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रूठना नहीं है

रूठना नहीं है इन छोटी छोटी बातों पर , हाँ कुछ ऐसी ही बाते बस तुम इन छोटी मोती बातों पर बिगड़ मत जाया करो , थोड़ा थोड़ा हाँ बस थोड़ा थोड़ा तुम मुस्कुराय करो , ये जो तुम्हारी हंसी का जादू है न सब पर बिखर जाता है, ओर जिंदगी के होने का एक प्यार स एहसास दिलाता है। बस तुम इसी तरह से मुस्कुराया करो , ऐसे ही , बिना किसी बात पर तुम अपना ये प्यार सा मुंह मत फूलाया करो,

क्या तुम भी रूठ जाते हो उन्ही छोटी छोटी बातों पर? क्यू रूठते हो तुम और उस रूठने से क्या होता है? क्या तुमने कभी सोचा है, की तुम्हारी मुस्कुराहट कही खो जाती है जब तुम रूठते हो, तुम्हारे भीतर का प्रेम कही छुप जाता है, जब तुम रूठते हो, नहीं तुम्हें मुसकुराना है, ओर जीवन संग नए सपनों को सजाना है।

रूठना नहीं, मेरे यार, दिल की बाते सुनो थोड़ी यार
जब चाहें तुम गुस्सा कर लेना,
और दिल खोल कर तुम मुस्कुरा लेना। जिंदगी के सफर में है, थोड़े गम हमारी दोस्ती एक सहारा है जो मिटा देती है सभी गम

जब तुम खुद को अकेला महसूस करो मेरी बातों पर गौर कर लेना , जीवन के रंग में है बहुत उछाल दोस्ती एक खजाना है, जो करती मालामाल
कितना ही तुम रूठ मैं नहीं मनाऊँगा बस तुम रूठे लेकिन मैं तो तुम्हें प्यार से ही बुलाऊँगा

जीवन की दौड़ जब थक जाएगा तू तब कही ओर नहीं मेरे पास ही आएगा तू , मैं दोस्त हूँ तेरा
रूठना नहीं तू दिल की बाते सुन मेरे यार ।

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मन को वश में करे

अपने मन को कैसे वश में करे

मन को वस में रखना एक सबसे मुश्किल काम हो सकता है, लेकिन इसे करना बहुत जरूरी होता है। यह हमारी ज़िन्दगी में सकारात्मकता को बढ़ाने में मदद करता है और हमें एक शांत, स्थिर और संतुलित दिमाग देता है।

कुछ आसान तरीके हैं, जो मन को वस में रखने में मदद कर सकते हैं:

1 ध्यान करें – ध्यान एक बहुत ही अच्छा तरीका है मन को वास में रखने के लिए। ध्यान करने से मन शांत होता है और आप सकारात्मक सोच सकते हैं।

2 . व्यायाम करें – व्यायाम करने से शरीर से तनाव दूर होता है और मन भी शांत होता है। आप योगा या मेडिटेशन भी कर सकते हैं।

3. सकारात्मक सोचें – सकारात्मक सोच से मन शांत होता है और आपकी सोच भी सकारात्मक होती है। आप दूसरों को सकारात्मक सोचने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

4. संगीत सुनें – संगीत सुनने से मन शांत होता है और आपकी मूड भी अच्छा होता है।

5 खुश रहें – खुश रहने से मन वास में रहता है। आप अपनी दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं और उनसे मज़ाक करें।

इन तरीकों के साथ-साथ, आप अपने मन को वश में रखने के लिए दैनिक रूप से सकारात्मक अभिव्यक्ति करें। आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ बातचीत करें, अपने विचारों को लिखें और अपने अनुभवों को शेयर करें। इससे आपको अपने मन को वश में रखने में मदद मिलेगी और आप अपनी सोच और भावनाओं को स्पष्ट रूप से समझ सकेंगे। अंततः, मन को वश में रखना एक सतत प्रयास होता है और इसके लिए आपको धैर्य और निरंतर प्रयास करने की जरूरत होती है।

प्रतिज्ञान

आपके लक्ष्यों और उद्देश्यों के आधार पर, यहां 20 और प्रतिज्ञाएं हैं. जिन्हे आप हर रोज बार बार दोहरा सकते है यह प्रतिज्ञान आपके जीवन को बेहतर बनाती है।

