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SEO फ़्रेंडली ब्लॉग

SEO फ़्रेंडली ब्लॉग लिखिए : अगर आप एक नए ब्लॉगर हों और आप अपने ब्लॉग में अपने पाठकों को सेओ फ्रेंडली बनाना चाहते हैं, तो यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप अपने ब्लॉग में SEO दोस्ताना तकनीक का उपयोग करें। SEO दोस्ताना तकनीक आपके ब्लॉग को सर्च इंजन रैंकिंग में ऊपर लाने में मदद करेगी और आपके पाठकों को आपके ब्लॉग की खोज में मदद करेगी।

यहां कुछ SEO फ़्रेंडली ब्लॉग लिखने के टिप्स हैं:

कीवर्ड रिसर्च करें: अपने ब्लॉग लेख के लिए कीवर्ड रिसर्च करना आवश्यक है। इससे आप अपने लेख में उन कीवर्डों का उपयोग कर सकते हैं जो आपके पाठकों की खोज के आधार पर बनाए जाते हैं।

ब्लॉग के शीर्षक का उपयोग करें: आपके ब्लॉग के शीर्षक आपके लेख के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से में होते हैं। आपके शीर्षक में अपने कीवर्ड का उपयोग करने से आपके ब्लॉग को खोज में उच्च रैंक मिल सकता है।

अपने लेख को अंशदान करें: अपने लेख को अंशदान करने से आपके पाठकों को आसानी से आपके ब्लॉग के विषय के बारे में समझ मिलती है। अंशदान में आप अपने कीवर्ड का भी उपयोग कर सकते हैं।

इंटरनल लिंकिंग का उपयोग करें: इंटरनल लिंकिंग के माध्यम से आप अपने ब्लॉग के विभिन्न पोस्ट्स को जोड़ सकते हैं। इससे आपके पाठकों को अन्य अधिक जानकारी मिलती है और आपके ब्लॉग का ट्रैफिक बढ़ता है। इसके अलावा, इंटरनल लिंकिंग से सर्च इंजन को आपके ब्लॉग की संरचना के बारे में भी पता चलता है।

सामग्री का लंबावदी और उपयोगी होना चाहिए: आपके ब्लॉग की सामग्री को लंबावदी और उपयोगी बनाने की कोशिश करें। यह आपके पाठकों को आपके ब्लॉग पर वापस आने के लिए प्रेरित करेगा।

सोशल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग करें: सोशल मीडिया प्लेटफार्म से आप अपने ब्लॉग को अधिक साझा कर सकते हैं और अपने ब्लॉग का ट्रैफिक बढ़ा सकते हैं।

बिना वापसी के बिक्री की अनुमति न दें: अपने ब्लॉग पर सामग्री और लिंकों के माध्यम से आप अपने पाठकों को अन्य साइटों पर भेज सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आपके पाठक वापस आने की संभावना नहीं रखते, अगर आप उन्हें बिना वापसी के बिक्री की अनुमति देते हैं।

इन SEO फ्रेंडली ब्लॉग लिखने के टिप्स का उपयोग करके आप अपने ब्लॉग की संरचना को बेहतर बना सकते हैं और अपने पाठकों को अधिक उपयोगी सामग्री प्रदान कर सकते हैं। सेओ दोस्ताना तकनीक के उपयोग से आप अपने ब्लॉग के ट्रैफिक को बढ़ा सकते हैं और अपने पाठकों की खोज में आसानी से आपके ब्लॉग को ढूंढ़ सकते हैं।

