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Ham Sochte Hai

ham sochte hai kya hai aur kya ho jata hai, is baat ka hame bhi nahi pta chalta, sab kuch hamare chahne se bhi nahi milta aur bahut kuch bin chahe hi mil jata hai……….

hamare sochne aur karne mei bahut fark hota hai isliye bahut saare kaam adhure reh jaate hai, hamesha dimaag do taraf sochta hai aur alag chizo mei dimaag lgaata hai jiski wajah se bhi ham jo haasil karna chahte hai vo haasil nahi kar paate, kai baar hamara dimaag negative hota hai toh kai baar positive jab ham negative hote hai toh usme hamare emotion hamare control mei nahi hote un emotion ki wajah se bhi hamari bahut saari chize poori nahi ho paati

kabhi kabhi hame kuch , sirf thoda saa hi paane ke liye bahut mehnat karni padti hai aur kabhi kabhi chize bahut aasani se mil jaati hai, jo chize aasani se mil jaati hai unki kadr bhi nahi karte ham aur jo bahut mehnat ke baad milti hai uska ek alag hi maza hota hai, usko sambhal kar rakhne ka mann karta hai, usko khona nahi chahte ham, use ham zindagi bhar sambhal kar rakhne ki koshish karte hai, isiko fark kehte hai jo mehnat se milta hai aur jo bina mehnat kiye hi mil jaata hai.

bahut baar yahi hota hai hamare jivan mei ki ham karna toh bahut kuch chahte hai lekin kar nahi paate, kuch hamare vichar aur karya mei sahi taalmel nahi hota, jiski wajah se bhi ham apne karyo mei safal nahi ho paate,

Aesa kyu hota hai lekin: jab bhi ham kisi chiz ke baare mei sochte hai par vo chiz hame nahi milti aesaa kyo? kya us vastu par hamne sahi se dhyan kendrit nahi kiya? ya hamari iccha hi kamjor hai jiske kaaran ham jo chahte hai vo poora nahi ho paata

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असफलता को स्वीकार

असफलता को स्वीकार करना बहुत मुश्किल है, जब आप किसी चीज के लिए जी जान से मेहनत करते हो ओर उसको पाना चाहते है, लेकिन उसको हासिल करने में आप सफल नहीं हो पाते तब आप बहुत टूट जाते है, उसके बाद आपको कोई और रास्ता भी नहीं दिखता, अब उस रास्ते से वापस आना मुश्किल हो जाता है।

मेरे साथ भी कुछ इसी तरह से हो रहा है, मैं अपनी असफलता को पचा नहीं पा रहा हूँ, और अब मैं काफी पीछे हो चुका हूँ, मेरे सभी रास्ते लगभग बंद हो चुके है। अब वो रास्ते कैसे खुलेंगे यही सोचना है, लेकिन अब सोचने का नहीं करने का वक्त है, और वो भी बहुत कम समय में क्युकी अब खर्चे के लिए पैसे चाहिए जो मेरे पास बिल्कुल भी नहीं है।

कैसे सबकुछ होगा और कैसे मैं कर पाऊँगा मुझे इसी बात की चिंता हो रही है।

क्या अब मैं नौकरी की तरफ रुख करू या कुछ और करू मुझे कुछ नहीं समझ आ रहा है, क्योंकि बिजनस करने के लिए भी मेरे पास पैसे नहीं बचे, बात सिर्फ अब बिजनस की नहीं है मेरे पास अपने घर खर्च के लिए भी पैसे नहीं बचे, मैंने अपने सारे क्रेडिट कार्ड , सैविंग, ओर जो भी कुछ भी था वो सब खत्म हो गया है। इसलिए बिजनस भी कुछ नहीं कर सकता अब सिर्फ नौकरी ही एकमात्र रास्ता दिख रहा है, लेकिन नौकरी भी मुझे कौन देगा जब मेरे पास कोई अनुभव नहीं है।

