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Jivan kya hai

Main dekhta hu zindagi ke baare mei koi baat nahi kar raha bas sabhi log koi kuch or ki baate kar rahe hai………jivan kya hai

Unke pass bahut kuch hai baate karne ko lekin zindagi ke baare mei kuch nahi hai.

Zindagi ke baare mei kuch baat to karo ki yeh zindagi kaisi hai? kyuki yeh zindagi na milegi dubara isliye isko jio yahi abhi khulkar na hee tum mar jana yu hi ghut ghut kar.

Ye sabhi log kapde, jutey, khana, pina, ghumna, hangout karna chahte hai lekin jindagi ko bhulkar, bas jindagi ke baare mei kuch nahi soch rahe jo sabse jaruri hai usko hee bhule hue baithe hai…..

lekin kyuuuuu

kya hame jindagi ke baare mei baat nahi karni chahiye? zindagi jise aap ji rahe ho ya nahi, ye bhi aapko nahi pta bas bhaage ja rahe ho kahi na kahi, kidhar jana hai, safar kya hai? nahi maalum lekin chal rahe bina saas liye..

yahi hai jivan ?

Yeh swaal aap khud se puchiye ki zindagi kya hai or hame kidhar lekar ja rahi hai jindagi ka asli matlab kya hai, jindagi jidhar ja rahi hai ham chup chaap chale ja rahe hai bin soche samjhe, bina kuch jaane bas behte paani ki tarah khud ka koi decision nahi hai.

Kya yahi hai jivan ?

Yeh sirf swal na ho yeh aapko bechain karde bas is tarah se aapke dimaag mei bhar jaye tabhi ham is uttar ko jaan payenge.

Zindagi ka asli matlab janne ki koshish mei ham lag jaye

Is jivan ka purpose kya hai? ham yaha kyu aaye hai kya aesa koi swal mann mei aaya hai kabhi jisne tumhe thodi si bechaini di ho, tumahara mann is jindagi ke baare mei janne ki koshish kar rahe ho, kya hua kabhi aesa yadi uttar nahi hai to aesa hona chahiye tumhare mann bheetar se prshnn hee prshnn ho jaye or tum daud pado ki zindagi mai aa raha hu tujhse Rubru hone ke liye, apni baaho ko faila zindagi se milne ke liye tum utho, daud pado abhi tak tum nirjiv vastu smaan the yadi tumhare mann bheetar yeh prashn nahi utha tha , to ab daud jaao jab jaago tabhi sawera bas shuruaat yahi se abhi se karo bhar jivan ko apni baaho mei.

जिंदगी हर मोड

जिंदगी हर मोड पर मिलती है

कुछ बात

कुछ मुलाकात करती है

कभी इशारों में बात करती है तो कभी

जिंदगी भर सिर्फ इशारा ही करती है

जिंदगी के हर मोड पर तुम्हें खुद को साबित करना होता है

तभी तुम आगे बढ़ पाते हो वरना

इस गुमनाम जिंदगी में अंधेरा बन गुम हो जाते हो

जिंदगी क्या है ?

ये सिर्फ एक सवाल नहीं है

एक कोशिश है

जिंदगी से जिंदगी को रूबरू कराने की

जिंदगी क्या है?

हर एक बदलते पहलू को देखना जिंदगी है

जिंदगी क्या है ?

कुछ उलझन है कुछ सुलझन है

हर एक मसले का हल है जिंदगी

जिंदगी क्या है ?

हर एक नाउम्मीद को उम्मीद में बदल देना है जिंदगी

जिंदगी क्या है ?

जिंदगी एक लगातार चलने वाला सिलसिला है

जो रुकेगा नहीं बस बदल जाएगा

जो जिंदगी का नई जिंदगी के साथ परिवर्तन कहलाएगा

जिंदगी क्या है ?

हर एक उलझन का सवाल है जिंदगी

जिंदगी क्या है ?

जिंदगी भर अरमानों को पूरा करने का नाम है जिंदगी

जिंदगी क्या है ?

कही जाना नहीं है बस खुद को

खुद से समझने की एक कोशिश है

जिंदगी क्या है ?

हर एक सवाल का जवाब है जिंदगी

उम्मीद भी बड़ी गजब की चीज है

दिन दुगनी रात चोंगनी होती है

जिंदगी क्या है ?

कितनी ही उम्मीद टूट जाए

फिर एक नई उम्मीद का तैयार हो जाना है जिंदगी

यह भी पढे: जिंदगी बस इसी तरह, सुकून की जिंदगी, जीवन को इन्जॉय, जीवन में उलझन,

जीवन क्या है?

जीवन क्या है?
जीवन क्या है?

