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दिल्ली की बस

मैं लगभग 3 साल बाद आज दिल्ली की बस से सफर कर रहा था, लेकिन आज बस में भीड़ को देखकर ऐसा लगा की बस पुरुषों के लिए तो रह ही नहीं गई, इन बसों में सिर्फ महिलाये ही सफर कर रही है, वो भी ऑफिस जाने के लिए नहीं सिर्फ एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए अपने रिश्तेदारों व बाजार के लिए बस में सफर हो रहा है लेकिन जो महिलाये ऑफिस जा रही है वह इस योजना का सही ढंग से लाभ भी नहीं उठा पाती वो तो मेट्रो में जा रही या ऑटो में ही आना जाना कर रही है।

दिल्ली की बस का सफर भी कुछ ऐसा है मानो खचाखच भीड़ बस ओर कुछ नहीं केजरिवाल सरकार ने महिलाओ की टिकट मुफ़्त में कर रखी है अब पुरुष तो बस में दिख ही नहीं रहा, पता नहीं कहाँ गायब हो गया है बेचारा पुरुष हर जगह महिलाये है बस, मुझे महिलाओ से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इसका मतलब यह नहीं की सरकारी बसों में पुरुषों को कोई स्थान ही न दे, एक तो सफर मुफ़्त ऊपर से सीट की जगह पर लिखा होता है की यह सीट महिलाओ की है लेकिन पुरक्षों की सीट कही भी रिजर्व नहीं होती, अब बेचारा पुरुष करे भी तो क्या करे।

कहाँ जाए जो चल चल कर थक जाता है वो किसी से बोल भी नहीं पाता की आज मैं बहुत थका हुआ हूँ मुझे सीट दे दो, वो बेचारा पुरुष कुछ रुपये बचाने की वजह से हर समय ऑटो में नहीं जाता, गाड़ी नहीं बुक करता भीड़ भाड़ भरी बस में लटकर भी चल देता है उन सरकारी बसों का घंटों तक इंतजार भी कर लेता है की ऑटो के पैसे बच जाएंगे, ज्यादा बस बदल लेगा तो ज्यादा पैसे लग जाएंगे इसलिए सीधे अपने रूट वाली बस का ही इंतजार वो करता है।

लेकिन महिलाये कितनी ही बस बदलकर चली जाती है, महिलाये तो बिना सोचे समझे ऑटो ओर गाड़ी भी कर के चलती है, क्युकी वो अपनी सहूलियत ज्यादा देखी है, उनको रिजर्व सीट तो हर जगह मिल ही जाती है, फिर चाहे उनकी सीट पर कोई बुजुर्ग भी बैठा हो वो उनको उठाकर खुद बैठ जाती इनको इसमे भी कोई शर्म नहीं आती।

क्या इस समय सरकारी बसे मुनाफे में चल रही है? जहां तक हमे लगता है की सरकारी बस घाटे में ही चल रही है क्युकी ज्यादातर संख्या तो महिलाये की होती है बस में जिनका किराया माफ है दिल्ली की सरकार की ओर से, ओर जो व्यक्ति चढ़ते है उनके पास होते है फिर सरकारी बस मुनाफे में कैसे हो पाएगी।

वीरवार

दिन वीरवार जब मैं अपने बैंक के काम के लिए निकला मुझे अपनी मम्मी के अकाउंट को उत्तम नगर की ब्रांच में ट्रांसफर कराना था, जिसके लिए मुझे अपने पुराने वाले घर की ओर जाना था हम अब द्वारका रहते है ओर पहले हरिजन बस्ती में रहते थे, घर के पास ही हमारे बैंक की ब्रांच है सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जिसको अब उत्तम नगर की ब्रांच में ट्रांसफर कराना था जिसके लिए मैं कल वह गया, मैं वीरवार को मेट्रो से नहीं गया मैं बस में गया ओर मैंने 50 रुपये वाला रोजाना का एक पास बनवा लिया, जिसमे आप जितना मर्जी सफर कर सकते है, पूरे दिन ओर कितनी ही बार आप बस बदल सकते है, ये एक बेहतर विकल्प है यदि आपको बहुत सारी जगह जाना हो, ओर यदि आपको सिर्फ एक ही जगह जाना आना है तो आप मेट्रो को लीजिए वो एक अच्छा साधन है।

