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झूठी मोहब्बत

झूठी मोहब्बत, यकीन नही आता
तुम्हे भी मुझसे
मोहब्बत थी
वो भी झूठी

वादे थे हमारे, वचन थे सुहाने,
पर अब ये सब लगते हैं वो सब ठगने।

तुम्हारी हंसी, तुम्हारी मुस्कान,
अब हर सब्बा में बस एक बहाना निगलते हैं।

जैसे रात का अंधेरा, जैसे ख़्वाबों का धोखा,
तुम्हारी बातों में छुपा था एक बड़ा सच्चा।

प्यार का वादा था, इकरार की आस,
पर तुम्हारे दिल का कच्चा, बोलता था झूठा वास।

मोहब्बत का झरोखा, दिखावे की दुकान,
तुम्हारे लिए ये सब था सिर्फ़ एक फ़साना।

अब दिल में ये गुज़रते हैं तूफ़ान,
तूम्हारी मोहब्बत की ये थी कहानी जहान।

सोचा था तुमसे मिलकर हम बनेंगे ज़माना,
पर तुम्हारे दिल का रास्ता था बस एक धोखा साना।

अब ज़िंदगी की कविता में ये शब्द लिखता हूँ,
तुम्हारी झूठी मोहब्बत का सत्य प्रकाशित करता हूँ।

वो झूठी मोहब्बत
झूठी मोहब्बत

जिंदगी से जिंदगी

बीते हुए दिन
जिंदगी से जिंदगी कि कुछ मुलाकातें
जो अधूरी थी शायद पूरी भी ना हो सकी
ओर कभी शायद पूरी अब हो भी ना सके
क्युकी वो दब गई, दफन हो गई

उन बीते हुए दिनों में, उन बीते हुए दिनों
जिनमें मैने बहुत सारी नादानी की थी
क्या उन नादानियों को फिर से याद करूं?
ऐसा क्या ख़ास है?
उन बीते हुए दिनों में, जिंदगी से जिंदगी की कुछ मुलाकाते

जो मै फिर से जाऊ उन पुरानी यादों में,
बातो में,
क्यों गुम हो जाऊ?
क्या है ख़ास?
है क्या ख़ास?

नहीं पता, मुझे नहीं पता
लेकिन फिर भी ना जाने क्यों?
ना जाने क्यों?
वो बीते हुए दिन बहुत याद आते है
वो बीते हुए दिन याद आते है

लेकिन क्या करे वो तो बीते हुए दिन है कुछ किया नहीं जा सकता
याद आते है, बताओ आते है ना
वो दिन
वहीं पुराने दिन जो तुम बिताए थे

उनमें तुम्हारा बचपन भी था, लड़कपन, जवानी, झगड़ा भी था।
कभी मासूमियत थी तो कभी धोखा था तुम्हारे चेहरे पर
लेकिन कुछ था
पता नहीं क्या था
पता नहीं क्या था

लेकिन सभी मुझे कहते है वो कुछ खास था
क्युकी वो बिता हुआ एक पल
एक दिन
महीना, महीने , साल एक उम्र का पड़ाव था
जो बीत गया , वो बीत गया

फिर वो आ ना सका
फिर वो आ ना सका
बस अब उन दिनों की यादें है
जो बीत गए है

जो बन्द हो गए है डायरी में, पन्नों में,
कलम की स्याही से जिन्हे फिर ठीक भी नहीं किया जा सकता
उनको फिर से जिया भी नहीं जा सकता
उनमें सिर्फ दबी मुस्कुराहट,
दबे आंसू, झलकता जाम

ओर धुंधली यांदे है जिनको फिर से याद करने की कोशिश की जा सकती है
लेकिन जीवित नहीं किया जा सकता वो दिन,
वो बीते हुए दिन मेरे भी नहीं है,
खोए भी नहीं है सिर्फ जिंदा लाश की तरह दफन है,

उन्हें मै फिर से याद कर रहा हूं
क्युकी वो मेरे बीते हुए दिन है
बीते हुए दिन है, जिंदगी से जिंदगी की मुलाकते है।

यह भी पढे: जिंदगी क्या है, जिंदगी कैसी है, क्या है जिंदगी, जिंदगी बस इसी तरह,

तेरी यादे

तेरी यादे बन बैठा हूँ मैं तेरी मोहब्बत में,

ख्वाबो का पुतला सा

मैं कुछ कह ना पाऊ

कुछ सुन ना पाऊ

बस बेसुध सा नजर आउ मैं

ये जो तुझसे मोहब्बत हुईं

ना पाकर घबराऊँ मैं….