मैंने पिछले साल मई में अपनी किताबों की दुकान को छोड़ा था, की अब मैं फूल टाइम ब्लॉगिंग करूंगा, और मैंने यह फैसला लिया था की अब मैं सिर्फ लिखूँगा इसके अलावा कुछ और नहीं करूंगा, मैंने शुरुआत भी अच्छी करी ओर मैं लगातार लिख रहा था, लेकिन परिणाम मेरे अनुसार नहीं आ रहे थे, धीरे धीरे समय बीत रहा था जिसकी वजह से मुझे अपने ऊपर ही शक होने लग गया था, की मैं कोई गलती तो नहीं कर रहा हूँ, इसलिए मैं स्वयं को जाचता रहता था।

लेकिन 8 महीने बीत गए कोई प्रोग्रेस नहीं दिखी, और अब घर में कुछ परेशानी भी आने लगी जैसे की भाई को मेडिकल प्रॉब्लेम की वजह से समय और ध्यान सारा उधर ही केंद्रित हो गया, जिसके चलते अब मैं अपने कार्य पर फोकस नहीं कर पा रहा था।

यही सब सोच कर मन में घबराहट हो रही है, ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं बनी, लेकिन कुछ भी पहली बार ही होता है, जब इसमे मैं फंसा हूँ तो निकलूँगा भी बस यही एक सकारात्मक सोच मेरे मन में चलती है।

कुछ न कुछ तो कर ही लुँगा ऐसा मेरा विश्वास है, इसलिए अभी तक मैं इंतजार कर रहा था, लेकिन वो इंतजार अब खत्म हुआ कुछ किया जाए वो वक्त शुरू हो चुका है, क्या करू ओर क्या नहीं यह बात अभी तक नहीं समझ आ रही है मुझे इसलिए अब मैं बिल्कुल रुक चुका हूँ।

असफलता को स्वीकार मैं कर चुका हूँ लेकिन अब ऐसा लगता है काफी देर हो गई है, फिर से वापस मुझे उसी ओर लौटना होगा , जो मैं छोड़कर आया था ओर फिर कुछ करना होगा।

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मैं लिखता हूँ

मैं लिखता हूँ, जिसके लिए मैंने एक डोमेन ले रखा है ओर उसके साथ ही मैं सर्वर का इस्तेमाल भी करता हूँ, ओर मैंने वेबसाईट भी बनवाई है, अब जब मैं लिखता हूँ तो यह मेरा शोक है, मैं पैसा कमाने के लिए भी लिखने लगा, लेकीन मुझे उस तरह से लिखने में कोई अच्छा नहीं लगा कभी लिखना ओर कभी नहीं लिखना यही सब चलता है, जब तक लिखने का मन ना करे तब तक मज़ा नहीं आता लिखने का ओर फिर जब आप लिखते हो की लोगों को पसंद आए तो फिर आप अपने लिए लिखना छोड़ देते हो, मैं अपने शोक के लिए लिखता हूँ।

मुझे लिखना अच्छा लगता है इसलिए मैं लिखता हूँ किसी को मेरा लिखा हुआ पसंद आता है या नहीं इस बात के लिए नहीं लिखता बस मन के विचार पन्नों पर उतार देता हूँ।

अपने मन की बात को बस पन्नों पर उतार देना मेरे लिए बहुत सुकून की बात है मुझे लिखने के लिए पैसे की जरूरत नहीं है, लेकिन पैसा जीने के लिए जरूरी हो चुका है, बस इसी कारण से लिखने से कुछ पैसा मिले तो बेहद अच्छा था लेकिन ऐसा कुछ अभी तक नहीं हुआ, लेकिन संभवत आगे हो पाएगा इसी उम्मीद में इस तरह से काम करता रहूँगा, हाँ मैं लिखूँगा लेकिन अब सिर्फ अपनी मनपसंद से अब मैं उस तरह से नहीं लिख पाऊँगा जिसको लिखने से मैं पैसों के पीछे भागना शुरू करू ऐसा नहीं करना मुझे, मुझे सिर्फ लिखना है ओर वो भी दिल से, अपने विषय पर वैसे तो मैं किसी भी विषय पर लिखना शुरू कर देता हूँ, जब कुछ लिखने का मन करता है तो लिख लेता हूँ, जब नहीं करता तो बस वही रुक जाता हूँ।

