Date Archives March 2020

भीतर तकलीफ गहरी

बात कुछ भी नहीं थी लेकिन
मेरे भीतर तकलीफ गहरी थी
चार दिवारी में भी लगती दोपहरी थी।
दिन भी नही कटते थे
रात की तो बात क्या करु?
अश्क़ रुकते नही थे गाल सूखते नही थे

उन्हें बार बार रुमाल से पूछ  साफ क्या करु ?
ना जाने ये कैसी बीमारी थी ?
लेकिन किसको बताये किसे समझाए
ये तकलीफ तो हमारी थी
वो साथ ना थे हमारे इस बात की भीतर तकलीफ गहरी थी

इसलिए सिर्फ दिन ही नहीं
रात भी अब मुझ पर भारी थी।
किसी ने खूब समझाया लेकिन
मुझ पागल को कुछ समझ ही नहीं आया
उसने बार बार समझाया

कई बार प्यार से बताया तो कई बार गुस्से में बताया
लेकिन मै बेवकूफ इतनी सी बात नहीं समझ पाया

दिन रात बस तेरा ही जिक्र
 मेरे ख्यालों में,
 जिसको मै अब तक भुला नहीं पाया ,
 आंखो से औझल भी नहीं कर पाया

बड़ी कुटिल

बड़ी कुटिल
बड़ी छली
सी सोच लगती है,
जब मै राजनीति की बाते करने लगता हूं
जिंदगी ही जिंदगी पर एक बोझ लगती है
अभी शुरुआत है या अंत पता नहीं चलता
एक धर्म , एक जाती , एक देश , एक वर्ण
किसी दूसरे का अधिकार बस छलते हुए ही है दिखता
अपनी सत्ता , अपना लालच ,दम, अहंकार और साहस पर क्यों ए इंसान तू चलता है ?
कौन हिन्दू है ? और कौन मुस्लिम है ?
इसका फैसला क्यों ?
ये तुच्छ सा इंसान करता है
धर्म परिवर्तन तो कभी धर्म के नाम पर ही लड़ता है
तकलीफ किसको किससे है ?
भाषा से है या वर्ण से है
ये कोई क्यों नहीं समझता है ?
एक देश है उसके टुकड़े तुम करना चाहो
क्या ऐसा दुस्साहस भी कोई करता है? बड़ी कुटिल बड़ी चली सी सोच लगती है

सौदा फिर कोई कर

सौदा फिर कोई कर रहा है
मेरे ख्यालों का
तुम याद रखना इस बात को सौदा फिर कोई कर रहा है
फिर मेरे ख्यालों का
जुबान ,दिल ,दिमाग , सब अस्त व्यस्त हो रहे है
क्युकी
अब सवाल उठ रहा है जहन में उनसे दूर हो जाने का , उनसे रूठ जाने का ,
उनको भूल जाने का ,
उनको सच्चा ओर खुद झूठा बनाने का ,
उनका चित्र सजाने का खुद को चरित्रहीन बताने का , उनको मासूम बताने का और खुद शैतान बनाने का सौदा फिर कोई रहा है इस दिल का

सौदा फिर कोई कर रहा है इस दिल का
सौदा फिर कोई कर रहा इस दिल का

तालियों में शोर है

तालियों में शोर है मुझे तालियों की गड़गड़ाहट का शोर नही चाहिए
इसमे भी मुझे हिंसा दिखती है,

दो हाथो के बीच जो आवाज होती है उसे शब्दो की
की गूंज को दबाना कहते है

तालिया बजाकर मेरी तौहीन ना करो
ये दो हाथो के बीच का शोर बस इसे थोड़ा कम ही करो

ये जो तुम्हारी तालियो की गड़गड़ाहट है न मुझे अच्छी नही लगती
आजकल तो ये तालिया हर गली चौराहे पर 10-10rs में बिकती है

तुम्हारे जो इन हाथो के बीच का शोर है ना
किसी ने इसे भी हिंसा कहाँ है

कुमति निवार सुमति के संगी

“कुमति निवार सुमति के संगी”

