Posts tagged hindi post

पैसा क्यों जरूरी है

पैसा क्यों जरूरी है? पैसा आवश्यकता है हम सभी की, पैसों से बहुत सारी चीज़े पूरी हो जाती है, #पैसों से साधनों की प्राप्ति होती है,

पैसा तब बहुत जरूरी लगा जब घर में मेडिकल ईमर्जन्सी हुई तब पता चला की पास में पैसे ना हो तो कितनी तकलीफ होती है, हर जगह धक्के खाने पड़ते है, सरकारी अस्पताल में लंबी कतार में लगना पड़ता है, जब आपको किसी टेस्ट के लिए भी तारीख मिलती है सरकारी अस्पताल में तब पैसों की अहमहियत ओर ज्यादा महसूस होती है।

यदि पैसे होते तो इलाज प्राइवेट अस्पताल में करवा लेते बहुत आराम से, ओर अपनी सहूलियत के अनुसार जितनी जल्दी हम चाहते, सरकारी अस्पताल वाले तो आपको अच्छे से देखते भी नहीं है, उनको यदि आप कुछ बोल दो तो उनका जवाब यही होता है की आपको पता है कुछ या मुह उठाकर आ गए हो, हर सरकारी अस्पताल में जाता हुआ उन्हे अनपढ़ ओर गरीब ही दिखता है जिनके साथ वह किसी भी प्रकार का व्याहवार कर लेते है।

पैसों की कमी तब पता चलती है जब आप सिर्फ कुछ रुपयों की वजह से अपना केस नहीं लड़ पढ़ पाते हो, हमे ऐसा लगता है की हमारे साथ क्या बुरा होगा यदि हम किसी का बुरा नहीं करेंगे तो लेकिन कब कौनसी घटना हमारे साथ घट जाए इस बात का किसी को नहीं पता होता, इसलिए पैसा जरूरी है।

अचानक यदि कोई एक्सीडेंट हो जाए ओर आपका इलाज सिर्फ कुछ रुपयों की वजह से रुके तब आपको पैसों की कमी महसूस होती है।

पैसा क्यों जरूरी है यह बात तब और ज्यादा महसूस होती है जब आप स्वयं को असहाय मानते हो सिर्फ उन पैसों की वजह जब आप अपने बहुत सारे कार्यों को भी नहीं पूरा कर पाते।

वो पंडित भी आपको तब दर्शन करने देते है भगवान के जब आप चड़ावा ज्यादा देते हो, बिना चडावे के तो पंडित बस आपको आगे करते जाते है।

#भाई को आगे पढ़ ना पाते देखा तो पता चला पैसा बहुत जरूरी है।

#बिना खाए सोया तो पता चला पैसा बहुत जरूरी है।

#संसार में जीवन यापन करने के लिए पैसा अति महत्वपूर्ण है। बिना पैसे के न भोजन मिलेगा,न पानी ,न बिजली,न मोबाइल में रिचार्ज होगा, कि कोरा पर आकर सवाल जबाब कर सकें। जीवन की हर छोटी बड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसा बहुत जरूरी है।

#खुशी के लिए पैसा महत्वपूर्ण है

#पढ़ाई को बीच रास्ते में छूटते हुए देख लगा की पैसा बहुत जरूरी है।

#मुझे आमिर होकर देखना है पैसा है तो सब अपने है, वरना सब सपने है।

#छत से पानी टपकते हुए देखा तो पता चला पैसा बहुत जरूरी है, दीवारी की सफेदी झड़ रही थी लेकिन सफेदी के पैसे भी ना थे तो लगा ये जवानी भी किस काम यदि पैसा ना हुआ हाथ में तो

#पैसे कमाना तो सबसे जरूरी है। जीवन में और कुछ करें ना करें , लेकिन पैसे जरूर कमाएं। क्योंकि पैसा कमाते रहेंगे तो दुनिया आपकी है, सारे रिश्ते आपके है, सभी दोस्त आपको पूछते है वर्ना आपका कोई नहीं। ये मेरा निजी अनुभव है।

