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विराट कोहली 52वी सेंचुरी । विराट ने रांची में रचा इतिहास दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ

विराट कोहली 52वी सेंचुरी – दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रांची में गूंजी बल्लेबाज़ी की दहाड़

भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच रांची में खेले जा रहे मुकाबले ने आज एक और ऐतिहासिक पल देखा।
स्टेडियम की हवा में ऊर्जा थी, भीड़ उम्मीदों से भरी थी, और टीवी स्क्रीन के सामने बैठकर करोड़ों भारतीय दर्शक उस एक ही क्षण का इंतज़ार कर रहे थे— और वह क्षण आखिरकार आ गया।

आज विराट कोहली ने फिर से अपने 100 रन पूरे कर लिए, और इसके साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में विराट कोहली ने 52वी सेंचुरी दर्ज कर दी। यह केवल एक रन का आंकड़ा नहीं था, बल्कि विपक्षी गेंदबाज़ों के खिलाफ धैर्य, आत्मविश्वास, तकनीक और जज़्बे की मिसाल था।

⭐ मैच का हाल – रांची का मैदान बना गवाह

रांची का JSCA स्टेडियम हमेशा रोमांचक मुकाबलों के लिए जाना जाता है, और आज का दिन भी इससे अलग नहीं था।
दक्षिण अफ्रीका के गेंदबाज़ लगातार लाइन और लेंथ पर गेंदबाज़ी कर रहे थे, लेकिन विराट कोहली अपनी पुराने अंदाज़ में धैर्य के साथ टिके रहे—स्थिर, संयमित और पूरा नियंत्रण लिए हुए।

धीरे-धीरे रन बनाते हुए वे उस जादुई तीन अंकों के आंकड़े तक पहुंचे, और जैसे ही उन्होंने सिंगल लेकर अपना शतक पूरा किया—स्टेडियम तालियों से गूंज उठा। ड्रेसिंग रूम में बैठे खिलाड़ियों ने खड़े होकर applaud किया, दर्शकों में जोश और चेहरे पर गर्व साफ दिख रहा था।


⭐ विराट की सेंचुरी खास क्यों है?

✔ यह उनकी 52वीं अंतरराष्ट्रीय शतकीय पारी है
✔ कठिन पिच पर संयम के साथ खेला गया शतक
✔ दक्षिण अफ्रीका जैसे मजबूत विपक्ष के खिलाफ
✔ टीम को मजबूत स्थिति में लेकर जाने वाला महत्वपूर्ण योगदान

विराट ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक मानसिकता हैं — Virat Mindset
जहाँ हार, दबाव और गिरावट भी आपको रोक नहीं पाती।


⭐ सेंचुरी की खूबसूरती – सिर्फ रन नहीं, कहानी है

हर सेंचुरी के पीछे एक कहानी होती है—
पसीने की
मेहनत की
और उस अटूट विश्वास की कि मैं कर सकता हूँ।

आज कोहली की पारी भी उसी कहानी का हिस्सा है।
उनके हर शॉट में आत्मविश्वास था, हर रन में दृढ़ता, और उनके चेहरे पर वही पुराना विराट वाला fire — “कभी हार नहीं मानने वाला।”

⭐ फैंस की प्रतिक्रिया – घरों से लेकर स्टेडियम तक खुशियों की लहर

देशभर के फैंस की खुशी तस्वीरों और वीडियो में साफ दिखाई दे रही थी।
टीवी के सामने बैठकर लोग चीख पड़े, सोशल मीडिया पर पलभर में “#ViratKohli100” ट्रेंड करने लगा।
यह सिर्फ एक क्रिकेटिंग मोमेंट नहीं था—यह एक भावनात्मक जुड़ाव था, जिसे भारत में हर उम्र का व्यक्ति महसूस करता है।

⭐ निष्कर्ष

विराट कोहली 52वी सेंचुरी यादगार है—
क्योंकि यह सिर्फ एक खिलाड़ी की वापसी नहीं, बल्कि उसके जज़्बे, उसके संघर्ष और उसके dedication की कहानी है।

रांची का यह मैच आने वाले समय में लंबे समय तक याद रखा जाएगा, और आज कोहली ने फिर साबित कर दिया—

“फॉर्म अस्थायी है, लेकिन क्लास हमेशा कायम रहती है।”

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दिल्ली मेट्रो यात्रा, टैंक रोड शॉपिंग और आउटफिट चुनना | Rohit Shabd Blog

दिल्ली मेट्रो का सफ़र, टैंक रोड की शॉपिंग और मेरे आउटफिट चुनने का पूरा अनुभव

दिल्ली में मेट्रो का सफर अपने आप में एक अलग दुनिया है—
भीड़, आवाजें, लोगों की जल्दी, और अपनी ही सोच में खोए हुए चेहरे।
आज मैं द्वारका मोड़ से मेट्रो में बैठा और राजेंद्र प्लेस की तरफ निकल पड़ा।
मेरा प्लान था टैंक रोड जाकर अपने लिए नए कपड़े लेना।

मुझे ब्रांडेड कपड़ों का कोई खास शौक नहीं है।
ब्रांडेड शर्ट जहाँ 1500–2000 रुपये में आती है,
वहीं टैंक रोड पर उससे आधे में काम चल जाता है।
मेरे लिए कपड़े का मुख्य मकसद है—2–3 बार पहनने लायक अच्छे दिखें, बस।
Delhi जैसे शहर में यही practical approach सबसे अच्छा लगता है।

मेट्रो का सफ़र—भीड़, शोर और सिविक सेंस की कमी

द्वारका मोड़ और राजेंद्र प्लेस दोनों जगह एक जैसी लम्बी कतारें।
लोग चढ़ने के लिए धक्का, उतरने के लिए भाग-दौड़,
और बीच में कुछ लोग जो अपनी दुनिया में बेखबर रहते हैं।

सबसे ज़्यादा irritation मुझे तब होता है जब कुछ लोग
मोबाइल पर तेज़ आवाज़ में गाने, फिल्में या reels चलाते हैं।
इतने लोगों के बीच सफर करते हुए भी उन्हें इस बात का एहसास नहीं होता
कि वही आवाज़ दूसरों के लिए तकलीफ है।

