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एक उम्मीद

एक उम्मीद यह शब्द है जो हमे कही से कही तक ले जा सकते है, और फिर वापस घूम कर ज्यों का त्यों खड़ा कर देता है यह शब्द है, जिसकी वजह से सारा संसार चक्कर पर चक्कर लगा रहा है यदि आपको किसी ने बोल दिया बस उम्मीद लगा कर रखो की सब ठीक हो जाएगा तो आप अब उम्मीद का ऐसे साथ पकड़ लोगे और उसके साथ नए नए अनेको शब्दों को जोड़ने की कोशिश करने लगोगे की कुछ और आपको समझ नही आएगा।

जैसे की मुझे उम्मीद है , जो तुम कह रहे हो वही ठीक है ,
भरोसा है मुझे , उम्मीद करता हूं ऐसा ही हो
इत्यादि अनेको शब्द आप उसी भरोसे पर अब जीने लग जाओगे तथा उन शब्दों को अपना सहारा बना लोगे
यदि इस एक उम्मीद के बीच एक शब्द ऐसा जुड़ गया “शंका”

तो अब क्या होगा ?? हमने जितनी उम्मीद लगाई है उसमे शंका आने लगेगी जिसकी वजह से मन के भीतर “भय” शब्द उतपन्न होगा उस भय के कारण आपके भीतर एक और सोच उतपन्न होगी नकरात्मक यदि ऐसा हुआ तो फिर आप दो शब्दों के मध्य में आ जाओगे “हुआ तो” ,
“नही हुआ तो” फिर आप अपने मस्तिष्क में कुछ विचार लाते हो

अब इसके ऐसा होने पर मैं तो बिल्कुल ही समाप्त हो जाऊंगा अगर ऐसा होता है , तो बहुत सारे अन्य अन्य विचारो का हमारे भीतर प्रकट होना जिस के कारण मानसिक असन्तुलन हो सकता है और जिस वजह से हमारे सुख और दुख की निर्भरता बढ़ती और घटती है तथा जिन कारणों से हम हमेसा दुख को कम और सुख को ज्यादा करने में लगे रहते है तथा इसी सुख के कारण हम अनेको शब्दों का सहारा लेते है।

इसका उदाहरण मैं आपको इस तरह से दे सकता हूं जैसा की हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने जी नारा दिया अच्छे दिन आने वाले है।

अब हम सभी इस उम्मीद में रहने लगे की अच्छे दिन आने वाले है, हमारी उम्मीद जिसके साथ हमारे भीतर बहुत सारे ऐसे विचार, शब्द जुड़ गए जिनकी वजह से हमने अपने सपने , अपनी , अकांशाएँ बढ़ा ली और और हम भविष्य की और देखने लगे , जैसे की

“हमारा स्वछ भारत”
“युवा वर्ग को नौकरी ”
मंहगाई पर अंकुश
जल्दी तरक्की
चोर बाजारी बन्द
सुनहरे अवसर उधोगपतियो के लिए
बेहतर जीवन
हमारे धन का उचित प्रोयोग
और इत्यादि बहुत सारे ऐसे सपने जो हम देखने लगे
लेकिन जैसे जैसे समय बित्त रहा था हमारे मन मस्तिष्क में शंका पैदा होने लगी
क्या सच में ?
ऐसा होगा क्या ?

जीत की उम्मीद

हम जीत की उम्मीद छोड़ रहे है धीरे धीरे, लेकिन हमारे चेहरे पर दुख झलकने लगा है तभी मुझे याद आई केन विलियमसन की वो मुसकुराता है, वो बेचारा हर बार हार रहा है ओर उसे पता है की शायद वो अगला वर्ल्ड कप नहीं खेल पाएगा वो उस टीम का शायद हिस्सा भी ना हो लेकिन वो मुसकुराता हुआ चला गया, सेमी फाइनल में, ओर हम दुखी है, इतनी दूर तक आए है ओर फिर हार गए बहुत दुखद है ये हम विश्व विजेता नहीं बन पाए तीसरी बार, और ऑस्ट्रेलिया छठी बार विश्व विजेता बनने की तैयारी कर रहा था।