लिखने ओर ना लिखने का सिलसिला बस यू ही चलता रहता है। कभी बहुत सारा लिख लेता हूँ तो कभी बस यू ही रुक जाता हूँ जब मैं कुछ भी नहीं लिख पाता हूँ।

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आपके फैसले

जब आप गिरने लगते हो तभी वो समय होता है, जब लोग आपकी काबिलियत पर भी शक करने लगते है और आपके फैसले पर भी, और उन लोगों को लगता है की यह कुछ नहीं कर सकता अपनी जिंदगी में, बस खुद को ओर दूसरों को बेवकूफ बना रहा है। यह व्यक्ति दूसरों को सलाह तो देता है,

परंतु खुद के लिए कुछ नहीं कर पाया, जब तक आप कुछ नहीं बनते तब तक लोग इसी तरह से आप पर ताने कसते है, और आपको हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश करते है साथ यह साबित करने में लगे रहते है की आप किसी लायक नहीं है।

जब आप किसी भी दिशा में सफल नहीं हो रहे हो, तब आपको इसी प्रकार से बहुत सारी हिदायते मिलती है।

इसके साथ ही समय को खराब ही कर रहा है। इसी समय आपका विश्वास भी टूटने लगता है, और हो सकता है की आप अब कुछ गलत निर्णय ले लो लेकिन यही आपकी समझदारी का समय है।

लेकिन आपके लिए यही वो समय होता है जब आप दूसरों से मदद मांगे बिना ही कुछ बनकर, कुछ करके दिखाए, जिससे लोगों को आप गलत साबित कर पाए क्युकी यही वो समय है जब आप उनका दुगना भरोसा जीत सकते है, ओर यदि आप सफल नहीं होते जो लोग बचे है वो भी आपको धीरे धीरे छोड़ देंगे।

आपके फैसले आपको फर्श और अर्श पर रखते है, आपके जीवन के परिणाम आपके फैसले पर ही निर्भर करते है, जिस तरह के आप फैसले लेते है उसी तरह से आपका जीवन भी चलता है, आपके फैसले आपके जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले की बार सोचे जल्दबाजी में लिए गए फैसले भविष्य में बहुत क्षति करते है। इसलिए जब तक आपको अपने फैसलों पर पूरा भरोसा न हो तब तक कोई फैसला ना ले।

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Yuvraj Singh

Yuvraj Singh: The Hero of Indian Cricket

Introduction:
Yuvraj Singh, popularly known as “Yuvi,” is a name that resonates with glory and resilience in Indian cricket. He is celebrated for his explosive batting, electric fielding, and remarkable all-round abilities. In this blog, we delve into the life and career of Yuvraj Singh, a true hero who overcame challenges and etched his name in the hearts of cricket fans around the world.

Early Life and Rise to Prominence:
Yuvraj Singh was born on December 12, 1981, in Chandigarh, India. Coming from a family with a sporting background, Yuvraj’s talent for cricket was evident from a young age. He made his international debut for India in 2000 and quickly established himself as a promising young talent with his elegant strokeplay and aggressive style of play.

Explosive Batting and All-round Prowess:
Yuvraj Singh’s batting style was a spectacle to behold. He possessed the ability to dismantle any bowling attack with his aggressive strokeplay and powerful hitting. His exceptional hand-eye coordination and timing allowed him to dominate the opposition, especially in limited-overs cricket. Yuvraj’s ability to clear the boundaries with ease earned him the reputation of being one of the most destructive batsmen of his era.

