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चलते चलो

चलते चलो रास्ता मिलेगा
एक किवाड़ बंद हुआ दूसरा या तीसरा किवाड़ खुला मिलेगा ।
कोशिश करने वाले की हार नहीं होती….
की गई कोशिशें कभी नहीं वो व्यर्थ की पनौती।

दूसरे के किवाडो को सदा खटखटातै रहे….
यही है जीवन ,सदा मुस्कुराते और खिलखिलाते रहे।

चलते चलो रास्ता मिलेगा,
एक किवाड़ बंद हुआ दूसरा खुला मिलेगा।
जीवन की यात्रा में, तोहमतें होंगी बहुत,
लेकिन हिम्मत रखो, दिल से चलते रहो तुम।

कोशिश करने वाले की हार नहीं होती,
जीवन के पथ पर विघ्न हों या मुश्किलें बहुती।
तूफानों को भी रोक नहीं सकता है कोई,
जब तक जीने की चाहत हो, तब तक जीना होगा।

की गई कोशिशें कभी नहीं वो व्यर्थ की पनौती,
हर एक प्रयास लाये गा साथ में सौभाग्य की लूटी।
हार मानने से पहले एक बार फिर सोच लो,
नया सवेरा होगा, नया संघर्ष होगा।

चलते चलो रास्ता मिलेगा,
खुले दिल से यात्रा करो, जीना सीखो तुम।
कोशिश करो, खुदा तुम्हारे साथ है,
जीवन की मुश्किलों को तुम हर बार जीतोगे।

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समय बीत रहा है

समय बीत रहा है, दिन बस यूं ही बीत रहे है, जैसे मैं कुछ नही कर रहा इस वक्त बस नींद पूरी कर रहा हूं और बिना कुछ किए ही समय की हानि मैं कर रहा हूं, समय को व्यर्थ किए जा रहा हूँ

यह समय बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन फिर भी व्यर्थ के कार्यों में व्यतीत हो रहा है, इस पर नियंत्रण में नही कर पा रहा हूं, बस समय यू ही भागा जा रहा है, जिस पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं आ रहा है।
अपने समय को खोना बहुत ही निराशा से भरा हुआ एहसास होता है और यह समय फिर लौटकर नहीं आता यही सोचकर मैं कई बार घबरा जाता हूं। उस लौटे हुए समय को वापस भी नहीं ला पाता हूँ। खुद को बहुत सारी गलतिया करता हुआ ही नजर आता हूँ।

मैने लगभग 11 महीने का समय खराब कर दिया है जब मैं बहुत कुछ लिखना चाहता था लेकिन शायद मैं उतना लिख ही नही पाया, बहुत कुछ सोचना मैं चाहता था लेकिन उतना मैं सोच भी नही पाया बस इधर उधर के कार्यों में ही मैंने अपने समय को व्यर्थ में गवाया।

मैं बार बार किसी काम एक नई शुरुआत करता हूं और फिर से जीरो पर खड़ा हो जाता हूं, दूबारा उतनी मेहनत और उतना और उससे भी अधिक दिमाग लगाता हूं, नया काम करने के लिए नई चीज को सीखने के लिए फिर से नए कार्यों मे सफल होने के लिए,

लेकिन कुछ समय बाद ही मेरा मन उस कार्य से हट जाता है, उस कार्य के साथ मुझे बोरियत महसूस होती है सिर्फ पैसा कमाना ही जरूरी नहीं है, लेकिन उस कार्य में उतना आनंद भी आना चाहिए तभी उस कार्य के साथ लगातार रहा जाता है। उस कार्य को पूरे मन से किया जाता है।

समय बस यू ही बीत रहा है।

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अपने पे रखे नज़र

अपने पे रखे नज़र हम दिखते कैसे है…
यही मुद्दे की बात हम दिखते कैसे है।
असली लेबोलबाब हम दिखते कैसे है….
इसी बात सब राज हम दिखते कैसे है ।

जो दिखता है वही बिकता है ….
वो व्यापारी की नज़र रखता है ।
असल में तो हम अपनी नज़र से कैसे है…
वही सच में आप है , अपनी नज़र दिखते कैसे है ।

