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पैसों के पाँच नियम

पैसे के पांच प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं: पैसों के पाँच नियम जो मैं आपको नीचे बताने जा रहा हूँ उनको आप ध्यान से पढे ओर उनका चिंतन व मनन करे ताकि यह बात आप भविष्य में भी याद रखे।

1. बजट बनाना और उस बजट का पालन करना: अपने आमदनी और खर्चों का स्पष्ट बजट बनाएं और उसी के अनुसार खर्च करें। इससे आप बेफिजूल खर्चों से बच सकते हैं और अधिक बचत कर सकते हैं, जो आपकी जरूरत के समय में बहुत काम आती है, और हमारी बचत करने की आदत भी बनती है।

2. बचत और निवेश: अपनी आय का एक हिस्सा नियमित रूप से बचत और निवेश के लिए अलग रखें। लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न पाने के लिए विभिन्न निवेश विकल्पों पर विचार करें।

3. ऋण प्रबंधन: अपने ऋणों को नियंत्रित रखें और उच्च ब्याज दर वाले कर्ज को जल्दी से चुकाने का प्रयास करें, क्युकी उच्च ऋण में फंस जाते है, जितना आपका किसी कार्य में मुनाफा नहीं होता उससे अधिक आपका ब्याज चल जाता है, जिसकी वजह से वो व्यक्ति कभी कर्ज से उभर नहीं पाता, इसलिए यी आपको कर्ज लेने की कोई आवश्यकता नहीं है तो बिल्कुल ना ले, जब बहुत अधिक जरूरत महसूस हो तभी कर्ज की ओर बढ़े वरना कर्ज से दूरी बनाए रखे।

4. आवश्यकता और इच्छा में अंतर: अपने खर्चों को प्राथमिकता दें और अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं में अंतर करना सीखें। पहले आवश्यकताओं को पूरा करें और फिर इच्छाओं पर खर्च करें, हमारी इच्छाए असीमित है इसलिए उनके बारे बाद में विचार करे पहले अपनी जरूरतों पर ध्यान दे।

5. वित्तीय सुरक्षा: अनिश्चितताओं के लिए तैयार रहें और आपातकालीन स्थिति के लिए एक इमरजेंसी फंड बनाएं। इसके अलावा, अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए उपयुक्त बीमा कवरेज रखें।

मैं आशा करता हूं कि आपको यह मेरी पैसों के पाँच नियम पोस्ट पसंद आई होगी, कृपया कमेन्ट करके बताए यदि आप इसी तरह की पोस्ट लगातार पढ़ना चाहते है तो आगे भी हम इसी तरह की और पोस्ट लेकर आएंगे यदि आपका कोई मनपसंद विषय है जिस पर आप अधिक जानना चाहते तो कमेन्ट में हमे बताए उस पर आपको पूरी डीटेल में जानकारी देने की कोशिश की जाएगी।

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पैसों की बचत

पैसों की बचत क्यू जरूरी है: पैसों को ध्यान से खर्चे जहां जरूरत हो वही पर उसको खर्च करे, बेफिजूल के खर्च से दूर रहे, अपने खर्चों की लिस्ट बनाए व देखे की आप कहाँ खर्च कर रहे इससे आपको यह समझ आता है की आपका खर्च अनावश्यक कार्यों में तो नहीं लग रहा।

पैसों की बचत जरूर करे चाहे व बचत छोटी ही क्यू न हो, छोटी छोटी बचत करने से आपसे लंबी अवधि में ज्यादा बचत कर सकते है, आपकी बचत ही आपको भविष्य में फायदा देती है, अनिश्चित घटनाओ से बच जा सकता है।

खर्चे से ज्यादा इनवेस्टमेंट करने पर ध्यान दे, हर महीने के खर्चों की लिस्ट बनाए जिससे आपको आपके खर्चों का स्पष्ट रूप दिखेगा ओर आप अपने बेफिजूल के खर्चों पर रोक लगा सकेंगे।