In addition to his batting prowess, Yuvraj was a valuable all-rounder. His left-arm spin bowling provided a useful option for the team, and he often made crucial breakthroughs with his deceptive variations. Yuvraj’s excellent fielding skills, characterized by his agility and athleticism, added an extra dimension to his game.

Yuvraj Singh
Yuvraj Singh

World Cup Heroics:
Yuvraj Singh’s defining moments came during the 2011 ICC Cricket World Cup. He played a pivotal role in India’s victorious campaign, contributing with both bat and ball. Yuvraj’s heroics included a breathtaking innings of 57 runs and taking two wickets in the final against Sri Lanka. He was awarded the Player of the Tournament for his exceptional performances throughout the event. Yuvraj’s contributions were instrumental in India lifting the World Cup after a gap of 28 years.

Battle with Cancer and Comeback:
In 2011, Yuvraj Singh was diagnosed with a rare form of lung cancer. He underwent rigorous treatment and showed immense courage and determination in his battle against the disease. Yuvraj’s successful recovery and subsequent comeback to cricket were a testament to his fighting spirit and resilience. His return to the cricket field after conquering cancer inspired millions of people around the world.

Legacy and Philanthropy:
Yuvraj Singh’s impact extended beyond the cricket field. He established the YouWeCan Foundation, a charitable organization aimed at creating cancer awareness and supporting cancer survivors. Yuvraj’s personal journey and his foundation’s initiatives have helped in raising funds for cancer treatment and creating awareness about early detection and prevention.

Retirement and Enduring Inspiration:
Yuvraj Singh announced his retirement from international cricket in 2019, leaving behind a legacy of achievements and unforgettable moments. His fearless approach to the game, ability to rise to the occasion, and his triumph over adversity have made him an enduring inspiration for aspiring cricketers and fans worldwide.

Conclusion:
Yuvraj Singh’s cricketing journey is a tale of triumph, courage, and resilience. His explosive batting, exceptional fielding, and all-round abilities made him a force to be reckoned with on the cricket field. Yuvraj’s contributions to Indian cricket, particularly his heroics in the 2011 World Cup, will forever be etched in the memories of cricket enthusiasts. Beyond his cricketing exploits, Yuvraj’s battle with cancer and his philanthropic endeavors have made him a true hero and an inspiration to millions. Yuvraj Singh’s name will always be synonymous with passion, determination, and the spirit of never giving up.

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सामाजिक प्राणी

मन में कई प्रकल्प और संकल्प  उठते रहते है हम एक सामाजिक प्राणी है हम एक परिवार में रहते है हमारी या परिवार की जिम्मदारियाँ और लक्ष्य साधना पड़ता है कभी मन विचलित होता है, हमारा ख़ुद से किया वादा अपने जीवन का लक्ष्य और प्राप्ति को मन में हिसाब लग रहा होता है।

ये मन ही है जो किसी की लालच बेईमानी ईमानदारी समझदारी होने का कारण है, ये सब मन के खेल है और मन को पता है, लाखों में से एक को यह भीतर का ज्ञान जगा होता है कि सब मन के खेल है इनसे खेल के कैसे बाहर आना है , हम जितना विस्तार बाहर देख रहे है वो सब मनों में पहले घटा है फिर बाहर उसकी अभिव्यक्ति हुईं है।

मन जो भी हो क्रियाशील हो सिर्फ़ और सिर्फ़ विचार न हो उनकी अभिव्यक्ति हो उसकी बहुत सी बाँते इस दो शब्द के पिंजरे से बाहर नहीं आ पाती कहने को तो यह दो शब्द का है मन लेकिन बहुत ही गहरा सागर से भी गहरा धरती आकाश  इसमें सब समा जाते है यह कुछ भी कर सकता और न चले तो यह निष्क्रिय भी यही होता है ।

