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बड़बड़ाना

बड़बड़ाना भी कैसा होता है , जब दिमाग खुद से ही बाते करने लग जाता है , जब दिमाग संतुलन में ना हो और जुबान से शब्द खुद ही निकलने लगे उसे बड़बड़ाना कहते है। अपने शब्दो को नियंत्रण में रखने के लिए ध्यान में उतरना सीखिए।

जब दिमाग खुद से इतनी बाते बनाने लग जाए , कोई मिल नहीं उसके दिल का हाल सुनने वाला जो वह खुद से बाते करने लग गया , उसके दिमाग ने अब खुद को ही साथी बना लिया है , खुद ही सवाल है खुद के ही जवाब है , जो अब वो अपने भीतर ही ढूंढ रहा है।

बड़बड़ाना बहुत आदत है मेरी,
बोलने की जो चाहत है खुद की।
कभी कभी बातों का ध्यान नहीं,
बस चलती रहती है जुबान यहीं।

कुछ बातें बिना सोचे बोल देता हूँ,
बचपन के दिनों की याद ताजगी देता हूँ।
खुश रहने की ख्वाहिश में बड़बड़ाता हूँ,
कभी कभी खुशी को साझा कराता हूँ।

बड़बड़ाने से दिल हल्का हो जाता है,
मन में खुशियों की बौछार भर जाती है।
दोस्तों के बीच आत्मा नवीन हो जाती है,
बड़बड़ाने से जीवन रंगीन हो जाती है।

कभी-कभी बड़बड़ाने से झगड़ा भी हो जाता है,
परंतु फिर भी दोस्ती की राह ढलती है।
बड़बड़ाने से जीवन में जीने की चाहत होती है,
कुछ अनुभवों को अपने साथ लेने की चाहत होती है।

खुद को रोके बड़बड़ाने से पहले,
एक बार सोच लो, सुन लो मेरी बातें।
मेरी आदत यह शायद नहीं बदलेगी,
मगर दोस्ती को मज़बूती देती है यह बातें।

खाली दिमाग

कहते है खाली दिमाग शैतान का घर होता है इसलिए इस दिमाग सही जगह व्यस्त रखना जरूरी होता है।

खाली दिमाग को समझने और जानने को कोशिश की दिमाग जब खाली होता है तो क्या क्या कार्य करने लग जाता है और दिमाग व्यस्त रहने के कौन कौनसे उपाय ढूढता है।

खाली दिमाग क्या है?
क्यों होता है खाली दिमाग ? जब कोई काम न करने को हमारे पास तो दिमाग को लगता है कि वह खाली है , दिमाग व्यस्त रहना चाहता है किसी न किसी कार्य में और शरीर को भी व्यस्त रखना चाहता है।

मस्तिष्क क्यों खाली है ? क्या कुछ करने को नही है?
आप क्या करना चाहते है या आप खाली नहीं बैठना चाहते जैसे ही आप खाली होते है आप बोर होना महसूस करते है आप को घर , ऑफिस काटने को दौड़ता है की कही चला जाऊ या कुछ करु , कुछ तो करु बस खाली न बैठू मैं

आपका दिमाग आपको शांत नही बैठने दे रहा ?
खाली खाली , सूना सूना लग रहा है ?

आप टीवी चलाकर गाने सुनने लगते है नही तो रिमोट का कान आपके हाथ में बस चैनल को इधर उधर बस  पलटने भर का आप काम करते हैं, नही कुछ मिला टीवी में देखने को तो मोबाइल उठाकर सोशल मीडिया पर ही कुछ करने लग जाते है , और कुछ नही तो अपने मोबाइल में फोन कॉन्टैक्ट कितने है कौन कौन है , जरूरी है या नही है ये कौन है कौन है बस यही सोचने लग जाते है आपका खाली बैठा दिमाग है इस समय बस फिर क्या आप कुछ भी करने लग जाते है।

यह दिमाग बिना काम के कार्यों में लग लग जाता है इसको लगता है की मैं बोर हो रहा हूं तो कही ना कही जुट जाता है और कुछ ना कुछ करने लग जाता है यदि इसका तार हम जोड़े तो वही खाली समय अब हमारी आदत में बदलने लग जाता है जो आदत कैसी भी हो सकती है।

यह दिमाग उत्पात बहुत मचाता है , कभी चैन से बैठता नही हर बैचेन नजर आता है बस कुछ ना कुछ करता हुआ ही नजर आता है , किसी उधेड़ बुन में खुद को यह दिमाग पता है।

