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समय का सदुपयोग

यदि समय का सही सदुपयोग नहीं होता है तो अक्सर मेरा मूड खराब हो जाता है, मेरा मूड जो इस समय काफी खराब है वो ठीक ही नहीं हो रहा लगातार बिगड़ता ही चला जा रहा है, जैसे पहले हो रहा था जब मैं अपनी पुरानी दुकान पर था, तब भी मेरे साथ यही हो रहा था लेकिन मैं उधर फिर भी बीच बीच में खुश रहता था क्युकी वहाँ लोग मिलने के लिए आते रहते थे, जिनसे बाते करके शब्द हल्के हो जाते है, मन में जो बाते घर कर जाती थी वो निकल जाती थी बाहर, जिन बातों की वजह से भीतर घुटन महसूस होती थी वो भी हल्की हो जाती थी जब किसी बच्चे से बाते हो जाती थी, अच्छी बातों में समय बीत जाता था, लेकिन इस समय ऐसा कुछ नहीं हो रहा।

मेरा समय बिल्कुल खराब हो रहा है ऐसा मुझे लगता है, मैं अपने समय का भरपूर लाभ नहीं उठा पा रहा, समय व्यर्थ ज्यादा हो रहा है जिसकी वजह से मन अशांत हो रहा है, मुझे अपने जीवन में सबसे अमूल्य वस्तु मेरा समय ही मुझे लगती है जब कोई इसका हनन करता है तो मेरा क्रोध अधिक हो जाता है, मुझे एकांत में रहना ज्यादा पसंद है, शोर शराबे से मुझे चीड़ मचती है, वो एक तरह से ध्वनि प्रदूषण है, साफ सुथरे वातावरण को पूरी तरह से दूषित किया जा रहा है।

उन शब्दों से जिनका कोई महतव नहीं है, ओर जो बुरे विचारों को बढ़ावा देते है उस प्रकार के विचार हमारे वातावरण में छोड़े जा रहे है, जिसकी समझ आज के मानव को बिल्कुल भी नहीं रही, उन्हे लगता है आजकल हर कोई गाली बक रहा है तो क्या ही फर्क पड़ेगा यदि मैं भी दु तो, इसी तरह यह बाते जो हमारे वातावरण को दूषित कर रही है लेकिन इन सभी पर कोई नियंत्रण व कानून नहीं है।

समय का सदुपयोग करना ओर अच्छी वार्तालाप करना ही उचित है ओर उसी को समय का सदुपयोग कहा जाता है, भगवत चिंतन में समय को अधिक से अधिक लगाना ही मेरे जीवन का उद्देश्य है।

यदि मैं अपने समय को व्यर्थ के कार्यों में लगता हूँ तो मेरा मूड खराब होने लगता है, मैं छिन्न भिन्न होने लगता हूँ, मेरे भीतर क्रोध भर जाता है, इसलिए पिछले कुछ दिनों से मेरा मूड अधिक खराब हो रहा है।

इसके साथ साथ मैं कुछ भी बेहतर नहीं लिख पा रहा हूँ, सिर्फ मन मस्तिष्क में वही विचार घूम रहे है जिनकी वजह से लिखने में रुचि नहीं बन पा रही है। मन जब शांत स्थिर होता है तो लिखने में आनंद आता है।

घर पर बैठकर

घर पर बैठकर अपने समय को बिना वजह के कार्यों में बर्बाद करना ओर उसके अलावा कुछ ना करना, अपनी मर्जी से ही इधर उधर जाना आना बस कुछ नहीं करना, बैठे बैठे थक जाते हो तो कभी लेट जाते हो, कभी टीवी देख लेते है, तो कभी कुछ कर लेते है, बस कुछ इसी तरह से दिन निकल जाता है, तुम्हें लगता है तुम्हारा समय पास हो गया है, लेकिन समय को पास करना कितना सही है, ओर कितना गलत है ये जानना जरूरी है, समय की हानी ना हो इसलिए समय को उचित जगह पर लगाया जाए, समय की बर्बादी को रोका जाना चाहिए, बेवजह के कामों से जरूरी के कार्यों में समय को लगाया जाए, जिससे उससे कुछ परिणाम आगे आने वाले भविष्य को फायदा पहुच सके।

पहले के समय में हम समय को इसी तरह से व्यर्थ कर देते थे, लेकिन आज के समय में हमारे पास बहुत सारे ऐसे साधन है जिनसे हम अपने समय की बचत ओर समय का सदुपयोग कर सकते है, जिस तरह तरह ब्लॉगिंग ओर वलॉगिंग इन दोनों का ही बहुत प्रचलन है हम घर बैठ कर यह दोनों चीज़े बहुत अच्छी तरह से कर सकते है।

घर पर बैठकर सिर्फ समय की हानी करना उचित नहीं है, कुछ ऐसा किया जाए जिससे समय बेहतर हो सके, हर रोज कुछ अच्छा करे जिससे हमारा आने वाला कल बेहतर होता जाए, आज में कुछ बेहतर किया जाए तभी कल बेहतर होता है। आज उसका परिणाम नहीं दिखता लेकिन कल में व सुनहरा होता है।

मुझे भी पता ही नहीं चला की कब 11 महीने बीत गए घर पर बैठे कर ही, ओर लिखने में व्यस्त हूँ लेकिन जीवन में असत व्यस्त नहीं हूँ, इसीलिए जीवन हर रोज बेहतर हो रहा है, उस बेहतर में खुद को तलाश करने की कोशिश में लगा रहता हूँ।