जीवन क्या है?          आज के समय में आधुनिक मनुष्य का जीवन केवल खाना पीना और सोना ही रह गया है।  इसके विपरित जीवन में से नैतिकता और नैतिक विचार जैसे गायब ही हो गए हैं। आज का मनुष्य ना तो साहित्य पढ़ने में इच्छुक है और ना ही सामाजिक क्रियाकलापों में भाग लेने का इच्छुक है।

हमने जितने भी महापुरुषों की जीवनी पढ़ीं है वह सभी महापुरुष केवल अपने लिए ना जी कर समाज के लिए जिए है तथा  अपना सारा जीवन देश, समाज व मनुष्य जाति के लिए समर्पित कर दिया परंतु आज का मनुष्य ना तो स्वयं को ही ठीक से रख रहा है ना ही स्वयं के ही नैतिक मूल्यों पर खरा उतर रहा है और ना ही देश समाज वह दूसरों के लिए कुछ कर पा रहा है, या फिर करना ही नहीं चाहता वह सिर्फ अपने लिए ही जीवन जीना चाहता है जैसे स्वार्थ से भर चुका हो आज मनुष्य

   आज के समय की भाग दौड़ भरी जिंदगी में मनुष्य मात्र एक इंजन से चलने वाली गाड़ी की तरह रह गया है जो कि सिर्फ खाना खाता है और बचे हुए अपशिष्ट पदार्थ को शरीर से बाहर निकाल देता है। फिर खाना खाता है और फिर
   काम से थकता है तो से जाता है । केवल यही आज के मनुष्य की दिनचर्या बन गई है ना तो आज का मनुष्य परिवार को समय दे पाता है और ना ही वह समाज प्रकृति के प्रति कुछ कर पाता है।
    हमें भी उन महापुरुषों की जीवनी अब पढ़नी चाहिए और उनसे प्रेरणा लेकर देश के लिए इस समाज के लिए हमारे पर्यावरण के लिए प्रकृति के लिए कुछ करना चाहिए अपने आप को प्रकृति के साथ चलाना चाहिए।
खाने-पीने और सोने से हटकर हमें हमारे परिवार , हमारे देश हमारे समाज में प्रकृति के प्रति भी हमारी कुछ जिम्मेदारियां हैं।

पारिवारिक जीवन:-   
हमारे जीवन में हमारे पारिवारिक जीवन का भी बहुत बड़ा रोल होता है परिवार दुनिया की सबसे छोटी परंतु महत्वपूर्ण इकाई है। मनुष्य जो कुछ भी सीखता है। सबसे पहले अपने परिवार से ही सीखता है परिवार से ही मनुष्य के अंदर उसके स्वभाव की झलक आती है।     
         
मनुष्य का स्वभाव:  
जीवन क्या है ? मनुष्य को अपने स्वभाव का निरंतर ध्यान रखना चाहिए  और बोली में मिठास रखनी चाहिए,  अहंकार से दूर रहना चाहिए  चाहे हम कितनी भी तरक्की क्यों ना कर ले परंतु हमें अपने समाज में ही बने रहना है। देश दुनिया में हम जहां भी रहते हैं जिन लोगों के बीच रहते हैं वही सब हमारा समाज होता है। अगर हमारा स्वभाव हमारे समाज के अनुकूल नहीं है तो हमें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।मनुष्य अकेला ही सब कुछ नहीं कर सकता। मनुष्य के अपने जीवन निर्वाह की आवश्यकता के लिए समाज की जरूरत होती है। क्युकी हम सभी एक दूसरे से जुड़े हुए है एक दूसरे पर निर्भर है
                        

  समाज से बढ़ती दूरियां:
आज का मनुष्य समाज से दूरियां बनाता जा रहा है और अकेले रहने के लिए मजबूर है छोटे-छोटे फ्लैट्स में अकेला रहता है,  घर परिवार से दूर बड़े शहरों में अकेला रहता है। कोई काम की तलाश में, कोई रोजगार की तलाश में तो कोई पढ़ाई के लिए।
अकेला रहने की वजह से और समाज से दूर होने की वजह से ही मनुष्य को आज के समय में न जाने कितने मानसिक तनाव और मानसिक बीमारियों ने घेर लिया है। 
      
 शारीरिक स्वास्थ्य:  
मनुष्य को कोई भी कार्य के लिए सबसे प्रथम अपने शरीर पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। हमारे शास्त्रों में भी वर्णन है “प्रथम सुख निरोगी काया”
जिस मनुष्य में शरीर स्वस्थ होता है उसी के शरीर में स्वस्थ बुद्धि का निवास होता है। शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हमें थोड़ा बहुत व्यायाम भी करना आवश्यक है अगर खुली हवा में सांस लेना प्राणायाम करना या कोई भी शारीरिक गतिविधियों में हमें लगे रहना चाहिए। आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हमें थोड़ा समय अपने स्वास्थ्य के लिए भी निकालना चाहिए शरीर स्वस्थ होगा तभी हम कोई भी कार्य कर पाएंगे। आज के समय में छोटी-छोटी बीमारी होने पर छोटा-छोटा मौसम बदलने पर हम बीमार पड़ जाते हैं हमारे शरीर की रोग निरोधक क्षमता भी बहुत कमजोर हो गई है जिसकी वजह से हम जल्दी जल्दी बीमार ही जाते है।   
                                      