मैं वीरवार को बैंक गया वहाँ मैंने अपने पेपर जमा किए ओर मैं वहाँ से निकल चल उसके बाद मैं अपने दूसरे बैंक चल निकल जो शक्ति नगर में है, वह एक सोसाइटी का बैंक है, वहाँ मैं पहले पैसे निकालने के लिए फॉर्म करके आया था, वह एक दिन बाद दुबारा बुलाते है चैक देने के लिए, उन्होंने मेरा चैक बनाकर रखा हुआ था, मैंने अपना चैक लिया ओर मैं वहाँ से भी निकल चल पड़ा आज वीरवार था आज उनका बैंक बंद नहीं था यह बैंक सोमवार को बंद होता है, अब मैं सोच रहा था की किधर जाऊ अब मैं जा रहा था, आजाद मार्केट उधर टॉफी की मार्केट देखने के लिए चल निकला,

मैं अब आजाद मार्केट की टॉफी मार्केट में पहुच गया ओर उसके साथ साथ मैंने क्राकरी मार्केट भी देखी वहाँ बहुत सस्ती क्रॉकरी थी ओर बहुत अलग अलग तरह की क्राकरी में आइटम उपलब्ध थी, जो घर में इस्तेमाल करने के मतलब की थी ओर आप रेस्तरा खोलने की सोच रहे हो तो इधर आपको सस्ता क्राकरी का सामान मिल जाएगा।

थोड़ी देर पैदल चलते चलते में आजाद मार्केट के चौक तक पहुँचा उधर पूरा बाजार मेवे का है हर तरह के मसाले ओर मेवा यही मिल जाता है जो सही दाम में मिलता यदि आप बाजार से मेवा खरीद तो एक बार आपको इधर भी कोशिश करनी चाहिए इधर आपको सस्ते दामों पर मसाले, डाल, व मेवे की सभी किस्म मिल जाती है। ओर वो उचित दाम में आपको मिल जाते है। कुछ देर घूमने के बाद मैं निकल चल पड़ा चाँदनी चौक की तरफ अब मैं जा रहा था क्लॉथ मार्केट इस मार्केट में आपको कपड़ों के थान ही थान मिलते है चाहे आप किसी भी प्रकार के कपड़े लेना चाहते हो आपको इस बाजार में मिल जाएंगे, इधर परदे, कामिट ओर पैंट आदि कुछ भी आपको चाहिए हो उसका पूरा थान मिल जाएगा, इधर से चलने के बाद अब मैं काफी थक चुका था क्युकी मैं काफी देर से मैं पैदल ही चल रहा था अब मेरा मन घर जाने को कर रहा था, लेकिन उसके बाद खारी बाओली की मार्केट में पहुच गया ओर मैंने कुछ देर फिर से टॉफी की दुकाने देखी इधर बहुत तरह की टॉफी थी, खरी बाओली सभी तरह का सामान मिलता है यहाँ भी आपको किराने में रखने वाला सामान व जैसे दाल, चावल चीनी, मेवा, मसाले आदि सभी समान थोक में मिलता है यहाँ , यदि आपको इधर खुला साबुन ओर किलो के भाव में साबुन चाहिए हो इस मार्केट में कई दुकाने है जिनके पास खुला साबुन किलो के भाव में मिलता है।

काफी देर इधर भी घूम लिया अब मैं ओर भी थक चुका था लेकिन मेरा रास्ता अब सादर से होते हुए मुझे राजीव चौक या आर के आश्रम मेट्रो स्टेशन पर पहुचना क्युकी बस से जाने की अब मेरी हिम्मत नहीं थी, क्युकी बहुत समय लग जाता मुझे बस से जाने में इसलिए मैंने सोचा की मैं मेट्रो से चलता हूँ सादर बाजार में चलते हुए काफी भीड़ थी जैसे तैसे मैं सादर चौक पहुचा ओर मैंने वहाँ से बैटरी वाला रिकसा पकड़ जिसने मुझे नई दिल्ली पर छोड़ दिया इधर से मैंने शंकर मार्केट की बस पकड़ी ओर अब जब मैं राजीव चौक उतार ही गया हूँ तो मैंने शंकर मार्केट के राजमा चावल खाने की सोची लेकिन मुझे ज्यादा नहीं खाने थे इसलिए मैंने उनसे हाफ प्लेट राजमा चावल की बोली लेकिन वो हाफ प्लेट नहीं देते इतना ज्यादा मैं खाना नहीं चाहता था ओर बर्बाद करना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है, इसलिए मैं वहाँ से चल पड़ा ओर एक patty खाई मैंने थोड़ी दूर जाकर फेर मैं मेट्रो स्टेशन पहुच गया अब मैं राजीव चौक से मेट्रो लेने के खड़ा हो गयालेकिन सभी मेट्रो इतनी भारी आ रही थी बैठने क्या खड़े होने की भी जगह नहीं दिख रही थी, इसलिए कुछ मेट्रो छोड़ दी, कुछ देर बाद जब मेट्रो थोड़ी खाली आई तो मैं उसमे चल निकल बैठने के लिए सीट तो नहीं मिली बस खड़े खड़े ही घर तक सफर पूरा करना पड़ा।