पैसा आज के समय का सबसे अनमोल वस्तु बन चुका है आप बिना पैसों की आज का जीवन जीने का सोच भी नहीं सकते यह और चिकन आर्थिक दोनों ही क्षेत्र के लिए बेहद जरूरी है इसमें ना केवल व्यापार बल्कि घरेलू शोध पढ़ाई समाज सेवा मंदिर और आविष्कार सभी के लिए पैसा बेहद जरूरी है।

“पैसा कमाना जरूरी तो है” ये माइंडसेट होगा तो अच्छा है “लेकिन पैसा ही जरूरी है” ये माइंडसेट गलत है।

यह भी पढे: जिंदगी बस इसी तरह, जिंदगी की राह, सुकून की जिंदगी,

हमारी पृथ्वी का हृदय

पर्यावरण हमारी पृथ्वी का हृदय
उसे साँवरे नहीं इस बात में कोई संदेह ।

सब इस प्रकृति माँ का दिया देय….
इसका सही प्रयोग से करे व्यय ।

पेड़ पौधे धरती की संपदा….
सिर्फ़ उसका दोहन लाएगी विपदा ।

स्वयं से करे पर्यावरण को सुरक्षित
अपनी लालचो को करे संयमित ।

पर्यावरण में गहरा असंतुलन….
तापमान बढ़ रहा कट रहे है वन ।
एक तकलीफ़ हो रहा जलवायु परिवर्तन ।

इस गहरी समस्या पे दे ध्यान….
कैसे बाहर आयेंगे बने बुद्धिमान ।
नहीं तो जल्द गर्कं हो जाएँगे सब श्रीमान ।

सब जगह भिन्न भिन्न पेड़ उगाये…..
जल कटाव मिट्टी पहाड़ो को बचाये ।
हर दिन पर्यावरण दिवस जी कर मनाये ।
इस धरती को मानव का स्वर्ग बनाये ।
ख़ुद भी जिए दूसरी को भी जिवाए ।
यह मंत्र पढ़े और पढ़ाये ।

पर्यावरण, हमारी पृथ्वी का हृदय है। यह हमारे सभी जीवनों की जड़ है और हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक है। पर्यावरण हमें स्वच्छ और ऊर्जावान वातावरण प्रदान करता है जो हमारे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है।

हालांकि, आजकल हमारे पर्यावरण को नष्ट करने की चिंता बढ़ रही है। वनस्पति और जीव-जंतुओं के नष्ट होने, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, वायु प्रदूषण और जल संकट के कारण पर्यावरण की स्थिति गंभीर हो रही है।

हमें इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि पर्यावरण का संरक्षण आवश्यक है। हमें अपनी भूमिका समझनी चाहिए और सुस्थित और सुरक्षित पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए। हमें प्रदूषण कम करने, वनरक्षण को बढ़ावा देने, जल संरचनाओं को सुधारने और जल संचय करने के लिए जागरूक होना चाहिए। वन्य जीवों की संरक्षा और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामरिक मुकाबला भी हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

हमारे पर्यावरण को साँवरने के लिए हमें साझा संगठनिक प्रयास करने, अधिकांशतः संयुक्त राष्ट्र की मान्यताओं और समझौतों का पालन करने और नवाचारी तकनीकों का उपयोग करके समस्याओं का समाधान ढ़ूंढ़ने की आवश्यकता है। पर्यावरण के हित में सतत और संवेदनशील प्रगति करना हमारा कर्तव्य हद्वारा जारी यह संदेश स्वर्णिम संकट को दर्शाता है। पर्यावरण हमारी माता की तरह है, और हमें उसे सावरना हमारा दायित्व है। इसके बिना, हमारा अस्तित्व खतरे में है। हमें संयुक्त रूप से कार्य करना होगा और पर्यावरण की सभी मान्यताओं का पालन करना होगा ताकि हम इसे सुरक्षित रख सकें। हमें जल संचय, प्रदूषण नियंत्रण, और वन संरक्षण में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। साथ ही, हमें नवाचारी तकनीकों का उपयोग करना चाहिए जो पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी में सुधार ला सकें। यदि हम इन समस्याओं के सामाजिक, आर्थिक, और वैज्ञानिक मुद्दों को संगठित रूप से समझते हैं और उन्हें हल करने के लिए सक्रिय रूप से काम करते हैं, तो हम पर्यावरण को सावर सकते हैं। पर्यावरण हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाने योग्य एक अमूल्य धरोहर है, और हमें इसकी सुरक्षा करनी चाहिए।