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हमारा जीवन

हमारा जीवन कायनात का हिस्सा…..
छोटे से हिस्से का मनों टनो का क़िस्सा ।

मेरे मन कुछ और….
कायनात की अलग ठौर ।

हम कुछ करते फ़ैसले…..
कायनात अलग चाल चले ।

कार्य न होने के एक लाख कारण….
कायनात ऐसा रूप धरती धारण ।

हमारे फ़ैसले नहीं पक्के…..
उसके जोड़ और धागे कच्चे ।

कायनात के फ़ैसले बड़ा समीकरण….
बस सीखे करना उसका अनुकरण ।

जीवन में कुछ भी नहीं पक्का….
यहाँ चलता कायनात का सिक्का ।

करे कोशिश बाक़ी छोड़े कायनात पे…
बस अपनी कोशिश में सौ प्रतिशत दे ।

हमारा जीवन कहने को तो हमारा लेकिन है यह उधारा , हम अपना सिर्फ़ सौ प्रतिशत दे सकते है वो भी हर कोई देता नहीं लेकिन व्यक्ति विशेष को लगता है कि उसने अपना सौ प्रतिशत दिया है ।
हम एक विशाल कायनात का बूँद से भी छोटा सा हिस्सा है इस कायनात में अरबों खरबों या उससे भी कही ज़्यादा हर पल हर क्षण बदलाव हो रहा है कही न कही पता या ना पता होते हुए हमारे जीवनों को हमारे किए फ़ैसलो को वो प्रभावित या पलट रहा है कायनात का फैसला अटल अपरिवर्तित और कई मायनों में अच्छा न लगते हुए भी अच्छा है क्योंकि कायनात सब कुछ जानती है समझती है किसको किस समय क्या मिलना है क्या उसके लिए अच्छा है बुरा है उससे अच्छा कोई नहीं जानता ।
यह कितना कठिन है किसी के साथ दिख रहा है बुरा हुआ है लेकिन सत्य है कि वो घटा है बंदा उल्टा हो जाता है लेकिन कोई मदद नहीं कर सकता फिर लगता है कायनात का बहुत कठोर फैसला है जो बहुत मुश्किल है साधारण जन के लिए ।

इन सब बाँतो के प्रकाश में समझ आता है हम अपना सौ प्रतिशत दे और और कायनात की मर्ज़ी पर डाल दे ।
कायनात के फ़ैसले का जो जैसा भी है उसे माने समझे और उसके अनुरूप अपने जीवन को ढालने का प्रयास करे बस इतना ही कहना है वाणी को विश्राम ।

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किताब

क्या आप को मालूम है दुनिया की पहली किताब या कहे धर्मग्रन्थ ऋग्वेद है जो भोज पत्र पे लिखा गया था और उसकी प्रति पुणे में फ़िलहाल भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टिट्यूट में रखी हुई है
सबसे पहले मानव पत्थरों में उकेर के लिखता था और लेखन का सबसे पहले प्रमाणित सूचना आती है प्राचीन सुमेर से वहाँ कृषि के लेन देन और अनुबंधों के दस्तावेज़ो को संभलने के लिए किया गया था फिर यह फैलते फैलते इसका उपयोग वित्त , धर्म ,सरकार , क़ानून आदि अन्य विषयों को अपने ऊपर आश्रित कर लिया

यह एक पूरा विशाल चक्र है जिससे किताबें गुज़री है आज जो हम किताबों का स्वरूप देख रहे है वो इतने सारे बदलावो के बाद हम तक पहुँची है ।

किताबों का अर्थ हो सिर्फ़ और सिर्फ शुद्ध ज्ञान का विस्तार प्रचार चाहे वो विज्ञान हो चिकित्सा हो सामाजिक हो आर्थिक हो शैक्षिक हो या प्रेरणादायक हो कला से जुड़ी हो आध्यात्मिक ज्ञान धार्मिक ज्ञान की हो वहीं सच्ची और अच्छी जिनमे लेश मात्र भी लाग लपेट ना हो और प्रामाणिक हो तभी वो आपने श्रोता से न्याय कर सकेंगी और सच्ची बातों और ज्ञान का प्रचार हो सकेगा तब अच्छे शिक्षक बन सकेंगे और इस ज्ञान का प्रचार प्रसार में सहायक बन पायेंगे ।