अपने पे नज़र रखे हम दिखते कैसे है,
यही मुद्दे की बात हम दिखते कैसे है।
असली लेबोलबाब हम दिखते कैसे है,
इसी बात सब राज हम दिखते कैसे है।

हम आहुति हैं साहस की, न रुकने वाले युद्धों की,
जो अथाह विश्वास रखते, कठिनाइयों को चुनौती देते।
हम वीरता के अम्बार में चमक, अद्वितीय स्वाभिमान की,
पर दिखने का तरीका, यह जग न समझे, हम जानते हैं बस खुदाई की।

सबके होंठों पर हंसी हो, लेकिन सच्चाई हमारी हो,
चाहे चुप रहें हम, जैसे ज्ञाता नहीं हमारी हो।
हम कवच हैं सत्य का, जो न टूटे कभी विपरीत में,
बदलने से तोड़ देंगे नहीं, इस जग के फ़रमान को हम पर मिले विपरीत में।

अपने कर्मों में छुपी है, हमारी असलियत गहराई में,
हम पर नज़र रखने वालों को है यह सच्चाई में।
हम अद्वितीय व्यक्तित्व के साकार हैं, अज्ञात जग में छिपे हुए,
बस खुद का साथी हैं हम, बाकी सब बने रुखे हुए।

जगत के राजों की जड़ में है विद्या की वृक्षारोहण,
हम अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ते जाते हैं अग्रणी।
हार नहीं मानते हम, जीत के लिए बने हैं हम आदी,
जिसे देखते हैं सब राज, वही हमारी पहचान है प्रमुख हदी।

अपने पे रखे नज़र हम दिखते हैं जैसे कैसे,
यही मुद्दे की बात हम जानते हैं कैसे।
असली लेबबोलबाब हम दिखते हैं कैसे,
इसी बात सब राज हम दिखते हैं कैसे।

यह हैं हमारी प्रखरता, जो छिपी हैं हमारे अंदर,
जग में लहराते हैं हम, अपने वीरता के प्रमाण पर।
हमारे हृदय में धड़कन, जो लहराती हैं गर्व के साथ,
महसूस करो यह जग, हमारी उच्चता की अवाज़।

हम सृजनशीलता के प्रतीक, जो जगत में चमकते हैं,
अपने विचारों के आचरण, जो जग को प्रेरित करते हैं।
हम उज्ज्वल आध्यात्मिकता, जो जगत में छाती चौड़ी करते हैं,
मिटाओ अंधकार को, बन जाओ ज्ञान के बिरादरों के सरदार।

हम अस्थायी नहीं, दीर्घकालिक प्रतिष्ठित हैं,
जहां जाते हैं हम, उज्ज्वलता छोड़ जाते हैं।
हम सहायता के प्रतीक, जो जगत को बचाते हैं,
बढ़ते हैं हम सबके साथ, जीवन के रास्ते साथ चलाते हैं।

हम अपने कर्मों के धर्म में जीने का जन्म लेते हैं,
जन जन को जागृत करते हैं, सत्य के पथ पर चलते हैं।
जग को दिखाते हैं हम, अपनी सत्यता के बादशाही,
हम अपने पे रखे नज़र हैं, जग को दिखते हैं कैसे हमारी महिमा।

किसी को लूटा के

किसी को लूट के मज़ा आता किसी को लूटा के,
समझ समझ का खेल है भइया काम न करना किसी का दिल दुखा के ।
परोपकार की महिमा अपरंपार….
समझने वाले का बेड़ा ही पार ।

बात यह की ज़रूरतमंद की ज़रूरत को सही से समझना …..
सच्ची ज़रूरत को महत्व देकर सामर्थ्य यथाशक्ति से पूरा करना।

किसी को लूट के मज़ा आता, किसी को लूटा के,
समझ-समझ का खेल है भइया, काम न करना किसी के दिल दुखा के।
परोपकार की महिमा अपरंपार, इस दुनिया में बहुत अलग है विचार।
कर्मठ और उदार लोग, जीवन में चमकते हैं जो होंठ।