यह भी पढे: प्रकृति का संदेश, जीवन का आनंद, जीवन क्या है ,

तुम्हारा खुद का समय

तुम्हारा खुद का समय यह वो समय है जिसे तुम स्वयं के साथ व्यतीत करना चाहते है, यह समय खुद के साथ बस कैसे बिताना चाहते हो ये तुम्हारा ही फैसला है , क्या तुम इस समय को अपने दोस्त, फैमिली, या किसी काम में लगना चाहते हो या फिर अकेले ही इस समय का भरपूर आनंद उठाना चाहते हो, इस समय में तुम्हे पूरी आजादी है तुम जो कुछ भी करना चाहते हो वही तुम कर सकते हो, इस समय के और तुम्हारे बीच में कोई नहीं होता बस इस समय का फायदा तुम कैसे लेते हो ये तुम पर ही निर्भर है।

क्या इस समय में तुम आत्म मंथन करते हो या कुछ गेम खेलने लगते हो या फिर किताबो के संग वक्त बिताते हो, कुछ संगीत या कुछ और क्या करते हो इस वक्त के साथ तुम, या फिर अपने समय को भी बस बिताने की कोशिश करते हो और तुम्हे पता ही नही की तुम्हारा खुद का समय है क्या ? यह समय जो तुम खुद के लिए खोज रहे थे उस समय को भी तुम बस बरबादी की ओर मोड़ रहे हो।

इस समय के साथ सोचता हूं मुझे सोचना और लिखना बेहद पसंद है यह समय दुबारा नहीं आएगा इसलिए मैं अपने समय को सिर्फ सोचने के लिए बिताना पसंद करता हूं, मैं आध्यात्म और आत्मचिंतन में समय को व्यतीत करता हूं, सोचने से अर्थ मेरा मैं स्वयं को बेहतर कैसे करू, और क्या क्या कर सकता हूं इसी विषय में अधिक सोचता हूं और अपने विचारो को और स्कारात्मक बनाना ही मेरा उद्देश्य रहता है। मैं अपने भीतर के नकारात्मक विचारों को हटाने का प्रयास करता रहता हूं और उन्हें अपने मन और मस्तिष्क से दूर ही रखने की कोशिश में रहता हूं।

बहुत बार ऐसा होता है की हमे हमारा समय नहीं मिल पाता किसी न किसी कार्य में बुद्धि व्यस्त हो जाती है जिसकी वजह से हम स्वयं को ही भूल जाते है। स्वयं को याद रखने के लिए हमेशा अपने विचारो को शांत रखना चाहिए।
ज्यादा समय ध्यान में व्यतीत करना चाहिए, जिससे आप स्वयं के साथ ज्यादा से ज्यादा बिता सके

इन्हे भी पढे : ध्यान, ध्यान करते समय, यादों से कैसे बचे, तन्हाई का रास्ता

वीरवार

दिन वीरवार जब मैं अपने बैंक के काम के लिए निकला मुझे अपनी मम्मी के अकाउंट को उत्तम नगर की ब्रांच में ट्रांसफर कराना था, जिसके लिए मुझे अपने पुराने वाले घर की ओर जाना था हम अब द्वारका रहते है ओर पहले हरिजन बस्ती में रहते थे, घर के पास ही हमारे बैंक की ब्रांच है सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जिसको अब उत्तम नगर की ब्रांच में ट्रांसफर कराना था जिसके लिए मैं कल वह गया, मैं वीरवार को मेट्रो से नहीं गया मैं बस में गया ओर मैंने 50 रुपये वाला रोजाना का एक पास बनवा लिया, जिसमे आप जितना मर्जी सफर कर सकते है, पूरे दिन ओर कितनी ही बार आप बस बदल सकते है, ये एक बेहतर विकल्प है यदि आपको बहुत सारी जगह जाना हो, ओर यदि आपको सिर्फ एक ही जगह जाना आना है तो आप मेट्रो को लीजिए वो एक अच्छा साधन है।