घर पहुंचा काफी थक गया था जाते ही मैं कुछ देर आराम कर मैंने अपना रात का खाना खाया ओर सो गया कुछ देर काम करने के लिए मैंने लैपटॉप शुरू तो किया लेकिन थकावट की वजह से काम नहीं कर पा रहा था, इसलिए ऐन जल्दी ही लैपटॉप बंद करके सो गया ओर लेटने के तुरंत बाद ही मुझे नींद भी आ गई।

बस यह वीरवार वाला दिन कुछ इसी तरह से ही बीता

ख्वाब

ख्वाबों को अपने जीवन में शामिल करने के लिए कुछ सुझाव दीजिए, ख्वाब हमारे जीवन का अहम हिस्सा होते हैं, जो हमें जीवन की दिशा तय करने में मदद करते हैं। यदि आप अपने जीवन में अपने ख्वाबों को शामिल करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित सुझावों का पालन कर सकते हैं:

1. ख्वाबों को लिखें: अगर आप अपने ख्वाबों को अपने जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो उन्हें लिखें। अपने ख्वाबों को नोटबुक में या अपने मोबाइल फोन में लिखें। इससे आपके ख्वाब स्पष्ट होगें और आप उन्हें जीवन में शामिल करने के लिए अधिक प्रोत्साहित होंगे।

2. एक कार्यात्मक योजना तैयार करें: जब आप अपने ख्वाबों को स्पष्ट कर लेते हैं, तो आप उन्हें जीवन में शामिल करने के लिए एक कार्यात्मक योजना तैयार कर सकते हैं। आप अपने ख्वाबों के लिए लक्ष्य तय कर सकते हैं और एक योजना बना सकते हैं जो आपको उन्हें पूरा करने में मदद करेगी।

3. संगठित रहें: अगर आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो आपको संगठित रहना होगा। आपको अपने ख्वाबों के लिए समय निकालना होगा और उन्हें पूरा करने के लिए उचित योजना बनाने की जरूरत होगी।

4. निरंतर मेहनत करें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको निरंतर मेहनत करनी होगी। आपको अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहना होगा और सफलताप्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना होगा।

5. आपसे सहयोग मांगें: अगर आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो आप दूसरों से सहयोग मांग सकते हैं। आप उनकी सलाह और मार्गदर्शन ले सकते हैं जो आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।

6. सकारात्मक सोच रखें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको सकारात्मक सोच रखना होगा। नकारात्मकता आपको अपने लक्ष्यों के प्रति निराश कर सकती है, इसलिए आपको सकारात्मक सोच रखनी चाहिए जो आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।

7. धैर्य रखें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको धैर्य रखना होगा। सफलता का मार्ग अनिश्चित हो सकता है और इसलिए आपको निरंतर प्रयास करते रहना होगा। धैर्य रखना आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए आवश्यक जानकारी, कौशल और अनुभव जुटाने में मदद करेगा।

इन सुझावों का पालन करते हुए आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल कर सकते हैं और अपने जीवन को उन्नत बना सकते हैं।

यह भी पढे: बड़े अधूरे अधूरे, ख्वाबों की डोर, ख्वाब यू तुम, मैं और तुम,

घुमावदेव

कुछ व्यक्ति बात को देते घुमा होते वो घुमावदेव
बात को देते इतना घुमा जैसे आसन करते श्री रामदेव ।
बाँतो की मंडी में दुकानो में मिलते नई नई क़िस्म के सौदे….
घुमावदेव को कुछ करना तो है वो तो बाँतो की दुनिया के शोहदे।