एक अच्छा स्वच्छ कार्यशील मन समाज परिवार और ख़ुद के लिए एक asset है उसकी पूँजी है किसी का धन लूट सकते है उसकी बाहर की पूँजी लूट सकते है लेकिन मन इतनी आसानी से नहीं लूट सकते जिसने बाहर ये सब विस्तारित क्या था ।

मैं यह मानता हूँ अधिकतर या कहे सब, जितने व्यक्ति उतने मन, बचपन से शिक्षा हमारे पाठ्यक्रम में अपनाना चाहिए कि पहले व्यक्ति पहचाने उसका मन क्या चाहता है क्या वो भावुक है विचारशील है चंचल है धीर गंभीर है  धोखेबाज़ है स्थिर है जो भी उसकी स्थिति हो अब वो उसको और स्वच्छ या स्वच्छ करने के उपाय जिससे एक ज़िम्मेवार समाज परिवार और देश निर्माण में सहायक होगा उसे अपनी कमियाँ और priorities मालूम हो तो खुद के लिए सब के लिये शुभ ही शुभ होगा बहुत शुभ होगा ।

मन एक बहुत ही सामान्य शब्द है जो हमारे दिमाग, विचार और भावनाओ को व्यक्त करता है, इसका अंग्रेजी में Mind कहते है मन एक ऐसा भौतिक तत्व नहीं है जो हम देख सकते है।

मन हमारे अंतरमन की एक अभिव्यक्ति है जिसमे हमारे विचार भवनाए और अनुभव होते है, यह हमारी सोच और व्यवहार डालती है, मन की स्थिति आउट स्थिरता काफी महत्वपूर्ण है हमारी ज़िंदगी के लिए , एक स्थिर और शांत मन हमारी खुशी और सुख के लिए जरूरी है, जबकी एक व्यग्रह और और असंतुलित मन हमारे जीवन में तकलीफ और परेशानी का कारण बन सकता है, मनुष्य अपने मन की स्थिति को स्वस्थ और शांत रखने के लिए की तरह के साधन अपनाते है जैसे की ध्यान, योग, भक्ति, और मन की शुद्धि के लिए मेडिटेशन मन क्यू भटकता है,

मन के भटकने के कारण कई बातों पर निर्भर करता है, कभी काभी मन के भटकने के कारण हमारी भीतरी स्थितियो से जुड़ा होता है और कभी कभी हमारे बाहर के मौसम के कारण, माहौल, और लोगों से भी जुड़ा है होता है , क्युकी हम एक सामाजिक प्राणी है जिसकी वजह से हमारा मन समाज के कार्यों में लगा होता है और वही विचार हमारे में लगातार चलते रहते है, कुछ मुख्य कारणों में से कुछ इस प्रकार है।

स्ट्रेस: हमारे जीवन में स्ट्रेस के कारण हमारे मन असंतुलित हो सकता है, जिस तरह से हमारी शारीरिक क्रियाओ में स्ट्रेस के कारण प्रभाव होता है, वैसे ही हमारे मन पर भी स्ट्रेस होता है, आलस के कारण हम अपनी जिम्मेदारियों से भागने के लिए अपने मन को किसी भी तरह से समझाने का प्रयास नहीं करते है।

भूख और नींद की कमी: जब हम भूखे या थके होते है, तो हमारा मन ही असंतुलित हो जाता है, हमारा मन अपने को थका थका और बेजूबान महसूस करने लगता है।

भावनाओ का असंतुलन: हमारे मन को कोई भी बाहरी वस्तु जैसे की एक गण एक तस्वीर या कोई बात हमारी भावनाओ और विचारों पर प्रभाव डाल सकता है, अगर हमारे मन में कोई भावनाओ का असंतुलन है तो हमारा मन भटकने का प्रयास करता है।

