुत पीछे चले जाते है। हमे उस कार्य नए ढंग से करने की कोशिश करनी चाहिए।

स्वयं को रिवार्ड दो: जब भी कुछ करे, उसमे छोटी छोटी उन्नतती पर खुद को रिवार्ड दीजिए, हमे उस कार्य को ओर बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए, ओर उस कार्य को लगातार करते रहे ताकि हमारी रुचि बनी रहे, ओर हम उस कार्य को छोड़ बार बार इधर उधर भटके नहीं।

कार्यों में आनंद ले: उस कार्य में हमे मज़ा ओर वह कार्य हमे अच्छा लगना चाहिए हमे उस तरह से करना चाहिए वो कार्य, हमे कभी भी कार्यों से बोर नहीं होना चाहिए, उसमे आनंद ले।

आदत बनाए: समय पर कार्य करने की आदत बनाए, साथ ही अपने समय की बचत करे बेवजह के कार्यों को करने की आदत दूर रहे।

यह भी पढे: लगातार बने रहे, फोकस रखना खुद को, वादा, तैयारी करो, अपडेट, अपने बिजनस,

अब्दुल कलाम

अब्दुल कलाम जी से हमे बहुत प्रेरणा मिलती है व बहुत सारी बाते सीखने को मिलती है उन्मे से एक यह भी है जिसे हम सभी को याद रखना ओर अपने जीवन में उटार्नी चाहिए।

बहाना  :- मैं अत्यंत गरीब घर से हूँ….

जवाब :- पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भी गरीब घर से थे।

हम सभी को यही बात सिखनी चाहिए की हम बहाने तो बहुत सारे बना सकते है लेकिन सफल होने के लिए बहाने काम नहीं आते हमे कड़ी लग्न ओर मेहनत से कार्यों को करना पड़ता है, ओर उन कार्यों को करने उन्मे बहाने नहीं ढूँढने चाहिए।

अब्दुल कलाम
डॉक्टर कलाम

अब्दुल कलाम भारतीय वैज्ञानिक, शिक्षाविद् और भारत के 11वें राष्ट्रपति रहे हैं। उन्हें “मिसाइल मैन” और “पीपल्स प्रेसिडेंट” के रूप में भी जाना जाता है। अब्दुल कलाम ने भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में अपनी गुणवत्तापूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्धता प्राप्त की।

अब्दुल कलाम हमारे देश के संघर्ष की उच्च गरिमा और गर्व के प्रतीक हैं। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी अद्भुत वैज्ञानिक मार्गदर्शन के बाद से ही भारत ने अंतरिक्ष में स्वतंत्रता प्राप्त की।

अब्दुल कलाम को अपने सर्वश्रेष्ठता, विदेशी भ्रमणों के दौरान छात्रों के बीच शिक्षा के प्रचारक के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने सभी को यह सिखाया कि सपने देखने और मेहनत करने की शक्ति से हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

अब्दुल कलाम के अनुशासनशील और संघटित जीवन पर भारतीय युवा बहुत प्रभावित हुए हैं। उनके शब्दों और उपदेशों ने देशभक्ति, शिक्षा, वैज्ञानिकता और नैतिकता को प्रेरित किया है। वे एक सच्चे मानववादी और शांतिप्रिय व्यक्तित्व थे, जिन्होंने देशभक्ति और जनकल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया।

अब्दुल कलाम ने जनता के मन को छू लेने वाले उदाहरण दिए हैं, जो आपके उदाहरण या दृष्टि के अनुसार आगे लिखे जा सकते हैं।

  • “अगर आप एक परिवर्तन बनना चाहते हैं, तो आपको खुद पर पहले विश्वास करना होगा।” –
  • “सपने वहीं होते हैं जो हम अपने दिमाग में बनाते हैं, लेकिन उन्हें सच करने के लिए हमें मेहनत करनी पड़ती है।” –
  • “शिक्षा आपके दिमाग को खोलती है और आपको नई सोच का द्वार खोलती है।” –
  • “यदि आप असाधारण चीजें करना चाहते हैं, तो आपको आम तरीके से सोचना बंद करना होगा।” –
  • “सपनों को पूरा करने के लिए आपको सोचना नहीं, करना पड़ेगा।” –
  • “सफलता आपके पास नहीं आती है, वह आपकी मेहनत और संघर्ष के बाद आपके पास आती है।” –