यदि आप पैसों की बचत के लिए दस वर्ष का समय रखते है तो आपको बहुत लाभ मिलता है, समय तो बहुत जल्दी ही बीत जाता है लेकिन पैसे की बचत नहीं हो पाती उतनी इसलिए हमे पैसों की बचत के साधनों पर ध्यान देना चाहिए।

हमारा हाल आमदनी अठन्नी ओर खरचा रुपया है ऐसा हाल तो नहीं है इस बात को ध्यान में रखना चाहिए।

जब स्वतंत्रता की बात आती है तो पैसे बचाने के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता। वित्तीय स्वतंत्रता आपको आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह आपको अपनी पसंद और आराम के अनुसार जीवन जीने में मदद करता है। आपको अपनी पसंद की चीज़ों पर अपना पैसा खर्च करने और एक आरामदायक और समृद्ध जीवन जीने की स्वतंत्रता और अधिकार है।

पर्याप्त बचत होने से आप अधिक पूर्ण जीवन जीने में सक्षम होते हैं। आपको अपने भविष्य के लक्ष्यों जैसे सेवानिवृत्ति या स्वास्थ्य देखभाल जैसे अप्रत्याशित खर्चों के बारे में कम तनाव होने की संभावना है। बचत आपको राहत और आराम देती है, यह जानकर कि आपके पास जीवन में विभिन्न परिस्थितियों से निपटने के लिए पर्याप्त धन है।

सोचना बहुत पसंद है

वैसे मुझे सोचना बहुत पसंद है लेकिन इस रिमझिम रिमझिम सी बारिश में तो बस खो जाऊ यही करने का मन आज मन है , धीमी धीमी सी बारिश आज सुबह से ही रही है , इस मौसम को देख बस बाहर घूमने का मन का करता है, खुद को घर में कैद तो किसी को भी अच्छी नहीं लगती , लेकिन मैंने खुद को घर में रोक रखा है, अभी फिलहाल कुछ समय के लिए घर पर ही हूँ , ताकि मैं कुछ तेजी से काम करता रहु जितनी गति मेरे काम को चाहिए, लगभग 6 घंटे तो मुझे लिखना ही है इसके अलावा भी कुछ थोड़ा बहुत नया करने के लिए समय निकालना होता है, ओर जो पुराना लिखा हुआ उसको भी एडिट करता हूँ मैं, इसके साथ साथ अपने विचारों पर ध्यान देना भी बहुत जरूरी है। ताकि जो नए विचार मन भीतर आते है उन पर कार्य करता रहु।

क्युकी यह विचार ही है जो मुझे नए कार्य की ओर प्रेरित करते है। नया नया सोचकर कुछ लिख लेता हूँ।

क्या आपको सोचना पसंद है? यदि हाँ तो क्यों ? ओर यदि नहीं तो क्यों नहीं

मुझे सोचना बहुत पसंद है , ओर जो सोचता हूँ उन विचारों को मैं लिख लेता हूँ , ताकि उन सभी विचारों को ओर आगे बढ़ा सकु , उन पर कुछ कार्य कर सकु , क्युकी यह जो मेरे मस्तिष्क में विचार आ रहे है ये एक प्रकार के सुझाव होते है , यदि आप सकारात्मक है ओर आपके विचार भी सकारात्मक रूप से आ रहे है, तो आपके विचार आपको बहुत सारे सुझाव हर रोज मिल रहे है।

क्या आप भी उन सुझावों पर कुछ कार्य करते है, या फिर उन्हे कम से कम लिख लेते है, क्या आपने अपने विचारों को जानने की कोशिश की है, मैं करता हूँ अपने विचारों को जानने की कोशिश की यह विचार कैसे ओर क्यों आते है, मैं अपने मस्तिष्क में आने वाले ज्यादातर विचारों को देखता ओर समझता हूँ, जिसकी वजह से मुझे अपने जीवन को एक नई दिशा देने में मदद मिलती है , ओर स्वयं में लगातार सुधार की जो आवश्यकता होती है, वो भी इन्ही विचारों के कारण होती है , यह विचार मेरे जीवन को लगातार बेहतर बनाने में मदद करते है।