हम अपने लक्ष्य को पाने में देरी अवश्य कर सकते है लेकिन विफल नहीं होते यदि हम लगातार कार्य करते है, इसलिए हमे अपने समय की हानी नहीं करनी चाहिए, घर बैठकर उस समय का लाभ उठाना चाहिए जो समय हमे मिल है, उसे यू ही व्यर्थ ना जाने दे।

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मेरी दिनचर्या

हर रोज की मेरी एक नई कहानी है, मेरी दिनचर्या जिसमे मैं कभी लिखता हूँ तो कभी कुछ नहीं लिखता लेकिन सोचता बहुत हूँ मैं की क्या मुझे नया लिखना चाहिए, कैसे मैं अपने दिन को बेहतर बना सकु मेरा दिन तो तभी बेहतर होता है जब मेरे मन में अच्छे विचार आते है, ओर विचारों को पन्नों पर उतार देता हूँ बस फिर क्या वही दिन बेहतर, शानदार ओर जबरदस्त हो जाता है।

मैं सुबह 8:30 ओर 9 बजे के बीच में उठता हूँ, थोड़ा बहुत शरीर को स्ट्रेच करता हूँ जिससे की शरीर खुल जाए, फिर फ्रेश होता हूँ ओर नहाता हूँ समय 9:45 लगभग हो जाता है, सुबह का नाश्ता करके 11 बज जाते है, इस समय के दौरान भी लैपटॉप पर कुछ समय काम कर लेता हूँ ओर साथ ही स्टॉक मार्केट भी देख लेता हूँ, 11 बजे मैं अपना लैपटॉप उठाकर बिल्कुल तैयारी के साथ काम करने लग जाता हूँ, फिर मैं अपने विचारों को देखता हूँ ओर लिखता हूँ।

लगभग समय तो इसी तरह से ही निकल रहा है, कुछ अपने घर के छोटे मोटे काम में भी उलझ जाता हूँ, ओर फिर क्या बस घर का झाड़ू पोंछा भी मैं ही कर रहा हूँ जबसे मैं घर में रुकने लगा हूँ, यह काम करने लग गया हूँ जिससे मम्मी के काम में उनको मदद मिल जाती है थोड़ी बहुत उसके बाद मैं पापा की दुकान पर चला जाता हूँ, लगभग 2:30 घंटे दुकान पर बिता कर आता हूँ, दुकान पर भी मैं अपना काम करने के लिए लैपटॉप साथ लेकर जाता हूँ, कुछ समय अपना काम भी कर लेता हूँ। बस मेरी यही सोच रहती है की जितना ज्यादा से ज्यादा समय अपने लिखने के लिए निकाल सकु उतना निकाल लिया करू, नहीं तो लिखने की आदत भी कम हो जाएगी।

4.30 बजे लगभग घर पर आकार चाय पीता हूँ, ओर कुछ खाता हूँ, ओर साथ साथ कुछ देर टीवी चलाकर देखता हूँ समय तो फिर से भागा हुआ ही दिखता है कब 8 बजने को होते है पता ही नहीं चलता ओर फिर मेरा दुबारा दुकान पर जाने का समय हो जाता है। उससे पहले मैं 7:15 पर एक कप चाय ओर पी लेता हूँ।

8 बजे मैं फिर से दुकान पर चला जाता हूँ, फिर 1 घंटे के बाद आता हूँ समय लगभग 9 बज जाता है कुछ उआर भी हो जाता है कभी कभी, घर आकार हाथ मुँह धोने के बाद रात का भोजन करता हूँ ओर कुछ समय फिर टीवी देखते हुए जब समय दस ओर सवा दस का हो जाता है उसके बाद मैं अपने कमरे में जाकर काम करने लग जाता हूँ, दो से ढाई घंटे लगभग काम करता हूँ उसके बाद सोता हूँ।

यही एक तरह की मेरी दिनचर्या हो गई है, हर रोज मैं लगभग इसी तरह से अपने समय को व्यतीत कर रहा हूँ जिसमे मुझे कभी उत्पादक लगता है ओर कभी नहीं क्युकी कई बार मेरा समय अपने घर के कार्यों में भी बीत जाता है, ओर काफी बार दुकान पर भी पूरे ध्यान से अपना काम नहीं कर पाता हूँ, इसलिए इस दिनचर्या को ओर बेहतर बनाने की ओर कोशिश कर रहा हूँ, ओर हर बार आपको कुछ न कुछ बेहतर करने की कोशिश करते ही रहना चाहिए, कुछ अच्छा करने की कोशिश ओर चीजों में लगातार सुधार करने से रोजाना का जीवन बेहतर होता है।

इस समय को अनमोल बनाने के लिए मुझे बेहतर सोचना पड़ेगा तभी दिन बेहतर हो पाएगा, इस समय के अंदर ही मुझे ओर समय निकालना होगा जिससे की मैं ज्यादा काम कर सकु ओर बेहतर लिख सकु, मुझे लगभग 8 महीने हो गए है इसी तरह से मुझे मेरी दिनचर्या को अपनाते हुए, जिसमे मैं बहुत कुछ नया नहीं कर पा रहा हूँ, लेकिन जितना मुझे लगातार होना चाहिए था इस समय मैं उतना अपने काम के प्रति लगातार हूँ, जिसकी वजह से मैं अपनी काम करने की रफ्तार को बरकरार रख पा रहा हूँ, ओर बेहतर बना रहा हूँ।

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