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OTT ओर इंटरनेट

आजकल हम बहुत सारे इंटरनेट विज्ञापन देख रहे है जिनमे बहुत ही खुलापन है, इसमे कोई शिक्षा नहीं है लेकिन यह शिक्षा का रूप दिखाकर हमे उस ओर धकेलने की कोशिश है जिससे हम बुरी आदतों में फंस जाए,  इस तरह के विज्ञापन हम घरवालों के सामने भी नहीं देख सकते जिस तरह के विज्ञापन आजकल आते है, केबल घरों से हट रहे है ओर अब OTT ओर इंटरनेट ही सभी घरों में लगवाया जाता है, ओर केबल हटवा लिया जाता है केबल की जगह अब इंटरनेट ने ले ली है, जिसकी वजह से अश्लीलता बढ़ रही है, उन्हे कुछ भी दिखाने की आजादी मिली हुई है, ओर वो समाज को को कुछ भी दिखा रहे है।

“हमेशा अपने पार्टनर से पूछो” यह लाइन एक इंटरनेट विज्ञापन में कान्डम की है जो अपने साथी से पूछने के बारे में है की आपको शारीरिक संबंध बनाने में कौनसा एस कान्डम लिया जाए जिसमे ज्यादा मजा आएगा, आज कार्तिक आर्यन किसी एक स्त्री के दिखते है कल दूसरी स्त्री के साथ ओर परसों किसी ओर से शादी कर लेंगे क्या इस विज्ञापन पर कोई प्रतिबंध नहीं है, आज कल बहुत खुलापन हो गया जिस तरह से विज्ञापन आते है,

सिर्फ विज्ञापन ही नहीं आजकल तो महिलाये इंस्टा पर अपने कपड़े भी बदल कर दिखाती है जिसमे अब उनको कोई शर्म नहीं आती ओर कंपनी के विज्ञापन देती है।

एक समय वो था जब कपड़े बदलने के लिए रूम को पूरी तरह बंद कर लिया जाता था ओर आसपास कोई देख तो नहीं रहा ये सब देखने के बाद ही कपड़े बदलने के लिए महिलाये जाती थी लेकिन आजकल यह बहुत ही आम हो गया है, जिस तरह समय बदल रहा है उस तरह से आने वाले समय में हमे क्या क्या देखने को मिलेगा यह कहना बहुत मुश्किल हो गया है, लेकिन समाज किस ओर जा रहा है ये बात समझनी बहुत मुश्किल हो चुकी है।

जिस तरह से अश्लीलता ओर नंगापन पर परोसा जा रहा है उसे शिक्षा नहीं कहते, इसे शारीरिक संबंध के लिए उकसाना कहा जाता है, लेकिन यह हमारी बदकिस्मती है की हमे इन चीजों के बारे में अंतर नहीं समझाया जाता जो युवा शारीरिक संबंध को प्रेम समझता है उसे असली प्रेम कैसे समझ आएगा। वह युवा अपने शरीर की भूख मिटाने के लिए बार बार अपने पार्टनर को बदल देता है ओर कहता है की वह वफादार प्रेमी नहीं था/थी फिर वही मूव ऑन करना चाहते है जिन्हे कभी प्रेम समझ ही नहीं आया।  

हमारा समाज किस ओर जा रहा है ये कहना तो मुश्किल है लेकिन जिस तरह से अंग प्रदशन हो रहा है, वो भी कुछ भी पहनने की आजादी पर जिस पर कोई रोक नहीं है।

OTT ओर इंटरनेट पर किसी भी तरह की गाली बहुत ही आम हो चुकी है जिन पर कोई रोक नहीं है, नेटफलिक्स जैसे ott चैनल पर ए सर्टिफिकेट वाली फिल्मे बहुत आम हो चुकी है जिन्हे आज के समय में कोई आसानी से देख सकता है। अब कोई बड़ा या छोटा होने का कोई फर्क ही नहीं रह गया बस अपनी मर्जी से कुछ भी देख सकते है।  