क्या कानों में इयरफोन लगाना इतना मुश्किल है?
सच कहूं तो दिल्ली मेट्रो में इस बात का भी चालान होना चाहिए।
सिर्फ़ सीढ़ियां ब्लॉक करने, गलत तरफ खड़े होने या गेट ज़्यादा देर रोकने का ही नहीं—
बल्कि दूसरों को डिस्टर्ब करने का भी।

राजेंद्र प्लेस पहुंचकर आगे का सफर—बैटरी रिक्शा

स्टेशन पर उतरकर मैंने बैटरी रिक्शा पकड़ लिया।
किराया सिर्फ़ 20 रुपये।
दिल्ली की इन छोटी सवारियों का अपना ही charm है—
हलचल भरी सड़कें, दुकानों की आवाज़ें, और एक अलग सा शहर का flavour।

कुछ देर में मैं टैंक रोड की narrow, भीड़-भाड़ वाली लेकिन जीवंत गलियों में था।
यहाँ की दुकानों में variety भी है, quality भी, और bargaining का मज़ा भी।

टैंक रोड की शॉपिंग—कपड़े, ट्रायल और bargaining का असली खेल

टैंक रोड की शॉपिंग तमाशा नहीं—एक खेल है।
यहाँ दाम पूछना एक कला है, मोलभाव दूसरी,
और सही colour–fit चुनना तीसरी।

मैंने दो आउटफिट try किए:
✔ Bottle green kurta + golden motif jacket
✔ Navy blue kurta + textured navy jacket

दोनों ही अच्छे थे, लेकिन दोनों की vibe अलग थी।

⭐ Green Outfit Review

Bottle-green colour मेरे wheatish complexion पर bright और fresh लग रहा था

Golden motifs elegant और festive दिख रहे थे

Jacket की fitting काफी साफ़ थी

Beard और face tone के साथ अच्छा contrast बन रहा था


Drawback:
Bottom black होने की वजह से match थोड़ा weak लग रहा था।
Best match bottle green bottom या dark beige होता।

⭐ Navy Blue Outfit Review

Navy colour मेरे face को balanced दिखा रहा था

Jacket का texture royal + mature look दे रहा था

Collar frame मेरे face shape पर perfect लगा

यह outfit overall ज़्यादा classy लगा

Bas ek issue tha:
Pant का colour mismatched था।
Navy bottom लेने पर यह outfit 10/10 हो जाता।


⭐ Bottom कौन सा लेना चाहिए? Final Decision

✔ Navy outfit → Dark Navy bottom (Best)

✔ Green outfit → Bottle Green bottom (Best)

Maroon bottom किसी भी outfit के साथ match नहीं करेगा।
अगर सिर्फ़ एक bottom लेना हो,
तो navy bottom दोनों में manageable है (blue में perfect, green में 6.5/10)।

थकान और भूख—दिल्ली की शॉपिंग का असली हिस्सा

ट्रायल, चलना, bargaining, भीड़…
फिर वापस मेट्रो, फिर रिक्शा…

इन सबमें सच कहूं तो भूख और प्यास दोनों लग चुकी थीं।
लेकिन जल्दी की वजह से कहीं रुक नहीं पाया।
दिल्ली में शॉपिंग करते हुए यह बहुत common है—
time का अंदाज़ा नहीं रहता, energy धीरे-धीरे drain होती जाती है।

एक छोटा-सा personal moment—पापा के लिए शर्ट लेना

आज शॉपिंग में सबसे अच्छा काम यह हुआ कि
मैंने दो shirts ले लीं —
एक अपने लिए, और एक पापा के लिए।

सर्दियों में पहनने लायक, daily use वाली।
किसी के लिए कुछ खरीदने की खुशी
पूरे दिन की थकान हल्की कर देती है।
यह छोटी-सी खरीदारी भी दिल को अलग ही खुशी देती है।

इस पूरे सफर ने मुझे फिर याद दिलाया…

कि दिल्ली का charm उसकी मेट्रो, ट्रैफिक, भीड़, दुकानों,
और लोगों के बीच ही है।
कभी irritate करता है,
कभी परेशान,
लेकिन आखिर में यही शहर अपनी रफ्तार से हमें
एक नया अनुभव दे देता है।

आज का दिन थकान भरा था, लेकिन अच्छा था।
Outfit finalised, shirts खरीदी,
और एक पूरा दिन यादगार बन गया।

गली में लटकी तारे

गली में लटकी तारे : हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर मंडराता ख़तरा

— एक सच्चाई जिसे हम सब देखते हैं, पर अनदेखा कर देते हैं

हमारी शहरों और कस्बों की गलियों में एक दृश्य सबसे आम है—हर तरफ़ बेतरतीब लटकी हुई तारें। ये तस्वीर सिर्फ़ एक गली की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की सोच को दिखाती है। बिजली, इंटरनेट, केबल और जाने कितने कनेक्शन… सब एक ही जगह उलझे पड़े रहते हैं। न कोई व्यवस्था, न कोई सुरक्षा, बस ताँत की तरह फैली हुई जानलेवा लापरवाही।

रात के अँधेरे में जब सड़क की एक पीली बत्ती चमकती है और उसके नीचे सैकड़ों तारें लटकी दिखाई देती हैं, यह तारों का जंजाल बिजली विभाग की लापरवाही की वजह से है, मानो पूरा शहर एक अदृश्य खतरे से घिरा हुआ हो। यह सिर्फ़ लापरवाही नहीं, यह एक ऐसा सच है जो हर पल किसी बड़ी दुर्घटना की तरफ़ इशारा करता है।

गली में लटकी हुई तारे —क्यों हैं ये इतना बड़ा मुद्दा?

बिजली का झटका लगने का सीधा खतरा
बारिश हो, नमी हो, या हवा ज़ोर से चले—इन तारों में चिंगारी फूटना आम बात है।

शॉर्ट सर्किट और आग लगने का डर
ज़रा सा ओवरलोड और गलती से छूना… पूरा इलाका खतरे में पड़ सकता है।

गलियों की सुंदरता और सफ़ाई में बाधा
शहर आधुनिक हो रहा है, पर तारें देखकर लगता है हम विकास नहीं, उलझन बाँध रहे हैं।

कोई स्थायी समाधान नहीं
रिपोर्टें लिखी जाती हैं, शिकायतें की जाती हैं, पर तारें वहीं की वहीं…
सड़कों पर बस नया जाल बुनता रहता है।

आख़िर समस्या कहाँ है?