किसी देश की जैसी किताबें प्रारंभिक शिक्षा , माध्यमिक शिक्षा या उच्च शिक्षा में होंगी वेसे ही वहाँ के लोगो का माँग , सोच और व्यक्तित्व होगा ये सत्य है ।

मैं इस लेख के माध्यम से कहना चाहूँगा जो मुझे बहुत दिल से लगता है कि आक्रांताओं द्वारा देश और हमारी शिक्षा को नुक़सान पहुँचाया गया चाहे वो नालंदा विश्वविद्यालय को आग लगाकर इतनी बेशक़ीमती ज्ञान की पुस्तकें जल कर राख हो गई जिसकी क्षतिपूर्ति कभी नहीं हो सकती या फिर अंग्रेज बहुत ही चालाक थे उन्होंने भारत देश की पीढ़ी को बर्बाद करने के लिए हमारी शिक्षा प्रणाली जो की गुरुकुल माध्यम की थी उसको पलट दिया और अंग्रेज़ी भाषा को बढ़ावा देने का माध्यम से लार्ड मेकले की शिक्षा नीतियों के आधार से कितावों का निर्माण किया और उनकी नीति इस प्रकार बनाई गई जिसने भारतीय व्यक्ति ग़ुलाम ( नौकरी माँगने वाला ) बने ज़्यादा सोच न सके और हमेशा ग़ुलामों की तरह सोचे जिसका भुगतान हम आज तक भोग रहे है बच्चे पढ़ते है अंक अर्जित करना उसका उद्देश्य चाहे सामाजिक ज्ञान शून्य हो उनका दिमाग़ सरकार से नौकरी माँगता है इसमें उनकी गलती नहीं है यह होता है किसी सभ्यता को नष्ट करने का तरीक़ा तो यह ताक़त है किताबों की ।

मेरा कहना है हम् सब को मिलकर निरंतर शोध कर अच्छी पुस्तकें और हो वो सस्ती किताबे जो व्यक्ति के ज्ञान और उसके विकास में सहायक हो करमबद्ध तरीक़े से हमारी आने वाली नस्लों को पढ़ने के लिए मिले हर विषय में हर क्षेत्र जिससे उनका सर्वांगीण विकास हो और देश का विकास हो।
किताब या कहे पुस्तक देश को व्यक्ति को बना सकती है या उसकी हस्ती मिटा सकती है ।
तो बड़ी ही जागरूकता से अपने पठन के लिए पुस्तकों का चुनाव करे और सरकार देश के शिक्षाविद और प्रभुद्ध वर्ग से हम सब मिलकर माँगे की एक उज्वल शिक्षा नीति और पुस्तकें वो जो देश और व्यक्ति के विकास में अच्छी किताबों का प्रचार प्रसार करे ताकि भविष्य का भारत खूब तरक़्क़ी करे उसका भविष्य उज्जवल हो।

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विनम्रता ही सम्पदा

विनम्रता ही सम्पदा
हृदय नहीं किसी का दुखा ।
बोझल चेहरे को हंसा….
देगा वो तुझको  दुआ ।

विनम्रता का सदा बड़ा रहे क़द….
जैसे सौदा अच्छा लगता नक़द ।
बोझिल चेहरे को तू दे हंसा….
ये सब बिन पैसे की मुफ़्त दवा ।

विनम्रता ही सम्पदा है,
हृदय नहीं किसी का दुखा।
बोझल चेहरे को हंसा,
देगा वो तुझको दुआ।

जीवन की धूप और छाँव में,
चलता रहे तू अचम्भा।
खुशियों की बौछार बरसाए,
बना दे तुझे आदर्श संभा।

दूसरों की दुःखों में तू,
सहानुभूति का आयाम हो।
दया और करुणा की झरोखों से,
छाती चौड़ी कर जयाम हो।

समय के अवसर पर तू,
सदैव विनयपूर्ण रह।
अपनी महानता छिपाए नहीं,
बल्कि हमेशा प्रकट कर दें वह।