दूसरों की मदद करना एक कला है, त्याग और दया से हृदय बना है।
दरिद्रता और दुःख से दूरी बना है, स्वार्थ की जगह परोपकार की चमका है।

दिन-रात मेहनत करते लोग, दूसरों के दुःखों को हरते लोग।
अनजानों को राह दिखाते लोग, खुद को भी भूल जाते लोग।

आँखों में चमक, हंसी का रंग, खुशियों का बांधन बांधा है।
मन में शांति, आदर्शों का ताज, अपने सुखों में खुश रहा है।

दुखी को दिया, रोगी को दवा, दिलों में आराम का विश्राम।
परोपकार की महिमा अपरंपार, जीवन का सच्चा धर्म है यह।

चलो आओ मिलकर बदलें दुनिया, दूसरों के सुखों का राग गाएं।
परोपकार की अद्भुत शक्ति से, हम सब मिलकर जीवन को सजाएं।

म्यूजिक

म्यूजिक आज कल सभी को बहुत पसंद है, हर किसी की जुबान पर गाने ही होते है, लोग सफर में भी गाने सुनकर मनोरंजन करते है कुछ लोग गुनगुनाकर उनको म्यूजिक बहुत पसंद है, लेकिन ये गाने आपके दिमाग में लगातार चलते ही रहते है, जिसकी वजह से दिमाग में शोर बना ही रहता है। कभी भी हमारा दिमाग शांत नहीं होता, इसी वजह से हम ध्यान ओर पूजा में अपना मन नहीं लगा पाते, ओर मन अशांत सा बना ही रहता है, इस मन में फिर शांति आना मुश्किल सा लगता है जब संगीत किसी ना किसी प्रकार की ध्वनि दिमाग में बनी रहती है।  

कोई मेट्रो में गाना सुनता हुआ जा रहा है, तो कोई गाड़ी में तेज आवाज में गाना सुनता हुआ लेकिन हर जगह म्यूजिक चल रहा है, इतना शोर हो रहा है, जिससे हमारा दिमाग शांत नहीं बैठ पा रहा है। इतना शोर जब चलेगा हर जगह तो कैसे ही मन शांत हो पाएगा, इस शोर में कैसे इंसान अपने मन की बात सुन पाएगा।

अब बच्चे यदि पढ़ते है तो उनको किसी विषय को ज्यादा समय तक याद रखना मुश्किल हो जाता है, यदि बच्चे अधिक गाने सुनते है, इस तरह से उनकी यादस्त कमजोर होने लगती है, उनको किसी विषय को लंबे समय तक याद रखने में कठिनाई भी होती है। जिसका कारण म्यूजिक है, हम आज शास्त्रीय संगीत नहीं सुनते जो संगीत उनकी बुद्धि का विकास करते है, हम उन शोर गुल वाले गानों को सुनते है जिनकी वजह से दिमाग शांत नहीं बल्कि अशांत होता है।

इसलिए बचहो व बड़ों हम सभी को उसी तरह का संगीत सुनना चाहिए जो हमारे मन को शांत करता हो, नाकी उस संगीत को जो हमारे मन मस्तिष्क में शोर गुल पैदा करे, उस शोरगुल से हमारे सोचने ओर समझने की शक्ति पर बहुत असर पड़ता है इसके साथ ही हमारी भावनाए भी बदल भी जाती है, हमारे भीतर उन शब्दों का प्रवाह किया जाता है आजकल के संगीत से जिसकी आवश्यकता नहीं है। जिसमे जीवन के प्रति सजगता नहीं है उस प्रकार के संगीत को सुनने का कोई लाभ नहीं है।

ख्वाबो की डोर

कुछ ख्वाबो की डोर किसी और के हाथ में होती है जब वो साथ होता है तो जिंदगी ऊची उडान भर्ती है और जब उसका साथ छूट जाता तो ना जाने कहाँ जाकर ये जिंदगी गिरती है।

कुछ ख्वाबों की डोर
ख्वाबों की डोर

कुछ ख्वाबो की डोर किसी और के हाथ में होती है,
जब वो साथ होता है, तो जिंदगी ऊची उड़ान भरती है।