समस्या सिर्फ़ विभागों की नहीं, सोच की भी है।
हर नया कनेक्शन बस पुरानी तार में जोड़ दिया जाता है।
कोई यह नहीं सोचता कि इनकी उम्र क्या है, सुरक्षा कैसी है या भविष्य में इससे कितना नुकसान हो सकता है।

गली में लटकी हुई अव्यवस्थित बिजली की तारे और रात में दिखता हुआ खतरा
लटकी हुई बिजली की तारे शहरों की गलियों को खतरनाक और अव्यवस्थित बना देती है, जहां हर पल हादसे का जोखिम होता है।

सरकारों ने जगह-जगह तारों को अंडरग्राउंड करने की बात तो की है, लेकिन काम का स्पीड इतना धीमा है कि लोग अब उम्मीद ही छोड़ने लगे हैं।

आज की यह तस्वीर हमें क्या सिखाती है?

यह तस्वीर सिर्फ़ एक इमारत, एक लाइट, या तंग गली की फोटो नहीं है।
यह एक सवाल है—
हम कब इन उलझी हुई तारों से आज़ादी पाएँगे?

ये तारें सिर्फ़ हमारे सिरों के ऊपर नहीं लटकी,
ये हमारे सिस्टम की लापरवाही, शहर की योजना की कमी
और नागरिक सुरक्षा के प्रति बेपरवाह रवैये का प्रतीक हैं।

अब समय है बदलाव मांगने का

स्थानीय बिजली विभाग को शिकायत करें

नगर निगम से तारों के प्रबंधन पर सवाल पूछें

सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएँ

अपने इलाके में अंडरग्राउंड वायरिंग की मांग करें

छोटे-छोटे कदम ही बड़े परिवर्तन लाते हैं।

यह भी पढे : पहाड़ गंज, तारों का जाल, साफ पानी की समस्या, दिल्ली की जनता,


छोटा व्यवसाय कैसे बढ़ाए |Small Business Growth Tips 2026 (Hindi)

कैसे बढ़ाए अपना छोटा व्यवसाय – नए व्यापारिक उपाय, मार्केटिंग रणनीति और 2026 की पूरी गाइड 

आज के समय में छोटा व्यवसाय, लघु उधयोग और MSME पहले जैसे नहीं चल रहे। पुराने तरीके अब काम नहीं करत, इसलिये नए आइडियाज़, डिजिटल मार्केटिंग, ग्राहक रीटेन्शन और स्मार्ट रणनीति बिजनस की अब जरूरत है।
इस ब्लॉग में हम सीखेंगे कि छोटे व्यवसाय को कैसे बढ़ाएँ, कैसे अपनी मार्केटिंग मजबूत करें, कैसे ग्राहक को बार-बार वापस लाएँ और कैसे बिना पैसे भी बिज़नेस शुरू किया जा सकता है।


पुरानी सोच छोड़ें — व्यवसाय को नए तरीके से समझें

बहुत से व्यापारी आज भी पुराने तरीके अपनाते हैं, जैसे:

  • दुकान में बैठे रहना
  • ग्राहक का इंतज़ार करना
  • मार्केट को कोसना
  • अपडेट न लेना
  • व्यवहार में गुस्सा या चिड़चिड़ापन

लेकिन व्यापार इन्हीं कारणों से खत्म हो जाते हैं।

नए जमाने का पहला नियम:

ग्राहक को समान की नहीं, उसकी खासियत और समाधान की जानकारी चाहिए।


अपने व्यवहार को सुधारें — ग्राहक व्यवहार देखकर ही आता है

अच्छा व्यापार केवल प्रोडक्ट पर नहीं चलता, बल्कि आपकी आदत, चेहरा, और व्यवहार से चलता है।

✔ ग्राहक को प्रभावित करने के लिए आवश्यक आदतें:

  • चेहरे पर हमेशा मुस्कान
  • बातचीत में नरमी
  • गुस्सा और चिड़चिड़ापन न हो
  • ग्राहक की बात ध्यान से सुनना
  • जल्दी समाधान देना

क्यों?

क्योंकि आपके व्यवहार से ही ग्राहक बार-बार आता है।


क्या आप सिर्फ ग्राहक का इंतज़ार करते हैं?

बहुत से दुकानदार रोज यही बोलते हैं:

  • “आज काम नहीं है।”
  • “मार्केट खराब है।”
  • “ग्राहक नहीं आता।”

लेकिन सच्चाई है:

ग्राहक इंतज़ार करने से नहीं आता, उसे आकर्षित करने से आता है।


डिजिटल मार्केटिंग अपनाएँ — ब्लॉग, वीडियो, सोशल मीडिया

आज हर व्यापारी यह कर रहा है:

  • अपने समान की वीडियो बना रहा है
  • Facebook, WhatsApp, YouTube, Insta पर पोस्ट डाल रहा है
  • ब्लॉग बनाकर प्रोडक्ट की जानकारी दे रहा है

ये सब करने से:

  • फुटफॉल बढ़ता है
  • दूसरे राज्यों से ग्राहक आते हैं
  • आपका ब्रांड बनता है
  • बिक्री में उछाल आता है

प्रतियोगियों को समझें और अपडेट रहें

यदि आप मार्केट के हिसाब से अपडेट नहीं हैं तो आप जल्दी Outdated हो जाते हैं।

✔ ध्यान दें:

  • अपने प्रतिस्पर्धियों को देखें
  • जानें कि वे कैसे काम कर रहे हैं
  • क्या वे कुछ नया कर रहे हैं?
  • आपका व्यवहार उनसे बेहतर है या नहीं?
  • आपका प्रोडक्ट क्यों अनोखा है? (USP)

स्टॉक मैनेजमेंट क्यों जरूरी है?

अच्छा व्यापारी वह है:

  • जो अपना स्टॉक समय पर मैनेज करे
  • कौन सा माल चल रहा है—यह जानता हो
  • जो आउटडेट न होने दे
  • ज्यादा मात्रा में खरीदकर सस्ते दामों में बेचकर ग्राहक बढ़ाए

अपने प्रोडक्ट की USP (Unique Selling Point) बनाएँ

एक अच्छी चाय और बेकार चाय में फर्क क्या होता है? बस Quality + Behaviour

इसी तरह आपका प्रोडक्ट भी:

  • यूनिक होना चाहिए
  • सही कीमत में होना चाहिए
  • गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए
  • अनुभव शानदार होना चाहिए

खुद को Promote करें – Branding सबसे जरूरी है

2026 में बिज़नेस का असली हथियार यही है

  • Brand बनाओ
  • हर दिन मार्केटिंग करो
  • अपने स्टोर की खासियत बताओ

कैसे?