  1. मैं नियमित रूप से स्वस्थ जीवन जीने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  2. मैं रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  3. मैं नियमित रूप से स्वयं के विकास के लिए समय निकालने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  4. मैं रोजाना अपनी पढ़ाई और अध्ययन को ध्यान में रखने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  5. मैं रोजाना कम से कम 10 मिनट मेडिटेशन करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  6. मैं अपनी दैनिक जीवन में हर बार रचनात्मकता को बढ़ावा देने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  7. मैं हर दिन नए चुनौतियों का सामना करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  8. मैं रोजाना कम से कम एक नया चीज सीखने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  9. मैं नियमित रूप से अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  10. मैं रोजाना अपने दोस्तों और परिवार के बीच अच्छी बातचीत करने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  11. मैं रोजाना अपने दोस्तों और परिवार के लिए सहायता में होने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  12. मैं हर दिन नए लोगों से मिलने और नए विषयों पर बातचीत करने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  13. मैं रोजाना अपने समय का उपयोग अच्छी तरह से करने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  14. मैं नियमित रूप से अपनी स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  15. मैं नियमित रूप से अपने स्वयं के साथ अकेले समय बिताने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  16. मैं रोजाना कम से कम एक अनुभव का आनंद लेने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  17. मैं नियमित रूप से अपने संबंधों में सच्चाई और विश्वास का पालन करने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  18. मैं नियमित रूप से समाज सेवा के लिए समय निकालने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  19. मैं रोजाना कम से कम एक प्रेरक किताब या कहानी का पढ़ने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  20. मैं नियमित रूप से अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने का प्रतिज्ञान लेता हूं।

10 सकारात्मक प्रतिज्ञाएं हैं जिन्हे हर रोज 2 बार दोहराए

  1. मैं हर दिन अधिक सकारात्मक सोचने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  2. मैं हर दिन अपने जीवन में नए उत्साहपूर्ण उद्यमों का समर्थन करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  3. मैं हर दिन अपने आप पर विश्वास रखने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  4. मैं हर दिन अपने दोस्तों और परिवार के साथ प्यार और सम्मान से व्यवहार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  5. मैं हर दिन अपने समय का सदुपयोग करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  6. मैं हर दिन अपने जीवन में नए संभावित अवसरों को ढूंढने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  7. मैं हर दिन अपने आसपास की सुंदरता और अच्छाई का विस्तार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  8. मैं हर दिन अपने स्वयं के विकास और सफलता के लिए नए कदम उठाने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  9. मैं हर दिन अपने जीवन में शांति और सुख का विस्तार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  10. मैं हर दिन अपने जीवन के लिए एक उत्साहजनक दृष्टिकोण का विकास करने का प्रतिज्ञा लेता हूं

10 प्रेम पर प्रतिज्ञाएं हैं

  1. मैं हमेशा अपने पार्टनर को प्रेम और सम्मान से व्यवहार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  2. मैं हर दिन अपने पार्टनर के साथ संवाद करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  3. मैं अपने पार्टनर को हमेशा समर्थन और आशीर्वाद देने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  4. मैं हमेशा अपने पार्टनर को समझने की कोशिश करता हूं और उनकी भावनाओं का सम्मान करता हूं।
  5. मैं हमेशा अपने पार्टनर को समय देने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  6. मैं हमेशा अपने पार्टनर को स्पष्टता से व्यवहार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  7. मैं हमेशा अपने पार्टनर के साथ उन्हें खुश रखने के लिए कोशिश करता हूं।
  8. मैं अपने पार्टनर के साथ अपने रिश्ते को स्थायी बनाने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  9. मैं अपने पार्टनर के साथ एक स्वस्थ, समृद्ध और समन्वित रिश्ते का संरक्षण करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  10. मैं हमेशा अपने पार्टनर के साथ उनके प्रति लगाव और प्रेम का विस्तार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।

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समस्या को सुलझाना

उलझिए नहीं क्युकी सुलझना जीवन का बेहतर विकल्प है। जीवन की हर छोटी बड़ी परेशानी में खुद को खो मत देना बस उन्हे सुलझाते हुए हमे यू ही आगे निकल जाना है, खुद को अपनी मंजिल तक पहुचाना है, बस चलते जाना है, जिंदगी की हर एक समस्या को सुलझाना है अटकना कही नहीं बस आगे जिंदगी संग बढ़ते जाना है, राहे कठिन है लेकिन संभल कर चलना है क्युकी ज़िंदगी की समस्या का हल करना है।