वो हर ख्वाब को सपना बना देता है,
जीने की आशा को लहरों में बहा देता है।

उठती है रौशनी उसके साथ जब,
हर तंदरुस्त दिल को मुस्कान दिखा देता है।

वो साथ चलता है जब रास्तों में,
हर गम की गहराई को छूने से रोक देता है।

जहां ख्वाबों की डोर किसी के हाथ में होती है,
वहां जिंदगी की रौशनी हर पल सजा देती है।

चाहे हो जो भी मुश्किल, चाहे हो जो भी रास्ता,
साथी है ख्वाबों का वो जो सबको संग ले जाता।

क्योंकि ख्वाबों की डोर किसी और के हाथ में होती है,
जब वो साथ होता है, तो जिंदगी ऊची उड़ान भरती है।

खोये हुए सपनों की तलाश में,
दिल धड़कता है एक नयी आस में।

मंजिलों का सफर था यहाँ तक,
खुद को खोते हुए हमने बनाई राहें।

हर कदम पर उम्मीद की रौशनी,
जीवन की भरी मस्ती और आनंद की झलकें।

जो ख्वाब थे धुंधले, अधूरे से,
उन्हें पाने की चाह में हमने लिए कठिनाईयाँ।

पर हर एक पल था ये यकीन,
कि वक्त की लहरों में तैरकर हम जी सकेंगे।

जब ख्वाबों की डोर किसी और के हाथ में होती है,
तो जिंदगी ऊची उड़ान भरती है।

हर एक चुनौती को गले लगाते हैं हम,
सपनों के पीछे दौड़ते हैं हम।

जीवन के रंगों को चढ़ाते हैं हम,
ख्वाबों की उड़ान को बढ़ाते हैं हम।

जब वो साथ होता है, तो दिल में सौरभ फूलता है,
जिंदगी के सपनों का आदान-प्रदान चलता है।

अपने ख्वाबों को पूरा करने की राह,
दिल की हौसलों से सजी है आज तक।

ख्वाबों की डोर किसी और के हाथ में होती है,
जब वो साथ होता है, तो जिंदगी ऊची उड़ान भरती है।

यह भी पढे: ख्वाब, अपने ख्वाबों की डोर, ख्वाब इतने,

दिल्ली की बस

मैं लगभग 3 साल बाद आज दिल्ली की बस से सफर कर रहा था, लेकिन आज बस में भीड़ को देखकर ऐसा लगा की बस पुरुषों के लिए तो रह ही नहीं गई, इन बसों में सिर्फ महिलाये ही सफर कर रही है, वो भी ऑफिस जाने के लिए नहीं सिर्फ एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए अपने रिश्तेदारों व बाजार के लिए बस में सफर हो रहा है लेकिन जो महिलाये ऑफिस जा रही है वह इस योजना का सही ढंग से लाभ भी नहीं उठा पाती वो तो मेट्रो में जा रही या ऑटो में ही आना जाना कर रही है।

दिल्ली की बस का सफर भी कुछ ऐसा है मानो खचाखच भीड़ बस ओर कुछ नहीं केजरिवाल सरकार ने महिलाओ की टिकट मुफ़्त में कर रखी है अब पुरुष तो बस में दिख ही नहीं रहा, पता नहीं कहाँ गायब हो गया है बेचारा पुरुष हर जगह महिलाये है बस, मुझे महिलाओ से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इसका मतलब यह नहीं की सरकारी बसों में पुरुषों को कोई स्थान ही न दे, एक तो सफर मुफ़्त ऊपर से सीट की जगह पर लिखा होता है की यह सीट महिलाओ की है लेकिन पुरक्षों की सीट कही भी रिजर्व नहीं होती, अब बेचारा पुरुष करे भी तो क्या करे।

कहाँ जाए जो चल चल कर थक जाता है वो किसी से बोल भी नहीं पाता की आज मैं बहुत थका हुआ हूँ मुझे सीट दे दो, वो बेचारा पुरुष कुछ रुपये बचाने की वजह से हर समय ऑटो में नहीं जाता, गाड़ी नहीं बुक करता भीड़ भाड़ भरी बस में लटकर भी चल देता है उन सरकारी बसों का घंटों तक इंतजार भी कर लेता है की ऑटो के पैसे बच जाएंगे, ज्यादा बस बदल लेगा तो ज्यादा पैसे लग जाएंगे इसलिए सीधे अपने रूट वाली बस का ही इंतजार वो करता है।