बीच में ही टीवी बंद कर दिया, बीच में ही लोग स्टेडियम से बाहर चले गए जैसे जैसे हम हार की ओर बढ़ रहे थे, हमसे हार बर्दास्त नहीं हो रही थी, हम हारना नहीं चाहते, हम दूसरे की जीत को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे, क्युकी हम बेहतर खेलते हुए आ रहे थे, ओर हम इस बार भी उतना बेहतर खेल दिखाने का प्रयास कर रहे थे लेकिन हमारे सारे प्रयास विफल हो रहे थे, आज हम हार की ओर बढ़ रहे थे, मैदान में उत्साह कम हो रहा था, हौसला टूट चुका था, अब कुछ समझ नहीं आ रहा था।  दिल ओर दिमाग यह मानने को तैयार नहीं था की हम हार रहे है। हम इस हार को स्वीकार ही कर पा रहे थे, क्युकी निकट आकार इतना दूर हम विश्व कप से दूर खुद को पा रहे थे। 

हम सभी भारतीयों के दिल टूटने लगे है कंधे झुकने लगे है, लेकिन जब तक हार नहीं होती हम हार नहीं मानते, लेकिन उन्होंने जल्द ही हमे हार का एहसास कर दिया जहां से वापस लौटना बेहद मुश्किल था, ओर जीत की उम्मीद बिल्कुल खत्म हो चुकी थी।

ऑस्ट्रेलिया ने वास्तव में हमसे बेहतर खेल खेला आज का दिन उनका था ओर जीत का सेहरा इसलिए उनके सिर पर बंध गया, लेकिन सिर्फ मैच हारने से हम बेकार खेले ऐसा बिल्कुल भी नहीं था हम बेहद शानदार खेले इसलिए भारतीय टीम को बहुत प्यार ओर हमारा समर्थन उनके अद्भुत पर्दशन के लिए ओर ऑस्ट्रेलिया को बधाई उनकी जीत के लिए।

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हमारी उम्मीद

हमारी उम्मीद क्यू टूट जाती है उम्मीद टूट जाने के कई कारण हो सकते हैं। यह मानसिक और भावनात्मक कारणों से लेकर, वास्तविक जीवन की घटनाओं और परिस्थितियों से भी जुड़ा हो सकता है।

निम्नलिखित कुछ सामान्य कारण हो सकते हैं:

उम्मीद के कारण: जब हम किसी व्यक्ति या स्थिति से उम्मीद करते हैं तो हमारी उम्मीद सीमित होती है। जब हमारी उम्मीद न पूरी होती है, तो हमें निराशा का सामना करना पड़ता है जो हमारी उम्मीद को टूटने का कारण बनती है।

अपेक्षाओं का असंगठन: जब हम अपेक्षाओं को असंगठित रूप से रखते हैं तो उन्हें पूरा करना मुश्किल हो जाता है। यदि हम अपेक्षाओं को ढंग से संगठित नहीं करते हैं तो वे असंभव साबित हो सकते हैं और हमारी उम्मीद टूट सकती है।

आक्रोश: आक्रोश और असंतुष्टि आपकी उम्मीदों को टूटने का मुख्य कारण हो सकते हैं। अगर आप किसी व्यक्ति या स्थिति से अधिक उम्मीद करते हैं, तो जब आपकी उम्मीद न पूरी होती है, तो आप आक्रोशित हो जाते हैं और आपकी उम्मीद टूट जाती है।

घटनाओं का विपरीत घटना: कभी-कभी जीवन में ऐसी घटनाएं होती हैं जो हमारी उम्मीदों के विपरीत होती हैं। जब हमारी उम्मीद के अनुरूप घटनाएं होती हैं, तो हमें निराशा का सामना करना पड़ता है जो हमारी उम्मीद टूटने का कारण बनती है।

लापरवाही: कभी-कभी हम अपनी उम्मीदों को पूरा करने के लिए सक्रिय नहीं होते हैं या हम उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। इससे हमारी उम्मीदों में कमी आती है और वे टूट जाती हैं।