आवाज और शोर: आवाज ओर शोर हमारे मन पर भी प्रभाव डाल सकता है, जब हम बाहर से आवाज़े सुनते है, तो हमारे मन का ध्यान उस तरफ जाता है, इन सभी कारणों के साथ हमारे मन का भटकना एक परक्रिया है जिसमे हमारे मन के विचार और भावनाओ का असंतुलन है इसलिए, हमारे मन के विचार को शांत और स्थिर रखने के लिए हमे अपने जीवन में शांति और सुकून को ढूँढना चाहिए।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, वह जीवन के बारे में लगातार सोचता रहता है, अपने जीवन के भविष्य में कभी सोच घबराता है तो कभी बहुत खुश नजर आता है बस यही सोच है जिसकी वजह से उसके मन में संतुलन ओर असंतुलन की स्थिति बनी रहती है।

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भलाई

भलाई: कोई भी की हुई भलाई व्यर्थ नहीं जाती किसी न किसी रूप में आपको आपके जीवन को सुखद अहसास दे जाती है,  किसी के लिए यही सुखदायी होगा, कि ईश्वर, वाहेगुरु, अल्लाह या कहे कुदरत ने हमे इतना सक्षम बनाया की हम किसी के काम आ सके  बहुत सकारात्मक ऊर्जा होती है, ऐसे व्यक्तित्व  में और ऊपर से  उनमे बदले में कुछ प्राप्त करने की  चाह न हो तो सोने पे सुहागा है, ऐसा जीवन का व्यवहार और इसका फल ज़रूर ज़रूर मिलेगा इस बात में कोई दो राय नहीं, कहने का मतलब है, नेकी कर जितनी कर सकता है जितना सामर्थ्य है।

और दिल से और कुँए में तालाब में नदी नाले या समुंदर में उसे फैंक और भूल जा , बाक़ी मुझे लगता हो करम आसमान में  उछाला जाता है, अब यहे कितनी शिद्दत से  घटा है यह देखने वाली बात है वो गुरुत्वाकर्षण के कारण धरती पर लौट के आता है, इसमे कोई संशय नहीं है।

इस धरती को देखो और उसकी भलाई देखो सूर्य के गिर्द घूम रही है वो भी दो गतियों में धरती  वालो  से आपने घूमने दिन रात  की मौसमौं की धरती के वृक्षों  की उनसे उत्पन्न  आक्सीजन की पानी की पहाड़ों की हरियाली की फल सब्ज़ियों की अनगिनत भलाई है, धरतीवासी को मिले सुखो की करोड़ों सालों से निरंतर लगातार भलाई कर रही तभी जीवन पनप रहा है आगे विस्तारित हो रहा है तो क्या यह प्रकृति धरती की भलाई नहीं है मनुष्य और यहाँ के प्राणियों के प्रति।

हमारा शरीर भी हमारा नहीं है यह हमारी माँ की भलाई ही है, उन्होंने न जाने कितने कष्ट होने के बावजूद आपको अपने शरीर में नौ महीनों हमे सम्भाला और हमे अभय दान दिया और फिर जन्म दिया पाला पोसा यह भी प्रकृति का सिस्टम भी है भलाई, बस इच्छा, बिना चाह के करते जाओ जो तुमसे बन सके वो बनाते जाओ, किसी का वुर मत सोचो, बस भलाई हो किसी, कुछ भी कार्य करो उसमे सिर्फ अपना हित मत देखो, दूसरों का भी हित देखो, यही प्रकृति का नियम है।

क्या यह प्रेरणा नहीं है भलाई के लिए , मेरे सोचे तो यह बहुत प्रेरणादायक है यह बताता है, कि निस्वार्थ भाव से अच्छा करे और जिसकी ओट में हम है, धरती माँ वो जैसे बदले में  कुछ नहीं चाहती और फिर हमारे साथ तो जुड़ा है, फल मिलेगा अब समझिए हमे भलाई करनी चाहिए और दूसरो को भी करने की प्रेरणा उत्साह देना चाहिए।