संगठन और समाज में,
तू नेतृत्व का मार्गदर्शक हो।
विनय की आड़ में सबको ले,
भाईचारे का नूतन प्रस्ताव हो।

विनम्रता ही संपदा है,
हृदय नहीं किसी का दुखा।
बोझल चेहरे को हंसा,
देगा वो तुझको दुआ।

विनम्रता से जीने का,
सबसे बड़ा आदर्श हो।
इंसानियत की महिमा चलाए,
खुशहाली का रास्ता सादर हो।

चाहे जितनी चमक हो तेरे पास,
विनम्रता की किरण चमकती रहे।
इस संसार में तू राहत दे,
विनम्रता से जीने वाले हरें।



समय बीत रहा है

समय बीत रहा है, दिन बस यूं ही बीत रहे है, जैसे मैं कुछ नही कर रहा इस वक्त बस नींद पूरी कर रहा हूं और बिना कुछ किए ही समय की हानि मैं कर रहा हूं, समय को व्यर्थ किए जा रहा हूँ

यह समय बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन फिर भी व्यर्थ के कार्यों में व्यतीत हो रहा है, इस पर नियंत्रण में नही कर पा रहा हूं, बस समय यू ही भागा जा रहा है, जिस पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं आ रहा है।
अपने समय को खोना बहुत ही निराशा से भरा हुआ एहसास होता है और यह समय फिर लौटकर नहीं आता यही सोचकर मैं कई बार घबरा जाता हूं। उस लौटे हुए समय को वापस भी नहीं ला पाता हूँ। खुद को बहुत सारी गलतिया करता हुआ ही नजर आता हूँ।

मैने लगभग 11 महीने का समय खराब कर दिया है जब मैं बहुत कुछ लिखना चाहता था लेकिन शायद मैं उतना लिख ही नही पाया, बहुत कुछ सोचना मैं चाहता था लेकिन उतना मैं सोच भी नही पाया बस इधर उधर के कार्यों में ही मैंने अपने समय को व्यर्थ में गवाया।

मैं बार बार किसी काम एक नई शुरुआत करता हूं और फिर से जीरो पर खड़ा हो जाता हूं, दूबारा उतनी मेहनत और उतना और उससे भी अधिक दिमाग लगाता हूं, नया काम करने के लिए नई चीज को सीखने के लिए फिर से नए कार्यों मे सफल होने के लिए,

लेकिन कुछ समय बाद ही मेरा मन उस कार्य से हट जाता है, उस कार्य के साथ मुझे बोरियत महसूस होती है सिर्फ पैसा कमाना ही जरूरी नहीं है, लेकिन उस कार्य में उतना आनंद भी आना चाहिए तभी उस कार्य के साथ लगातार रहा जाता है। उस कार्य को पूरे मन से किया जाता है।

समय बस यू ही बीत रहा है।

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अपने पे रखे नज़र

अपने पे रखे नज़र हम दिखते कैसे है…
यही मुद्दे की बात हम दिखते कैसे है।
असली लेबोलबाब हम दिखते कैसे है….
इसी बात सब राज हम दिखते कैसे है ।

जो दिखता है वही बिकता है ….
वो व्यापारी की नज़र रखता है ।
असल में तो हम अपनी नज़र से कैसे है…
वही सच में आप है , अपनी नज़र दिखते कैसे है ।

अपने पे नज़र रखे हम दिखते कैसे है,
यही मुद्दे की बात हम दिखते कैसे है।
असली लेबोलबाब हम दिखते कैसे है,
इसी बात सब राज हम दिखते कैसे है।

हम आहुति हैं साहस की, न रुकने वाले युद्धों की,
जो अथाह विश्वास रखते, कठिनाइयों को चुनौती देते।
हम वीरता के अम्बार में चमक, अद्वितीय स्वाभिमान की,
पर दिखने का तरीका, यह जग न समझे, हम जानते हैं बस खुदाई की।