कपिल शर्मा शो में जब रोहित शर्मा ओर श्रेयश अय्यर आते है उस एपिसोड में कपिल शर्मा डबल मीनिंग शब्दों का प्रयोग करते है, ओर क्रिकेट के बारे में इस प्रकार से बोलते है की लोग क्रिकेट को क्यू ही देखते है इतना इनका कहने का अर्थ तो यही निकलता है की लोग इनकी हाइलाइट भी देखते ओर समय की बर्बादी भी करते है, कपिल शर्मा खुद ही सोचे की वो कितनी बेहूदी भरी बाते करता है, बहुत सारे लोग कपिल शर्मा के शो को देखते एस कोई ज्ञान नहीं देता कपिल शर्मा शो सिर्फ कुछ समय हँसे ओर अच्छा समय व्यतीत हो इसलिए देखा जाता है कपिल शर्मा का शो लेकिन क्रिकेट में बहुत कुछ सीखने के लिए मिलता है, वह लोगों का सपना है जिस वजह से लोग क्रिकेट देखते है ओर बार बार एक ही चीज को देखना पड़ता है तब वो चीज़े समझ में आती है, लेकिन इस कपिल को क्या पता यह सिर्फ बेमतलब की बाते करके अभी पैसा कमा रहा है बहुत सारे सेलिब्रिटी आते है उनको देखना लोग चाहते है नाकी आपकी बकवास कोई सुनना चाहता है, उन लोगों के बारे में हम लोगों को जानने की इच्छा होती इस वजह से हम लोग कपिल का शो देखते है बस इतनी ही वजह थी जो तुम्हारा शो देखने लगे यदि तुम सिर्फ बकवास करोगे तो कोई तुम्हारी बकवास सुनने के लिए तुम्हारा शो नहीं देखेगा इसलिए बकवास काम करो ओर काम पर ज्यादा ध्यान दो।

जो मैंने बोल था कपिल शर्मा डबल मीनिंग वाली बातों पर आ जाएगा, नेटफलिक्स पर आने के बाद ही उन्होंने अपनी डबल मीनिंग वाली बातों की शुरुआत कर दी है।

रोहित शर्मा ओर श्रेयश अय्यर वाले एपिसोड में जब यह लोग गेंद फेक रहे होते है तब कपिल शर्मा बोलते है मेरे पास पहले से मेरे पास तो मेरी 2 बाल है तुम अपनी संभालो क्या यह फॅमिली शो है? इस प्रकार की बातों के लिए यह लोग नेटफलिक्स पर गए है।

यह लोग OTT ओर इंटरनेट पर अब गंदगी को परोसना चाहते है ओर इन लोगों को गंदगी परोसने में कोई आपत्ति भी नहीं है, यह लोग मजाक के नाम पर गंदगी परोस लेते है, ओर जनता भी इन्हे मजाक में ही टाल देती है, लेकिन इसका प्रभाव कितना बुरा होता है इन्हे इस बात की समझ नहीं होती ओर ये बिना लगाम के घोड़े की तरह दौड़ते रहते है जिसका कोई उद्देश्य नहीं होता बस इन्हे भागने से मतलब होता है ओर उस भागने में किसी को चोट लगे या मर जाए उस घोड़े को इस बात की जैसे कोई प्रवाह नहीं होती उसी तरह से यह लोग है। इन्हे समाज की कोई चिंता नहीं है की समाज किस ओर जा रहा है इनकी बातों को सुनकर, यह लोग सिर्फ अपने पैसे कमाने के जरिए पर ही ध्यान रखते है।  

भविष्य निर्माण

भविष्य निर्माण हो जाते चौतीस पैंतीस ….
खाना पीना अब नहीं रह गया ख़ालिस ।

तीस पैंतीस में थोड़ी जीवन आई स्थिरता..
इस उम्र में आनंद और खाने पीने में रमता।

फिर पचास पचपन में गाड़ी चलती पीछे ..
शारीरिक बौद्धिक सब क्षमता होती नीचे ।

इस आयु में भिन्न प्रकार की बीमारियाँ लेती घेर ….
ब्लड प्रेशर शुग़र कलेस्ट्रॉल अन्य बीमारियों होता शरीर ढेर ।

स्मृति चुस्ती फुर्ती भी होती कम…
बाजुओं शरीर का कम होता दम ।

अब आता याद पास है धन विद्या कला…
नहीं किया परोपकार सेवा और भला ।

यदि कोई इस स्थिति से रहे हो गुजर…
परोपकार कर्म से जीवन जाएगा संवर ।

निःसंचोक बचे समय का करे सदुपयोग..
ये प्रयोग आवश्यक सबसे बड़ा यह योग।

जो किया है प्रकृति समाज से अर्जित….
गुणों ज्ञान धन जो कर सकते अर्पित ।

आज जो तेरा कल किसी और का नियम से कार्य नहीं दे स्वय को धोखा, फिर कैसे हो भविष्य निर्माण