जब आप एकांत , ध्यान में होते है प्रकृति की छत्र छाया में होते है तब आपके भीतर बहुत सारे अच्छे विचारो का संचालन होने लगता है और तब बुरे विचारो से मुक्त होने लगने है और आप अपनी सारी दुरबुद्धी को बाहर निकाल देते है और सुमति का आचरण करते है


ऐसा ही हर जगह देखने को मिल रहा है बेशक हम सभी कुछ घबराए हुए है लेकिन घबराहट तो उस अर्जुन को भी हुई थी अर्जुन तो क्षत्रिय था तब भी वो घबराहट से भरा हुआ था
जब श्री कृष्ण ने अर्जुन को यज्ञ निहित कर्म करने को कहा था


आज हम सभी को भी प्रकृति प्रेरित कर रही है और हम भी शायद प्रेरित हो रहे है तभी हम सभी लोग सकारात्मक सोच की और बढ़ रहे है


इस मुश्किल घड़ी में , फेसबुक , वॉट्सएप, ट्विटर, आदि कहीं भी सोशल मीडिया पर इस समय कोई राजनीतिक , सामाजिक , बुरी ख़बर नहीं है ना ही कोई लड़ाई झगड़ा आदि इत्यादि है जैसा कि हम सुबह से शाम तक इतना स्क्रॉल करते है तब हमे ना जाने कितनी ही नकरात्मक खबरे पढ़ने को मिल जाती है कभी किसी को ट्रोल करते है तो कभी किसी गालियां देते है परन्तु आज हम सभी एक दूसरे सिर्फ यही कह रहे है “घर में रहिए कुछ ना करिए”


अब हमारी
सिर्फ एक यही कोशिश है Corona को हराने की जिस पर हम जीत जरूर हासिल करेंगे हमारे विचार आचरण सभी शुद्ध हो रहे है इससे तात्पर्य यह की प्रकृति अपने ऊपर से एक परत,एक आवरण हटा रही है


जो तामसिक परत है उसे हटाकर सात्विकता की और बढ़ रही है मांस खाने से लोग घबरा रहे है , जीवो के बारे में लोग सोच रहे है यही सुमति है , यही सुविचार है, कुमति से मुक्ति है , बुरे विचारों से दूर होना है और अच्छे विचारो का समावेश करना है।


प्रकृति के संदेश को कभी भी नजरअंदाज ना करे प्रकृति के साथ सदैव जुड़े रहे।

Rohitshabd

Baaghi 3

किसी ने Baaghi 3 देखी क्या ? अगर नहीं देखी तो मत देखना आजकल फिल्म बनाना कोई आसान बात नहीं है बहुत मुश्किल काम है डायरेक्टर साहब ने जिस तरह से फिल्म बनाई है उससे पता चल गया कि साउथ की फिल्म को चुराना कितना आसान है इस फिल्म की कहानी लगभग 5 साल पुरानी है साउथ की फिल्म में और बॉलीवुड आज दिखा रहा है मतलब हम इतने पीछे है ?? कुछ तो शर्म करो बनाने और दिखाने के लिए

बॉलीवुड दिखाना क्या चाहता है?? हमें ये फिल्म वाले कुछ भी दिखा रहे है और हमदेख रहे है हमारे पैसों की कद्र तो करो यार

और वन मेन आर्मी वाह पूरा सीरिया तबाह कर दिया एक अकेला टाइगर श्रॉफ ने भाई ओर कुछ नहीं मिला दिखाने को ??? इसके एक्शन , स्टंट कितने शानदार थे लेकिन क्या एक साधारण आदमी पर इतना सबकुछ जायज है ??