 मानसिक स्वास्थ्य:
शरीर के साथ-साथ मनुष्य को अपने मस्तिष्क का भी ध्यान रखना चाहिए ,  मानसिक स्वास्थ्य का भी हमारे जीवन में एक बहुत बड़ा महत्व है। आज के समय में मनुष्य को बहुत सी मानसिक बीमारी और मानसिक तनाव ने घेर लिया है।  माना की साधारण मनुष्य और मानसिक बीमारी को पागलपन समझता है परंतु ऐसा नहीं है , मन , मस्तिष्क स्वस्थ तो तन भी स्वस्थ रहता है।

#Written by Pritam Mundotiya

जीवन विचार

जीवन विचार क्या है, जीवन को बदल देने वाले कुछ ऐसे विचार जो हमारे पुरे जीवन का दृश्य बदल देते है, जैसा आप सोचते है वैसे ही आप होते जाते है, आपके जीवन पर आपकी सोच का प्रभाव पड़ता है प्रतिदिन लाखो ही विचार आपके मस्तिष्क में आते और जाते है उनमे से आप कितने विचारो पर गौर करते है, यह महत्वपूर्ण है और जिन पर नहीं करते उनका भी प्रभाव आपके जीवन पड़ता है परंतु कम लेकिन असर कम हो ज्यादा असर तो असर है छोटा या बड़ा उसका प्रभाव ही जीवन की दिशा और दशा बदल देता है, हर समय आप कौनसे विचारो के साथ जीना चाहते हो आपके जीवन के लक्ष्य क्या है जो आपको प्राप्त करने है, यदि आपके विचारों में भटकाव है तो क्या आप अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते ? नहीं आपको अपने लक्ष्य तक पहुचने के लिए अपने विचारों को एक ही दिशा की अग्रसर करना होगा।

हमने बहुत सारे विचार पढ़े और समझे तथा शेयर भी किये। यदि आपने उन्ह विचारो पर अपनी असल जिंदगी में कोई कार्य नहीं किया तो वो सभी विचार कही बह जायेंगे जिनका फिर कोई मोल नहीं होगा आपके जीवन में। लेकिन अब इन विचारो को अपने जीवन का एक हिस्सा बनालो जिनसे आपकी पूरी जिंदगी परिवर्तित हो सकती है। क्योंकि सिर्फ आप खुद अपनी जिंदगी को बदलने में सामर्थ्य रखते है दूसरा कोई और नहीं। यदि आप इन् को मन्त्र की तरह रोज अपने जीवन में प्रयोग करेंगे तो अवश्य ही आप अपने जीवन अद्भुत परिवर्तन देखेंगे।

कौन हूँ मैं ?
मैं कौन और क्या होना चाहता हूँ ? यह आप पर निर्भर करता है यह आपका जीवन है जिस प्रकार से आप अपने जीवन के बारे में सोचेंगे उसी प्रकार से आप स्वयं का जीवन बना सकते है

मैं ऊर्जा हूँ

मैं ऊर्जा हूँ यही है जीवन विचार
मैं ऊर्जा हूँ

मैं बलवानो का बल हूँ

मैं बलवानों का बल हूँ यही है जीवन विचार
मैं बलवानों का बल हूँ
मैं बुद्धिमानों की बुद्धि हूँ यही है जीवन विचार
मैं बुद्धिमानों की बुद्धि हूँ
मैं प्रेम हूँ यही है विचार
मैं प्रेम हूँ
मैं जीवन की मुस्कुराहट हूँ यही है जीवन विचार
मैं जीवन की मुस्कुराहट हूँ
मैं निशब्द हूँ  यही है जीवन विचार
मैं निशब्द हूँ
मैं शब्द हूँ  यही है जीवन विचार
मैं शब्द हूँ
मैं जीवन की प्रेरणा हूँ यही है जीवन विचार
मैं जीवन की प्रेरणा हूँ
मैं ही निशब्द हूँ यह है जीवन विचार
मैं ही निशब्द हूँ
मैं जीवन का आधार हूँ यही है जीवन विचार
मैं ही जीवन का आधार हूँ
मैं जीवन का श्रोत्र हूँ यही है जीवन विचार
मैं जीवन स्रोत हूँ

क्या है जिंदगी

क्या है जिंदगी ? यह एक बहुत बड़ा विषय है और जिंदगी को आसानी से समझ पाया है। जिसने समझने की कोशिश की है वो खुद ही उलझा हुआ नजर आया है।

जीवन का पहला पड़ाव है जिंदगी उस पहले पड़ाव से मिलों तक का लंबा सफर तय कारणए का नाम है जिंदगी
क्या है जिंदगी