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तुम्हारा खुद का समय

तुम्हारा खुद का समय यह वो समय है जिसे तुम स्वयं के साथ व्यतीत करना चाहते है, यह समय खुद के साथ बस कैसे बिताना चाहते हो ये तुम्हारा ही फैसला है , क्या तुम इस समय को अपने दोस्त, फैमिली, या किसी काम में लगना चाहते हो या फिर अकेले ही इस समय का भरपूर आनंद उठाना चाहते हो, इस समय में तुम्हे पूरी आजादी है तुम जो कुछ भी करना चाहते हो वही तुम कर सकते हो, इस समय के और तुम्हारे बीच में कोई नहीं होता बस इस समय का फायदा तुम कैसे लेते हो ये तुम पर ही निर्भर है।

क्या इस समय में तुम आत्म मंथन करते हो या कुछ गेम खेलने लगते हो या फिर किताबो के संग वक्त बिताते हो, कुछ संगीत या कुछ और क्या करते हो इस वक्त के साथ तुम, या फिर अपने समय को भी बस बिताने की कोशिश करते हो और तुम्हे पता ही नही की तुम्हारा खुद का समय है क्या ? यह समय जो तुम खुद के लिए खोज रहे थे उस समय को भी तुम बस बरबादी की ओर मोड़ रहे हो।

इस समय के साथ सोचता हूं मुझे सोचना और लिखना बेहद पसंद है यह समय दुबारा नहीं आएगा इसलिए मैं अपने समय को सिर्फ सोचने के लिए बिताना पसंद करता हूं, मैं आध्यात्म और आत्मचिंतन में समय को व्यतीत करता हूं, सोचने से अर्थ मेरा मैं स्वयं को बेहतर कैसे करू, और क्या क्या कर सकता हूं इसी विषय में अधिक सोचता हूं और अपने विचारो को और स्कारात्मक बनाना ही मेरा उद्देश्य रहता है। मैं अपने भीतर के नकारात्मक विचारों को हटाने का प्रयास करता रहता हूं और उन्हें अपने मन और मस्तिष्क से दूर ही रखने की कोशिश में रहता हूं।

बहुत बार ऐसा होता है की हमे हमारा समय नहीं मिल पाता किसी न किसी कार्य में बुद्धि व्यस्त हो जाती है जिसकी वजह से हम स्वयं को ही भूल जाते है। स्वयं को याद रखने के लिए हमेशा अपने विचारो को शांत रखना चाहिए।
ज्यादा समय ध्यान में व्यतीत करना चाहिए, जिससे आप स्वयं के साथ ज्यादा से ज्यादा बिता सके

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मानसिक तनाव

स्ट्रेस क्या है जब भी स्ट्रेस तो क्या करे? यह आपका मानसिक तनाव है जो आपको किसी भी विषय में अधिक सोचने पर होते है, छोटी छोटी बातों पर आप अधिक चिंतित होने लगते है तो आपको स्ट्रेस होने लगती है।

  • मानसिक तनाव को कम करने के लिए आप रोजाना आधे घंटे पैदल चले, पैदल चलने से दिमागी तौर पर बहुत आराम मिलता है, जितना भी स्ट्रेस होता है वह कम हो जाता है।
  • साइकिल चलाए आधा घंटा हर रोज
  • एक्सर्साइज़ करे
  • पैदल चले आधा घंटा हर रोज
  • ध्यान करे 40 मिनट
  • हर रोज 4 लीटर पानी पिए
  • हमे व्यायाम करना चाहिए ओर अपने दिन की दिनचर्या को ठीक रखना चाहिए सभी कार्यों को समय पर कर लेना चाहिए
  • हमे स्वस्थ ओर अच्छे भोजन को लेना चाहिए जितना हो सके हमे शुद्ध शाकाहारी भोजन ही लेना इससे हमारे विचार अच्छे होते है ओर सकारात्मक भी
  • सोने का समय सही होना चाहिए अधिक रात्री तक नहीं उठना चाहिए ओर अपनी नींद को पूरे 8 घंटे की लेना चाहिए।
  • अपनी मनपसंद के कार्यों में अधिक समय बिताए जिससे आप सदेव खुश रहते हो उनही कार्यों में अधिक समय बिताने से मूड अच्छा ओर स्वस्थ बना रहता है।

बिना वजह ही हमारे मस्तिसक में बहुत सारे विचार चलते रहते है, जिनकी वजह से हमारा तनाव बढ़त है इसके साथ ही हमारा मूड भी बदल जाता है, बहुत छोटी छोटी बातों से हमारे मूड में काफी बदलाव आ जाते है, जो हमारे मस्तिष्क में तनाव पैदा करता है, इस तनाव को काम करने के लिए हमे ज्यादा समय ध्यान करना चाहिए।