अब तो अगले दो दिन है नही करने को तो समझो अपने अपने दिमाग को की क्या चाहता है आपका दिमाग।

दिमाग को खाली रहते देखना चाहते हो या फिर दिमाग को अपने विचारो से भर देना यह आप पर ही निर्भर करता है। आपको दिमाग है की आपका दिमाग खाली बैठा हुआ है या भरा।

आप अपने खाली समय में खाली दिमाग से क्या करवा रहा हो या वो आप से करवा रहा है
कभी फोन लिस्ट खोलकर नंबर चेक करोगे , तो कभी फालतू के व्हाट्सएप मैसेज नही तो वीडियो गेम ही खेलने लग जाते हो
और फिर करोगे भी तो क्या?
यह तो आपका दिमाग है इसको उत्पात मचाने की आदत है इसको सही जगह लगाओ वरना यह दिमाग खुद ही ना जाने कही लग जायेगा जो आपकी आदत में बन जायेगी और उन आदतों को बदलना मुश्किल होता है यह आप अच्छी तरह से जानते है।

समय को लाभ और बुद्धि का उपयोग हो ऐसा कुछ करना।

नमस्कार दोस्तो फिर मिलेंगे और कुछ नई बातो के साथ

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मनुष्य होना मेरा भाग्य

मनुष्य होना मेरा भाग्य..
आपसे जुड़ना मेरा सौभाग्य ।
आप से कुछ में सीखूँ…
स्वयं को सही से सींचूँ ।

वो जीत नही वो हे हार!!!!!
जिसमें नीचा दिखाने की दरकार ।
दिल किसी का जीतना बड़ी बात !!!!
जी लो जीवन के ये सच्चे जज़्बात ॥

भाग्य ने धर्म निभाया ,जन्म हुआ मनुष्य का।
मनुष्य धर्म धारण करे बल मिले आत्मा का ।
आत्मा विस्तारित तो सब काम परमात्मा का॥
ये विचार प्रमाण शुभ मानसिक सोच का ।

सूर्य सुबह जगता…
धरती का विघनहर्ता ।
सब ओर जीवन संवरता..,
सूर्य सुबह जब जग़ता ॥

अखंडा फिल्म

यह बॉलीवुड वाले गहराई नाप रहे है और साउथ वालो ने अखंडा बना दी अगर हिंदी में आ गई होती तो शायद पुष्पा की कमाई को भी पीछे छोड़ देती यह फिल्म फिलहाल मेने इंग्लिश सबटाइटल के साथ आज ही देख ली है।

तेलुगु में रिलीज हुई है hot star पर जिसको आप इंग्लिश subtitle के साथ

अखंडा फिल्म इसमें नंदमुरी बालकृष्ण जी ने इतना शानदार अभिनय किया है जिसकी प्रशंसा करते हुए मन नही भरता।

कुछ सीन तो ऐसे है जिसमे हॉलीवुड की फिल्मों को भी देखने का मन नही करेगा साथ ही फिल्म आपको आपके जीवन के कर्तव्यों और धर्म की शिक्षा भी देती है।

आप भी देखिए बहुत शानदार फिल्म है नंदमुरी बालकृष्ण वाह बहुत शानदार किरदार करते है हर बार इस बार तो कमाल और धमाल मचा दिया।

तारीफ करते नही रुकोगे वैसे तो पुष्पा कोई खास नहीं थी मेरे हिसाब से फिल्म इसलिए चल जाती है क्युकी फिल्म में  अल्लू अर्जुन सबके पसंदीदा अभिनेता है इसलिए चल गई और थोड़ी एक्टिंग अच्छी थी बस लेकिन स्टोरी में माफिया और गुंडाराज को ऊपर दिखाया ऐसी शिक्षा देना कोई अच्छी बात नहीं इस नई पीढ़ी को जैसे बॉलीवुड वाले नंगे दृश्य को दिखाकर अपनी फिल्म चलाने की कोशिश में लगातार लगे रहते है उसी प्रकार की कोशिश पुष्पा में की गई जिसमे माफिया राज , सड़क छाप गुंडा अपने आपको हीरो मान रहा है जैसे की उसने बहुत बड़ा काम कर दिया हो।


ऐसी फिल्में देश को नीचे की और धकेलने में लगातार लगे हुए है तो मैं ऐसी फिल्मों का समर्थन नहीं करता देखता सभी फिल्म हूं। 