समस्या ओर समाधान

समस्या ओर समाधान कि बात की जाए तो बेहतर है, यदि सिर्फ समस्या ही गिनते रहेंगे तो आप एक दिन समस्यायों को इतना बड़ा कर लेंगे की फिर उभर नहीं पाएंगे, उन समस्याओ का समाधान ढूँढने के लिए लगातार प्रयास करते रहे, क्युकी समस्या को बड़ा नहीं होने दे, एक बार जब समस्या बड़ी हो जाती है तो उससे निकलना मुश्किल हो जाता है।

इसलिए जब भी कोई समस्या आती है उसको वही पर खतम करे, उसे देख लेंगे, या छोड़ो ना कहकर ना खतम करे, उसका हिसाब वही पर चुकता करे यही एक बेहतर समाधान है, क्युकी जब हम समाधान ढूँढने के लिए जाते है तो उसका समाधान नहीं मिलता, बस समस्या बड़ी हो जाती है ओर हम उसमे फंस जाते है।

समस्या का समाधान अवश्य मिलता है, लेकिन उसमे तकलीफ को बड़ा ना होने दे, कैसी भी समस्या हो आपको उसका हल मिल ही जाता है, बस आप समस्या को रबड़ की तरह ना खींचे यही आपकी जिम्मेदारी है।

इसलिए यदि समस्या है तो उसका समाधान भी अवश्य है, इसलिए साथ साथ उसको भी बताए सुझावों की सूची बनाएं।

सुझाव दीजिए तभी आप सशक्त होंगे तभी हम बेहतर बन पाएंगे।

सफर रोज मेट्रो का

सफर रोज मेट्रो का कुछ इस तरह से चल रहा है, जैसे जिंदगी का कुछ हिस्सा एक दूसरे हिस्से को मिल रहा है।

यात्रा रोज़ की, मेट्रो की रेलों में,
जीवन का टुकड़ा चल रहा है अधिकारों में।
यात्रा का हर स्थान, हर स्टेशन नया,
कुछ दूसरे हिस्से को सलाम कर जाता है।

जैसे सफर चलता है, जीवन भी चलता है,
हर किसी को अपना रास्ता ढूंढ़ना है।
मिलते हैं रास्ते, ना जाने कहाँ कहाँ,
दूसरे हिस्से को पाने का सब्र करता है।

धूप-छाँव, गाड़ी में आवाज़ों की बौछार,
जीवन की कठिनाइयों का कर रहा सामना यहां।
एक दूसरे को संभालते, संगठित ढंग से,
जिंदगी भी सीख रही है सहनशीलता यहां।

मेट्रो की रेलें, जीवन का प्रतीक हैं,
जोड़ती हैं अलग-अलग लोगों की भीड़ को।
प्यार और सदभावना से भरी यात्रा है यह,
जहां दूसरे हिस्से को जीने का मौका मिलता है।

सफर रोज मेट्रो का, एक बदलाव है,
जिंदगी का आदान-प्रदान यहां दिखाई देता है।
एक दूसरे से जुड़े रहने की शिक्षा देता,
ओर जीवन को सही दिशा में ले जाता है।

चलती रहे मेट्रो की यात्रा, बढ़ती रहे रेलें,
जीने का संघर्ष रहे सबके पास अवसर।
जब सफर के अंत में हम एक दूसरे को मिलें,
जिंदगी का सफर एक संगठित हिस्सा बन जाए संगीत।

यह भी पढे: दो दोस्त मेट्रो में, बस और मेट्रो, दिल्ली मेट्रो में शराब, दिल वालों की दिल्ली,

बड़ी प्यारी है जिंदगी

बड़ी प्यारी है जिंदगी


ना तड़पाओ ना रोने दो बड़ी प्यारी है जिंदगी ,इसे खिलने दो जरा यह खिलना चाहती है, क्योंकि खिलखिलाती सी है जिंदगी। अपनी मुस्कुराहट को कही खो मत जाने दो, यह मुस्कुराती हुई है जिंदगी, इसके साथ खेलो, कूदो बड़ी गुदगुदाती सी है, यह जिंदगी

इंसान

इंसान जब दुःखी होते हैं तो साधु-सन्तों, मन्दिर-मस्जिद, गुरुद्वारे में जाकर भक्ति-भजन में लग जाते हैं और जब जीवन में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा होता है तो यही सब उसे ढोंग-पाखण्ड, आडम्बर लगने लगता है। ऐसा क्यों?