हमे अपने विचारों को सकारात्मक बनाना चाहिए जिससे की हमे उन छोटी छोटी बातों पर सोचने से कोई घबराहट ना हो।

हमारे मस्तिष्क में लगातार विचार आते रहते है, उन विचारों को पर रोक लगाने के लिए हमे अपने विचारों का पैटर्न बदलना होगा, हमारे जो विचार है यदि वो सही ओर सकारात्मक होंगे तो हम अपने ऊपर अधिक कंट्रोल रख सकेंगे।


सुनने की शक्ति

श्रवण शक्ति और सुनने की शक्ति, अच्छा श्रावक बने, हमारे कानो के द्वारा हमे बाहरी आवाजे सुनाई देती है जिसकी वजह से हम बहुत सारे शब्दों पर कार्य करते है,

सुनने की शक्ति हमे कानो के द्वारा कुछ सूक्ष्म आवाजो को सुन सकते है यदि हम अपनी सुनने की शक्ति को बढ़ाले तो हम अति सूक्ष्म धवनियो को आसानी से सुन सकते है परन्तु अभी तो हम कई बार अपने टीवी की आवाज को भी तेज़ करते है कि सुनाई नहीं रहा , बहुत जोर से रेडियो speaker आदि लगाकर सुनते है जैसे हम खुद नहीं सुनना पूरी दुनिया को सुनाना चाहते है हम सब शोर पसंद कर रहे है

हमारे साथ तो ऐसा भी होता है की घड़ी की सुई बज रही होती है परंतु हमारे मस्तिष्क में विचारो का इतना शोर होता है की उस घड़ी की आवाज भी नही सुनाई देती आजकल तो हम सभी का यह हाल हो चुका है की सड़क पर चलते रहते है औए बहुत सारी गाड़िया हॉर्न बजाती है और हमे उन्हें निकलने की जगह भी नही देते बस वो भी बजाते रहते है, हॉर्न और हम अपने कानो को जैसे बन्द करके चलते है यह कोई दिन में आप मगन नही होते यह तो आपके बाहर सारे विचार है जो आपके मस्तिष्क में एकत्रित हो जाते है जिसके कारण आप कुछ भी सुन नही पा रहे  मतलब सुनकर भी अनसुना कर रहे हो या उन्ह विचारो में खो जाते हो


कानो में मोबाइल की लीड लगाकर रोड पार करते है इधर उधर घूमते है और बाहर का तथा अंदर का शोर दोनो एक साथ सुन रहे होते है, किसी भी आवाज को अपनी और आने नही देना अपनी
बहुत सारी ऐसी बाते भी सुन सकते हो जो सामने वाला कहना तो चाह रहा हो परंतु होठो तक ला कर ही रोक लिया हो ब्रह्मंड में ऐसी बहुत सारी ध्वनियां गूंज रही है जो आसानी से नही सुन पाते वो सिर्फ और सिर्फ ध्यान की गहराई में उत्तर जाने के बाद सुन सकते है जिसमे ऐसा अनुभव होता है की कोई हमे बहुत कुछ बोला चला जा रहा और हम सुन रहे है समझ रहे है

Translate the words through ears
हमारे कान क्या सुन्ना चाह रहे है ?
ये किस प्रकार की ध्वनि सुन्ना चाहते है? 
किसी भी सूक्ष्म ध्वनि को सुनने में सक्षम होते है

परंतु हम उन सूक्ष्म ध्वनियों को सुन्ना नही चाहते या सुन नही पा रहे है क्योंकि हमारा  मस्तिष्क हमेसा  बहुत सारे विचारो के साथ उलझा हुआ है लगातार शोर में जीने कि आदत हो गई है हमें
हमारे मस्तिष्क के कारण हम अंदर की ध्वनियों को सुन नही पा रहे है हम उन पर ध्यान केंद्रित नही कर पा रहे है हम उन सभी ध्वनियों पर अपना ध्यान केंद्रीत कर ही नही पाते  हमारे कान हमेसा बाहर की ध्वनियों को सुनने में ज्यादा मसरूफ रहते है ये अंदर की ध्वनियों को सुनने के लिए ज्यादा सजग हो नही पाते उसके लिए हमे ध्यान की लंबी प्रकिर्यायों से गुजरना होता है।

