हर रोज की मेरी एक नई कहानी है, मेरी दिनचर्या जिसमे मैं कभी लिखता हूँ तो कभी कुछ नहीं लिखता लेकिन सोचता बहुत हूँ मैं की क्या मुझे नया लिखना चाहिए, कैसे मैं अपने दिन को बेहतर बना सकु मेरा दिन तो तभी बेहतर होता है जब मेरे मन में अच्छे विचार आते है, ओर विचारों को पन्नों पर उतार देता हूँ बस फिर क्या वही दिन बेहतर, शानदार ओर जबरदस्त हो जाता है।
मैं सुबह 8:30 ओर 9 बजे के बीच में उठता हूँ, थोड़ा बहुत शरीर को स्ट्रेच करता हूँ जिससे की शरीर खुल जाए, फिर फ्रेश होता हूँ ओर नहाता हूँ समय 9:45 लगभग हो जाता है, सुबह का नाश्ता करके 11 बज जाते है, इस समय के दौरान भी लैपटॉप पर कुछ समय काम कर लेता हूँ ओर साथ ही स्टॉक मार्केट भी देख लेता हूँ, 11 बजे मैं अपना लैपटॉप उठाकर बिल्कुल तैयारी के साथ काम करने लग जाता हूँ, फिर मैं अपने विचारों को देखता हूँ ओर लिखता हूँ।
लगभग समय तो इसी तरह से ही निकल रहा है, कुछ अपने घर के छोटे मोटे काम में भी उलझ जाता हूँ, ओर फिर क्या बस घर का झाड़ू पोंछा भी मैं ही कर रहा हूँ जबसे मैं घर में रुकने लगा हूँ, यह काम करने लग गया हूँ जिससे मम्मी के काम में उनको मदद मिल जाती है थोड़ी बहुत उसके बाद मैं पापा की दुकान पर चला जाता हूँ, लगभग 2:30 घंटे दुकान पर बिता कर आता हूँ, दुकान पर भी मैं अपना काम करने के लिए लैपटॉप साथ लेकर जाता हूँ, कुछ समय अपना काम भी कर लेता हूँ। बस मेरी यही सोच रहती है की जितना ज्यादा से ज्यादा समय अपने लिखने के लिए निकाल सकु उतना निकाल लिया करू, नहीं तो लिखने की आदत भी कम हो जाएगी।
4.30 बजे लगभग घर पर आकार चाय पीता हूँ, ओर कुछ खाता हूँ, ओर साथ साथ कुछ देर टीवी चलाकर देखता हूँ समय तो फिर से भागा हुआ ही दिखता है कब 8 बजने को होते है पता ही नहीं चलता ओर फिर मेरा दुबारा दुकान पर जाने का समय हो जाता है। उससे पहले मैं 7:15 पर एक कप चाय ओर पी लेता हूँ।
8 बजे मैं फिर से दुकान पर चला जाता हूँ, फिर 1 घंटे के बाद आता हूँ समय लगभग 9 बज जाता है कुछ उआर भी हो जाता है कभी कभी, घर आकार हाथ मुँह धोने के बाद रात का भोजन करता हूँ ओर कुछ समय फिर टीवी देखते हुए जब समय दस ओर सवा दस का हो जाता है उसके बाद मैं अपने कमरे में जाकर काम करने लग जाता हूँ, दो से ढाई घंटे लगभग काम करता हूँ उसके बाद सोता हूँ।
यही एक तरह की मेरी दिनचर्या हो गई है, हर रोज मैं लगभग इसी तरह से अपने समय को व्यतीत कर रहा हूँ जिसमे मुझे कभी उत्पादक लगता है ओर कभी नहीं क्युकी कई बार मेरा समय अपने घर के कार्यों में भी बीत जाता है, ओर काफी बार दुकान पर भी पूरे ध्यान से अपना काम नहीं कर पाता हूँ, इसलिए इस दिनचर्या को ओर बेहतर बनाने की ओर कोशिश कर रहा हूँ, ओर हर बार आपको कुछ न कुछ बेहतर करने की कोशिश करते ही रहना चाहिए, कुछ अच्छा करने की कोशिश ओर चीजों में लगातार सुधार करने से रोजाना का जीवन बेहतर होता है।
इस समय को अनमोल बनाने के लिए मुझे बेहतर सोचना पड़ेगा तभी दिन बेहतर हो पाएगा, इस समय के अंदर ही मुझे ओर समय निकालना होगा जिससे की मैं ज्यादा काम कर सकु ओर बेहतर लिख सकु, मुझे लगभग 8 महीने हो गए है इसी तरह से मुझे मेरी दिनचर्या को अपनाते हुए, जिसमे मैं बहुत कुछ नया नहीं कर पा रहा हूँ, लेकिन जितना मुझे लगातार होना चाहिए था इस समय मैं उतना अपने काम के प्रति लगातार हूँ, जिसकी वजह से मैं अपनी काम करने की रफ्तार को बरकरार रख पा रहा हूँ, ओर बेहतर बना रहा हूँ।
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