इंसान मतलबी है ओर रिश्ते भी मतलबी ढूँढता है , उसका भगवान से भी कुछ इस तरह का ही रिश्ता है, उसे भगवान से कुछ मिलने की चाहा दिखती है इसलिए वो जाता है, सुख में उसे लगता है की अभी है जब नहीं होगा तब जाऊंगा , उस समय उसकी मानसिकता बदल जाती है।

उसका समय उसे अब कीमती लगने लग जाता है , इसलिए न मंदिर , मस्जिद कुछ याद नहीं आता बस अपने स्वार्थ की पूर्ति करता हुआ नजर आता है , जैसे ही शारीरिक ओर मानसिक कष्ट हल्का सा दिखता है तो वह घबरा कर फिर भगवान के पास आ जाता है,

इंसान  मतलबी है ओर रिश्ते भी मतलबी ढूँढता है , उसका भगवान से भी कुछ इस तरह का ही रिश्ता है,
इंसान

सबकुछ ठीक है तभी तो आडंबर , पाखंड लगता है जब कुछ भी ठीक नही होता तो वह इंसान ठीक करने के लिए दौड़ पड़ता है, बस जैसे ही ठीक होता है वही भूल जाता है फिर उसी चक्र के चक्रव्यूह में फंस जाता है।

अब इंसान को आडंबर क्या लगने लगता है यह सिर्फ एक इंसान का सवाल नहीं है यह हम देख रहे है, हम बहुत तेजी के साथ आगे की ओर बढ़ रहे है, बहुत सारी नई बाते सुन रहे है।

हमारा व्यवहार बदल रहा है , हमारा समाज बदल रहा है , नए विचार आ रहे है , कुछ गलतिया जो बीते दिनों में हुए उन हम नहीं भूले , कुछ नहीं खोज का पता लगना , कुछ विचारों का बढ़ना , एक बहुत बड़ी जनसंख्या का अलग तरीके से सोचना यह सभी कारण होते है हमारी सोच के बदलने में

यदि लाखों किसी को गलत बोलना शुरू कर देते है, तो हम उसको गलत मानना शुरू कर देते है चाहे वो गलत हो या नहीं , हम उसकी पुष्टि नहीं कर पाते। तो हमारे विचार बदल जाते है, जिसकी वजह से पिछले 10-15 साल में बाबाओ के प्रति विचार बदल गए है।

अब वो आडंबर, ढोंग लगने लगा यही लगता है की वह हमारी आस्था के साथ खिलवाड़ कर रहे है , सिर्फ लूटने का काम ही है अब हमे यही लगने लगा है।

दूध का जला छाछ भी फूँक फूँक कर पीता है , जिस तरह की घटनाए बीते कुछ सालों में हुई है उसकी वजह से हमारे विचार में बदलाव आया है।

हममे से कुछ लोग मूर्ति पूजा करते है।

कुछ लोग निर्गुण निराकार की

कुछ दोनों को नहीं मानते वह बोलते है, प्रकृति ही सबकुछ है, जो जैसे चलना चाह रहा है उसे उसी तरह से चलने दीजिए मंजिल सबकी एक ही है इसलिए इन सभी चिंताओ में न पड़े भीतर की खोज को

Hamari Halat Kya

Mere likhe hue sher bhag-5

81. hamari halat kya koi unko jake ye bataye…
ki hamari halat kya hai…
wo to hamain thukra ke age badh gaye…
magar hum band ghadi ki suiyon ki tarah wahin reh gaye…hamari halat kya

samay to apni raftaar se age nikal chuka hai…
par mera waqt us akhri mulakaat par tham sa gaya hai…

82. yun waqt ke saath chalne ki chahat main…
har apne ko peeche chor chala hun…
ek khud ka to bharosa tha…
ab har pal khud ko bhi dhoka deta hun…
jaane kiski chahat hai mujhe..
jo mere dil ki aawaaj ko bhi ansuna karta hun…

83.aaj fir kisi apne ki ankhon main ansun dekha hai…
par jaane kyun mera mann bhi udas hua hai…
mera dil uska dukh bantna to chahata hai..
par use ye kehte hue bhi darta hai….

