Date Archives January 2024

उलझन

उलझन तुम्हारी थी
मेरा क्या था?

जिद्द तुम्हारी थी
मेरा क्या था?

वहम तुम्हारा था
मेरा क्या था?

मै अधूरा था और अधूरा ही रह गया
सपने जो पूरे करने थे
उनको भी भूलकर तुम्हारे साथ जीने में
मै मसगुल हो गया

इस बात से ये समझ आया
की तुम्हारा क्या गया?
मै जहां था अब तो मै वहां भी नहीं
मेरी मंजिल, मेरा सफर, मेरी दासता

मेरी हर डगर कहीं रुक गई क्युकी
मुझे तो ये भी नहीं पता
कि अब मेरा रास्ता है
किधर? यही कुछ उलझने थी मेरी ओर मेरे सफर की

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सौदा फिर

सौदा फिर कोई कर रहा है, जो बार बार मेरे ख्यालों में आ रहा है, बहुत निकालने की कोशिश की है उन्हे अपने ख्यालों से लेकिन वो ख्यालों का पिच नहीं छोड़ रहे है, सौदा फिर कोई कर रहा है
मेरे ख्यालों का
तुम याद रखना इस बात को सौदा कोई कर रहा है
फिर मेरे ख्यालों का
जुबान ,दिल ,दिमाग , सब अस्त व्यस्त हो रहे है, उन्हे मालूम नहीं है
क्युकी
अब सवाल उठ रहा है जहन में उनसे दूर हो जाने का, उनसे रूठ जाने का,
उनको भूल जाने का,
उनको सच्चा ओर खुद झूठा बनाने का,
उनका चित्र सजाने का खुद को चरित्रहीन बताने का, उनको मासूम बताने का और खुद शैतान बनाने का वक्त है।

यह ही पढे: सोचकर बाजार गया, सच का सफर, विनम्रता ही सम्पदा,

गुणों में निरंतर विकास

अच्छे गुणों में निरंतर विकास
सतत सतत यही प्रयास यही प्रयास ।
रसरी आवत जावत सिल पर पड़े निशान….
अच्छा काम कर ले रे बंदे तू यहाँ मेहमान ।

अच्छा अच्छा करना एक आदत…..
हो जाता अच्छा स्वय सतत ।
अच्छे गुणों का निरंतर विकास….
हँसते खेलते रहेंगे नहीं होंगे उदास ।

अच्छे गुणों में निरंतर विकास
सतत सतत यही प्रयास, यही प्रयास।
रसरी आवत जावत सिल पर पड़े निशान…
अच्छा काम कर ले रे बंदे तू यहाँ मेहमान।

जीवन की रसरी में चलते-चलते,
अपने कर्तव्यों का पालन करते रहना।
बदलाव की सिल पर निशान छोड़ते जाना,
अच्छे कामों के पथ पर निरंतर आगे बढ़ते जाना।

हर क्षण में विकास का संकल्प निभाना,
दृढ़ता से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते जाना।
अच्छे गुणों को संजोकर रखना,
कर्मों में सदैव निरंतर प्रगति करना।

जब भी आवे यहाँ, यह संसार में मेहमान,
सदैव सत्कर्मों का बना रहना ध्यान।
अपने बारे में ही नहीं, दूसरों के बारे में सोचना,
सहयोग और सेवा में सदैव निरंतर लगन लगाना।

अच्छे गुणों का विकास है असली प्रयास,
जो बनाता है हमें नेक और उच्च स्थान।
सतत यही प्रयास, सतत यही प्रयास,
अच्छे गुणों के साथ जीने का नया निशान।

यह भी पढे: लग्न की चमक, भविष्य निर्माण, अपनी शक्ति, समय ओर स्थिति, कर्म से भाग्य,

अपनेपन का एहसास

अपनेपन का एहसास
जीने की वजह ख़ास ।
सब अपने हे….
हम सब यही जन्मे हे ।
अपनापन मनुष्य का गुण….

व्यक्ति हो इससे सम्पन्न ।
अपनापन से रोग़ो की चिकित्सा….
अपनापन एक भाव एक तपस्या ।
अपनापन अच्छे विचारो की जननी….
शांति लक्ष्मी शक्ति उसकी संगिनी ।

अपनेपन के भाव में देना प्रमुख….
इसके आदान प्रदान से न हो विमुख ।
अपनेपन में विकास….
जीवन से उत्पन्न नव दिशा की आस ।

अपनेपन का एहसास …
जीने की वजह ख़ास।
सब अपने हैं…
हम सब यही जन्मे हैं।

अपनापन मनुष्य का गुण,
जो हमें मिलता है अलग-अलग रूपों में।
परिवार के संग दिया जाता है जन्म से ही,
प्यार और आदर से भरा जीने का स्वरूप है यही।

अपनेपन ही है वह बंधन,
जो मन को लगाता है जीवन के रंगों से जुड़ा हुआ।
परिवार की मधुरता, दोस्तों की मस्ती,
हर रिश्ते में मिलने वाली खुशियों की वादियाँ यहाँ बसी हुई।

जब हम अपनों के साथ होते हैं,
तब हर सुख-दुख को साझा करते हैं।
मुसीबतों में हमें संभालते हैं वो,
खुशियों में हमें और भी ख़ुश बनाते हैं वो।

जब हम अपनों से दूर रहते हैं,
तब तन्हाईयों के दरिया में बहते हैं।
लेकिन अपनेपन के धागे हमें जोड़ते हैं,
हर दूरी को मिटा देते हैं वो।

अपनेपन का आभास हमें हमेशा याद रखना चाहिए,
क्योंकि यह हमारी पहचान होती है।
हम सब अपने हैं,
यह सदैव समझना चाहिए।

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