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क्या करता हूँ मैं

क्या करता हूँ मैं दिन भर ? वैसे तो मैं कुछ नहीं बस अगर सच बताऊ तो सिर्फ लिखने की कोशिश करता हूँ, ओर जो मन में आता है वही अब लिखता हूँ, चाहे मैंने कितना ही सोच रखा हो दिमाग में लेकिन वो एक दम शब्दों को पन्नों पर नहीं उतार पाता है।

इसलिए घंटों बैठ जाता हूँ खुद के साथ अकेले में ताकि मैं कुछ कुछ लिखू जो विचार आ रहे है उन शब्दों में उतार सकु, बस यही एक वो जरिया है , जिसकी वजह से मुझे बहुत शांति मिलती है , लगता है भीतर बहुत कुछ भरा हुआ जिसे बाहर निकाल देना है।

इसलिए मैं अपने लैपटॉप के सामने बैठ जाता हूँ ओर गूगल कीप जिसमे मैं लिखता हूँ, उसको खोल लेता हूँ, जैसे ही कोई विचार मेरे मन में आता है मैं उसे लिख लेता हूँ, यही मैं पहले भी करता था, तब मैं अपनी छोटी सी नोटबुक ओर पेन लेकर बैठ जाता था।

किस तरह से मैं लिखता था उस समय: अपने मस्तिष्क के विचारों पर गौर किया करता था की मेरे दिमाग में चल क्या रहा है? मैं सोच क्या रहा हूँ? असल मैं नहीं, मेरा दिमाग सोचा करता था बस उस दिमाग को मैं देखता था।

मैं आपको बताता हूँ, वो शुरुआत कैसे हुई जब मुझे घंटों बैठना पड़ता था, सिर्फ एक विचार के लिए , सिर्फ कुछ शब्दों के लिए की मैं लिख पाउ उन विचारों को पन्नों पर उतार मैं सकु बस इसलिए तब भी घंटों कॉफी होम में बैठता था। क्युकी एक एक विचार बहुत देर में आता था।

वो विचार जो ब्रह्मांड से आते थे , जो मुझे प्रकृति से जोड़ते थे , एक संबंध स्थापित करते थे , उन शब्दों को मैं सुनता ओर लिखता था , मुझे कुछ नहीं पता बस मैं लिख लेता था, जैसे मैं सवाल पूछ रहा हूँ ओर मेरे जवाब मुझे मिल जाते थे , कुछ बस सवाल ही बनकर भी रह जाते थे की इनका जवाब कुछ समय बाद मिलेगा अभी नहीं।

मैं हर रोज शिवाजी स्टेडियम के पास कॉफी होम है उधर जाता था, जिससे की आराम से बैठकर लिख सकु जो नया विचार आए उसको पकड़ सकु , उस समय मैं अपनी पुस्तक “कौन हूँ मैं” की शुरुआत पर था बस मन में यही विचार था ओर इसी किताब के इर्द गिर्द सभी प्रश्न ओर उत्तर बन रहे थे।

क्या करता हूँ मैं यह बात मैंने आपको बताई अब आप मुझे बताए की आप क्या करते है।

सफर कितना बेहतर है

सफर कितना बेहतर है इस जीवन का बस इस सफर को देख जिए जा रहा हूँ। इस जीवन का सफर कितना बेहतर ओर आनंददायक है, बस यही एक विचार मेरे मन को हर्षित कर देता है, लगता है सभी सुख इस पृथ्वी पर है, ओर कही नहीं हम सभी यहाँ किसी कारण से आए है परंतु मुझे जो लगता है।

एक मुख्यत कारण है आनंद जिसे हम सभी अनुभूत करने के लिए इस जीवन रूपी संसार में आए है, उस जीवन का आनंद हमे लेना है।