जीवन चलने का नाम चलते रहो सुबह शाम, चलो अच्छे से चलो किसी का कुछ भला कर सकते हो तो ज़रूर करो और मान भी लेना हो सकता है,  उधर से बुराई आये बस आपके कर्म में शुद्ध बुद्धि और हृदय का प्रयोग हो फिर आपका अंतःकरण स्वच्छ है, निर्मल है भला हो सबका मेरे लेख से यदि कोई प्रभावित हो तो उनका बहुत आभार सब का बहुत आभार।

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महंगाई

महंगाई  जिसका आर्थिक नाम मुद्रास्फीति है समाज की शापित सच्चाई  अर्थव्यवस्था की डायन जो भारत देश के निम्न वर्ग, माध्यम वर्ग , शहरी मध्यम वर्ग तथा असंगठित उद्योगों से जुड़े  आम जन जो लगभग 100 करोड़ लोग इसकी चपेट में कसमसा रहे  है  इसके शिकंजे में है।

सरकारे कहती है अभी गर्मी इस कारण महंगाई है, अभी सर्दी है इस कारण महंगाई है लेकिन यह नहीं बताती कि ग़लत आर्थिक नीतियों का परिणाम है यह डायन महंगाई जो निरंतर है सरकार का महंगाई से निपटना टेडी खीर है, यह इतनी तेड़ी खीर है जिसका कोई हल नहीं मिल रहा, दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है, इसके ठहरने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा, जैसे जैसे हम विकास की ओर अग्रसर हो रहे है वैसे वैसे समान की कीमतों में भी वृद्धि हो रही है, यदि यही तेजी रही तो निम्न , ओर माध्यम वर्ग का व्यक्ति तो महंगाई के नीचे दबकर ही मर जाएगा।

महंगाई
महंगाई

दिन ब दिन आपके पैसे की क्रय शक्ति कम हो रही है इस डायन के उत्पात से  घर परिवार  में बढ़ता तनाव  हर व्यक्ति दबाव में इसके लोग उधार अधिक ले रहे है मुनाफ़ाख़ोर ब्याजख़ोर ही पैसा कमा रहे है सरकारे सिर्फ़ पूँजीपतियों का कर्जा माफ़ कर रही है न कि किसानों का असंगठित उद्योगों का न आम जन का ।

यदि सरकार महंगाई पर नियंत्रण रखना चाहती ही तो आर्थिक तरीक़ा सकुचनकारी नीति  द्वारा बाँड्स की क़ीमत कम करके और ब्याज दरों के विस्तार से किया जाए, जब रंग चढ़ेगा तो माँग कम होगी तो क़ीमतों में गिरावट आएगी।

महंगाई द्योतक है अर्थव्यवस्था बीमार है और इस अर्थव्यवस्था को चलाने वाले प्रयोग करने वाले सही सोच के नहीं है यह दर्शाता है। यदि एह सरकार कीमतों को नियंत्रण करने की कोशिश करे तो सबकुछ संभव हो सकता है, आज युवा वर्ग ज्यादातर समान अनलाइन मांग रहा है, जिसकी वजह से भी मूल्यों में वृद्धि हो रही है, ओर बहुसंख्यक लोगों को कीमतों के असली मूल्य पता नहीं होते, बस वो एक दुकान पर देखते है ओर दूसरा online वही उनको कुछ फरक समझ आता है तो ठीक है वरना वो अनलाइन मंगा लेते है, लेकिन उसके पीछे के हकीकत को जाचने की कोशिश नहीं करते, बहुत सर समान अनलाइन नकली मिलता है, उदाहरण के तौर पर किताबे अधिकतर यूपीएससी की किताबे व एनसीईआरटी की किताबे आजकल नकली छपाई हो रही है ओर यही किताबे अनलाइन सस्ते दामों पर मिलती है, इनके ऊपर कोई कानूनन कार्यवाही नहीं हो रही, इसी तरह से दूसरी वस्तुए भी नकली बन रही , मिलावटी समान मिल रहा है, जिसकी वजह से कीमतों में वृद्धि हो रही है। समान महंगा हो रहा है।

