सारे विचार अस्थाई
नहीं अस्थाई मर्ज़ की दवाई ।
सब व्यक्ति व्यक्तित्व अस्थाई…
समझो इस बात की गहराई ।
सब दिखते दृश्य अस्थाई ….
इससे क्या बात समझ आई ।
सारी भावनायें अस्थाई ….
नहीं कुछ भी स्थाई ।
अपने मिले कार्य सही से करे….
हम सब स्थाई दायरे से घिरे ।
न काहु से दोस्ती न काहु से बैर…
शुक्रिया करते चलो माँगो सब की ख़ैर ।
यहाँ सब अस्थाई….
यह बात ही सच्ची इकाई ।
बहते चलो जैसे बहता पानी….
या बहो पवन की तरह यही ज़िंदगानी ।
सारे विचार अस्थाई,
नहीं अस्थाई मर्ज़ की दवाई।
जीवन के सफर में कभी आए,
खो गए फिर वो गुजरे दिन जाए।
चिंता और चिंता का बंधन है,
इसे तोड़ने की राह ढूंढ़ लो भले।
ज़िंदगी की चाल में आए हैं ये विचार,
चिंता के बादल छाए हैं ये आधार।
पर याद रखो, ये सब हैं अस्थाई,
हो सकता है आने वाले कुछ पल हंसाई।
ज़िंदगी की राहों में कभी थम जाएं,
चिंता के दामन से खुद को छुड़ाएं।
हर चिंता को दवा नहीं कहा जा सकता,
कुछ तो विचार होंगे अस्थाई ही रह सकता।
अपना ध्यान मुख्य बातों पर रखो,
हंसते रहो, मुस्कराते रहो आप।
रोग या चिंता ने नहीं जीती है ज़िंदगी,
जीने का आनंद सदैव बनाए रखो सर्वदा।
सब का शुक्रिया सब का धन्यवाद
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