Posts tagged uljhan ek kavita

उलझन में है दिल

उलझन में है दिल मेरा, अटका हुआ इस अँधेरे में,
कहीं समझ नहीं आता क्या सही है, क्या गलत में।

ये उलझन की घनी धुंध ने मेरी राहें बाँध ली हैं,
एक आस बना कर जीता हूँ, कि शायद बदल जाएं वही।

मैं तो जानता हूँ अब आगे बढ़ना होगा जरूर,
पर राह तो बेख़बर है, जिसे मैंने सोचा था वही नहीं है।

फिर भी ना उदासी है दिल में, ना हार का अभाव है,
कोशिश करता हूँ हर उलझन से अटके हुए समझौते कर लूँ।

जब भी उठती है उलझन की लहर, तब भी खड़ा रहता हूँ मैं,
उस समय भी ढूँढता हूँ मैं अपने अंतर की शांति के लिए।

उलझन की इस घनी धुंध में, बस यहीं हूँ मैं अकेला,
पर उठती हैं मुझमें नयी उमंग, कि एक दिन निकलूँ मैं जीता-जगता हुआ।

उलझन में है दिल मेरा, अटका हुआ इस अँधेरे में

एक अजीब उलझन है

यह उलझन खत्म होने का नाम नहीं लेती बस बढ़ती ही रहती है एक उलझन खत्म होती है तो दूसरी उलझन का तार जुड़ जाता है मानो जिंदगी उलझाने के लिए ही बनी है, इसी तरह से चल रही है मेरी जिंदगी भी जिसमे एक अजीब सी उलझन है, उसी पर मैंने एक कविता लिखी है।

एक अजीब उलझन में फंसा है इंसान
क्या वो अनजान , लापता है ?
क्या उसे अपने दर्द का भी पता है ?

कुछ बात दबी सी कुछ बात उभरी है
दिल में बेचैनी है कुछ बेसब्री है
कुछ इम्तिहान बाकी है

और कुछ देकर आए है
बस बीते हुए दिनों में
कुछ खुशी और कुछ गम छिपाए है

उन्हें क्या पता ?
कि हम किस दर्द से गुजर कर

फिर दुबारा उस प्यार में पड़ने आए है
जिसमे हमने ना जाने कितने पहले ही दर्द सहकर आए है।
#Rohitshabd

एक अजीब उलझन में फंस गया इंसान है , जीसे न दर्द का पता न आराम का
uljhan