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पता नहीं मुझे

पता नहीं मुझे कैसे मेरी ओर तुम्हारी बाते हो जाती है, कुछ तो बात है हम दोनों के बीच जो कभी अधूरी रह जाती तो कभी पूरी हो जाती है, हम दोनों ना जाने किसलिए मिले, कौनसा था तार जो हम दोनों को जोड़ रखा था, कितनी दूरिया हो जाती है फिर एक मोड पर आकार हम मिल ही जाते है, फिर उनही बातों को सिरा बनाकर हम आगे की और बढ़ चल चले जाते है।

कुछ ऐसे ही बस तेरी यादों में डूब जाना चाहता हूँ, हर जगह से दूर हो जाना चाहता हूँ, कुछ ओर ना हो अब हम दोनों के बीच सिर्फ तेरे ही ख्यालों में अपने हर ख्याल को बिताना चाहता हूँ, खो जाना चाहता हूँ, तेरे ही सपने सजाकर तुम्हें अपनी आँखों में मुँदना चाहता हूँ।

क्या तुम भी मुझे अपनी यादों में रखना चाहती हो या फिर उन सभी यादों का भुलाना चाहती हो, जो सँजोई थी एक दूसरे के साथ रहकर उन यादों को कैसे तुम भुला दोगे।

पता नहीं मुझे हम दोनों के बीच में कौनसा संबंध है, जो ना टूटता है ना जुड़ता है फिर भी हम दोनों का संबंध अटूट सा लगता है, उस अटूट से संबंध में हम दोनों का नहीं पता ना नाम दिया उस संबंध ना कोई पता फिर भी होने को रिश्ता कहला रहा है।

ख्वाब यू तुम

ख्वाब यू तुम इतने मुझे दिखाते हो, इन ख्वाबों को क्यू मेरे मन दर्पण में सजाते हो , इन ख्वाबों से मैं बेचैन हो जाता हूँ बस याद भर तुम्हारी में मैं रहता हूँ, कुछ न कहता हूँ बस चुप यू ही रह जाता हूँ

क्यों इतने ख्वाबों को सजाते हो

मेरे ख्वाबों मे रोज चले आते हो

मुझे मदहोश कर चले जाते हो

मौत की आगोश में जाना चाहता हूं

जिंदगी से रूबरू कर चले जाते हो

क्यों इतना बेचैन कर तन्हाईयों का साथ करवाते हो

लूट जाता हूँ भरे बाजार मैं , अपनी ही जिंदगी लिए

बस तुम मेरे ख्यालों को अकेला छोड़ चले जाते हो !

ख्वाब यू तुम इतने मुझे दिखाते हो

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कुछ इश्क

कुछ इश्क भर की बात थी, कुछ खास उसके साथ मुलाकात थी, वो मोहब्बत हुई ऐसे जैसे बिन बादल बरसात थी वो मेरी एक नई जिंदगी की शुरुआत थी,कुछ नई नई सी जिंदगी के साथ बात थी चंद रोज पहले हुई मुलाकात थी , उन मुलाकातों के साथ ही जिंदगी की बात थी कुछ इश्क भर

इश्क ने हमें जीने का मज़ा सिखाया है,
दर्द को भी हंस कर सहना सिखाया है।

उनकी यादों में खोये रहना अच्छा लगता है,
शायद उनसे मिलने का इंतज़ार करना अच्छा लगता है।

जब उनकी आँखों में आप ही नज़र आते हैं,
तब दिल के हर रंग नए नज़ारे से भर आते हैं।

दिल में उनकी खुशियों का थिकाना होता है,
हर दिन उन्हें देखने का उम्मीद में धीरे-धीरे जीता है।

इश्क की दुनिया में हर पल कुछ नया सीखते हैं,
दिल की बातें बिना बोले ही समझ जाते हैं।

जब उनके साथ होते हैं, तो दुनिया कुछ नहीं लगती,
उनके बिना हमारी जिंदगी अधूरी सी होती।

इश्क ने हमें जीने का मज़ा सिखाया है,
दर्द को भी हंस कर सहना सिखाया है।

जब तक इश्क हमारे दिलों में बसा रहेगा,
हम खुशियों की दुनिया में जीते रहेंगे।

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यह जिंदगी

यह जिंदगी कही गुम ना हो जाए ,जीवन की उस उछल कूद मे भागती दौड़ धूप में , चकाचौंध नजारों में ,चमक धमक में ,यह जिंदगी कही गुम न हो जाए