84. Aaj main khush hun…
ki mera janaza jo nikal raha hai… 
jindagi main koi saath na tha…
maut ke baad julus sa nazara hai…
mere saath to koi na roya…
par ab koi mere liye ansun baha raha hai…
aaj main khush hun…ki mera janaza jo nikal raha hai…

85. ye logon ki bheed ye sawaalon ke tufaan…
thak gaya hun main inke jawaab dede kar…
ab to thodi shanti mil jaye jindagi main kahin…
thak gaya hun dil ka sukoon dhundh dhundh kar…

86. ye wo aakhri raat hai jab main roya hun…
shayad akhri raat jab main khoya hun…
bas yahi samajh liya hai ab maine…
ab yahi soch kar har raat sota hun…

87. Tujhme itna kho gaya hun ki khud se jyada tujhe samajhne laga hun…
ab tu kuch kahe na kahe teri khamosh jabaan bhi samajhne laga hun…
tu bol ke apni dastan-e-dil bayan kare na kare…
ab to teri dhadkano ko sun kar tere khayal samajhne laga hun…

88.har arju khatam, har khwaish ko mil gaya anjaam…
tu jo khush hua hai, nahin meri duaaon ko bhi kuch kaam…

89. jindagi nahin chalti ek din bhi tujhse door hokar…
jaane kaise rahunga tujhse alvida kehkar…
naajaane tu samajh payega ki nahin…
koi mil gaya tha apna sa tujhse milkar…

90. suna hai apni taqdeer apne haathon se baadalti hai..
yahan to jis gali se nikalte hain, wahan se to maut bhi apna rasta badalti hai…

91 wo karte hain waar anjaam-e-manzil ke aane par..
ke mud kar bhi nahin ja sakte…
sahi chodda hai jeevan ki majhdhaar par..

92.tu mera na ho saka iska gum nahin…
tune mujhe thukra diya iska bhi gum nahin…
gum to bas is baat ka hai ki…
tujhe meri mohabbat ki inteha ka andaja hi nahin…
kher ismain teri bhi koi khata nahin…
is pyar ki hadd ka to ab tak mujhe bhi pata nahin…

93. Na jaane kyun tere jaane ka gum hai..
na jaane kyun fir na milne ka darr hai…
tu na bhoolne ka waada to kar gaya..
par tera ye waada bhul jaane ka darr hai…

94. Haar tabhi maan jab haarne ko kuch baaki na bache…
jeet tabhi hai jab jeetne ko kuch baaki na bache…
patthar hote hain sabki rahon main…
har patthar ko chunkar bharle apne daaman main..
jab tak rahon main ek bhi patthar baaki na bache…
hum tere saath hain har haal main har raah main…
chahe tera koi aur saathi baki na bache…
एक कदम तुम चलो हमारी  तरफ, एक कदम हम चले तुम्हारी तरफ
यूँ ही चलते रहे जब तक कोई फैसला बाकि न रहे

95. Har koi hans leta hai haal sunkar mera…
fir dil kuchal deta hai,jab wah kehta hai sher sunkar mera…
use to meri shayari main dar-e-dil sunai padta hai…
har gum ko sehta to bechara dil mera….

96. Aaj fir tera haal poochne hi himmat ki hai…
fir se us dosti ko jodne ki koshish ki hai…
bas ye dostana fir purane jaisa ho jaye …
aaj fir is aitbaar main ye umeed ki hai…

97. Rooh-e-jindagi meri yun ghayal si ho gayi hai…
jane kis dukh main dukhi hokar gafil hi ho chuki hai…
ab aur na saha jata hai na jiya jata hai ek pal bhi..
jindagi meri khushgawar si nahin ek bojh main badal gayi hai….