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ध्यान करते समय

ध्यान करते समय आप स्थिर क्यों नहीं बैठ पाते

ध्यान करते समय आप विचारों के घने बादलों से घिरे हुए है जब आप चलते फिरते है, या कोई भी कार्य कर रहे होते है, जब आपको पता नहीं चलता की आपके मन में कितने विचार लगातार चल रहे है, आपको सिर्फ यह लगता है की आप काम कर रहे है परंतु जब आप एक स्थान पर शांत होकर बैठने की कोशिश करते है, तो वह विचार आपको शांति से बैठने नहीं देते वह विचार आपके मन मस्तिष्क में चलते रहते है , यह विचार किसी भी प्रकार के हो सकते है जैसे पैर में चींटी काट रही क्या? खुजली हो रही है? हल्की सी आवाज में आपका मन बहुत सारी कल्पनाए गढ़ लेता है, हवा चलती है तो शरीर में सरसराहट होती है लगता है, चींटियों ने स्पर्श किया , आदि अनेक विचार उत्पन्न होते है लेकिन जैसे जैसे आप ध्यान में बैठ कर अपने मन को देखने लगेंगे आपका चित भी शांत होगा ओर इस प्रकार के विचार हटने लगेंगे, नए विचारों पर भी रोक लगने लगेगी जिसकी वजह से आपका शरीर स्थिर होने लगेगा,

ध्यान करते समय
ध्यान

यदि आपने देखा हो तो ध्यान करते समय कुछ लोग बस हिलते ही रहते है, कभी वो अपनी टांग हिलाते है, या फिर हाथों को हिलाते है, उनका शरीर स्थिर ही नहीं होता, यह सब मन में विचारों की गति का बहुत तेज होने से होता है, इसलिए भी यह एक कारण है शरीर को स्थिर होने की आदत नहीं होती जैसे जैसे आप बैठने आदत डालते है शरीर को आप ध्यान में ही उतरते जाएंगे।

जिस तरह से शुरुआत में लोग सत्संग सुनते है ओर उनको नींद आ जाती है क्युकी निद्रा माता उनको भजन , सत्संग नहीं करने देती लेकिन धीरे आप दृढ़ हो जाते है आपको बैठना सुनना अच्छा लगता है सत्संग तो वह स्वत ही हो जाता है, इस प्रकार शरीर के पंचतत्व आपको स्थिर नहीं बैठने देते लेकिन आप धीरे धीरे गहरे भीतर होना शुरू जाते है, बस थोड़ा समय लगता है फिर ध्यान आपके के लिए आनंद हो जाता है।

मन को कैसे शांत करे?

अंत में एक सुझाव यह भी है की आपको शरीर को स्थिर करने की कोई आवश्यकता नहीं है, आवश्यकता है तो मन को स्थिर करने की आपका मन बस इस मन को देखने की आदत बना लो , जहां भी हो बस यह मन क्या कर रहा है, मन कहाँ जा रहा है , क्यों जा रहा है?  जब आप इस बात को समझने लग जाएंगे आपका मन भीतर स्वत ही शांत होने लग जाएगा वह दौड़ेगा नहीं क्युकी आप उस पर निगरानी रखे हुए है , इस मन को आप मना नहीं कर रहे कुछ भी करने को लेकिन देख रहे है बस फिर वो कही नहीं भागेगा, रुक जाएगा ठहर जाएगा आपका ओर साथ आपके शरीर को भी स्थिर होने में मदद करेगा।

अंत में एक सुझाव यह भी है ध्यान करते समय आपको शरीर को स्थिर करने की कोई आवश्यकता नहीं है आवश्यकता है, तो मन को स्थिर करने की आपका मन बस इस मन को देखने की आदत बना लो , जहां भी हो बस यह मन क्या कर रहा है , मन कहाँ जा रहा है , क्यों जा रहा है? जैसे जैसे आप मन को देखना शुरू कर दोगे आपकी हर एक क्रिया ध्यान हो जाएगी।