यह जिंदगी कही गुम न हो,
खुशियों की राहें हमेशा खुली हो।
हर दिन नयी खुशियों से भरा हो,
जीवन की राहों में आगे बढ़ते जाओ सदा।

ज़िंदगी का सफर थोड़ा मुश्किल हो सकता है,
कुछ दिन कुछ आंसुओं के साथ गुजर जाएंगे।
पर चिंता मत करो, आशा का दीप जलाकर,
जीवन के हर पल को खुशी से जीते जाओ सदा।

हर एक पल को खुशी से जीतो,
सपनों को दिल में समेटो और खेलो।
जीवन की राहों में आगे बढ़ते जाओ सदा,
खुशियों की राहें हमेशा खुली हो।

चलते जाओ आगे, अपने सपनों की ओर,
जीवन का सफर थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
पर आशा और उम्मीद का दीप जलाकर,
जीवन के हर पल को खुशी से जीते जाओ सदा।

यह जिंदगी कही गुम न हो,
खुशियों से भरी राहें हमेशा खुली हो।
हम सब मिलकर इस जीवन की खुशियों को बाँटें,
खुशियों के साथ जीवन की सारी यादें संजोते जाओ सदा।

इश्क भर की बाते

इश्क भर की बाते

वो चंद मुलाकाते

हर रोज पैगाम लिख भेजती थी

मुझे उनकी यादे

जीवन उन ख्यालों में

जीवन उन ख्यालों में होना जरूरी है, जो ख्याल बस तुम्हारी ही यादों में ठहरे रहे वरना कही दब मर जाएगा यह जीवन, जीवन की अनंत उचाई को पा लेना है।

ख्याल इस मन के फिरते रहते हैं,
जैसे एक नौजवान जो अभी जवान हैं।
ख्यालों की उड़ान से ऊँचे आसमान तक,
ये मन दौड़ता है जैसे एक जवान हैं।

ख्यालों की धुंध में गुम होते हुए,
पार लगाना चाहते हैं जैसे एक समुंदर हैं।
मन के इस अंधेरे से निकलकर,
जीवन की रोशनी को पाना चाहते हैं जैसे एक ज्योति हैं।

जीवन उन ख्यालों में फिरता रहता हैं,
जैसे एक युवा जो नए सपनों में खोता हैं।
इन ख्यालों के साथ जीवन के सफर में,
ये मन बढ़ता है जैसे एक दौड़ता हुआ युवा हैं।

ख्याल इस मन के हमेशा साथ रहते हैं,
जैसे एक साथी जो कभी छोड़ते नहीं हैं।
इन ख्यालों की उड़ान से ऊँचे आसमान तक,
ये मन दौड़ता है जैसे एक जवान हैं।

रात के ख्याल

रात के उन ख्यालों को कैसे अकेला छोड़ दु

उन ख्यालों संग ना खेलू क्या ………………………

ख्यालों को कैसे अकेला छोड़ दु जो अकेले है

रात में उन के साथ क्या खेलू नहीं

उन ख्यालों से क्या मिलू भी नहीं

वो ख्याल ही है जिनकी वजह से नींद का मज़ा आता है

ये ख्याल मुझे हर रोज नई दुनिया की सैर कराते है

मेरी कल्पनाए एक रूप ले लेती है

उन कल्पनाओ के साथ मैं इन ख्यालों को सजाता हूँ,

देखता हूँ , ओर खूब खेलता हूँ मुझे इन ख्यालों संग अच्छा लगता है

ये ख्याल मेरा बहुत ख्याल रखते है

मैं उठू या नहीं उस रात के बाद इस बात की भी चिंता नहीं

यह ख्याल मुझसे दूर कर देते है फिर कैसे ना देखू मैं ख्याल,

फिर कैसे रहू रात भर बिन ख्याल

तेरा इंतजार कर रहा हूँ

खड़ा हू अब भी तेरे इंतज़ार में
जिस जगह तुम मुझे छोड़ कर गए थे

करता हू घंटो इंतज़ार बस तुम्हारा
जिस जगह तुम मुझे छोड़ गए थे

मै अपनी मंजिल का रास्ता भूल गया हू
सिर्फ तुम्हारा रास्ता अब याद है मुझे

कहीं तुमने अपना रास्ता तो नहीं बदल दिया
सिर्फ मेरे होने से वहां

मै इंतज़ार में तुम्हारे नजर जमाए बैठा हू
सिर्फ तेरे लिए की तू आएगी यहां

मेरी निगाहें टकटकी लगाए
सिर्फ तुम्हारा इंतज़ार करती है

बिन पलक झपकाए बस तुम्हे देखने के लिए
मेरी सांसे आहे भरती है।

कब तुम आओगे और कब , कब मै तुम्हे देख पाऊंगा
सब कुछ भूल जाता हूं तुझे देखने के लिए