98. jaane wo kis sapne se darr lagta hai..
ki ab ratoon ko sona bhi  nahin chahata hun…
jo sapna jagti ankhon se dekha tha…
ab use toot te hue nahin dekhna chahata hun…
jo mujhse ek dill ka rishta banaya hai tune..
koi naam dekhar use badnaam nahin karna chahata hun…
har baat tujhse shuru ho jindagi ki…
aur tujhpar hi khatam bhi karna chahata hun…

99. Seedhe chalte raston par bhatak jata hun…
sirf tere khayal se kahin kho jata hun…

tu ek nigah bhar ke dekh le kabhi yun hi…
bas teri taraf is khayal se dekhta jata hun…

kahin is baar tu aaya hoga shayad..
yahi soch kar darwaje par nigahen lagaye baith jata hun…

har aahat pe lagta hai tu aaya hai shayad…
halki si aawaaj se adhi raat ko bhi jaag jaata hun…

shayad tu sapno main hi aajaye…
yahi sochkar fir sone ki  koshish main lag jaata hun…

100. nigahen baar baar unhe dhundhti hain jo kabhi humse milte hi nahin…
wo rehte hain pass pass hamesha par kabhi apne se hue hi nahin..

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Nazar

61. dekha jo tujhko khil khila ke hanste hue..
dil ka har soya khwab jaag utha hai…
is pyari si hansi ke suron ko sunkar yun…
mere dil ke jal tarang ka har taar baz utha hai…
jo bikhere hai khushiyon ke geet tu fijaon main…
feeka sargam ka har ek sur  hua lagta hai…

62. use janna chahta hoon jo hummain nahin janta…
use pyar karta hoon jo pyar karna hi nahin janta…
ab ismain meri kya khata jo ek bewafa se dil laga baitha…
kaash usnain wo dekha hota jo pyar reh gaya andekha…

63. hum aye hain unke ghar is umeed main ki wo ankhe bichaye baithe honge..
itna sochte hue jo unke darwaze par dastak di….
darwaja khulte hi unhone poocha… aap kaun hain???
hum hi laut aye ye soch kar ki hum hi  galat ghar main agaye honge…

64. barish ki choti choti boondon main tera hi massoon chehra nazar ata hai…
fir is barsaat main ankhe khole khada hoon shayad ek boond in ankho main sama jaye…
par sochta hoon mere gum-e-ansuon ke sang wo boond na beh jaye…
wo ankhon main basa chehra hi bas teri akhri yaad hai…
yahi sochkar bas ab hansta rehata hoon… kahin ek ansun na beh jaye…

65.hum diya jalaye baithe the ki wo ayenge hum se milne
diya bhi jal raha hai wo milne bhi aye hain…
bas ab humare ghar nahin  humari mazar par aye hain…

66.khud to mar chuke hain doosron ke liye jeete hain…
ab khud ke gum or dard se nasha nahin hota hai…
khud ke liye nahin ab doosron ka gum galak karne ke liye peete hain…

67. wo door ek ummid ka dia jal raha hai…
wo ek halki si roshni se mere dil ka andhera chant raha hai…
lo himmat karke diye tak haath to badha dia hai…
par jaane kiski nazar lagayi hai in khushiyon ko…
ki us ummed ke deye se bhi haath jal raha hai…

fir bhi thame hue hun is diye ko jalte hue haathon main..
shayad yahi likha hoga meri haathon ki lakeeron main…
yahi soch kar in lakeeron ko mitane ke liye haath bhi jala raha hoon..
fir nayi lakeeren banegi  fir is ummed main jal raha hoon main…

68. us roshni main badhti hui tanhaiyon se bhag kar…
is andhere ke kaale sayon se dosti  ki hai…
par us roshni ki tanhaiyon main bhi apnapan tha…
in andheron main to meri parchayi ne bhi saath chor diya hai…

69.jise humne chaha wo mujhe na mil saka…
koi humain chahata aise mai na ban saka…
ab ismain meri kya khata main un jaisa na ho saka…
kisi ke dil main pyar to kya nafrat bhi na jaga saka….