  • Visiting Card
  • WhatsApp Card
  • Daily status updates
  • Customer को हर नए प्रोडक्ट की जानकारी
  • Holiday होने पर सूचना देना
  • प्रोडक्ट की वीडियो बनाना

GEM Portal, Trade Fair और Exhibitions में हिस्सा लें

यदि आप बड़े उत्पादक हैं:

  • अपनी प्रोडक्ट को GEM पर list करें
  • Trade Fair में Stall लगाएँ
  • Exhibitions में भाग लें

ये आपको राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देते हैं।


बिना पैसे कौन-कौन से बिज़नेस शुरू हो सकते हैं?

बहुत से काम बिना पैसे भी शुरू हो सकते हैं:

  • Affiliate Marketing
  • Blogger
  • Influencer
  • Photographer
  • Video Editor
  • Digital Marketing
  • Social Media Manager

ग्राहक को एडिशनल वैल्यू दें

ग्राहक तभी बार-बार आता है जब उसे मिलता है:

✔ अतिरिक्त सुविधा
✔ On-time delivery
✔ फ्री या पेड होम डिलीवरी
✔ तेज़ रिस्पॉन्स
✔ अच्छी सर्विस

ग्राहक को इंतज़ार न कराएँ — इससे ग्राहक छूट जाता है।


बहाने बनाना बंद करें

बहुत से व्यापारी रोज बहाने बनाते हैं:

  • धूप थी
  • बारिश थी
  • रोड खाली थी
  • लोग बाहर नहीं निकल रहे

लेकिन बहाने आपकी किस्मत नहीं बदलते।

सफलता का नियम:

काम को पूरे जोश और होश में करें — ग्राहक खुद चलकर आएगा।


यदि काम पसंद है — तो पूरी जिंदगी उसी में माहिर बनें

यदि आप वही काम जीवनभर करना चाहते हैं, तो:

  • उसे दिल खोलकर करें
  • उसमें नया सीखते रहें
  • नई तकनीक अपनाते रहें
  • अपने आसपास वालों से तालमेल बनाए रखें

निष्कर्ष (Conclusion)

व्यवसाय में सफलता 4 चीज़ों से मिलती है:

  1. व्यवहार
  2. मार्केटिंग
  3. क्वालिटी
  4. कस्टमर सर्विस

यदि आप इन चारों को सुधार लेते हैं, तो आपका छोटा व्यवसाय जल्द ही बड़ा कारोबार बन जाएगा।
आपका ब्रांड बनेगा, ग्राहक बढ़ेंगे और मार्केट आपको पहचानेगा।

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यह भी पढे: दुकान में समान, google business, अपने बिजनस, दुकानदार का जीवन,


शहर की भीड़ और धुआँ – जीवन की सच्चाई पर हिन्दी ब्लॉग

शहर की भीड़ और बढ़ता हुआ धुआँ : शहर की भीड़ और धुआँ अब मन पर असर डाल रहा है…
लोग एक-दूसरे को धक्का देकर आगे बढ़ रहे हैं— अनगिनत लोगों का समूह
जैसे मंज़िल के बजाय
बस आगे निकलना ही जीत हो।

पर असल जीत क्या है?
शायद हम सब भूल चुके हैं।

सड़कों पर बढ़ती भीड़ के साथ
एक और भीड़ तेज़ी से बढ़ रही है–
धुएँ की भीड़।
वही धुआँ जो फेफड़ों में उतरकर
सीने पर वज़न बन जाता है,
और साँस लेने को भी एक काम बना देता है।

🚗 शहर की भीड़ में ट्रेफिक का शोर और डूबती साँसे

शाम का समय हो, या सुबह का,
हर तरफ बस यही आवाज़ें—
गाड़ियों के हॉर्न,
बाइकों की तेज़ रफ़्तार,
लोगों की जल्दबाज़ी,
और हवा में उड़ता हुआ धूल + धुआँ का ज़हर।

इस शहर को कभी सपनों का शहर कहा जाता था,
अब यही शहर
आँखों में जलन और फेफड़ों में भारीपन छोड़ जाता है।

आप चाहें भी तो
साफ हवा सिर्फ एक याद बनकर रह गई है।

🌁 यह धुआँ सिर्फ हवा में नहीं…

कहने में अजीब लगता है
लेकिन यह धुआँ सिर्फ हवा में नहीं,
हमारी सोच में,
आदतों में,
और इस तेज़ रफ़्तार शहर की
जीवनशैली में भी भर गया है।

हम इतने भाग रहे हैं
कि रुककर यह महसूस भी नहीं करते
कि क्या खो रहा है…

• शांति
• सुकून
• अपनेपन का एहसास
• और खुद के लिए बची हुई साँसें

🔥 भीड़ कम होती नहीं… बढ़ती जाती है

हर दिन नई गाड़ियाँ,
नई इमारतें,
नई लाइटें,
और नए बहाने–
लेकिन पुरानी हवा और थकी हुई सड़कें।

शहर बदलता जाता है,
लेकिन इंसान अंदर से
और भी थकता जाता है।

🌙 रात की हवा भी अब साफ नहीं

रात का समय कभी सबसे शांत माना जाता था।
लेकिन अब रात भी
एक धुँधली चादर ओढ़ लेती है
जिसमें चाँद भी
धुएँ के पीछे लटका सा दिखता है।

कभी-कभी लगता है
ये शहर हमसे नहीं,
हम इस शहर से
हारे हुए खिलाड़ी बन रहे हैं।

इस सड़ती हुई, धुँधली हवा में
सबसे मुश्किल काम है—

“साफ दिल के साथ जीना।”

क्योंकि हवा प्रदूषित हो जाए
तो मास्क पहन लेते हैं।
लेकिन जब
विचारों में प्रदूषण भर जाए,
जीवन में दौड़ का धुआँ भर जाए,
तो कौन-सा मास्क पहनें?

💭 अंत में बस एक सवाल…

क्या ये शहर हमारी साँसें ले रहा है,
या हम ही अपनी साँसें
बेपरवाही में खोते जा रहे हैं?