मैं वीरवार को बैंक गया वहाँ मैंने अपने पेपर जमा किए ओर मैं वहाँ से निकल चल उसके बाद मैं अपने दूसरे बैंक चल निकल जो शक्ति नगर में है, वह एक सोसाइटी का बैंक है, वहाँ मैं पहले पैसे निकालने के लिए फॉर्म करके आया था, वह एक दिन बाद दुबारा बुलाते है चैक देने के लिए, उन्होंने मेरा चैक बनाकर रखा हुआ था, मैंने अपना चैक लिया ओर मैं वहाँ से भी निकल चल पड़ा आज वीरवार था आज उनका बैंक बंद नहीं था यह बैंक सोमवार को बंद होता है, अब मैं सोच रहा था की किधर जाऊ अब मैं जा रहा था, आजाद मार्केट उधर टॉफी की मार्केट देखने के लिए चल निकला,

मैं अब आजाद मार्केट की टॉफी मार्केट में पहुच गया ओर उसके साथ साथ मैंने क्राकरी मार्केट भी देखी वहाँ बहुत सस्ती क्रॉकरी थी ओर बहुत अलग अलग तरह की क्राकरी में आइटम उपलब्ध थी, जो घर में इस्तेमाल करने के मतलब की थी ओर आप रेस्तरा खोलने की सोच रहे हो तो इधर आपको सस्ता क्राकरी का सामान मिल जाएगा।

थोड़ी देर पैदल चलते चलते में आजाद मार्केट के चौक तक पहुँचा उधर पूरा बाजार मेवे का है हर तरह के मसाले ओर मेवा यही मिल जाता है जो सही दाम में मिलता यदि आप बाजार से मेवा खरीद तो एक बार आपको इधर भी कोशिश करनी चाहिए इधर आपको सस्ते दामों पर मसाले, डाल, व मेवे की सभी किस्म मिल जाती है। ओर वो उचित दाम में आपको मिल जाते है। कुछ देर घूमने के बाद मैं निकल चल पड़ा चाँदनी चौक की तरफ अब मैं जा रहा था क्लॉथ मार्केट इस मार्केट में आपको कपड़ों के थान ही थान मिलते है चाहे आप किसी भी प्रकार के कपड़े लेना चाहते हो आपको इस बाजार में मिल जाएंगे, इधर परदे, कामिट ओर पैंट आदि कुछ भी आपको चाहिए हो उसका पूरा थान मिल जाएगा, इधर से चलने के बाद अब मैं काफी थक चुका था क्युकी मैं काफी देर से मैं पैदल ही चल रहा था अब मेरा मन घर जाने को कर रहा था, लेकिन उसके बाद खारी बाओली की मार्केट में पहुच गया ओर मैंने कुछ देर फिर से टॉफी की दुकाने देखी इधर बहुत तरह की टॉफी थी, खरी बाओली सभी तरह का सामान मिलता है यहाँ भी आपको किराने में रखने वाला सामान व जैसे दाल, चावल चीनी, मेवा, मसाले आदि सभी समान थोक में मिलता है यहाँ , यदि आपको इधर खुला साबुन ओर किलो के भाव में साबुन चाहिए हो इस मार्केट में कई दुकाने है जिनके पास खुला साबुन किलो के भाव में मिलता है।

काफी देर इधर भी घूम लिया अब मैं ओर भी थक चुका था लेकिन मेरा रास्ता अब सादर से होते हुए मुझे राजीव चौक या आर के आश्रम मेट्रो स्टेशन पर पहुचना क्युकी बस से जाने की अब मेरी हिम्मत नहीं थी, क्युकी बहुत समय लग जाता मुझे बस से जाने में इसलिए मैंने सोचा की मैं मेट्रो से चलता हूँ सादर बाजार में चलते हुए काफी भीड़ थी जैसे तैसे मैं सादर चौक पहुचा ओर मैंने वहाँ से बैटरी वाला रिकसा पकड़ जिसने मुझे नई दिल्ली पर छोड़ दिया इधर से मैंने शंकर मार्केट की बस पकड़ी ओर अब जब मैं राजीव चौक उतार ही गया हूँ तो मैंने शंकर मार्केट के राजमा चावल खाने की सोची लेकिन मुझे ज्यादा नहीं खाने थे इसलिए मैंने उनसे हाफ प्लेट राजमा चावल की बोली लेकिन वो हाफ प्लेट नहीं देते इतना ज्यादा मैं खाना नहीं चाहता था ओर बर्बाद करना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है, इसलिए मैं वहाँ से चल पड़ा ओर एक patty खाई मैंने थोड़ी दूर जाकर फेर मैं मेट्रो स्टेशन पहुच गया अब मैं राजीव चौक से मेट्रो लेने के खड़ा हो गयालेकिन सभी मेट्रो इतनी भारी आ रही थी बैठने क्या खड़े होने की भी जगह नहीं दिख रही थी, इसलिए कुछ मेट्रो छोड़ दी, कुछ देर बाद जब मेट्रो थोड़ी खाली आई तो मैं उसमे चल निकल बैठने के लिए सीट तो नहीं मिली बस खड़े खड़े ही घर तक सफर पूरा करना पड़ा।