कुछ व्यक्ति बात को देते घुमा होते, वो घुमावदेव।
बात को देते इतना घुमा जैसे आसन करते श्री रामदेव।
बाँतों की मंडी में दुकानों में, मिलते नई-नई क़िस्म के सौदे।

उनकी बातें घूमती हैं जैसे वायुमंडल की धारा,
सुनकर लोगों को आता है विचारों का साहिल।
विचार-विनीति से युक्त उनकी वाणी,
जगमगाती है ज्ञान की दीप्ति से प्रकाशित।

जैसे श्री रामदेव आसन करते हैं योग,
वैसे घुमावदेव करते हैं दिलों का त्याग।
विचारों की यात्रा में घूमते हैं वे,
मन को देते हैं नवीनतम ज्ञान के सौदे।

बाँतों की मंडी में जब खड़े होते हैं वे,
नयी ख़ुशबू से महकता है विचारों का वन।
उनकी विचारधारा अनूठी है और अलग,
मिलते हैं उनकी बातें जीवन की नयी क़िस्म के सौदे।

घुमावदेव के साथ जगत रंगीन हो जाता है,
उनकी वाणी से आती हैं आनंद की लहरें।
चलिए, घुमावदेव की यात्रा पर चलें,
आपस में बाँटें प्रेम के सौदे, नवीनतम ज्ञान के बगीचे खोलें।

सुखद सम्भावना

जीवन में जीने की सुखद सम्भावना खोजना ही परम जीवन ……
विसंगति मुक्त शक्ति से पूर्ण जीना ही जीवन का सर्वोत्तम गुन ।
जीवन में न ही किसी को दबाना न ही स्वयं किसी से दबना……
सबके विस्तार में बनना सहायक, इस ख़ुशियाली का मेरा सपना ।

जीवन की खोज में हम चले थे,
सुखद सम्भावना की खोज में हम थे।
परम जीवन की ओर, हम रहे थे ध्यानित,
विसंगति मुक्त, शक्ति से पूर्ण जीवन की प्रार्थना।

हमने जीवन का अर्थ ढूंढ़ा,
संघर्षों से आगे बढ़ा।
दबाव से मुक्त, स्वतंत्रता की आस थी,
न किसी को दबाना, न ही स्वयं किसी से दबना।

खोजते रहे हम सत्य की ओर,
विचारों में रहे संतुलित और।
जीवन के सफर में, आगे बढ़ते रहे,
अध्ययन करते रहे, अनुभवों से प्राप्त करते रहे।

जीवन एक अनंत गंगा है,
जो हर दिन चलती रहती है।
प्रेम, सम्मान, और सहयोग से,
हम इस गंगा को शुद्धता से भरते रहते हैं।

जीवन की प्रकृति में, सुंदरता है छिपी,
स्वयं को खोजने का अवसर है यही।
जीने का संगीत, संघर्षों में भी है,
हर एक पल को, खुशियों से भरते रहते हैं।

जीवन का सर्वोत्तम गुण है स्वतंत्रता,
खुश रहना है संघर्षों के बीच।
जीवन की सुखद सम्भावना खोजना ही परम जीवन,
विसंगति मुक्त, शक्ति से पूर्ण जीना ही जीवन का सर्वोत्तम गुण।

प्रकृति मदद कर रही सबकी भरपूर कर रही विस्तार…..
सहायक बने उसके कार्य में ये सबसे सुखद समाचार ।
देखे बड़े से बड़ा सपना अपने विस्तार का….
सब हो जाएगा पूरा सपना जीवन जिये प्यार का ।
सब यही रह जाएगा यहाँ सब कुछ उधार का।
समझ समझ का फ़रका हे, यह प्रश्न उत्तर आपके वजूद आपके आधार का।

चंद्रयान 3

चंद्रयान 3 की सफलता पर एक छोटी सी कविता लिखी थी जिसको आज मैं यहाँ सांझा कर रहा हूँ आप सभी के साथ उम्मीद आपको यह कविता पसंद आएगी।

हम आज चाँद पर अपना तिरंगा लहरा रहे है, विजय रथ है इस देश का जो हम गगन में भी घूमा रहे है, इस विजय रथ पर सवार हमारा भारत देश है,