क्या हम शहर की इस भीड़ में
किसी मंज़िल की ओर बढ़ रहे हैं,
या बस भीड़ के बहाव में
बह रहे हैं?

“शहर की भीड़ हमे बाहर से नहीं, भीतर से भी थक देती है।”


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किताबों का बिखरा ढेर


📖 किताबों का बिखरा ढेर नहीं यह… यह समय, सीख और अधूरे सपनों की लाइब्रेरी है

पहली नज़र में यह बस किताबों का एक बड़ा, अव्यवस्थित सा ढेर लगता है।
कुछ किताबें टेढ़ी पड़ी हैं, कुछ धूल में सनी हुई, कुछ आधी खुली, कुछ दब गईं — जैसे कि किसी ने इन्हें यहाँ बस रख दिया हो। लेकिन अगर हम ठहरकर थोड़ा ध्यान से देखें, तो यह दृश्य सिर्फ किताबों का ढेर नहीं है… यह समय, अनुभव, सीख और अनगिनत कहानियों की एक चुपचाप खड़ी लाइब्रेरी है।

किताबें कभी सिर्फ कागज़ और स्याही नहीं होतीं।
वे उन लोगों की छाप होती हैं जिन्होंने उन्हें पढ़ा, समझा, जिया और कभी-कभी आधे में छोड़ दिया। इस ढेर की हर किताब के अंदर एक आवाज़ छुपी है — एक कहानी जो कभी किसी के जीवन का हिस्सा बनी थी।

हर किताब एक सफर है — किसी का पूरा, किसी का अधूरा

अगर इन किताबों से पूछा जाए, “तुम पहले कहाँ थीं?”, तो शायद हर किताब का एक अलग जवाब हो।

कोई कहेगी—
“मैं उस बच्चे के बैग में थी जिसने पहली बार अल्फाबेट सीखा था।”

कोई कहेगी—
“मैंने एक स्टूडेंट की रातों की पूरी मेहनत देखी है। वह परीक्षा से पहले मुझे बार-बार पढ़ता था।”

और कई किताबें शायद ये भी कहेंगी—
“मुझे किसी ने शुरू तो किया… पर कभी पूरा नहीं पढ़ा।”

हम सब की ज़िंदगी भी ऐसी ही है—कुछ बातें पूरी, कुछ आधी, कुछ बस जमा हो गईं और कहीं कोने में दब गईं।
बिखराव में भी एक सच्चा सौंदर्य होता है

यह किताबों का ढेर जितना अव्यवस्थित दिखता है, उतना ही गहरा है।
जैसे-जैसे जीवन चलता है, हम भी बहुत-सी चीज़ें जमा करते रहते हैं—सीखें, अनुभव, सपने, अधूरे लक्ष्य, पुरानी यादें।

यह ढेर हमें सिखाता है कि हर चीज़ परफ़ेक्ट दिखे, यह ज़रूरी नहीं।
कभी-कभी बिखराव में भी एक असली और ईमानदार सुंदरता छिपी होती है।

हमारे विचार भी ऐसे ही होते हैं—इकट्ठे, बिखरे, कभी समझ आए, कभी न आए।
हमारी भावनाएँ भी ऐसे ही हैं—कुछ साफ, कुछ उलझी हुई।
पुरानी किताबों के पन्नों पर समय की महक

इन किताबों के पन्नों पर समय की लकीरें साफ दिखती हैं।
कुछ के पन्ने पीले पड़ गए हैं, कुछ के कवर घिस चुके हैं, कुछ पर नमी के निशान हैं।

यह सब एक ही बात कहते हैं —
“हमने समय देखा है।”

जिस तरह इंसान अपनी उम्र छुपाता है, किताबें कभी अपनी उम्र नहीं छुपातीं।
वे गर्व से दिखाती हैं कि उन्हें पढ़ा गया है, छुआ गया है, जिया गया है।

पुराने पन्नों की खुशबू में एक सुकून होता है—
जैसे समय खुद कह रहा हो, “मैंने तुम्हें बेकार नहीं जाने दिया।”

अधूरे सपनों की लाइब्रेरी

इस ढेर में जितनी किताबें पूरी पढ़ी गई हैं, उतनी ही शायद अधूरी छोड़ दी गईं।
कुछ चैप्टर तक पढ़ी गईं, कुछ बीच में रुक गईं, और कुछ आख़िरी पन्नों से ठीक पहले रख दी गईं।

इसीलिए यह सिर्फ किताबों का ढेर नहीं—
यह अधूरे सपनों की लाइब्रेरी भी है।

बहुत बार हम भी ऐसा ही करते हैं —
किसी लक्ष्य को शुरू करते हैं और बीच में छोड़ देते हैं।
किसी सपने की तरफ पहला कदम लेते हैं और फिर रुक जाते हैं।

यह ढेर हमें क्या सिखाता है?

ज्ञान कभी बेकार नहीं जाता। चाहे किताब आज धूल में हो, पर जिस दिन कोई इसे उठाएगा, यह फिर से ज़िंदा हो जाएगी।

अधूरा भी महत्वपूर्ण है। शुरू करना भी एक जीत है, भले ही वह पूरा नहीं हुआ।

जो आज टालते हो, वह कल कहीं कोने में दब सकता है।
सीख हर छोटे अनुभव में छिपी होती है।

एक छोटी-सी प्रतिज्ञा — जो उठाएँ, उसे पूरा जिएँ

इस ढेर को देखकर मन कहता है—
क्यों न हम अपनी ज़िंदगी में एक छोटी-सी प्रतिज्ञा करें?