घर पहुंचा काफी थक गया था जाते ही मैं कुछ देर आराम कर मैंने अपना रात का खाना खाया ओर सो गया कुछ देर काम करने के लिए मैंने लैपटॉप शुरू तो किया लेकिन थकावट की वजह से काम नहीं कर पा रहा था, इसलिए ऐन जल्दी ही लैपटॉप बंद करके सो गया ओर लेटने के तुरंत बाद ही मुझे नींद भी आ गई।

बस यह वीरवार वाला दिन कुछ इसी तरह से ही बीता

घुमावदेव

कुछ व्यक्ति बात को देते घुमा होते वो घुमावदेव
बात को देते इतना घुमा जैसे आसन करते श्री रामदेव ।
बाँतो की मंडी में दुकानो में मिलते नई नई क़िस्म के सौदे….
घुमावदेव को कुछ करना तो है वो तो बाँतो की दुनिया के शोहदे।

कुछ व्यक्ति बात को देते घुमा होते, वो घुमावदेव।
बात को देते इतना घुमा जैसे आसन करते श्री रामदेव।
बाँतों की मंडी में दुकानों में, मिलते नई-नई क़िस्म के सौदे।

उनकी बातें घूमती हैं जैसे वायुमंडल की धारा,
सुनकर लोगों को आता है विचारों का साहिल।
विचार-विनीति से युक्त उनकी वाणी,
जगमगाती है ज्ञान की दीप्ति से प्रकाशित।

जैसे श्री रामदेव आसन करते हैं योग,
वैसे घुमावदेव करते हैं दिलों का त्याग।
विचारों की यात्रा में घूमते हैं वे,
मन को देते हैं नवीनतम ज्ञान के सौदे।

बाँतों की मंडी में जब खड़े होते हैं वे,
नयी ख़ुशबू से महकता है विचारों का वन।
उनकी विचारधारा अनूठी है और अलग,
मिलते हैं उनकी बातें जीवन की नयी क़िस्म के सौदे।

घुमावदेव के साथ जगत रंगीन हो जाता है,
उनकी वाणी से आती हैं आनंद की लहरें।
चलिए, घुमावदेव की यात्रा पर चलें,
आपस में बाँटें प्रेम के सौदे, नवीनतम ज्ञान के बगीचे खोलें।

पता नहीं मुझे

पता नहीं मुझे कैसे मेरी ओर तुम्हारी बाते हो जाती है, कुछ तो बात है हम दोनों के बीच जो कभी अधूरी रह जाती तो कभी पूरी हो जाती है, हम दोनों ना जाने किसलिए मिले, कौनसा था तार जो हम दोनों को जोड़ रखा था, कितनी दूरिया हो जाती है फिर एक मोड पर आकार हम मिल ही जाते है, फिर उनही बातों को सिरा बनाकर हम आगे की और बढ़ चल चले जाते है।

कुछ ऐसे ही बस तेरी यादों में डूब जाना चाहता हूँ, हर जगह से दूर हो जाना चाहता हूँ, कुछ ओर ना हो अब हम दोनों के बीच सिर्फ तेरे ही ख्यालों में अपने हर ख्याल को बिताना चाहता हूँ, खो जाना चाहता हूँ, तेरे ही सपने सजाकर तुम्हें अपनी आँखों में मुँदना चाहता हूँ।