लेकिन महिलाये कितनी ही बस बदलकर चली जाती है, महिलाये तो बिना सोचे समझे ऑटो ओर गाड़ी भी कर के चलती है, क्युकी वो अपनी सहूलियत ज्यादा देखी है, उनको रिजर्व सीट तो हर जगह मिल ही जाती है, फिर चाहे उनकी सीट पर कोई बुजुर्ग भी बैठा हो वो उनको उठाकर खुद बैठ जाती इनको इसमे भी कोई शर्म नहीं आती।

क्या इस समय सरकारी बसे मुनाफे में चल रही है? जहां तक हमे लगता है की सरकारी बस घाटे में ही चल रही है क्युकी ज्यादातर संख्या तो महिलाये की होती है बस में जिनका किराया माफ है दिल्ली की सरकार की ओर से, ओर जो व्यक्ति चढ़ते है उनके पास होते है फिर सरकारी बस मुनाफे में कैसे हो पाएगी।

वीरवार

दिन वीरवार जब मैं अपने बैंक के काम के लिए निकला मुझे अपनी मम्मी के अकाउंट को उत्तम नगर की ब्रांच में ट्रांसफर कराना था, जिसके लिए मुझे अपने पुराने वाले घर की ओर जाना था हम अब द्वारका रहते है ओर पहले हरिजन बस्ती में रहते थे, घर के पास ही हमारे बैंक की ब्रांच है सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जिसको अब उत्तम नगर की ब्रांच में ट्रांसफर कराना था जिसके लिए मैं कल वह गया, मैं वीरवार को मेट्रो से नहीं गया मैं बस में गया ओर मैंने 50 रुपये वाला रोजाना का एक पास बनवा लिया, जिसमे आप जितना मर्जी सफर कर सकते है, पूरे दिन ओर कितनी ही बार आप बस बदल सकते है, ये एक बेहतर विकल्प है यदि आपको बहुत सारी जगह जाना हो, ओर यदि आपको सिर्फ एक ही जगह जाना आना है तो आप मेट्रो को लीजिए वो एक अच्छा साधन है।

मैं वीरवार को बैंक गया वहाँ मैंने अपने पेपर जमा किए ओर मैं वहाँ से निकल चल उसके बाद मैं अपने दूसरे बैंक चल निकल जो शक्ति नगर में है, वह एक सोसाइटी का बैंक है, वहाँ मैं पहले पैसे निकालने के लिए फॉर्म करके आया था, वह एक दिन बाद दुबारा बुलाते है चैक देने के लिए, उन्होंने मेरा चैक बनाकर रखा हुआ था, मैंने अपना चैक लिया ओर मैं वहाँ से भी निकल चल पड़ा आज वीरवार था आज उनका बैंक बंद नहीं था यह बैंक सोमवार को बंद होता है, अब मैं सोच रहा था की किधर जाऊ अब मैं जा रहा था, आजाद मार्केट उधर टॉफी की मार्केट देखने के लिए चल निकला,

मैं अब आजाद मार्केट की टॉफी मार्केट में पहुच गया ओर उसके साथ साथ मैंने क्राकरी मार्केट भी देखी वहाँ बहुत सस्ती क्रॉकरी थी ओर बहुत अलग अलग तरह की क्राकरी में आइटम उपलब्ध थी, जो घर में इस्तेमाल करने के मतलब की थी ओर आप रेस्तरा खोलने की सोच रहे हो तो इधर आपको सस्ता क्राकरी का सामान मिल जाएगा।