विनम्रता में भी नंबर

विनम्रता में भी नंबर चाहिए दस में से दस…..
तभी सोल्व होगा सही जीवन का पर्पस ।
क़द ख़ुद का नहीं हो विनम्रता का बड़ा…
है मुश्किल, जीतता वही लड़ाई जो लड़ा ।

मैं नहीं विनम्र काईयो की नज़र में….
वो सही है जानते मुझे जीवन के सफ़र में।
क़द सत्य का भी जीवन मी चाहिए बड़ा ..
सत्य कटु , सामने नहीं होता झूठ खड़ा ।

विनम्रता में भी नंबर चाहिए दस में से दस,
तभी सोल्व होगा सही जीवन का पर्पस।

क़द ख़ुद का नहीं हो विनम्रता का बड़ा,
है मुश्किल, जीतता वही लड़ाई जो लड़ा।

विनम्रता से भरी हर बात, हर काम,
प्रभुत्व को देती जीवन को नई शान।

समय के साथ बदले भाव, रहे सदा सुरमई,
विनम्रता बनी रहे हमारी शक्ति की काई।

गर्व से नहीं, बल्कि सहजता से जियें,
दूसरों की सम्मान को हम जगाएं।

जब तक विनम्रता बनी रहे विचारों की नीव,
हम बनेंगे सच्चे मानवता के प्रवीण।

इसलिए आओ मिलकर चलें विनम्रता की राह,
सृजन करें एक जीवन नया, सदा सुखी और सहज।


चलते चलो

चलते चलो रास्ता मिलेगा
एक किवाड़ बंद हुआ दूसरा या तीसरा किवाड़ खुला मिलेगा ।
कोशिश करने वाले की हार नहीं होती….
की गई कोशिशें कभी नहीं वो व्यर्थ की पनौती।

दूसरे के किवाडो को सदा खटखटातै रहे….
यही है जीवन ,सदा मुस्कुराते और खिलखिलाते रहे।

चलते चलो रास्ता मिलेगा,
एक किवाड़ बंद हुआ दूसरा खुला मिलेगा।
जीवन की यात्रा में, तोहमतें होंगी बहुत,
लेकिन हिम्मत रखो, दिल से चलते रहो तुम।

कोशिश करने वाले की हार नहीं होती,
जीवन के पथ पर विघ्न हों या मुश्किलें बहुती।
तूफानों को भी रोक नहीं सकता है कोई,
जब तक जीने की चाहत हो, तब तक जीना होगा।

की गई कोशिशें कभी नहीं वो व्यर्थ की पनौती,
हर एक प्रयास लाये गा साथ में सौभाग्य की लूटी।
हार मानने से पहले एक बार फिर सोच लो,
नया सवेरा होगा, नया संघर्ष होगा।

चलते चलो रास्ता मिलेगा,
खुले दिल से यात्रा करो, जीना सीखो तुम।
कोशिश करो, खुदा तुम्हारे साथ है,
जीवन की मुश्किलों को तुम हर बार जीतोगे।

यह भी पढे: भलाई, छोटी कविता, ना करे चिंता, दयालु, अपने पे रखे नजर, लिखता हूँ,

घर पर बैठकर

घर पर बैठकर अपने समय को बिना वजह के कार्यों में बर्बाद करना ओर उसके अलावा कुछ ना करना, अपनी मर्जी से ही इधर उधर जाना आना बस कुछ नहीं करना, बैठे बैठे थक जाते हो तो कभी लेट जाते हो, कभी टीवी देख लेते है, तो कभी कुछ कर लेते है, बस कुछ इसी तरह से दिन निकल जाता है, तुम्हें लगता है तुम्हारा समय पास हो गया है, लेकिन समय को पास करना कितना सही है, ओर कितना गलत है ये जानना जरूरी है, समय की हानी ना हो इसलिए समय को उचित जगह पर लगाया जाए, समय की बर्बादी को रोका जाना चाहिए, बेवजह के कामों से जरूरी के कार्यों में समय को लगाया जाए, जिससे उससे कुछ परिणाम आगे आने वाले भविष्य को फायदा पहुच सके।