जो किताब उठाएँ, उसे दिल से पढ़ें।

जो सीख समझ आए, उसे जीवन में उतारें।

जो सपना दिल में आए, उस पर एक छोटा कदम आज ही लें।
जो काम शुरू करें, उसे धीरे सही, पर पूरा करें।

हम दुनिया की हर किताब नहीं पढ़ सकते,
लेकिन जो कुछ पढ़ें, उसे सच में जी लें—
तो यही किताबों का बिखरा ढेर कबाड़ नहीं, हमारी आत्मा की पूँजी बन जाएगा।

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यह भी पढे : पढ़ाई क्यों जरूरी है, छात्रों के लिए, क्या अब लोग पढ़ते है? , पढ़ाई की आदत,



मेरे एक दिन का सफर

Trade Fair 2025 – मेरे एक दिन का सफर
आज सुबह जब मैंने Trade Fair की तरफ जाने के लिए Dwarka Mor मेट्रो पकड़ी, तभी भीड़ देखकर लगा — “यार, Monday है, फिर भी weekend जैसी भीड़ क्यूँ है?”
लेकिन शायद यही दिल्ली की रफ़्तार है— जिंदगी किसी दिन नहीं रुकती।

Metro की लाइन लंबी थी…
लोगों के चेहरों पर नींद भी थी और उत्साह भी।
हर कोई Trade Fair के अंदर बस ‘पहुँचना’ चाहता था।

🛣️ Entry Gate – इंसानों की नदी

गेट के बाहर चलती भीड़ एक नदी की तरह बह रही थी।
किसी के हाथ में बैग, किसी के बच्चे का हाथ…
और किसी के हाथ में उम्मीदें।

मैं भी उसी भीड़ का हिस्सा था,
धीरे-धीरे आगे बढ़ता हुआ।

🏛️ Hall 1 – रंग, भीड़ और दुनिया के बाज़ार का पहला स्वाद

भीड़ इतनी थी कि चलते हुए एक लय बन गई।
लग रहा था कि पूरा Hall एक “चलता हुआ बाज़ार” है।

Thailand, Iran, Turkey, Tunisia, UAE, Egypt…
हर देश एक अलग कहानी लेकर खड़ा था।

Thailand Stalls – कपड़ों का सागर

Thailand के स्टॉल पर तो ऐसा हंगामा था,
जैसे सबको अभी-अभी offer मिला हो कि
“1000 रुपये में पूरी दुनिया खरीद लो।”

लड़कियाँ, महिलाएँ, बुज़ुर्ग—
हर कोई रंगीन ड्रेसेज़ के ढेर में खोया हुआ।
आवाज़ें गूँज रही थीं:

“ये वाला 1000!”
“मैडम ये last piece!”
“Size कौन-सा चाहिए?”

Tunisia Olive Wood Art – लकड़ी की आत्मा

एक कोने में Tunisia का खूबसूरत world—
जैसे लकड़ी ने खुद को कला में ढाल लिया हो।

Olive wood से बने:

कटोरे

चेस बोर्ड

प्लेट्स

ट्रे

sculptures

हर चीज़ में एक earthy glow था।
इतना organic, इतना natural कि लगता था इन्हें छूकर समय पीछे चला जाए।

Turkey Lights – रंगों की बारिश

फिर आया वो स्टॉल —
जहाँ जाकर हर इंसान थोड़ा रुकता है।

Turkish mosaic lamps…
लाल, नीला, पीला, हरा
हर रंग जैसे रात के अंधेरे में अपनी कहानी सुना रहा हो।

यहाँ भीड़ इतनी थी कि
light भीड़ के ऊपर चमक रही थी।
हर lamp जैसे किसी सपने से निकला हुआ।

Iran Carpets & Chess Boards – शान, नफ़ासत और इतिहास

Iran वाले स्टॉल पर नज़र गई तो carpets का ocean था।
नीला, turquoise, royal patterns…

Chess boards तो ऐसे जैसे किसी राजा के महल में रखे हों।

लोग पूछ रहे थे:
“बेरिया कितने की है?”
“Original है क्या?”
और दुकानदार Persian accent में मुस्कुराकर जवाब दे रहा था।

Egypt Artifacts – फ़िरऔन की दुनिया

Egypt का स्टॉल सच में Trade Fair की जान था।

Pharaoh statues,
Queen Nefertiti,
Egyptian papyrus paintings,
golden figurines…

ऐसा लगा जैसे Cairo की गलियों से उठाकर यह हिस्सा यहीं Delhi में रख दिया हो।

लोग फोटो ले रहे थे,
कुछ bargaining कर रहे थे,
और कुछ बस देख रहे थे—
इतने ध्यान से, जैसे किसी फिल्म का सीन हो।

💎 Perfume Stalls – Arab खुशबूओं का जादू

Ahmed Al Maghribi

Soft musk, vanilla, fresh aqua…
इनकी packaging भी royal.

Oudh Al Anfar

Strong, bold, deep Middle-Eastern feel.
Attar से लेकर perfume तक—सब luxury vibe।

Arabiyat Prestige

ये premium category थी……………………. मेरे एक दिन का सफर जिसकी हुई पूरी खबर

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IITF 2025


IITF 2025 – एक दिन, हजार रंग | मेरा अनुभवआज का दिन कुछ अलग था। मैं दिल्ली के Pragati Maidan में लगे IITF 2025 गया।
सुबह से ही भीड़ ऐसी लग रही थी जैसे पूरा शहर आज बस मेले को समर्पित हो गया हो।

Online ticket लेने के बाद—Dwarka Mor से चलकर Supreme Court Metro तक सफ़र किया…
और वहीं से शुरू हुई एक रंग-बिरंगी, भीड़ से भरी, उत्साह से चमकती यात्रा।


🔵 भीड़ और इंतज़ार का पहला स्वागत

Metro से उतरते ही लगा—
“लगता है पूरा दिल्ली आज यहीं आ गया है।”

Gate 10 पर भीड़ समंदर की तरह चल रही थी।
हर चेहरे पर एक ही भाव—उत्सुकता

IITF 2025
IITF 2025

🟢 चेकिंग के बाद—जैसे राह खुली और सांस लौटी

लंबी लाइन, धक्का-मुक्की, इंतजार…
लेकिन चेकिंग पार करते ही एक हल्की राहत मिली।
जैसे सबने एक साथ कहा हो —
“चलिए, अब असली मेले की ओर!”