सबके होंठों पर हंसी हो, लेकिन सच्चाई हमारी हो,
चाहे चुप रहें हम, जैसे ज्ञाता नहीं हमारी हो।
हम कवच हैं सत्य का, जो न टूटे कभी विपरीत में,
बदलने से तोड़ देंगे नहीं, इस जग के फ़रमान को हम पर मिले विपरीत में।

अपने कर्मों में छुपी है, हमारी असलियत गहराई में,
हम पर नज़र रखने वालों को है यह सच्चाई में।
हम अद्वितीय व्यक्तित्व के साकार हैं, अज्ञात जग में छिपे हुए,
बस खुद का साथी हैं हम, बाकी सब बने रुखे हुए।

जगत के राजों की जड़ में है विद्या की वृक्षारोहण,
हम अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ते जाते हैं अग्रणी।
हार नहीं मानते हम, जीत के लिए बने हैं हम आदी,
जिसे देखते हैं सब राज, वही हमारी पहचान है प्रमुख हदी।

अपने पे रखे नज़र हम दिखते हैं जैसे कैसे,
यही मुद्दे की बात हम जानते हैं कैसे।
असली लेबबोलबाब हम दिखते हैं कैसे,
इसी बात सब राज हम दिखते हैं कैसे।

यह हैं हमारी प्रखरता, जो छिपी हैं हमारे अंदर,
जग में लहराते हैं हम, अपने वीरता के प्रमाण पर।
हमारे हृदय में धड़कन, जो लहराती हैं गर्व के साथ,
महसूस करो यह जग, हमारी उच्चता की अवाज़।

हम सृजनशीलता के प्रतीक, जो जगत में चमकते हैं,
अपने विचारों के आचरण, जो जग को प्रेरित करते हैं।
हम उज्ज्वल आध्यात्मिकता, जो जगत में छाती चौड़ी करते हैं,
मिटाओ अंधकार को, बन जाओ ज्ञान के बिरादरों के सरदार।

हम अस्थायी नहीं, दीर्घकालिक प्रतिष्ठित हैं,
जहां जाते हैं हम, उज्ज्वलता छोड़ जाते हैं।
हम सहायता के प्रतीक, जो जगत को बचाते हैं,
बढ़ते हैं हम सबके साथ, जीवन के रास्ते साथ चलाते हैं।

हम अपने कर्मों के धर्म में जीने का जन्म लेते हैं,
जन जन को जागृत करते हैं, सत्य के पथ पर चलते हैं।
जग को दिखाते हैं हम, अपनी सत्यता के बादशाही,
हम अपने पे रखे नज़र हैं, जग को दिखते हैं कैसे हमारी महिमा।

पुराने पत्ते

पुराने पत्ते गिरते प्रकृति नये पत्ते से होती सुशोभित….
पुराने पत्ते होते धरती माँ की गोद में समाहित ।
यह जीवन चक्र है स्वीकारता का नियम…
नया आ और पुराना जा रहा है ,आनंद का आदित्य संगम ।
प्रकृति का बदलाव में विश्वास ….
सब सतत घटता सब कुछ अनायास ।
पुराने पत्ते गिरते धरती की गोद में…
छोटी बढ़ी घटनाये हो रही विचित्र संयोग से ।

पवित्र धरा पर फूलों की चादर बिछाई है,
नये पत्तों ने रंगों का मेल दिखाई है।
वृक्षों की छाया में बचपन की यादें चमकती हैं,
पुराने पत्तों की आहट में मन हर्षित हो जाता है।

जैसे जीवन का नियम है स्वीकारता का,
पुराना जाता है, नया आता है बिना ठहरता।
पत्ते गिरते हैं वृक्षों से एक नयी उम्मीद के साथ,
नये पत्ते आते हैं खुशियों की लहरों के साथ।

हर रंग पुराने पत्तों की कहानी सुनाता है,
हर नया पत्ता नयी उम्मीदों को जगाता है।
धरती माँ की गोद में पत्तों की छाया रहती है,
वो अनन्त सृष्टि की गाथा सुनाती है।