थोड़ी देर पैदल चलते चलते में आजाद मार्केट के चौक तक पहुँचा उधर पूरा बाजार मेवे का है हर तरह के मसाले ओर मेवा यही मिल जाता है जो सही दाम में मिलता यदि आप बाजार से मेवा खरीद तो एक बार आपको इधर भी कोशिश करनी चाहिए इधर आपको सस्ते दामों पर मसाले, डाल, व मेवे की सभी किस्म मिल जाती है। ओर वो उचित दाम में आपको मिल जाते है। कुछ देर घूमने के बाद मैं निकल चल पड़ा चाँदनी चौक की तरफ अब मैं जा रहा था क्लॉथ मार्केट इस मार्केट में आपको कपड़ों के थान ही थान मिलते है चाहे आप किसी भी प्रकार के कपड़े लेना चाहते हो आपको इस बाजार में मिल जाएंगे, इधर परदे, कामिट ओर पैंट आदि कुछ भी आपको चाहिए हो उसका पूरा थान मिल जाएगा, इधर से चलने के बाद अब मैं काफी थक चुका था क्युकी मैं काफी देर से मैं पैदल ही चल रहा था अब मेरा मन घर जाने को कर रहा था, लेकिन उसके बाद खारी बाओली की मार्केट में पहुच गया ओर मैंने कुछ देर फिर से टॉफी की दुकाने देखी इधर बहुत तरह की टॉफी थी, खरी बाओली सभी तरह का सामान मिलता है यहाँ भी आपको किराने में रखने वाला सामान व जैसे दाल, चावल चीनी, मेवा, मसाले आदि सभी समान थोक में मिलता है यहाँ , यदि आपको इधर खुला साबुन ओर किलो के भाव में साबुन चाहिए हो इस मार्केट में कई दुकाने है जिनके पास खुला साबुन किलो के भाव में मिलता है।

काफी देर इधर भी घूम लिया अब मैं ओर भी थक चुका था लेकिन मेरा रास्ता अब सादर से होते हुए मुझे राजीव चौक या आर के आश्रम मेट्रो स्टेशन पर पहुचना क्युकी बस से जाने की अब मेरी हिम्मत नहीं थी, क्युकी बहुत समय लग जाता मुझे बस से जाने में इसलिए मैंने सोचा की मैं मेट्रो से चलता हूँ सादर बाजार में चलते हुए काफी भीड़ थी जैसे तैसे मैं सादर चौक पहुचा ओर मैंने वहाँ से बैटरी वाला रिकसा पकड़ जिसने मुझे नई दिल्ली पर छोड़ दिया इधर से मैंने शंकर मार्केट की बस पकड़ी ओर अब जब मैं राजीव चौक उतार ही गया हूँ तो मैंने शंकर मार्केट के राजमा चावल खाने की सोची लेकिन मुझे ज्यादा नहीं खाने थे इसलिए मैंने उनसे हाफ प्लेट राजमा चावल की बोली लेकिन वो हाफ प्लेट नहीं देते इतना ज्यादा मैं खाना नहीं चाहता था ओर बर्बाद करना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है, इसलिए मैं वहाँ से चल पड़ा ओर एक patty खाई मैंने थोड़ी दूर जाकर फेर मैं मेट्रो स्टेशन पहुच गया अब मैं राजीव चौक से मेट्रो लेने के खड़ा हो गयालेकिन सभी मेट्रो इतनी भारी आ रही थी बैठने क्या खड़े होने की भी जगह नहीं दिख रही थी, इसलिए कुछ मेट्रो छोड़ दी, कुछ देर बाद जब मेट्रो थोड़ी खाली आई तो मैं उसमे चल निकल बैठने के लिए सीट तो नहीं मिली बस खड़े खड़े ही घर तक सफर पूरा करना पड़ा।

घर पहुंचा काफी थक गया था जाते ही मैं कुछ देर आराम कर मैंने अपना रात का खाना खाया ओर सो गया कुछ देर काम करने के लिए मैंने लैपटॉप शुरू तो किया लेकिन थकावट की वजह से काम नहीं कर पा रहा था, इसलिए ऐन जल्दी ही लैपटॉप बंद करके सो गया ओर लेटने के तुरंत बाद ही मुझे नींद भी आ गई।