क्या तुम भी मुझे अपनी यादों में रखना चाहती हो या फिर उन सभी यादों का भुलाना चाहती हो, जो सँजोई थी एक दूसरे के साथ रहकर उन यादों को कैसे तुम भुला दोगे।

पता नहीं मुझे हम दोनों के बीच में कौनसा संबंध है, जो ना टूटता है ना जुड़ता है फिर भी हम दोनों का संबंध अटूट सा लगता है, उस अटूट से संबंध में हम दोनों का नहीं पता ना नाम दिया उस संबंध ना कोई पता फिर भी होने को रिश्ता कहला रहा है।

आलस

जब बहुत सारा आलस भर जाता है, इस आलस की वजह से लिखने का मन नहीं करता, तब आपको ज्यादातर समय सिर्फ सोने ओर लेटने का ही मन करता है। खुद को व्यस्त रखना बहुत जरूरी है यदि आलसी नहीं बनना तो, स्वयं को किसी ना किसी कार्य में व्यस्त रखना बहुत जरूरी है जिससे हमारा शरीर आलसी ना बने।

शरीर इतना आलसी होता है, खुद से कुछ काम करने को मन नहीं करता एसा लगता है, कोई हमारे लिए काम करदे, अक्सर हम यही चाहते है।

ये आलस ही है, जो हमे बार बार काम को टालने की आदत से भर देता है। जो हमे हमारे लक्ष्य से दूर करता है।

आलस को कैसे दूर करे? आलस को दूर करने के लिए कुछ तरीकों को अपनाये।  

हमे व्यायाम करना चाहिए, हर आधे घंटे बाद अपने शरीर को स्ट्रेच करना चाहिए, हमे अपने दिमाग की एक्सर्साइज़ करनी चाहिए।

किसी भी कार्य की शुरुआत करना जरूरी है जिससे आलसीपन खत्म हो।

आलस की वजह से कम्फर्ट ज़ोन में चले जाते है, ओर बार बार कार्य को टालते जाते है।

आलसी होने की आदत को बदलिए।

में नींद भी बहुत आती है, हाथ ओर पैर जाम से लगते है शरीर को हिलाने तक मन नहीं करता ये शरीर इतना आलसी हो जाता है।

ज्यादा से ज्यादा किताबे पढे जिससे आपका दिमाग लगातार अच्छा सोचे ओर शरीर बेहतर करे।

शरीर चुस्त रहना चाहिए, हर रोज व्यायाम करना चाहिए जिसकी वजह से हमारा शरीर खुलता है ओर आलसीपन दूर होता है।

Happy Guru purab

happy guru purab

In Putran Ke Sees Par Vaar Diye Sut Chaar, Chaar Muye To Kya Hua Jeevat Kayi Hazaar
(I have sacrificed my four sons. So what if my four sons are dead, when thousands are alive)