यह जीवन चक्र है सुंदरता की कहानी,
पुराना जाता है, नया आता है सदैव जवानी।
प्रकृति की गोद में हर रोज़ उत्थित होते हैं,
नये पत्ते जीवन को नवीनता से भरते हैं।

चलो, आओ इस खेल में सम्मिलित हो जाएँ,
पुराने पत्तों की यात्रा में संगीत खिलाएँ।
हर एक पत्ता अनमोल है, चमकता है यह संसार,
धरती माँ की गोद में हम सब समाहित हैं प्यार।

यह जीवन चक्र है स्वीकारता का नियम,
पुराना जाता है, नया आता है सदैव निरंतर।
चलो, इस आदित्य संगम में खो जाएँ हम,
नयी उम्मीदों के साथ जीवन को समर्पित करें।

वीरवार

दिन वीरवार जब मैं अपने बैंक के काम के लिए निकला मुझे अपनी मम्मी के अकाउंट को उत्तम नगर की ब्रांच में ट्रांसफर कराना था, जिसके लिए मुझे अपने पुराने वाले घर की ओर जाना था हम अब द्वारका रहते है ओर पहले हरिजन बस्ती में रहते थे, घर के पास ही हमारे बैंक की ब्रांच है सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जिसको अब उत्तम नगर की ब्रांच में ट्रांसफर कराना था जिसके लिए मैं कल वह गया, मैं वीरवार को मेट्रो से नहीं गया मैं बस में गया ओर मैंने 50 रुपये वाला रोजाना का एक पास बनवा लिया, जिसमे आप जितना मर्जी सफर कर सकते है, पूरे दिन ओर कितनी ही बार आप बस बदल सकते है, ये एक बेहतर विकल्प है यदि आपको बहुत सारी जगह जाना हो, ओर यदि आपको सिर्फ एक ही जगह जाना आना है तो आप मेट्रो को लीजिए वो एक अच्छा साधन है।

मैं वीरवार को बैंक गया वहाँ मैंने अपने पेपर जमा किए ओर मैं वहाँ से निकल चल उसके बाद मैं अपने दूसरे बैंक चल निकल जो शक्ति नगर में है, वह एक सोसाइटी का बैंक है, वहाँ मैं पहले पैसे निकालने के लिए फॉर्म करके आया था, वह एक दिन बाद दुबारा बुलाते है चैक देने के लिए, उन्होंने मेरा चैक बनाकर रखा हुआ था, मैंने अपना चैक लिया ओर मैं वहाँ से भी निकल चल पड़ा आज वीरवार था आज उनका बैंक बंद नहीं था यह बैंक सोमवार को बंद होता है, अब मैं सोच रहा था की किधर जाऊ अब मैं जा रहा था, आजाद मार्केट उधर टॉफी की मार्केट देखने के लिए चल निकला,

मैं अब आजाद मार्केट की टॉफी मार्केट में पहुच गया ओर उसके साथ साथ मैंने क्राकरी मार्केट भी देखी वहाँ बहुत सस्ती क्रॉकरी थी ओर बहुत अलग अलग तरह की क्राकरी में आइटम उपलब्ध थी, जो घर में इस्तेमाल करने के मतलब की थी ओर आप रेस्तरा खोलने की सोच रहे हो तो इधर आपको सस्ता क्राकरी का सामान मिल जाएगा।