पहले के समय में हम समय को इसी तरह से व्यर्थ कर देते थे, लेकिन आज के समय में हमारे पास बहुत सारे ऐसे साधन है जिनसे हम अपने समय की बचत ओर समय का सदुपयोग कर सकते है, जिस तरह तरह ब्लॉगिंग ओर वलॉगिंग इन दोनों का ही बहुत प्रचलन है हम घर बैठ कर यह दोनों चीज़े बहुत अच्छी तरह से कर सकते है।

घर पर बैठकर सिर्फ समय की हानी करना उचित नहीं है, कुछ ऐसा किया जाए जिससे समय बेहतर हो सके, हर रोज कुछ अच्छा करे जिससे हमारा आने वाला कल बेहतर होता जाए, आज में कुछ बेहतर किया जाए तभी कल बेहतर होता है। आज उसका परिणाम नहीं दिखता लेकिन कल में व सुनहरा होता है।

मुझे भी पता ही नहीं चला की कब 11 महीने बीत गए घर पर बैठे कर ही, ओर लिखने में व्यस्त हूँ लेकिन जीवन में असत व्यस्त नहीं हूँ, इसीलिए जीवन हर रोज बेहतर हो रहा है, उस बेहतर में खुद को तलाश करने की कोशिश में लगा रहता हूँ।

हम अपने लक्ष्य को पाने में देरी अवश्य कर सकते है लेकिन विफल नहीं होते यदि हम लगातार कार्य करते है, इसलिए हमे अपने समय की हानी नहीं करनी चाहिए, घर बैठकर उस समय का लाभ उठाना चाहिए जो समय हमे मिल है, उसे यू ही व्यर्थ ना जाने दे।

यह भी पढे: तुम्हारा खुद का समय, अच्छा समय आएगा, धैर्य व्यवहार, समय का सदुपयोग,

समाज में अधिकता

सामान्य दृष्टि को जो दिखता है,
समाज में अधिकता से वही बिकता है।

कागजों पर शब्द बिखेरने से क्या होगा,
जब विचारों को अनदेखा कर चला जाएगा।

व्यक्ति की क्षमताओं का क्या महत्व है,
जब उसकी जन्मभूमि हो इंद्रधनुष का रंगबिरंगा दाग है।

समाज ने तथाकथित मान्यताओं को बना लिया धर्म,
जहां प्रेम और सद्भावना को हुआ है अपमान।

प्रतिभा की नगरी में निर्माण सब करते हैं,
लेकिन नाम और शोहरत उन्हीं के होते हैं।

गरीबी के अश्रु और धन के प्याले,
समाज के अस्तित्व को करते हैं खाली।

जब आदर्श बन गए हैं न्याय के मंदिर,
क्या आशा रखें अच्छाई के विचारों की?

सामान्य दृष्टि को जो दिखता है,
समाज में अधिकता से वही बिकता है।

सोचो, समझो, करो विचार नये,
समाज को बदलो, देश को बदलो, जग को बदलो।

जब एक हो जाएंगे सब एक सोच और भावना में,
तब होगा समाज में समता का उदय और विकास।

यह भी पढे: सामान्य दृष्टि, बाह्य दृष्टि, अपनी दृष्टि, अपनी शक्ति, अपनी मेहनत,

सामान्य दृष्टि

सामान्य दृष्टि को जो दिखता है…..
समाज में अधिकता से वही बिकता है ।
बाहय दृष्टि के यंत्र मिले दो नेत्र….
सहायक सुंदर सटीक इनका क्षेत्र।

जानवरों मनुष्यों में समानता से दो नेत्र..
दृष्टि से दृष्टिकोण समृद्धि का रणक्षेत्र ।