समस्या को सामने खड़ा देख भागना नहीं है उसका डट कर मुकाबला करना है।

जिंदगी के मुसाफिर

कभी मकान बदल रहे है तो कभी दुकान बस यू ही जिंदगी के मुसाफिर हो गए है, कुछ को लगता है की यह ठीक किया ओर कुछ को गलत बस जो हो रहा है उस पर किसी का जोर नहीं होता यह सब होता ही चला जाता है।

हमारे फैसले भी वक्त की तरह बदल जाते है, बहुत बार ऐसा होता है की जो हम सोचते है वो होता ही नहीं है, जिसकी वजह से हम अपने रास्ते और मंजिल भी बदल लेते है, और हममे से बहुत लोग ऐसे भी है जो जब तक अपनी मंजिल को हासिल नहीं कर लेते तब तक वो रुकते नहीं है, वो पीछे हटते नहीं है।

वो अडिग होते है अपने निर्णयों पर जो वो पान चाहते है वो पाकर ही रहते है, फिर चाहे कितनी भी मुश्किलों का सामना उन्हे करना पड़े।

यह जिंदगी है साहब यहाँ हर किसी का वक्त बदल जाता है, समय की चाल के साथ जीवन भी नए नए रंग दिखाता है कभी सपना सजाता है तो कभी सपनों को तोड़ता चला जाता है

यह वक्त हर मोड पर करवटे बदल नजर आता है , कभी नई उम्मीद की किरण दिखाता है तो कभी अंधेरे में छोड़ उजाले का इंतजार कराता है, जिंदगी के मुसाफिर है कभी यहाँ तो कभी कही ओर चले जाते है।

हम इस सफर के मुसाफिर है हमे हर मोड पर नए रास्ते दिखते है, सफर में बहुत कुछ मिलता है, कभी हम अपने रास्ते बदलते है तो कभी उनही रास्तों पर चलते है। सफर का आनंद लेना और

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रुपए पैसे

रुपए पैसे से बड़ी लाइन याद की,
उससे भी बड़ी लाइन याद वाले व्यक्ति से
मुलाक़ात की ।
भीतर यादों को सजोय रखना महत्वपूर्ण….
रुपया पेसा इस कार्य में कभी नहीं सम्पूर्ण ।
यादे दिल का हिस्सा उससे वो होती जुड़ी…..
प्रेम प्यार की दिलकश वो बारीक हथकड़ी ।।

परस्पर सम्मान

परस्पर सम्मान आदर रिश्तों को करता है मजबूत ….
एक सुरक्षित मज़बूत रिश्ते की यही पहचान ।
क्यारी में पनपते सुंदर सुंदर फूल…..
सुंदर रिश्ते पनपते अपनाते यह असूल ।

आदर सम्मान वो होते अनमोल….
यह व्यवहार पहचान, भाषा देती बोल ।
आदर सम्मान एक आदर्श रिश्ता…..
अनमोल दिल ख़रीदते वो भी कितना सस्ता॥

परस्पर सम्मान एक सुरक्षित मज़बूत रिश्ते की मजबूत डोरी आवश्यकता ओर एक अच्छा नेक करम ।
नही तो हज़ारों हज़ार रिश्ते हे बेदम बकवास तो जिस दिशा में चलेंगे उसी दिशा की सूचना आएगी तो फिर नेक दुआओ के रास्ते पर क्यूँ न चला जाए ।

समय के अनुसार

समय के अनुसार इस शरीर को मृत्यु आती है कोई भी साधन इस मृत्यु को रोक नहीं पाता है, सब कुछ यही रह जाता है, कौन था राजा कौन रंक ये कौन जाने मृत्यु तो बस अपने रास्ते आती है, इस शरीर को मृत्यु ले जाती है
प्रकृति यह नियम अपनाती।
ये सब प्रकृति का केमिकल
लोचा….
शरीर सब तत्वों में मिल जाता जो नही था सोचा ॥

समय के अनुसार मृत्यु नही लगनी चाहिए वो बुरी……
इसमें एक ख़ुशी समय अनुसार चली जीवन की धुरी ॥