थोड़ी देर पैदल चलते चलते में आजाद मार्केट के चौक तक पहुँचा उधर पूरा बाजार मेवे का है हर तरह के मसाले ओर मेवा यही मिल जाता है जो सही दाम में मिलता यदि आप बाजार से मेवा खरीद तो एक बार आपको इधर भी कोशिश करनी चाहिए इधर आपको सस्ते दामों पर मसाले, डाल, व मेवे की सभी किस्म मिल जाती है। ओर वो उचित दाम में आपको मिल जाते है। कुछ देर घूमने के बाद मैं निकल चल पड़ा चाँदनी चौक की तरफ अब मैं जा रहा था क्लॉथ मार्केट इस मार्केट में आपको कपड़ों के थान ही थान मिलते है चाहे आप किसी भी प्रकार के कपड़े लेना चाहते हो आपको इस बाजार में मिल जाएंगे, इधर परदे, कामिट ओर पैंट आदि कुछ भी आपको चाहिए हो उसका पूरा थान मिल जाएगा, इधर से चलने के बाद अब मैं काफी थक चुका था क्युकी मैं काफी देर से मैं पैदल ही चल रहा था अब मेरा मन घर जाने को कर रहा था, लेकिन उसके बाद खारी बाओली की मार्केट में पहुच गया ओर मैंने कुछ देर फिर से टॉफी की दुकाने देखी इधर बहुत तरह की टॉफी थी, खरी बाओली सभी तरह का सामान मिलता है यहाँ भी आपको किराने में रखने वाला सामान व जैसे दाल, चावल चीनी, मेवा, मसाले आदि सभी समान थोक में मिलता है यहाँ , यदि आपको इधर खुला साबुन ओर किलो के भाव में साबुन चाहिए हो इस मार्केट में कई दुकाने है जिनके पास खुला साबुन किलो के भाव में मिलता है।

काफी देर इधर भी घूम लिया अब मैं ओर भी थक चुका था लेकिन मेरा रास्ता अब सादर से होते हुए मुझे राजीव चौक या आर के आश्रम मेट्रो स्टेशन पर पहुचना क्युकी बस से जाने की अब मेरी हिम्मत नहीं थी, क्युकी बहुत समय लग जाता मुझे बस से जाने में इसलिए मैंने सोचा की मैं मेट्रो से चलता हूँ सादर बाजार में चलते हुए काफी भीड़ थी जैसे तैसे मैं सादर चौक पहुचा ओर मैंने वहाँ से बैटरी वाला रिकसा पकड़ जिसने मुझे नई दिल्ली पर छोड़ दिया इधर से मैंने शंकर मार्केट की बस पकड़ी ओर अब जब मैं राजीव चौक उतार ही गया हूँ तो मैंने शंकर मार्केट के राजमा चावल खाने की सोची लेकिन मुझे ज्यादा नहीं खाने थे इसलिए मैंने उनसे हाफ प्लेट राजमा चावल की बोली लेकिन वो हाफ प्लेट नहीं देते इतना ज्यादा मैं खाना नहीं चाहता था ओर बर्बाद करना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है, इसलिए मैं वहाँ से चल पड़ा ओर एक patty खाई मैंने थोड़ी दूर जाकर फेर मैं मेट्रो स्टेशन पहुच गया अब मैं राजीव चौक से मेट्रो लेने के खड़ा हो गयालेकिन सभी मेट्रो इतनी भारी आ रही थी बैठने क्या खड़े होने की भी जगह नहीं दिख रही थी, इसलिए कुछ मेट्रो छोड़ दी, कुछ देर बाद जब मेट्रो थोड़ी खाली आई तो मैं उसमे चल निकल बैठने के लिए सीट तो नहीं मिली बस खड़े खड़े ही घर तक सफर पूरा करना पड़ा।

घर पहुंचा काफी थक गया था जाते ही मैं कुछ देर आराम कर मैंने अपना रात का खाना खाया ओर सो गया कुछ देर काम करने के लिए मैंने लैपटॉप शुरू तो किया लेकिन थकावट की वजह से काम नहीं कर पा रहा था, इसलिए ऐन जल्दी ही लैपटॉप बंद करके सो गया ओर लेटने के तुरंत बाद ही मुझे नींद भी आ गई।

बस यह वीरवार वाला दिन कुछ इसी तरह से ही बीता

घुमावदेव

कुछ व्यक्ति बात को देते घुमा होते वो घुमावदेव
बात को देते इतना घुमा जैसे आसन करते श्री रामदेव ।
बाँतो की मंडी में दुकानो में मिलते नई नई क़िस्म के सौदे….
घुमावदेव को कुछ करना तो है वो तो बाँतो की दुनिया के शोहदे।