सुपर हीरो बनाया होता तो समझ आता कुछ की एक साधारण आदमी की  इमेज एक सुपर हीरो की तरह से रखी है लेकिन आपने तो एक आम आदमी को को कितना ही सुपर हीरो कर दिया बिना लॉजिक के फिल्म को बनना बंद कर दीजिए अब नहीं पचती एसी फिल्म
इससे ज्यादा अच्छी तो 1990 की फिल्में थीं जिनमें कुछ लोग ही पूरी फिल्म को बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत करते थे।

इतना कौन ताकतवर होता है भाई ??

bhaagi 3
baaghi 3

एक अजीब उलझन है

यह उलझन खत्म होने का नाम नहीं लेती बस बढ़ती ही रहती है एक उलझन खत्म होती है तो दूसरी उलझन का तार जुड़ जाता है मानो जिंदगी उलझाने के लिए ही बनी है, इसी तरह से चल रही है मेरी जिंदगी भी जिसमे एक अजीब सी उलझन है, उसी पर मैंने एक कविता लिखी है।

एक अजीब उलझन में फंसा है इंसान
क्या वो अनजान , लापता है ?
क्या उसे अपने दर्द का भी पता है ?

कुछ बात दबी सी कुछ बात उभरी है
दिल में बेचैनी है कुछ बेसब्री है
कुछ इम्तिहान बाकी है

और कुछ देकर आए है
बस बीते हुए दिनों में
कुछ खुशी और कुछ गम छिपाए है

उन्हें क्या पता ?
कि हम किस दर्द से गुजर कर

फिर दुबारा उस प्यार में पड़ने आए है
जिसमे हमने ना जाने कितने पहले ही दर्द सहकर आए है।
#Rohitshabd

एक अजीब उलझन में फंस गया इंसान है , जीसे न दर्द का पता न आराम का
uljhan

पता नहीं

“पता नही” यह एक ऐसा जवाब है

जो अनेको दुविधाएं उतपन्न करता है और इसका निष्कर्ष कुछ भी नही है

और इस कुछ भी नही से प्राप्त होता है

आपके समय की हानि जिसका हर्जाना कोई भी नही भुगत सकता।

पता नहीं

पता नहीं सिर्फ दो शब्द लेकिन मन में अनेकों प्रश्नों को जन्म दे देते है यह दो शब्द मान लीजिए आप किसी को अपने दिल का हाल बता दे, ओर उससे आपको एक बेहतर जवाब की अपेक्षा हो उसके बदले वो सिर्फ यह कह दे की पता नहीं तो आप समझेंगे, ना जवाब हा में आया ओर न ही ना में आया ओर साफ साफ शब्दों में आपके प्रश्न का उत्तर भी नहीं आया तो मन में तो हजारों पर्ष्णि का आना सहज ही है, यह एक दुविधा है आपको फिर से दुबारा वही प्रश्न पूछना होगा ओर फिर जवाब की तलाश में आप रहेंगे।

हो सकता है आप एक लंबा इंतजार भी करे उस जवाब के लिए जवाब आपके बहुत जरूरी है परंतु जवाब तो नहीं आया आप सिर्फ में लटके हो क्युकी जवाब ना हाँ था ओर ना ही ना उनका जवाब “पता नहीं” था जिसका यह अर्थ निकलता है तो इसका उत्तर उन्हे भी पता नहीं जवाब हाँ ओर ना कुछ भी हो सकता है।

समय तो अपनी गति में भाग रहा है ओर इंतजार जवाब के लिए लंबा होता जा रहा है, मन में सवाल बढ़ रहे है, मन में दवंध बढ़ रहा है, मन में चिड़चिड़ापन ओर परेशानी बढ़ती जा रही है जिसकी वजह से हम उस एक स्थिति में बंध जाते है

ना आप पीछे हट पा रहे हो ओर ना ही आगे बढ़ पा रहे हो जिस संबंध को या तो खत्म हो जाना था या आगे बढ़ जाना था उन दोनों में से कुछ नहीं हो रहा बस इनके विपरीत ही परिस्थिति बन रही होती है।

क्युकी जवाब “पता नही” था

गलतफहमी

यू तुम्हारी सारी गलतफहमी भी मिटा दूंगा , बस तुम मेरे सामने एक बैठ जाना, दिल को भीतर से खोलकर दिखा दूंगा , बस तुम एक बार मुझे मिल जाना….

गलतफहमी का शिकार वो इश्क हमारा हुआ ही नहीं कभी #rohitshabd
galatfehmi

वो इश्क़ हमारा हुआ ही नहीं कभी
जिसे हम गलतफहमी ना जानकर मानते रहे।