सामान्य दृष्टि को जो दिखता है…..
समाज में अधिकता से वही बिकता है ।

अक्सर दृष्टि वाले व्यक्ति दृष्टिवहीन….
विकसित नहीं दृष्टिकोण भावना हीन ।

स्वागत विविधता से रचे हो दृष्टिकोण….
दृष्टिवहीन लालच अधीन उनका कोण ।

भिन्न भिन्न दृष्टिकोणों का स्वागत….
सच्चाइयों से करते वो सामना अवगत  ।

अक्सर अपने दृष्टिकोण को मानते सही..
सत्य नहीं इतना सस्ता यह पहचाने नहीं ।

दृष्टिकोण को करते रहे निरंतर सुमृद्ध….
दूसरे दृष्टिकोण को समझने की हो ज़िद।

मेरी दृष्टि से में उकेरता छह….
सामने की दृष्टि से वही दिखता नौ
बात समझे ।

काहे मोक्ष ध्यान दे स्मृद्ध हो दृष्टिकोण…
स्वय उन्नति हो गाएगी जब होंगे बेहतर ।

यह भी पढे: बाह्य दृष्टि, दृष्टि, मौन का अवलोकन, लफ्जों में बयां, कुछ बात ऐसी,



वर्तमान निपट खरा

वर्तमान निपट खरा सच्चा बदलाव का द्यौतक…….
वर्तमान में अपनी सोच के लगाओ शतक पे शतक ।
बदलाव =वर्तमान सच,  वो ऑपरेशन थियेटर….
नया जन्मता वर्तमान में लगा नया बनाने का जनरेटर।

जब सोच पर राज करे व्यापक विचारों का महासागर,
तब होता है बदलाव का एक नया जन्मांतर।
विचारों के जनरेटर से उठती है नई ऊर्जा की धारा,
जो वर्तमान को बनाती है नया अध्याय करारा।

बदलाव की प्रेरणा वर्तमान में बसती है,
जिसमें समाज के नवीन संकल्प व्यक्त होते हैं।
सोच के परिवर्तन से होता है समाज का उत्थान,
नए आदर्शों के समृद्ध द्वार खुलते हैं।

अपनी सोच को जगाओ, वर्तमान में लगाओ शतक पे शतक,
क्योंकि बदलाव का जन्म तो सोच में ही होता है नया।
नया जन्मता वर्तमान में लगा नया बनाने का जनरेटर,
जिससे समय के साथ सच्चे और उज्ज्वल भविष्य का खेल चला।

वर्तमान निपट खरा सच्चा बदलाव का द्यौतक,
जीवन के नए विचारों का प्रेरक।
बदलाव वर्तमान में सच की ऑपरेशन थिएटर,
जहां नया जन्मता होता है नये सपनों का प्रेम परिवर्तन।


एक्स्ट्रा मेरिटल

आजकल तो क्या क्या नहीं हो सकता , जो हो सकता है वो शायद हम लोग सोच भी नही पाते कुछ लोग इतनी आगे निकल जाते है। अपनी सोच के साथ की पता नही चलता एक औरत का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर शुरू हुआ उसका एक बच्चा भी था, अब वो एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर था या नहीं ये भी नही पता किसी को लेकिन सभी देखकर यही बोलते थे, जब आप अपनी आँखों से नहीं देखते तब तक आपको किसी पर दोष लगाना सही नहीं है, किसी के चरित्र पर कीचड़ उछालना उचित नहीं क्युकी सच आपको ओर मुझे नहीं पता यह तो सिर्फ उसी व्यक्ति को पता होता है जो कर रहा होता है।

एक औरत जो हमारी घर के सामने वाले घर की बहु हर रोज 4:25 पर आती थी जब वह बस या ऑटो में आती थी, ऐसे ही लगातार आती रही उसी समय अपने समय से वो सिर्फ 5 पहले या देर में ही आती होगी कभी कभी लेकिन जब वह रैपिडो की मोटरसाइकिल बुक करने लग गई तो उस औरत के समय में धीरे धीरे बदलाव होना शुरू हो गया, ओर वो बदलाव अब उस स्त्री के ससुर को खलने लग गया, उनका ससुर अब नीचे ही आकार खड़ा होने लग गया, उसके आने के समय पर वो देखने लग गया की क्या बुक करके आती है बहू, ऑटो से आजाए ये बाइक पर क्यू आ रही है, क्या अच्छा लगता है ऐसे इसका आना यू ही वो नीचे खड़े होकर बड़बड़ाता था।

अब वह अपने समय से 20 मिनट देर से आने लगी, और जब वह अपने घर के सामने बाइक उतरती तो सभी आस पड़ोस के लोग उसे देखने लगे की यह बहु इस तरह से हर रोज बैठकर किसी बाइक वाले साथ आकर आती है। यही व्यक्ति हर रोज वही होने लगा तब उसके ससुर को शक होने लगा, की बहुरानी का कही चक्कर चल रहा है।