कुछ व्यक्ति बात को देते घुमा होते, वो घुमावदेव।
बात को देते इतना घुमा जैसे आसन करते श्री रामदेव।
बाँतों की मंडी में दुकानों में, मिलते नई-नई क़िस्म के सौदे।

उनकी बातें घूमती हैं जैसे वायुमंडल की धारा,
सुनकर लोगों को आता है विचारों का साहिल।
विचार-विनीति से युक्त उनकी वाणी,
जगमगाती है ज्ञान की दीप्ति से प्रकाशित।

जैसे श्री रामदेव आसन करते हैं योग,
वैसे घुमावदेव करते हैं दिलों का त्याग।
विचारों की यात्रा में घूमते हैं वे,
मन को देते हैं नवीनतम ज्ञान के सौदे।

बाँतों की मंडी में जब खड़े होते हैं वे,
नयी ख़ुशबू से महकता है विचारों का वन।
उनकी विचारधारा अनूठी है और अलग,
मिलते हैं उनकी बातें जीवन की नयी क़िस्म के सौदे।

घुमावदेव के साथ जगत रंगीन हो जाता है,
उनकी वाणी से आती हैं आनंद की लहरें।
चलिए, घुमावदेव की यात्रा पर चलें,
आपस में बाँटें प्रेम के सौदे, नवीनतम ज्ञान के बगीचे खोलें।

पैसों की बचत

पैसों की बचत क्यू जरूरी है: पैसों को ध्यान से खर्चे जहां जरूरत हो वही पर उसको खर्च करे, बेफिजूल के खर्च से दूर रहे, अपने खर्चों की लिस्ट बनाए व देखे की आप कहाँ खर्च कर रहे इससे आपको यह समझ आता है की आपका खर्च अनावश्यक कार्यों में तो नहीं लग रहा।

पैसों की बचत जरूर करे चाहे व बचत छोटी ही क्यू न हो, छोटी छोटी बचत करने से आपसे लंबी अवधि में ज्यादा बचत कर सकते है, आपकी बचत ही आपको भविष्य में फायदा देती है, अनिश्चित घटनाओ से बच जा सकता है।

खर्चे से ज्यादा इनवेस्टमेंट करने पर ध्यान दे, हर महीने के खर्चों की लिस्ट बनाए जिससे आपको आपके खर्चों का स्पष्ट रूप दिखेगा ओर आप अपने बेफिजूल के खर्चों पर रोक लगा सकेंगे।

यदि आप पैसों की बचत के लिए दस वर्ष का समय रखते है तो आपको बहुत लाभ मिलता है, समय तो बहुत जल्दी ही बीत जाता है लेकिन पैसे की बचत नहीं हो पाती उतनी इसलिए हमे पैसों की बचत के साधनों पर ध्यान देना चाहिए।

हमारा हाल आमदनी अठन्नी ओर खरचा रुपया है ऐसा हाल तो नहीं है इस बात को ध्यान में रखना चाहिए।

जब स्वतंत्रता की बात आती है तो पैसे बचाने के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता। वित्तीय स्वतंत्रता आपको आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह आपको अपनी पसंद और आराम के अनुसार जीवन जीने में मदद करता है। आपको अपनी पसंद की चीज़ों पर अपना पैसा खर्च करने और एक आरामदायक और समृद्ध जीवन जीने की स्वतंत्रता और अधिकार है।

पर्याप्त बचत होने से आप अधिक पूर्ण जीवन जीने में सक्षम होते हैं। आपको अपने भविष्य के लक्ष्यों जैसे सेवानिवृत्ति या स्वास्थ्य देखभाल जैसे अप्रत्याशित खर्चों के बारे में कम तनाव होने की संभावना है। बचत आपको राहत और आराम देती है, यह जानकर कि आपके पास जीवन में विभिन्न परिस्थितियों से निपटने के लिए पर्याप्त धन है।