मृत्यु सच्चाई नही वो बुरी वो कड़वा सत्य लेकिन सत्य नही वो बुरी ॥

समय अनुसार प्रकृति अपना चक्र पूरा करती हे यह प्रकृति का चक्रव्यूह हे उसमें वो मतभेद नही करती राजा हो रंक हो अमीर हो गरीब हो ताकतवर हो कमजोर हो सब के साथ समान व्यवहार इसकी पहचान ।
प्रणाम प्रकृति को उसके सत्य को उसकी कार्यशेली को नमन वंदन बस सत्य कि माँ प्रकृति इस सत्य के दर्शन भीतर से हो पाए उसमें सहायक बनना आपका अति आभार।

समय को दोष ना देना सब समय अच्छा ही होता है, जिस क्षण विदा होना होता है उस समय ही प्राण विदा होता है, कार्यों से निवृत होकर जाते है प्राण उनकी चिंता में व्यर्थ ही ना हो परेशान

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जीवन पथ

जीवन पथ में काँटे बिछे हे लाखों हज़ार….
आत्मविश्वास से आँखे खोल के रहना तैयार ।
इस जीवन पथ पर सभी चलते …..
व्यक्तित्व हो ऐसा नए पथ चले गढ़ते


आत्मविश्वास एक मशाल….
जो अंधेरे जीवन का काल ।
आत्मविश्वास संग सत्य का तड़का….
निर्माण पथो का , चाहे तगड़ा आए झटका ॥

आत्मविश्वास एक शक्ति एक ऊर्जा , इस ऊर्जा के उत्सर्जन के लिए एक लक्ष्य निर्धारित हो वो वहाँ नया निर्माण सम्भव कर देगी ओर दूसरो के लिए भी मील का पत्थर बनेगी , आत्मविश्वास संग सत्य को लेकर चलेंगे साथ
तो जीवन की कई अंधेरी गुफाओं से सुगमता से नए पथो का निर्माण कर पाएँगे ओर अपने जीवन को नई दिशा ओर गति में सहायक होंगे ।

कहने को बहुत कुछ लेकिन कम कहा जाए अधिक उसकी गूंज हो तों बहुत शुभ ।
सब की जय हो विजय हो इस बात में नही कोई संशय हो ।

बड़बड़ाना

बड़बड़ाना भी कैसा होता है , जब दिमाग खुद से ही बाते करने लग जाता है , जब दिमाग संतुलन में ना हो और जुबान से शब्द खुद ही निकलने लगे उसे बड़बड़ाना कहते है। अपने शब्दो को नियंत्रण में रखने के लिए ध्यान में उतरना सीखिए।

जब दिमाग खुद से इतनी बाते बनाने लग जाए , कोई मिल नहीं उसके दिल का हाल सुनने वाला जो वह खुद से बाते करने लग गया , उसके दिमाग ने अब खुद को ही साथी बना लिया है , खुद ही सवाल है खुद के ही जवाब है , जो अब वो अपने भीतर ही ढूंढ रहा है।

बड़बड़ाना बहुत आदत है मेरी,
बोलने की जो चाहत है खुद की।
कभी कभी बातों का ध्यान नहीं,
बस चलती रहती है जुबान यहीं।

कुछ बातें बिना सोचे बोल देता हूँ,
बचपन के दिनों की याद ताजगी देता हूँ।
खुश रहने की ख्वाहिश में बड़बड़ाता हूँ,
कभी कभी खुशी को साझा कराता हूँ।

बड़बड़ाने से दिल हल्का हो जाता है,
मन में खुशियों की बौछार भर जाती है।
दोस्तों के बीच आत्मा नवीन हो जाती है,
बड़बड़ाने से जीवन रंगीन हो जाती है।

कभी-कभी बड़बड़ाने से झगड़ा भी हो जाता है,
परंतु फिर भी दोस्ती की राह ढलती है।
बड़बड़ाने से जीवन में जीने की चाहत होती है,
कुछ अनुभवों को अपने साथ लेने की चाहत होती है।

खुद को रोके बड़बड़ाने से पहले,
एक बार सोच लो, सुन लो मेरी बातें।
मेरी आदत यह शायद नहीं बदलेगी,
मगर दोस्ती को मज़बूती देती है यह बातें।