मेरा कहना है महंगाई से सच्चाई से तभी पार पायेंगे जब सरकार सर्व शिक्षा गुणवक्ता वाली शिक्षा समाज को देने का अथक प्रयास करेंगी,  जिससे जिम्मदार समाज का विकास होगा और अपनी कथनी करनी में समानता और ईमानदारी से नैतिक और सामाजिक मूल्यों को स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा। हम सभी इस कार्य को दिल से करेंगे और पैसा का विस्तार सब और फैलायेगी असंगठित संगठित  उद्योगों में विकास में अपना सहयोग और पारखी नज़र रखेगी  नीति तथा नीयत ठीक होगी  तो सब संभव है, हम संकल्प ले इस डायन का ख़ात्मा करना है समाज को सच्ची उन्नति की राह पे लाना है।

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मौका

मौका
हर क्षण मौका है अपने विचारों में शुद्धता लाने की  प्रामाणिकता  का मौका है कौन कौन से विचार जीवन को सुधारते हो उनका सदा सिमरन करे ऐसे विचारो का विकास करे उनमे अपनी सोच का बल डाले , सुधार एक निरंतर क्रिया है इसके क्रियान्वयन में लगे रहे आप मौके का लाभ ले पायेंगे ।
जीवन मौक़ा ही मोका है।

यहाँ बुरे कर्म करने का भी मौका है और अच्छे सम कर्म करने या बेफ़ज़ूल के कर्म करने का मौक़ा है ये व्यक्ति विशेष पे आ जाती है, बात वो कौन सा कर्म जगाना बनाना चाह रहा उसकी दिशा गति और व्यक्ति ख़ुद निर्धारित करता है ।

इस धरती पर हम आये एक निश्चित अवधि के लिए और जब आये है, तो बोझ तो बनाना नहीं है मिला जब यहाँ से सबकुछ तो यहाँ वापस लौटाना भी एक ज़रूरी आवश्यक क्रिया है जो एक संदेश है, दूसरो के लिए तो मैं कहूँगा आप मौक़ा ढूँढे कैसे हम सक्षम हो अपना कमाया अपनी समझ दूसरो से बाँट सके।

हर व्यक्ति के लिए मौके की व्याख्या अलग अलग किसी को किसी दुखी को सांत्वना या सुख देकर ख़ुशी मिलती है वो वही मौके खोजता है, और एक व्यक्ति को सताने में दुख देने में ख़ुशी मिलती वो उन मौको की तलाश करता है, किसी व्यक्ति को किसी कार्य में कुशलता चाहे सही चाहे ग़लत बढ़ाने के मौके से जीवन में प्रसन्नता मिलती किसी को धन कमाने के मौक़ो से ख़ुशी मिलती है, किसी को सोना चाँदी हीरे जवाहरात जमा करने में मौक़ों का प्रयोग करते है, तो हर व्यक्ति की मौके को लेकर उसका दर्शन है ।

इंसान होने के नाते हमारा नैतिक दायित्व है हम अपने विचारों को निरंतर सुधारे क्यूँ क्योंकि इसी में हितलाभ है, यह सिर्फ़ कहने की बात नहीं सच है और समाज देश को कुछ देने वाले बने खोजे मौके या फिर बनाये मौके।

हमे जीवन रूपी मौका मिला है चलो उसे पवित्र करे चूँके न। यही मेरी भाषा शैली। तो आख़िर में कर क्षण एक मौक़ा है, उसका सदुपयोग करे दूसरों को भी अच्छा करने का मौजा दे ।

हैप्पी मौका दिन

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