मानव का मनोविज्ञान
आगे करता उसका व्याख्यान ।
जब ये मन करता समस्या का ध्यान….
अनेक समस्याएँ कमर कस लेती ठान ।
जब मन संभावनाओं का लेता संज्ञान …
नई नई संभावनायें सुर से करती गान ।
यह मानव का मनोंविज्ञान ….
विचार करे किसका करेंगे ध्यान ।
मन विकास ही मानव का विकास….
मन सदा करे सही पथ का प्रयास ।
जब मन करेगा सही पथ का चुनाव…
पथ भी बुलाएगा खेलेगा अपना दावँ ।
समस्या या संभावना जिसको चुनेंगे…
जो चुनेंगे उसी विषय हम आगे बढ़ेंगे ।
मानव का मनोविज्ञान….
मानव का मनोविज्ञान, अद्भुत विज्ञान है,
मन की गहराईयों को समझना, यह वहम है।
मनुष्य के भावों की गहराई में छुपे रहस्यों को,
सुलझाना, विश्लेषण करना, यही है विज्ञान का आदर्श।
हमारे मन में छिपी भावनाओं का खेल है यह,
जो भूतपूर्व और अदृश्य है, जानने का अभिषेक।
शोधकर्ताओं ने किया मानव का अध्ययन,
मन की अनगिनत गहराइयों का खोजना, यही है उनकी महत्वपूर्ण मिशन।
मन की विचारधारा, उत्पत्ति से लेकर विकास तक,
बदलती रही हमेशा, इसका मनोविज्ञान है अविरत।
ज्ञान के राजमार्ग से भ्रमित मनों को दिशा देता,
व्यक्ति के व्यवहार को समझना, यही है इसका सिद्धांत।
व्यक्ति की प्रवृत्तियों को विश्लेषण करता,
मन के भीतर छुपी मानसिकता को समझता।
संघर्षों, आनंदों, भयों की उत्पत्ति का कारण,
मनोवैज्ञानिकों ने खोजा, यही है उनका ज्ञान।
हमारे मन के गहरे अभिप्रेत अवस्थाओं को,
व्यक्त करना, उन्हें समझना, यही है मनोविज्ञान का लक्ष्य।
समाज की समस्याओं का हल ढूंढना है यहाँ,
मानव के मन को जानना, यही है इस विज्ञान का ध्येय।
क्या मैंने किया सही व्याख्यान ?