हम सबको यही बता रहे है, आसमान की हर राह को आसान बना दिया है, भीतर जो सपने उमड़ रहे थे, उनको पूरा कर अब जमीन पर ला दिया है। हर बार हारे ये भी संभव नहीं है जितना भी क्योंकि हमारा हक है।

कुछ दूर नहीं है, हर राह आसान बन जाती है,जब इंसान की चाह बड़ी हो जाती है,

हम भी आज पहुच गए है चाँद पर, पा ली है हमने भी मंजिल,

कर लिया दर्ज अपना भी नाम इतिहास के पन्नों में ,

हम तो गए हुए है चाँद पर कई बार लेकिन इस सदी को भी कर दिखाया मशीनी युग वाला भी काम, हमारा ओर चाँद का रिश्ता तो बहुत पुराना है ,

जो कहते थे हमे ये देश तो बीन बजाने वाला है,

अब वही कहेंगे ये देश है, जो हमे चाँद , सूरज , शुक्र आदि ग्रहों की सैर करने वाला है , हम ही वो जब हर असंभव कार्य को संभव कर देते है, जहां चुनौती बड़ी हो उसीको अपनी मंजिल चुन कदम पहला रखते है, विश्व का गौरव है हम , विश्व को राह दिखने वाला हम ही दमखम रखते है, बहुत बेहतरीन गीत याद आता है यहाँ पर जब शून्य दिया भारत ने तब गिनना शुरू कराया सबको।

चंद्रयान 3 की सफलता के लिए आप सभी को शुभकामनाए

स्वयं का आकलन

हमे स्वयं का आकलन करते रहना चाहिए, समय समय पर हमे स्वयं की जांच करनी जरूरी है जिससे की हमे पता चलता है हम सही रास्ते पर ओर सही दिशा में अग्रसर है। हमारे जीवन का लक्ष्य सफलता को हासिल करना हो ओर उसी ओर हमे लगातार प्रयास करते रहना चाहिए, साथ ही उन सभी चीजों का आकलन करना चाहिए जिसकी वजह से हम बीच बीच में रुक जाते है, यदि कोई परेशानी आती है उन बातों को भी समझना चाहिए लेकिन हमे रुकना नहीं है इस बात की गांठ बांधनी है हमे मंजिल तक पहुचना ही हमारा लक्ष्य है उसके लिए स्वयं का आकलन जरूरी है।

  1. जैसे जैसे तुम आगे बढ़ते हो, तुम मंजिल के ओर करीब होते जाते हो।

2. मंजिल तक पहुचना एक दिन का काम नहीं है, बहुत लंबे समय की मेहनत से मंजिल तक पहुचा जा सकता है, इसलिए लगातार मेहनत करते रहे एक दिन सफलता जरूर हासिल होगी।

3. स्वयं का आकलन करो, जब भी आपको लगे की आप सफलता के करीब नहीं पहुच रहे आपको स्वयं का आकलन करना चाहिए।

4. हमे अपनी गलतियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, उन गलतियों से सीखना चाहिए ओर आगे बढ़ना चाहिए, साथ इन बातों पर ध्यान रखना चाहिए की वो गलतिया न दोहराई जाए।

5. स्वयं के बारे में ज्यादा से ज्यादा सोचे ओर सकारात्मक विचार को ही अपने जीवन का हिस्सा बनाए, नकारात्मक विचारों से दूरी बनाकर रखे।

6. जिस कार्य में आपकी अधिक रुचि हो उसी कार्य को करे, हो सकता है एक समय आने पर उस कार्य में भी बोरियत महसूस हो लेकिन वही कार्य यदि वह कार्य आपकी पहली पसंद था ओर अब भी है तो उसमे रुचि फिर बढ़ जाएगी बस नए तरीके से सोचने की जरूरत है।

7. अपनी रुचि के अनुसार ही व्यक्ति को कार्य करना चाहिए ओर उसी दिशा में लगातार आगे बढ़ना चाहिए।