🟣 HALL–6 : भीड़, रोशनी और खरीदारी का समंदर

अंदर कदम रखते ही सामने बस… भीड़ ही भीड़।

🍘 Food Stalls

कश्मीर से लेकर राजस्थान, महाराष्ट्र से केरल—
हर तरह का खाना, हर तरह की खुशबू…

लोग ऐसे जुटे थे जैसे
“आज कुछ नया चखना ही चखना है।”

🥜 Dry Fruits – Afghanistan Stall

यहाँ तो जगह मिलना भी मुश्किल था।
खजूर, काजू, पिस्ता—सबकी तरफ झुकते लोग।
बेहद लोकप्रिय स्टॉल।


🟡 Shree Shyam Gajak Stall – सजावट और स्वाद का संगम

लाइट्स, चमक, और बेहद खूबसूरत सेट-अप।
सर्व करने वालों की वेशभूषा तक थीम में।

ये स्टॉल देखने में ही त्योहार जैसा था।


🟤 Handicrafts & Decor – कला की चमक

हर स्टॉल पर कुछ नया।

✨ Glass & Crystal Decor

“रोशनी भी जैसे कला बनकर टंगी थी।”

🌸 Floral Lights & Wind Chimes

हर एक सजावट piece अपनी कहानी कह रहा था।

🪔 Wooden & Copper Lamps

ये स्टॉल तो मानो एक dream world था—
जहाँ हर लैम्प एक अलग रंग और एहसास दे रहा था।


🧵 Traditional Wear & Fabrics – रंगों का एक और संसार

साड़ियाँ, कुर्ते, कढ़ाई वाला काम, राजस्थानी और लखनवी कला…
हर stall अपने आप में एक छोटा भारत लगा।


🪔 Ayaz Perfume – खुशबूओं का समंदर

हल्की रोशनी में premium bottles चमक रही थीं।
भीड़ खिंची चली आती थी—
महक की वजह से भी और सजावट की वजह से भी।


🛵 Vintage Scooter फॉर्मेट – यादों की गली

एक कोने में पुराने जमाने का scooter…
उसी अंदाज़ में सजाया हुआ।

देखकर लगा—

“उस जमाने में जिसके पास स्कूटर होता था
उसे लोग सम्पन्न समझते थे।”

यादों के लिए एक perfect nostalgia spot।

IITF 2025


💎 Smoky Quartz Display – Nature का चमत्कार

लोग बड़ी उत्सुकता से फोटो ले रहे थे।
क्योंकि ये पत्थर सिर्फ पत्थर नहीं—
धरती का एक अनोखा creation लगा।


🧶 Weaving Live Demo – हाथों का जादू

एक महिला लाइव बुनाई करती दिखी।
धीरे-धीरे धागे कपड़े में बदल रहे थे।
ये देखकर लगा—
“कला सिर्फ बनाई नहीं जाती, जी भी जाती है।”


🟢 सांझ ढलते समय—Food Court की रौनक

लोग थक चुके थे लेकिन रुकना किसी को नहीं था।
बैठकर खाना, बातें, shopping bags…
पूरा एहसास—एक festival जैसा।


🌆 शाम की मेट्रो — सबसे बड़ी लाइन

घर लौटने लगा तो मेट्रो स्टेशन पर लाइन इतनी लंबी थी
जैसे एक और मेला लगा हो।

थकान थी…
लेकिन मुस्कान भी—
क्योंकि ऐसे दिन की अपनी एक गर्माहट होती है,
जो रात को भी साथ लेकर चलता है।


IITF 2025 मेरे लिए क्या था?

✔ भीड़
✔ उत्साह
✔ कला
✔ संस्कृति
✔ खाने की खुशबू
✔ खरीदारी की चमक
✔ और अंत में—एक लंबी मेट्रो लाइन

पर सबसे बड़ी बात—
यह अनुभव सिर्फ देखने का नहीं था, महसूस करने का था।

हर स्टॉल ने, हर भीड़ ने, हर रोशनी ने—
मेरे दिन को एक कहानी बना दिया।


✍️ Written in Rohit Shabd Style

भावनाओं, अवलोकन और अनुभवों पर आधारित—
यह ब्लॉग सिर्फ एक यात्रा नहीं,
मेरी नज़रों से देखा गया मेलों का एक पूरा संसार है।

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Airtel Metro Card

Airtel Metro Card issue की असलियत: एक आम आदमी की जेब और भरोसे के बीच फँसी मेरी सच्ची कहानी

एक साधारण सफर, लेकिन एक बड़ी सीख

कई बार ज़िंदगी में कुछ छोटी-सी घटनाएँ हमारे भीतर बहुत बड़े सवाल खड़े कर देती हैं।
मेरा भी एक ऐसा ही अनुभव हुआ, जब मैंने airtel metro card बनवाया और रोज़ की तरह Dwarka Mor से Noida जाने के लिए मेट्रो में बैठा।
पर यह सफर एक कड़वी हकीकत बनकर सामने आया — ऐसा सिस्टम जहाँ सुविधा के नाम पर आम आदमी को उलझा दिया जाता है।

1. airtel metro card बनवाने की शुरुआत

जब मैंने कार्ड बनवाया, तो Airtel ने मुझसे ₹200 लिए — जिसमें से ₹150 recharge हुआ और ₹50 deposit के नाम पर गए।
उस समय किसी ने यह नहीं बताया कि:

minimum balance कितना होना चाहिए,

gate पर exit करने के लिए कितना जरूरी है,

multiple ride calculation कैसे होता है,

कम balance वालों का क्या होता है।


सवाल ये है — क्या ऐसी basic जानकारी देना उनकी जिम्मेदारी नहीं?

2. समस्या की शुरुआत: कम बैलेंस और gate पर फँसना

मेरे कार्ड में लगभग ₹60 से कम balance रह गया था।
Dwarka Mor से Noida तक का किराया लगभग ₹60 deduct होता है।

जब मैं Noida पहुंचा और exit gate पर कार्ड लगाया —
Gate ने मुझे रोक दिया।
क्योंकि balance कम था।

सोचिए, अगर उस वक्त मेरी pocket में पैसे न होते तो?

मैं gate पर फँस जाता।

मैं बाहर नहीं निकल पाता।

मेरी कोई गलती न होते हुए भी मुझे ही परेशान होना पड़ता।


क्या यह किसी भी सुविधाजनक सिस्टम का हिस्सा है?

3. Forced recharge – क्या यह सुविधा है या मजबूरी?

Exit करने के लिए मुझे दुबारा recharge करवाना पड़ा।
Airtel या DMRC की तरफ से कोई मदद नहीं — बस एक मशीन, एक सिस्टम, और उसमें फँसा एक आम आदमी।

अगर मेरे पास उस समय पैसे नहीं होते, तो?
क्या मैं रात भर gate पर खड़ा रहूँ?
क्या Delhi Metro मेरी मदद करती?
या Airtel की customer support?

4. जिम्मेदारी किसकी है — Airtel की, DMRC की या सरकार की?

