ख्वाब यू तुम इतने मुझे दिखाते हो, इन ख्वाबों को क्यू मेरे मन दर्पण में सजाते हो , इन ख्वाबों से मैं बेचैन हो जाता हूँ बस याद भर तुम्हारी में मैं रहता हूँ, कुछ न कहता हूँ बस चुप यू ही रह जाता हूँ
क्यों इतने ख्वाबों को सजाते हो
मेरे ख्वाबों मे रोज चले आते हो
मुझे मदहोश कर चले जाते हो
मौत की आगोश में जाना चाहता हूं
जिंदगी से रूबरू कर चले जाते हो
क्यों इतना बेचैन कर तन्हाईयों का साथ करवाते हो
लूट जाता हूँ भरे बाजार मैं , अपनी ही जिंदगी लिए
बस तुम मेरे ख्यालों को अकेला छोड़ चले जाते हो !
ख्वाब यू तुम इतने मुझे दिखाते हो
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