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समाज में अधिकता

सामान्य दृष्टि को जो दिखता है,
समाज में अधिकता से वही बिकता है।

कागजों पर शब्द बिखेरने से क्या होगा,
जब विचारों को अनदेखा कर चला जाएगा।

व्यक्ति की क्षमताओं का क्या महत्व है,
जब उसकी जन्मभूमि हो इंद्रधनुष का रंगबिरंगा दाग है।

समाज ने तथाकथित मान्यताओं को बना लिया धर्म,
जहां प्रेम और सद्भावना को हुआ है अपमान।

प्रतिभा की नगरी में निर्माण सब करते हैं,
लेकिन नाम और शोहरत उन्हीं के होते हैं।

गरीबी के अश्रु और धन के प्याले,
समाज के अस्तित्व को करते हैं खाली।

जब आदर्श बन गए हैं न्याय के मंदिर,
क्या आशा रखें अच्छाई के विचारों की?

सामान्य दृष्टि को जो दिखता है,
समाज में अधिकता से वही बिकता है।

सोचो, समझो, करो विचार नये,
समाज को बदलो, देश को बदलो, जग को बदलो।

जब एक हो जाएंगे सब एक सोच और भावना में,
तब होगा समाज में समता का उदय और विकास।

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अपनी दृष्टि

अपनी दृष्टि को फैलाकर देखिए हर तरफ हर कारण का पता चल जाएगा सभी दुखों का निवारण भी मिल जाएगा लीजिए लाभ स्वयं दृष्टि का इस सृष्टि में

हर व्यक्ति शिक्षक ओर सब ओर फ़ेले इस बात के उदाहरण ।
आँखे खोलिए ये हुआ क्यूँ ? क्यूँकि उसका दृष्टिकोण था कारण ॥

उसके दिए उदाहरणों का अपने जीवन में लाभ लीजिए ।
क्या करना क्या नहीं स्वयं के दृष्टि से पहचान कीजिए ॥

अपनी दृष्टि को फैलाकर देखिए हर तरफ,
हर कारण का पता चल जाएगा, सभी दुखों का निवारण भी मिल जाएगा।

जब आप देखेंगे इस सृष्टि में लाभ का संगम,
तभी खुशियों का आगमन होगा आपके अंतरंग।

विचारों की ऊँचाइयों से आसमान छू जाएंगे,
जब आपकी दृष्टि में होंगे सभी कारणों के ज्ञान।

दुखों का परिहार और सुखों की वृद्धि होगी,
जब आप विकास की ओर बढ़ेंगे स्वयं की दृष्टि के साथ।

संचित ज्ञान का प्रयोग करें सही दिशा में,
जीवन के समस्याओं का समाधान होगा आपके लिए संग्राम।

स्वयं की दृष्टि को व्यापक बनाएं और देखें चमत्कार,
हर कठिनाई का निवारण होगा आपके आगे संकेतकार।

संकल्पित इच्छाओं को प्राप्त करेंगे आप जीवन में,
जब अपनी दृष्टि का लाभ लेंगे इस सृष्टि में।

स्वयं की दृष्टि को फैलाकर देखिए हर तरफ हर कारण का पता चल जाएगा,
सभी दुखों का निवारण भी मिल जाएगा, लीजिए लाभ अपनी दृष्टि का इस सृष्टि में।

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