यह सवाल सिर्फ मेरा नहीं है — हर उस व्यक्ति का है जो ऐसे सिस्टम के भरोसे है।

Airtel metro card issue करती है,

DMRC उसे metro में चलने देती है,

और सरकार इन दोनों को अनुमति देती है।

तो जवाब कौन देगा?
जब आम आदमी फँसता है, तब कोई आगे क्यों नहीं आता?

क्या यह communication gap नहीं है?
क्या यह लोगों को उलझाने का तरीका नहीं?
क्या यह सुविधा के नाम पर आम आदमी की जेब हल्की करने का नया तरीका नहीं?

5. Deposit का क्या? मेरा ₹50 मुझे क्यों न मिले?

मैं यह कार्ड वापस करना चाहता हूँ।
और मेरा सवाल है —
मेरे ₹50 deposit की वापसी कौन करेगा?
Airtel? DMRC? या वो प्रणाली जो कहती है कि यह “सुविधा” के लिए है?

6. एक बड़ी समस्या — सुविधा का ढांचा टिका है confusion पर

हम Metro जैसे बड़े सिस्टम पर भरोसा करते हैं क्योंकि ये हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा हैं।
लेकिन जब सिस्टम information न दे, clarity न दे, और user को खुद ही सब जानना पड़े —
तो यह सुविधा नहीं, एक trap बन जाती है।

7. मेरी अपील — Airtel, Delhi Metro, और सरकार से

मैं किसी कंपनी का दुश्मन नहीं,
मैं बस एक आम नागरिक हूँ जो सवाल पूछ रहा है:

क्या minimum balance rule एकदम साफ-साफ नहीं बताया जाना चाहिए?

क्या card बनवाते समय पूरी details देना Airtel की जिम्मेदारी नहीं?

क्या Delhi Metro लोगों को ऐसे ही gate पर फँसने दे सकती है?

क्या सरकार ऐसे confusing सिस्टम की जांच नहीं कर सकती?

सुविधा तब तक सुविधा नहीं जब तक वो इंसान को परेशान न करे।

8. यह सिर्फ मेरी कहानी नहीं — यह सिस्टम की हकीकत है

अगर आज मेरे पास पैसे न होते…
अगर मेरे साथ कोई बुज़ुर्ग, कोई बच्चा या कोई महिला फँस जाती…
तो कौन जिम्मेदार होता?

एक छोटी घटना ने मुझे बहुत बड़े सवालों के सामने खड़ा कर दिया है —
हमारा सिस्टम किसके लिए काम करता है?
सुविधा के नाम पर उलझन देना किस हद तक ठीक है?
और क्या आम आदमी की जेब ही सबसे आसान निशाना है?

जवाब चाहिए, और जवाब मिलना चाहिए

मैं यह कहानी सिर्फ अपना गुस्सा निकालने के लिए नहीं लिख रहा —
मैं चाहता हूँ कि कोई सुने, समझे और action ले।

Airtel, Delhi Metro, और Govt —
कृपया एक साफ, सरल और इंसान के लिए सुविधाजनक सिस्टम बनाइए।
क्योंकि सुविधा का असली मतलब यही है।

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दुकान में समान

आपकी दुकान में समान कितना है इस बात से कोई फरक नहीं पड़ता, क्युकी जब आपकी दुकान पर कोई ग्राहक आता है तो वह यह कहकर चला जाता है, कुछ तो रखा करो दूर जाना पड़ता है यह समान लेने के लिए

क्या आपके साथ भी ऐसा हुआ है आपकी दुकान समान से भरी हुई है लेकिन फिर ग्राहक जो माँगता है वो आपके पास नहीं होता, और ग्राहक वहाँ से लौट जाता है।

आप किसी भी प्रकार की दुकान चला रहे हो लेकिन यदि आपके पास पूरा समान नहीं है तो ग्राहक लौटेगा ही, इसलिए हमे अपनी दुकान में समान को भरपूर मात्रा और किस्म के हिसाब से रखना चाहिए।

यदि आप किताबों का काम करते है और एक ही प्रकार की किताब का काम करते है तो आपको उस तरह की लगभग सभी पुस्तकों में अपनी दुकान पर रखना चाहिए, जिसमे कोई कमी नहीं आनी चाहिए, हो सकता है उस किताब मांग बहुत धीमी हो परंतु ग्राहक यह सोचकर नहीं आता की उस किताब की मांग धीमी तो मैं नहीं जाता उस व्यक्ति को तो वो किताब पद्धनी है इसलिए उसे वह किताब चाहिए ही, यदि वो आपके पास नहीं है तो वह ग्राहक अब कही और जाएगा ही।

आज का समय बिल्कुल भी उस तरह का नहीं है जब ग्राहक समान का इंतजार करे, अब ग्राहक 1-2 दिन भी नहीं ठहरता उसे अब समान तुरंत ही चाहिए होता है, आजकल तो घर का समान तो सिर्फ कुछ मिनटों में ही उपलब्ध हो जाता है, यदि आपके पास नहीं है तो ग्राहक या तो दूसरी दुकान पर चला जाएगा नहीं तो online ऑर्डर कर देगा, इसलिए आज के समय में समान हमारे पास उपलब्ध होना चाहिए, जिससे की आपकी बिक्री बढ़ती रहे क्युकी जब ग्राहक को उसी जगह पर समान मिल जाता है तो वह दुबारा भी आपके पास उम्मीद से आता है की आपके पास समान मिल जाएगा, नहीं तो यह सोचकर नहीं आएगा की इस दुकान पर समान तो कभी मिलता नहीं है फिर जाने का क्या फायदा।

इसलिए दुकान अब प्रतिस्पर्धा वाला कार्य हो चुका है और अब पहले के समय से भी ज्यादा प्रतिस्पर्धा है, पहले सिर्फ आसपास की दुकानों से ही प्रतिस्पर्धा होती थी लेकिन आजकल अनलाइन पर समान बेच रहे दुकानदारों से मुकाबला होता है, और इसके साथ साथ बड़े बड़े व्यापारी बड़ी बड़ी दुकान खोलकर सामान को सस्ता बेच देते है जिनसे पप्रतिस्पर्धा का स्तर और अधिक हो गया है, जिसमे बहुत सारी चुनौती आती है। और छोटा व्यापारी बेचारा छोटा ही रह जाता है।

जैसे की मूल्य स्पर्धा, घर बैठे समान ग्राहक को मिल जाना, समय पर समान का मिलना, बहुत सारे चुनाव भी उन्हे online में मिल जाते है, व समय की बचत भी होती है।

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