बस यह वीरवार वाला दिन कुछ इसी तरह से ही बीता

ख्वाब

ख्वाबों को अपने जीवन में शामिल करने के लिए कुछ सुझाव दीजिए, ख्वाब हमारे जीवन का अहम हिस्सा होते हैं, जो हमें जीवन की दिशा तय करने में मदद करते हैं। यदि आप अपने जीवन में अपने ख्वाबों को शामिल करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित सुझावों का पालन कर सकते हैं:

1. ख्वाबों को लिखें: अगर आप अपने ख्वाबों को अपने जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो उन्हें लिखें। अपने ख्वाबों को नोटबुक में या अपने मोबाइल फोन में लिखें। इससे आपके ख्वाब स्पष्ट होगें और आप उन्हें जीवन में शामिल करने के लिए अधिक प्रोत्साहित होंगे।

2. एक कार्यात्मक योजना तैयार करें: जब आप अपने ख्वाबों को स्पष्ट कर लेते हैं, तो आप उन्हें जीवन में शामिल करने के लिए एक कार्यात्मक योजना तैयार कर सकते हैं। आप अपने ख्वाबों के लिए लक्ष्य तय कर सकते हैं और एक योजना बना सकते हैं जो आपको उन्हें पूरा करने में मदद करेगी।

3. संगठित रहें: अगर आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो आपको संगठित रहना होगा। आपको अपने ख्वाबों के लिए समय निकालना होगा और उन्हें पूरा करने के लिए उचित योजना बनाने की जरूरत होगी।

4. निरंतर मेहनत करें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको निरंतर मेहनत करनी होगी। आपको अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहना होगा और सफलताप्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना होगा।

5. आपसे सहयोग मांगें: अगर आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो आप दूसरों से सहयोग मांग सकते हैं। आप उनकी सलाह और मार्गदर्शन ले सकते हैं जो आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।

6. सकारात्मक सोच रखें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको सकारात्मक सोच रखना होगा। नकारात्मकता आपको अपने लक्ष्यों के प्रति निराश कर सकती है, इसलिए आपको सकारात्मक सोच रखनी चाहिए जो आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।

7. धैर्य रखें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको धैर्य रखना होगा। सफलता का मार्ग अनिश्चित हो सकता है और इसलिए आपको निरंतर प्रयास करते रहना होगा। धैर्य रखना आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए आवश्यक जानकारी, कौशल और अनुभव जुटाने में मदद करेगा।

इन सुझावों का पालन करते हुए आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल कर सकते हैं और अपने जीवन को उन्नत बना सकते हैं।

घुमावदेव

कुछ व्यक्ति बात को देते घुमा होते वो घुमावदेव
बात को देते इतना घुमा जैसे आसन करते श्री रामदेव ।
बाँतो की मंडी में दुकानो में मिलते नई नई क़िस्म के सौदे….
घुमावदेव को कुछ करना तो है वो तो बाँतो की दुनिया के शोहदे।

कुछ व्यक्ति बात को देते घुमा होते, वो घुमावदेव।
बात को देते इतना घुमा जैसे आसन करते श्री रामदेव।
बाँतों की मंडी में दुकानों में, मिलते नई-नई क़िस्म के सौदे।

उनकी बातें घूमती हैं जैसे वायुमंडल की धारा,
सुनकर लोगों को आता है विचारों का साहिल।
विचार-विनीति से युक्त उनकी वाणी,
जगमगाती है ज्ञान की दीप्ति से प्रकाशित।

जैसे श्री रामदेव आसन करते हैं योग,
वैसे घुमावदेव करते हैं दिलों का त्याग।
विचारों की यात्रा में घूमते हैं वे,
मन को देते हैं नवीनतम ज्ञान के सौदे।

बाँतों की मंडी में जब खड़े होते हैं वे,
नयी ख़ुशबू से महकता है विचारों का वन।
उनकी विचारधारा अनूठी है और अलग,
मिलते हैं उनकी बातें जीवन की नयी क़िस्म के सौदे।

घुमावदेव के साथ जगत रंगीन हो जाता है,
उनकी वाणी से आती हैं आनंद की लहरें।
चलिए, घुमावदेव की यात्रा पर चलें,
आपस में बाँटें प्रेम के सौदे, नवीनतम ज्ञान के बगीचे खोलें।