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ध्यान

क्या ध्यान से विचार बलवान और फलित होता है ?
जी हाँ , ध्यान से आपके विचार बहुत बलवान होने लग जाते है, शब्द आकाश का विकार होते है, जब हम ध्यान करते है तो मन ओर बुद्धि शुद्ध विचारों से भर जाती है, ओर इस प्रकृति का मूल ही शुद्ध होना है, जब हमारे विचार शुद्ध होते है ओर प्रकृति का संपर्क ओर गहरा हो जाता है जिससे हमारे विचारों बलवान होते है, तथा यह फलित भी होते है, सम्पूर्ण ब्रह्मांड का आधार ही शब्द है, आपके शब्द ही फलित होते है, जैसे ही विचारों के माध्यम से आप किसी भी चीज का संकल्प करते है, वो फलित होना शुरू जाते है, ब्रह्मांड में जैसे ही आप कोई भी शब्द छोड़ते हो उस पर कार्य होना शुरू हो जाता है, यह आपकी भावनाए, आप कितने सकारात्मक है , इन पर भी निर्भर करता है , जैसे जैसे आप ध्यान की गहराई में भीतर उतरेंगे आप अपने विचारों के प्रति सजग होना शुरू कर देते है ओर उसी तरह से आपका जीवन हो जाता है , यदि आप की इच्छा दृढ़ है ओर विश्वास आपके भीतर बहुत भरा हुआ है, तो आप जो चाहते है वह अवश्य पा लेंगे।

law of attraction

secret

सहायता के तौर पर इन दोनों किताबों को पढ़ जा सकता है।

समस्या का समाधान

बात पते की क्या वो बात?
यहाँ सब कुछ दिन भी यही ओर यही रात ।
जब जब समस्या लेती जन्म….
समाधान समस्या का पति रखता संग कदम ।

समस्या को सही से समझे ….
ध्यान दे मस्तिष्क की बत्ती न बुझे ।
समस्या भी होती खुश पा के समाधान …
समस्या भी खोज रही होती बेहतर इंसान ।

किसी उत्पाद प्रचार में किसी ने कहा दाग अच्छे होते हे…..
समस्या भी होती अच्छी उस में समाधान के झरने निकलते हे।

शब्दों की गठरी

शब्दों में गाठ जो लगी है उन्हे खुल जाने दो इनको शब्दों की गठरी ना बनाओ तुम, इनका खुलना ही बेहतर होगा यदि ये गाठे नहीं खुली तो भीतर तकलीफ होगी, तुम्हारा शरीर , तुम्हारा मन , तुम्हारी बुद्धि रोग से ग्रसित हो जाएगी।

इन शब्दों को ध्यान, योग आदि क्रिया से हल्का करो तभी तुम अच्छा महसूस करोगे, यदि तुम्हारे मन, मस्तिष्क में प्रश्न घूम रहे है तो उन्हे पूछ डालो निसंकोच होकर यही हल है भीतर से शांत होने का कब तक, तुम इन अपाच्य शब्दों को भीतर ही रखोगे।

ध्यान कैसे करे

ध्यान कैसे करे ? ध्यान क्यों करना चाहिए ? ध्यान करने के लिए किसी भी चीज की आवश्यकता नहीं है इस आपाधापी की जिंदगी में अपने मन के विचारों को हम शांत नहीं रख पाते है इसलिए हमे ध्यान करना चाहिए  

ध्यान कैसे करे : मन को शांत रखने के लिए हमे ध्यान करना चाहिए , मन ना जाने किधर किधर भागता है उस मन को स्थिर करने के लिए ध्यान करना जरूरी है।

मन के भटकाव को रोकने के लिए ध्यान करना जरूरी है, हमे जीवन में सफल होने के लिए स्वयं के विचारों को नियंत्रित रखना होता है उसके लिए हमे ध्यान करने की आवश्यकता है, 

ध्यान तो स्वं घटित होता है , किसी पर चीज पर लगातार ध्यान रहे उसी को ध्यान कहते है ध्यान करने के लिए आपको कही नहीं जाना जहा आप है जो आप कर रहे है बस वही ध्यान हो सकता है, असल में ध्यान वही है,

यदि आप ध्यान करते समय स्थिर नहीं बैठ पाते है तो इसके लिए हमने अलग से एक ब्लॉग लिखा है इसको आप इधर पढ़ सकते है

अपने भीतर की हो रही क्रियायों को सजगता से देखना ही ध्यान है ध्यान जो स्वयं घटित होता है

जब आप भोजन करते है उस समय आप भोजन पर ध्यान दे , कोई भी कार्य कर रहे हो बस उसी पर ध्यान दीजिए उसके अलावा कही नहीं होना आपका ध्यान धीरे धीरे उसी दिशा में केंद्रित होने लगेगा  

जब आप पैदल चल रहे हो तो अपने कदमों पर ध्यान दे ये छोटी छोटी किरया आपको ध्यान की गहराई में धीरे धीरे उतार देगी ओर आप अपने भीतर मन की आवाज को ध्यान से सुन पाओगे जिससे आपका मन शांत होने लगेगा ओर ध्यान इधर उधर की व्यर्थ की चीजों में नहीं जाएगा

आपका मन स्थिर हो जाएगा