अब उसका ससुर हर रोज ऊपर से उस व्यक्ति को देखता की यह वही व्यक्ति जो कल भी आया था या कोई और अलग है व्यक्ति है , इस औरत के ससुर का शक धीरे धीरे बढ़ रहा था। अब वह ससुर नीच उतर कर इंतजार भी करने लगा की कौन है ये बंदा जो हर रोज उसकी बहु छोड़ने आता है।

अब उसकी बहु घर के बाहर नहीं उतरती घर से थोड़ी दूर पर ही उतर जाती है और वहां से पैदल चल कर घर तक आती है। ताकि किसी को बुरा भी नहीं लगे और पता भी नही चले साथ ही समाज भी देखकर आपत्ति न जताए, लेकिन यह किसी को नहीं पता था की उसका एक्स्ट्रा मेरिटल अफेर है या नहीं बस शक के दायरे थी, यह एक बिना वजह का शक था, जिसका किसी के पास कोई सबूत नहीं था ओर जब तक आँखों से देखा ना हो तब तक उस पर यकीन नहीं करना चाहिए।

यह भी पढे: मैं पुरुष हूँ, मैं और तुम, अक्सर तुम और मैं, तलाश न करना,

मनपसंद जगह

आज फिर मैं अपनी मनपसंद जगह पर गया जहां मैंने पहली किताब लिखी थी, फिर से एक नई शुरुआत के लिए उसी समय जैसे में पहले जाता था, कॉफी होम सुबह 11 बजे खुलता है 2013 – 2014 में में सुबह 10.30 बजे लगभग पहुंच जाता था और बाहर ही गेट खुलने का इंतजार करता था, उस समय बस कुछ ही लोग आते थे।

मनपसंद जगह कॉफी होम
मनपसंद जगह कॉफी होम

लेकिन आज जब मैं 11.20 पहुंचा तब बहुत सारे लोग पहले से वहाँ पहुंचे हुए थे, एक समय था जब वह भीड़ बहुत कम होती थी इस समय और जब दोपहर लंच का समय होता था तब भीड़ बढ़ जाती थी बस उसी समय ही भीड़ ज्यादा होती थी और लोग आते और जाते रहते थे, लेकिन अब ज्यादातर लोग ठहरे रहते है, पहले बहुत ज्यादा संख्या में बुजुर्ग लोग आते थे।

लेकिन अब यंग क्राउड बहुत आता है, जिसकी वजह से भीड़ ज्यादा होती है, व्यक्ति अकेला होता था वो अपने साथियों का इंतजार करते  थे, और धीरे धीरे लोग इक्कठे होने लगते है कभी कोई किसी समय आता तो कोई किसी समय धीरे धीरे लोग जमा हो जाते थे, और अपने एक समय पर सब चले जाते थे उनमें से अधिकतर लोग रिटायर्ड होते थे।

आजकल सोशल मीडिया पर बहुत तेज़ी से कोई भी जगह प्रचलित हो जाती है, और लोग वहां पहुंचने लग जाते है, एक समय पर ये जगह बहुत ज्यादा लोगो को नही पता थी लेकिन आज इस जगह को हर कोई जानता है। क्युकी सभी लोगों को सोशल मीडिया पर इस जगह का पता चल रहा है, ओर वैसे भी यह जगह बहुत ही सुंदर है पेड़ के नीचे बैठकर बाते करना ओर समय बिताना तो हमेशा से ही अच्छा लगता है, यहाँ तो चाय, कॉफी व नाश्ता भी कर लेते है बैठकर ओर खूब बाते भी इसलिए यह जगह ओर भी खास हो जाती है।

यह मेरी मनपसंद जगहों में से एक है जहां मैं अक्सर जाना पसंद करता हूं, यहां बैठने के लिए जगह मिल जाती है और कोई रोक टोक नही होती की आप कितनी भी देर बैठो लेकिन आप अपने ऑफिस का काम लेकर नही जाए लैपटॉप का प्रयोग करना वर्जित है , इसलिए उसका उपयोग नही करे।  

आप यहां बैठकर लोगो के साथ मीटिंग कर सकते है अपने दोस्तो के संग घंटो बाते कर सकते है और स्पेशली साउथ इंडियन फूड आपको यहां मिलता है जिसको आप खा सकते है।