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लेकिन तुम्हे उस बात से क्या ?

हाँ टूट तो मैं फिर से  गया हूं
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
हा रोता हूं फिर से कोने में बैठकर
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?

आंखों से अश्क़ बहते गए और दर्द बढ़ता गया तेरा इंतज़ार मैं करता गया जिंदगी को अपनी
साँसे बस तेरे नाम मैं करता गया
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
घबरा जाता हूं , सहम चुप फिर से  बैठ मैं जाता हूं

लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
भीतर बहुत तकलीफ हो रही है , दुबारा दूरियों के एहसास होने पर
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
मैं भीतर से खाली खाली लग रहा हूं
तेरे जाने से मेरे दिल का कमरा खाली हो गया है

लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
टूटा हुआ था मैं पहले से अब चकनाचूर भी हो गया हूं
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
( तेरी याद में तिल तिल मर रहा हूं
अपनी बची हुई साँसे गिन रहा हूं )
एक बार मर चुका था मैं

उसमे बची थी जो कुछ सांसे अब मैं उनका भी दम तोड़ रहा हूं ( साथ छोड़ रहा हूं मैं )
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
मैं मरकर जिउ या जीकर मरु फिर से
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
हाँ जिंदा हूं अब तक जिंदा लाश की तरह

लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
गुजरते दिन और राते बीत रही है तेरे ख्यालो में
लेकिन
तुम्हे इस बात से क्या ?
मेरी नींद तेरी यादों में उड़ चुकी है मैं सो नही पाता हूं

लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
मुझे तेरी याद आ रही है और मैं अब तुमसे बात करना भी चाहता हूं किंतु कर नही पा रहा हूं
लेकिन

तुम्हे उस बात से क्या ?
बहुत मन कर रहा है दिल आज फिर रो रहा है
लेकिन

तुम्हे उस बात से क्या ?
हा तेरी यादो से बाहर निकलने के लिए मयखाने में बैठ दो जाम भी पी रहा हूं
लेकिन तुन्हें उस बात से क्या ?
है, चूर हूं नशे में उस सिगरेट के धुंए में जिसमे तेरा चेहरा भी धुन्दला जो जाए, ओर तेरी याद ना आये
लेकिन उस बात से तुम्हे क्या?

डूब गया हूं तेरी याद में और मेरी आंखों से अश्क़ रुकते नही
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
तू मेरे खयालो से जाती नजी और मैं तेरे खयालो में आता नही
लेकिन तुम्हे उस बात से क्या ?

जो एक बार
बड़ी मुश्किल से भरोशा जताया था तुझ पर
लेकिन

तुझे उस बात से क्या ?
मैं बेइंतहा प्यार करने लगा था तुझे
लेकिन

तुझे उस बात से क्या ?
मैं पहली मोहब्बत में नीलाम होकर आया था
लेकिन

तुझे उस बात से क्या ?
मेरी पहली मोह्हबत का ज़ख्म भरा भी ना था 
तूने उसको कुरेद नासूर कर दिया

लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?

एक अजीब उलझन है

यह उलझन खत्म होने का नाम नहीं लेती बस बढ़ती ही रहती है एक उलझन खत्म होती है तो दूसरी उलझन का तार जुड़ जाता है मानो जिंदगी उलझाने के लिए ही बनी है, इसी तरह से चल रही है मेरी जिंदगी भी जिसमे एक अजीब सी उलझन है, उसी पर मैंने एक कविता लिखी है।

एक अजीब उलझन में फंसा है इंसान
क्या वो अनजान , लापता है ?
क्या उसे अपने दर्द का भी पता है ?

कुछ बात दबी सी कुछ बात उभरी है
दिल में बेचैनी है कुछ बेसब्री है
कुछ इम्तिहान बाकी है

और कुछ देकर आए है
बस बीते हुए दिनों में
कुछ खुशी और कुछ गम छिपाए है

उन्हें क्या पता ?
कि हम किस दर्द से गुजर कर

फिर दुबारा उस प्यार में पड़ने आए है
जिसमे हमने ना जाने कितने पहले ही दर्द सहकर आए है।
#Rohitshabd

एक अजीब उलझन में फंस गया इंसान है , जीसे न दर्द का पता न आराम का
uljhan

तेरी यादे

तेरी यादे बन बैठा हूँ मैं तेरी मोहब्बत में,

ख्वाबो का पुतला सा

मैं कुछ कह ना पाऊ

कुछ सुन ना पाऊ

बस बेसुध सा नजर आउ मैं

ये जो तुझसे मोहब्बत हुईं

ना पाकर घबराऊँ मैं….