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स्वयं को जाने

स्वयं को जाने की कौन हूँ मैं यह एक प्रश्न ही बना हुआ है, लेकिन यह प्रश्न भी तभी तक है जब तक आपके मन में इस प्रश्न का उत्तर जानने की इच्छा नहीं है, नहीं तो यह प्रश्न फिर प्रश्न नहीं रहता उत्तरों की भरमार होती आपके पास, इसलिए अपने प्रश्न का उत्तर जानने के लिए आज से ही अपने भीतर की यात्रा को शुरू करे ओर जानिए की आप कौन है? आपका इस जीवन को पाने का क्या उद्देश्य है।

यदि कोई ओर व्यक्ति इस प्रश्न का उत्तर देगा तो उसका उत्तर शायद आपके लिए सही न हो क्युकी हम सभी की यात्रा का अर्थ अलग है।

जिन महापुरुषों ने इस प्रश्न का उत्तर जानने की इच्छा की उन्होंने जान लिया ओर जो लोग संसार के दवंध में फंसे वो फिर फंसे ही रहे इससे बाहर वो नहीं आ सके, इस प्रश्न का उत्तर हमारी दृढ़ इच्छा पर ही निर्भर करता है इसलिए दृढ़ निश्चय कर, दृढ़ संकल्प करो ओर भीतर की यात्रा शुरू करो तभी हमे सफलता मिलेगी।

स्वयं को जाने

आपके भीतर अनंत जिज्ञासा होने पर ही इस सवाल का जवाब मिल सकता है, यदि आपके मन भीतर इस प्रकार के प्रश्न उठते है तो आप स्वयं को एक जिज्ञासु के रूप में देख सकते है, परंतु इस प्रकार के प्रश्न उठे ओर आपने शांत कर दिए तो फिर आप जिज्ञासु कहाँ बस फिर तो आप किसी चीज को देखकर पढ़कर ही यह सवाल कर रहे है।

यदि आपके भीतर वास्तव में ऐसे प्रश्न उठते तो आप उन सवालों का उत्तर जानने के ईछुक हो ओर आप अपने आसपास के लोगों से , मित्रों व अन्य चीजों का सहारा लेते हो इन प्रश्नों का हल खोजने के लिए फिर आपको काही दूर नहीं जाना होता बस स्वयं में गोते लगाने होते है।

इस प्रश्न का उत्तर आपको 9 मिनट में भी मिल सकता है, ओर 9 जन्मों में भी न मिले ऐसा भी हो सकता है आप कितने जिज्ञासु है स्वयं की खोज के लिए यह इसी बात पर निर्भर करता है, फिर भी मैं आपको 4 ऐसी बाते बताता हूँ, जिसका सहारा लेकर आप स्वयं की खोज को शुरू कर सकते है।

1- ध्यान करना अत्यंत आवश्यक है।

2- अपने विचारों को देखना।

3- वर्तमान काल में ही जीवन को जीने की कोशिश करना।

4- स्वयं के साथ जिओ

निकला हूँ

निकला हूँ उस ठिकाने को ढूँढने , जिसका पता भी नहीं मालूम मुझे

बस निकल चला हूँ, अपनी उन राहों की ओर जहां

मैं घूमता हूँ दिन भर , दिन भर ढूँढता भी हूँ मैं

खुद को ही ना जाने कहाँ कहाँ ढूँढता हूँ मैं

कहाँ मिलूँगा-कहाँ मिलूँगा यही एक सवाल है जो

मैं खुद से बार बार पूछता हूँ

क्या मैं खुद को ढूंढ पाऊँगा , निकला हूँ मैं

खुद के सवालों से ही मैं जूझ रहा हूँ ,

खुद से ही बस यही एक सवाल पूछ रहा हूँ मैं

ढूँडु खुद को कैसे यह एक सवाल कर रहा हूँ

कहाँ कहाँ ढूढू खुद को बस यही एक सवाल है

जवाब तो नहीं पता मुझे इसका कब मिलेगा

ये मुझको नहीं खबर है बस लापता हूं

निकला हूँ मैं उस ठिकाने को ढूँढने जिसका पता नहीं मालूम मुझे