इन अलग-अलग कारणों के अलावा भी कई अन्य कारण हो सकते हैं जो उम्मीद को टूटने का कारण बनते हैं। इसलिए, हमें हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए और अपनी उम्मीदों को संभवतः संगठित रखना चाहिए ताकि हमारी उम्मीदें टूटने से बच सकें।

कुछ उम्मीद को बढ़ाने के लिए सुझाव

सकारात्मक सोच: सकारात्मक सोचने से आपकी उम्मीद बढ़ती है। आप अपनी सोच को सकारात्मक बनाने के लिए मन को शांत रखें और सकारात्मक बातों पर ध्यान केंद्रित करें।

लक्ष्य निर्धारित करें: अपनी उम्मीदों को बढ़ाने के लिए आपको अपने लक्ष्यों को स्पष्ट करना होगा। लक्ष्य के साथ आप अपने काम में अधिक लगाव दिखाएंगे और यह आपकी उम्मीद को बढ़ाएगा।

अपनी संवेदनशीलता को संभालें: अपनी संवेदनशीलता को संभालना भी आपकी उम्मीदों को बढ़ाने में मदद कर सकता है। अपनी संवेदनशीलता को संभालने से आप अपने आप को निराशावादी सोच से बचा सकते हैं।

सुशोभित सोच वाले लोगों के साथ समय बिताएं: सुशोभित सोच वाले लोगों के साथ समय बिताना आपकी उम्मीदों को बढ़ाने में मदद कर सकता है। उनसे बातचीत करने से आपके आसपास की ऊर्जा सकारात्मक होती है और आपकी उम्मीद बढ़ती है।

स्वस्थ रहें: अपने शरीर की देखभाल करना भी आपकी उम्मीद को बढ़ाने में मदद कर सकता है। स्वस्थ शरीर सकारात्मक सोच का एक महत्वपूर्ण अंग है और आपकी उम्मीद को बढ़ाएगा।

इन सुझावों के अलावा भी कई अन्य तरीके हो सकते हैं जो आपकी उम्मीद को बढ़ा सकते हैं। उम्मीद बढ़ाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आप सकारात्मक हों और अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध रहें। आप अपने विचारों को सकारात्मक बनाने के लिए ध्यान दें और अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयास करें।

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सब संभव

सब संभव हो जाता है , जब मिलता है सही व्यक्तियों का साथ , बहुत शुभ होता है , आपकी तरक्की में भी उनका होता है उनका हाथ , सही ओर अच्छी सोच जीवन के रंगमंच का सत्य जाने , समझे इस जीवन का प्रपंच क्या है? इसी पर आधारित एक कविता “सब संभव

सब संभव, जब मिलता सही व्यक्तियों का साथ,
बहुत शुभ, आपकी तरक़्क़ी में होता उनका हाथ॥

जीवन की सारी छवियाँ सजाएं,
रंगों से भरे इस नाटक को बनाएं।

प्रेम की पटियां बिछाएं सबके बीच,
खुशियों की कहानी लिखें, ना हो कोई त्रिश।

संयम और समर्पण से भरे ये अभिनय,
जीवन की सबसे महत्वपूर्ण उपन्यास।

संघर्षों के मैदान में नृत्य करते हुए,
हर स्थिति में सही राह चुनते हुए।

जीवन की संघर्षों को रंगीन बनाएं,
मन के रंगों से ये छवियाँ चमकाएं।

संगठित सोच और सही कर्म,
साथ चलते हुए विजय की ओर धाव।

सब सम्भव, जब मिलता सही व्यक्तियों का साथ,
बहुत शुभ, आपकी तरक़्क़ी में होता उनका हाथ॥

इस रंगमंच पर खुद को प्रकट करें,
अपनी पहचान को जगाएं और बढ़ाएं।

जीवन के सभी पात्र निभाएं सही तरह,
सामरिक आत्मा को जगाएं और जगाएं।

सब सम्भव है, जब आपके साथ हैं सही लोग,
आपकी तरक़्क़ी में होता है उनका योग।

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