70. tujhse itna pyar karte hain ki..
is ehsaas ki inteha hum nahin jante…
bas maut se bhi lad jayenge par tujhe na jane denge…
maut na mani to uske sath hum bhi holenge…
is duniya se us jahan tak har kadam tere saath chalenge…

71. jo bhul jayen wo yaden nahin…
jo yaad na aye wo pyar bhari baten nahin…
tere mere dil ka haal ek jaisa hai…
bas tune keh diya aur main to keh bhi pata nahin…

72.shayri ki ye adat to sharab ki adat se bhi hai buri…
sharab pi kar to sab bhool jata hun…shayri main to yaden sanjota hun…
sharab peekar badbadat hun to diljala samajhte hain…
shayri sunkar to wah wah kiya karte hain…

73.jaane chor aye the unko kiske sahare…
wo khafa to hai ki kyun chor aye the beech rah main…
wo na samjhe ek bhi majboori meri…
ye bhi na socha ki hum jeete hain kiske sahare…

ye bhatakti kashti si jindagi ka sawaar main jaane kiske hun sahare…
ye dukh ka maha sagar aur nahin ek bhi sukh ke kinare…
kehne ko bahot hai yahan sahanubhuti ka khara paani…
par pyas to tabhi bhujegi jab mile kisi ke pyar sa meetha pani…

par pyas nahin bhujti; jabtak na ho; pyar ke meethe neere…

(Jane wo chor gaye hume kis ke sahare…
Chora bhi to tab jab door the kinare…
Ye bhi na socha ke is dukho bhare jeewan k sagar me hum lehro se lad rahe the kiske sahare…
Is toti purani kasthi se jeewan ka sawar main jaane lade jaraha hoo kis ke sahare…
Ye dukho ke sagar ke shayad nahi hai kinare…
Kehne ko bohot hai yahan Suhanubhuti ka khara paani…
par na jane kab paunchagi sahil pe meri kahani…
Dar ta hoo sahil ke intzaar me he khatam na ho jai meri zindagani…)

74. dekho wo mujhse rooth kar kaisi sajaayen deta hai…
kabhi lagta hai shayad bhool gaya hoga mujhe…
par wo zalim to itna sukoon bhi nahin deta hai…
wo door betha hua bhi khamosh sadaayen deta hai…

75. ye tumhari ankhen pyari pyari…
in ankhon main sundar kwabon ka ek samandar…
is samandar main meethi boonden yadon ki…
kahin mera dil pyar ke jazeeron main doob na jaye…
kahin mujhe tujhse pyar na ho jaye…

kahin ye jaan kar tu mujhse rooth na jaye..
kahin mera dost kahin chhoot na jaye…

76.jab unke dar-o-sheher se nikla tha…
wo mujhe alvida kehne door tak aya tha…
jaane kyun main ye dekh kar khush tha…
ki uski ankhon main ek chota sa ansun tha..

77.maine use chaha jo mujhe chah na saka…
usnain jise chaha wo use chah na saka
ab ye meri ya uska naseeb kehlo…
na hi main khush raha na hi wo khush reh saka…

78.dil le liya hai tune seene se nikal kar…
us khali jagah ko bhar diya hai tune judai ka gum daal kar…
ab jiyenge kaise yun tere bin jindagi bhar…
ki reh nahin pate ek pal bhi tujhse door hokar…


79. Is bheed main kuch to mai bhi shamil ho jaun…
kuch to duniya ke jaisa bhi ban hi jaun…
abhi kuch to khud ko janta hun pehchanta hun…
us bheeh bhad main kahin khud ko na bhool jaun…

80. aaj kisi ko dekha tha bhatakte hue raston par…
kuch jana pehchana sa koi apna sa laga…
kuch dhundh ka sama tha…
fir bhi use dhundhne nikla…
is umeed main ki ab mera bhi koi sathi hoga…
par jo kohre ka ghana badal chanta…
saamne aina tha or usmain mera aks tha..
fir main aur mera saya un raston par bhatakne lage…

wo door ek saya sa nazar ata hai…
is dhundh main kuch dhundhla sa nazar ata hai…
chalo koi to apna sa nazar ata hai…
pass jakar dekha to ek aina sa nazar ata hai…
us aine main mera hi aks nazar ata hai…

हंसने का बहाना बनाना

हंसने का बहाना बनाना….
जैसे न बीता हो बचपन सुहाना ।
बचपन हँसता खिलखिलाता….
छोटी छोटी बाँतो में ख़ुशियाँ ढूढ़ लाता ।

बचपन न हो जीवन का पड़ाव…..
भीतर सजोये रखे ये मेरा सुझाव ।
बचपन हे वो मस्तीख़ोर…..
मस्ती रखना चाहे बाहर हो कितना शो