My Sincere Tribute to Life of Shri Guru Gobind Singh Ji

Happy Guru purab to all

रेलवे कर्मचारी

रेलवे कर्मचारी की कहानी 35 साल रेलवे में टीटी की नौकरी करने के बाद रिटायर हुए। घर पर रहने लगे।
एक महिने बाद ही पत्नी ने पति से कहा डाक्टर के पास जाना है, मुझे थोड़ा सा चैकअप कराना है।
?
शाम पत्नी को डाक्टर के पास ले जाकर पति ने कहा जाइए दिखाईये,,
उसने रोनी सी सूरत बनाकर कहा आप आगे आईये
मेरा तो बहाना था
दरअसल आपको दिखाना था
?
डाक्टर साब , ये पिछले 35 साल रेलवे में टीटी रहे,
सप्ताह में केवल दो दिनों के लिये घर आते थे, बाकी दिन बाहर रहते थे।
लगातार “रेल यात्रा के वातावरण” को सहते थे।
?
अब रिटायरमेंट के बाद घर आते ही कमाल कर दिया है,
चार फीट चौड़े पलंग को काट कर दो फीट का कर दिया है,
अटैची को सांकल से बांध कर ताला लगाते हैं,
तकिये में हवा भरते हैं और चप्पलें सिरहाने रखते हैं,
कमरे का ट्यूब लाइट अलग हटा दिया है और
उसकी जगह जीरो वाट का वल्ब लगा दिया है,
?
टेप रिकार्डर से फिल्मी गानों का कैसेट निकाल कर,,
रेल्वे एनाउंसमेंट,
गाड़ी चलने की ध्वनि,
घंटी की घनघनाहट,
और
गरम चा,,इय समोसा की कर्कश आवाज का केसेट लगाते हैं,
मूंगफली के छिलके,और बीड़ी सिगरेट के टुकड़े पलंग के चारों ओर फैलाते हैं ,
?
मैं तो रात भर जागती हूँ
और ये आराम से सो जाते हैं
पता नहीं कैसी जिंदगी जीते हैं
कप में चाय दो, तो कुल्हड़ में पीते हैं ,
?
एक रात मेहमान आये तो मैंने इन्हें जगाया,
इन्होने करवट बदली और मेरे हाथ में ट्रेन का टिकट और सौ रुपये का नोट थमाया।
?
मैने कहा ये क्या है,तो बोले रसीद नही बनाना
इंदौर आये तो ख्याल से उठाना
?
पिताजी से,दहेज में मिला सोफासेट आधे दामों में बेंच आये है,
बदले में दो सीमेंट की ब्रेंच खरीद लाये है,
?
बेडरूम में लगीं पेंटिग्स को अलग कर दिया है,
उनकी जगह,
भारतीय रेल आपकी अपनी सम्पत्ति है,
जंजीर खींचना मना है?
लिखवा दिया है,
?
एक रात इनके पास आकर बैठी
इन्होने पांव मोड़े और कहा आइए
आइए आराम से बैठिये
?
डाक्टर साब बताने में शर्म आती है पर आपसे क्या छिपाना है
इन्होने ने मुझसे पूंछा
बहन जी आपको कहाँ जाना है
?
डायनिंग टेबिल पर खाना खाने से मना करते हैं
पूड़ियां मिठाई के डिब्बे में और सब्जी को प्लास्टिक की थैली में भरते हैं,
?
एक रात मेरे भाई और पिताजी आये
दोनों इनकी हरकत से बहुत लजाये
रात में भाई ने इनकी अटैची जरा सी खिसकाई
ये गुस्से में बोले जंजीर खींचू चोरी करते शर्म नहीं आई
?
सुबह सुबह बूढ़े पिताजी जल्दी उठ कर नहाने जा रहे थे
बालकनी पर इनके पास वाली खिड़की से आ रहे थे
उन्होंने खिड़की से हाथ डाल कर इन्हें जगाया
इन्होने गुस्से में कहा इस तरह से मत जगाओ
यहाँ कुछ नहीं मिलेगा,
? बाबा ,आगे जाओ
पिताजी आगे गये तो उन्हें वापस बुलाया
?
उन्हें एक रुपये का सिक्का दिया और पूंछा कौन सा स्टेशन आया
?
इनका अजीब कारनामा है
एक पर एक हंगामा है
अभी कबाड़ी के यहाँ से एक पुराना टेबिल फेन मंगवाया
छत पर लटके अच्छे खासे सीलिंग फेन को उतार कर उसकी जगह टेबिल फेन लटकाया
?
उसे चालू करने विचित्र तरीका अपनाते हैं
जेब से कंघी निकाल कर पंखा घुमाते हैं
?
सुबह मंजन ब्रश साबुन निकाल कर बाथरूम की ओर जाते हैं,
मैं कहतीं हूँ बेटा गया है
तो वहीं लाइन लगाते हैं
?
समझाती हूँ आ जाओ, तो रोकते हैं
हर दो मिनट के बाद बाथरूम का दरवाजा ठोकते हैं
?
इन्होने पूरे घर को सिर पर उठा लिया है
घर को वेटिंग रूम और बैडरूम को ट्रेन का कम्पार्टमेंट बना दिया है
?
इनके साथ बाकी जिंदगी कैसे कटेगी हम यह सोच कर डरते हैं
और ये सात जनम की बात करते हैं
हम तो एक ही जनम में पछताये
भगवान किसी युवती को रेलवे के टीटी की पत्नी न बनाये…..

एक रेलवे कर्मचारी

यह भी पढे: