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कुछ इश्क

कुछ इश्क भर की बात थी, कुछ खास उसके साथ मुलाकात थी, वो मोहब्बत हुई ऐसे जैसे बिन बादल बरसात थी वो मेरी एक नई जिंदगी की शुरुआत थी,कुछ नई नई सी जिंदगी के साथ बात थी चंद रोज पहले हुई मुलाकात थी , उन मुलाकातों के साथ ही जिंदगी की बात थी कुछ इश्क भर

इश्क ने हमें जीने का मज़ा सिखाया है,
दर्द को भी हंस कर सहना सिखाया है।

उनकी यादों में खोये रहना अच्छा लगता है,
शायद उनसे मिलने का इंतज़ार करना अच्छा लगता है।

जब उनकी आँखों में आप ही नज़र आते हैं,
तब दिल के हर रंग नए नज़ारे से भर आते हैं।

दिल में उनकी खुशियों का थिकाना होता है,
हर दिन उन्हें देखने का उम्मीद में धीरे-धीरे जीता है।

इश्क की दुनिया में हर पल कुछ नया सीखते हैं,
दिल की बातें बिना बोले ही समझ जाते हैं।

जब उनके साथ होते हैं, तो दुनिया कुछ नहीं लगती,
उनके बिना हमारी जिंदगी अधूरी सी होती।

इश्क ने हमें जीने का मज़ा सिखाया है,
दर्द को भी हंस कर सहना सिखाया है।

जब तक इश्क हमारे दिलों में बसा रहेगा,
हम खुशियों की दुनिया में जीते रहेंगे।

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यह जिंदगी

यह जिंदगी कही गुम ना हो जाए ,जीवन की उस उछल कूद मे भागती दौड़ धूप में , चकाचौंध नजारों में ,चमक धमक में ,यह जिंदगी कही गुम न हो जाए

यह जिंदगी कही गुम न हो,
खुशियों की राहें हमेशा खुली हो।
हर दिन नयी खुशियों से भरा हो,
जीवन की राहों में आगे बढ़ते जाओ सदा।

ज़िंदगी का सफर थोड़ा मुश्किल हो सकता है,
कुछ दिन कुछ आंसुओं के साथ गुजर जाएंगे।
पर चिंता मत करो, आशा का दीप जलाकर,
जीवन के हर पल को खुशी से जीते जाओ सदा।

हर एक पल को खुशी से जीतो,
सपनों को दिल में समेटो और खेलो।
जीवन की राहों में आगे बढ़ते जाओ सदा,
खुशियों की राहें हमेशा खुली हो।

चलते जाओ आगे, अपने सपनों की ओर,
जीवन का सफर थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
पर आशा और उम्मीद का दीप जलाकर,
जीवन के हर पल को खुशी से जीते जाओ सदा।

यह जिंदगी कही गुम न हो,
खुशियों से भरी राहें हमेशा खुली हो।
हम सब मिलकर इस जीवन की खुशियों को बाँटें,
खुशियों के साथ जीवन की सारी यादें संजोते जाओ सदा।

शब्द हूँ मैं

शब्द तो बन बैठा हूँ

लेकिन शब्दों को कह नहीं पाता हूँ

बस खुद में ही कही नजर आता हूँ

शब्द हूँ शब्दों से कतराता हूँ

कभी छुपक जाता हूँ ,

कभी दुबक जाता हूँ ,

बाहर नहीं आ पाता  हूँ ,

घबरा कर बैठ भीतर ही जाता हूँ ,

यू मुझमे छिपा दर्द बहुत लेकिन कह कुछ नहीं पाता हूँ

बिना मतलब के चिल्लाता हूँ

हर किसी को बताता हूँ

शब्द हूँ मैं

लेकिन कुछ बोल नहीं पाता हूँ

भीतर की गहरी बाते जुबा पर ला नहीं पाता हूँ

जब भी बारी आई मेरी बोलने की सहमा सहमा नजर आता हूँ

शब्द हूँ मैं

लेकिन ज़्यादार मौन ही नजर आता हूँ

शब्द हूँ मैं

ना जाने ये बात भी कैसे जान पाया हूँ

लेकिन किसी को बता नहीं पाया हूँ