पता नहीं मुझे

पता नहीं मुझे कैसे मेरी ओर तुम्हारी बाते हो जाती है, कुछ तो बात है हम दोनों के बीच जो कभी अधूरी रह जाती तो कभी पूरी हो जाती है, हम दोनों ना जाने किसलिए मिले, कौनसा था तार जो हम दोनों को जोड़ रखा था, कितनी दूरिया हो जाती है फिर एक मोड पर आकार हम मिल ही जाते है, फिर उनही बातों को सिरा बनाकर हम आगे की और बढ़ चल चले जाते है।

तुझसे मिलना और बाते करना मेरी आदत सा था जो अब भी छूटा नहीं लगता क्युकी करता हूँ तुझसे अब भी मैं बाते अपने ही ख्यालों में तेरे संग करता हूँ।

कुछ ऐसे ही बस तेरी यादों में डूब जाना चाहता हूँ, हर जगह से दूर हो जाना चाहता हूँ, कुछ ओर ना हो अब हम दोनों के बीच सिर्फ तेरे ही ख्यालों में अपने हर ख्याल को बिताना चाहता हूँ, खो जाना चाहता हूँ, तेरे ही सपने सजाकर तुम्हें अपनी आँखों में मुँदना चाहता हूँ।

क्या तुम भी मुझे अपनी यादों में रखना चाहती हो या फिर उन सभी यादों का भुलाना चाहती हो, जो सँजोई थी एक दूसरे के साथ रहकर उन यादों को कैसे तुम भुला दोगे, यह सोचकर भी मैं घबरा जाता है।

पता नहीं मुझे हम दोनों के बीच में कौनसा संबंध है, जो ना टूटता है ना जुड़ता है फिर भी हम दोनों का संबंध अटूट सा लगता है, उस अटूट से संबंध में हम दोनों को नहीं पता क्या नाम दिया उस संबंध ना कोई पता फिर भी होने को रिश्ता कहला रहा है।

कितनी भी दूर हम रहे लेकिन फिर भी जीवन में जब भी हम याद करते है एक दूसरे को तो मानो वो पल हिचकी से भर जा रहा है।

यह भी पढे: पता नहीं, बहुत सारा ख्याल, pta nahi mujhe, pta nahi main,

वक्त बेवक्त

वो वक्त बेवक्त सताते है
कभी दिल में आते है
कभी दिमाग में आते है
कभी आंखो से टप टप बह जाते है
तो कभी धड़कनों धड़क जाते है
कभी आवाज को नरम
तो कभी भारी कर जाते है
कभी नींद तोड़ देते है
तो कभी सोने ही नहीं देते है
कभी इस दिल का डर
तो कभी मन की वेदना को बढ़ाते है
अब थोड़ा
मुश्किल है , नामुमकिन है
क्युकी
वो अब खुश है
लेकिन हम नाखुश
क्युकी वो हर ख्याल में
अब भी हमको सताते है
मेरे ख्यालों की खुशी छीन जाते है
वो वक़्त , बेवक्त हमें सताते है।

वक्त बेवक्त
वक्त बेवक्त

सुबह की चाय

जैसे ही हम सुबह उठे बस तभी बितर में ही हमे चाय मिल जाए तो उससे बढ़िया क्या हो सकता है यह तो आजकल हर किसी की इच्छा होती है की उसे बिस्तर में ही चाय मिल जाए ओर फिर वो बिस्तर से बाहर निकले क्युकी सुबह की चाय की बात ही कुछ ओर होती है, सुबह समय चाय की तलब तो ऐसी होती है, मानो बिना चाय दिन की शुरुआत ही न हो रही हो, लगता है चाय पीने के बाद दिमाग तरोताजा होगा, ओर शरीर खुल जाएगा, सर्दियों में तो चाय का मिलन बिस्तर में ऐसे लगता है की कोई ख्वाब ही पूरा हो गया हो।

चाय की तलब कुछ इस तरह से लग रही है।

मानो जिंदगी प्यास में तड़प रही है।

चाय की तलब कुछ बढ़, कुछ घट रही है।

ये साली चाय की तलब मुझे लग रही है, क्या इसकी महक तुम तक भी पहुँच रही है।

या सिर्फ चाय की महक मुझे ही मदमस्त कर रही है,

चाय की चुस्की लिए जा रहा हूँ, मैं चाय अब पिए जा रहा हूँ

चाय की तलब कुछ इस तरह बढ़ जाती है।

की उसके सामने सारी तलब फीकी पड़ जाती है।

कुछ से कुछ का कहना बिना चाय के भी क्या रहना .. ….