मै तेरे समय पर आ जाता हूं,
लेकिन सिर्फ इंतज़ार ही करता हुआ नजर आता हुआ।

ना जानें कहां तुम चली जाती हो
खो जाती हो मेरी आंखो से औझल सी नजर आती हो।

क्या तुम मुझे देखकर अपना मुंह मोड़ चली जाती हो
क्या रास्ता बदल कही और से निकल जाती हो ?

मेरी निगाहों से कैसे बचकर तुम निकल जाती हो
टूट गया हू मै क्या तुम इतना नहीं समझ पाती हो ??

मन की मनगढ़ंत बाते

मन की मनघड़ंत बाते
मनघड़ंत बाते इस मन की
मन भी ना जाने कैसी कैसी बाते घड़ता है,
ये अजीब सी कुछ अटपटी सी मनघड़ंत बाते मेरा मन करता है

कुछ किस्से खुद ही बुनता है, कभी कहानी सुना देता है
कभी गुस्से में होता है तो
कभी प्यार करता है
जब ये बाते बुनता है

तब ये किसी की नही सुनता है
बस मनघड़ंत-बस मनगढ़ंत
बाते ये मन बुनता है

कुछ देखी , कुछ सुनी बाते ये मन करता है
मन की भीतर दबी बात होती है
जब कोई लाइन मैं आगे आकर खड़ा हो जाता है,
बिना मतलब हमे पीछे कर जाता है
मन भीतर गुस्सा तो बहुत आता है

लेकिन
कुछ कह नही पाते हम
बस कोसते हुए जाते हम
जब कोई धक्का मार चला जाता है,
सॉरी बोलकर अपना पीछा वो छुड़ा जाता है
जैसे सॉरी से क्या सब कुछ ठीक हो जाता है,
अजी कोई बिना मतलब के गाली देता है,
छोटा समझकर कोई छेड हमे जाता है

जब कोई उम्र में छोटी लड़की भी यह लेडीज
सीट है  बोलकर उठा देती है ना शर्म आती है
उसे ना लाज
बस मेरे मन की गाली तो  मेरे मन भीतर दब रह जाती है

बिना मतलब रोड पर चलते हुए टक्कर कोई मार जाता है और पीछे मुड़कर भी नही देखता है
बस अनदेखा कर मरता हुआ बीच रोड छोड़ चला वो जाता है ,
बिना कान लीड लगाए मेट्रो और बसों में जब कोई मोबाइल पर गाना बजाता है
गुस्सा तो बहुत आता है,
पर मन की बात मन में ही रह जाती है।

जब गुटका खाकर बाहर बस के थूकता है
वो छीटे मुझ पर आती है लेकिन कुछ हो नही पाता है

जब पुलिस स्टेशन में एक FIR के लिए चक्कर लगता हूं
हल कुछ निकल नही पाता है
जब एक केस के लिए कोर्ट के चक्कर लगता हूं
जब पुलिस वाला हफ्ता वसूल कर जाता है
डीटीसी बस का कन्डक्टर पूरे पैसे देने पर टिकट नही बनाता है।

बोलता है बैठ मेरे पास उत्तर जाना आराम से,
और कई बार गलत टिकट वो बनाता है,
आम आदमी हूं मुझे कुछ समझ नही आता है
गुस्सा तब आता है जब खाकी वर्दी वाला  भी गाड़ी पकड़कर चलान  काट जाता है।

रोकता है परेशान करता है चलान भी नही देता है
बस 500 का नोट लेकर ही वो छोड़ता है, मेरा मन मनगढ़ंत बाते बनाता है

लेकिन कुछ कर नहीं पता है बस दबी हुई ,मन की बाते मन में रह जाती है।

उल्फत

बड़ी उल्फत हुई
बड़े ख्याल आए 
बड़ी बाते हुई
कुछ सवाल ओर कुछ जवाब
जिनमें सिर्फ तेरा ज़िक्र था
बस
उनको ही तव्वजो दी इसलिए
आज वो नहीं है पास
तो यह ख्याल भी है उदास
उनके ना आने से वापस
मेरा यह दिल भी हो गया
अब हताश

उल्फत
उल्फत