शब्द किसे कहते है

शब्द क्या है ? शब्द किसे कहते है ? जीवन को जीवंत होकर देखना शुरू करें
“जगत मिथ्या ब्रह्म सत्य” यह सिर्फ एक विचार नहीं है यह अनुभव से भरा हुआ सत्य है जिसे प्रमाणित करते योग पुरुष है। 

“मै शब्द हो सकता हूं लेकिन परिभाषा नहीं”
“शब्द से निशब्द की यात्रा करना ही मेरा परम लक्ष्य है”

 यह संसार शब्दो का संसार है  जिसमें अनेकानेक शब्द गुंज रहे है। 

“परम अक्षर शब्द ओमकार ही परमेश्वर है”
मानव जीवन शब्दो की क्रिया और प्रतिक्रिया पर ही भी निर्भर करता है। 
“मानव शरीर शब्दो से ही ओत प्रोत है”
“मानव जीवन शब्द निर्मित है”
“शब्द आकाश के विकार है”
“संग्रह सिर्फ अच्छे शब्दो का हो बाकी का संग्रह व्यर्थ है”
एक समय था जब मेरे अनेकों प्रश्न थे और आज मै उन सभी प्रश्नों का हल हूं। 
जीवन को एक नया दायरा चाहिए और वह दायरा आपकी सोच का होता है उसे बढ़ने दीजिए। 
यदि आप कुछ बनना चाहते है तो शब्द बनिए इसके विपरित कुछ भी अर्थपूर्ण नहीं है। 
यदि आप कुछ खोज रहे है तो कैसे और किससे ?? वह सबकुछ तो शब्दो के द्वारा ही खोजा जा सकता है। 

“Your look is your mind not body””

1) शब्दो के द्वारा ही जीवन उलझता ओर सुलझता है” शब्दो को जुबान चाहिए और वो सिर्फ तुम ही हो। 

2) यह कलियुग शब्द संवाद का समय है जहाँ सिर्फ शब्दो की मैं मैं है यहाँ कोई निशब्द अर्थात मौन नही होना चाहता हर समय कुछ ना कुछ वार्तालाप चाहता है, हर कोई बाहर जाना चाहता है एकांत वासेन कोई नहीं होना चाहता शरीर झटपटाता है किसी से मिलने के लिए , किसी से स्पर्श के लिए।

3) शब्द की यात्रा शब्द से शुरू होती है और निशब्द होने पर रुक जाती है।  

4) पूरा ब्रह्मांड शब्दमय है शब्द के अलावा कुछ भी नही यदि शब्द ना हो तो यह संसार कैसा होगा? 

5) शब्दो का वर्णन करने की नाकाम सी कोशिश है कैसे दिखते है यह शब्द ? क्या किसी ने कभी देखे है ये शब्द ? शब्द का वर्णन कैसे मैं करू यह हर और से मुह, हाथ , पैर वाले है इनका आधार ऊपर से नीचे से भी है इनकी अनेको आंखे है , यह स्वयं प्रकाशित शब्द है ( यहाँ पर अर्थ यह है की जो मात्राएं , बिंदी ,  डंडा , आधा शब्द शब्द पूरा शब्द , उनके आधार पर इनका वर्णन किया जा रहा है इन शब्दो को इंसान ही समझो यह यहाँ समझाया जा रहा है।  ) इनके बिंदी लगी हो जैसे चंद्रमा सूर्य सा तेज़ है इनमें सूरज से प्रकाश भी है 

6) शब्दो का जीवन कैसा है ? और कैसा हो पायेगा ये किसको है पता या शब्द क्या , कौन इस बात का क्या पता कोई लगा पायेगा ? यह कौन समझ पाया है ?इन शब्दो ने खुद का विस्तार स्वयं से पाया है एक शब्द से अनेकानेक शब्दो तक और स्वयम शब्द खुद को परिभाषित कर दिखाया है 

7) शब्द क्या है ? यह शब्द है जिन्होंने पूरे ब्रह्मांड पर अपना राज कर दिखाया है इनकी ही सत्ता है इनको कोई अब तक ना हटा पाया है।  ना कोई हटा पायेगा इन शब्दों का ही राज चलता आया है और चलता जाएगा। 

8) यह पूरा जगत शब्दमय है शब्दो ने हमे हर ओर से ढका हुआ है कही भी शब्द ने रिक्त स्थान नही छोड़ा है हर और से शब्द ने शब्द से जोड़ा है, पूरे ब्रह्मांड का इन शब्दो ने तारतम्य जोड़ा है शब्द संचारित जगत सारा इनसे पार तो कोई विरला ही पा रहा।  

9) यह शब्द ही है जो निरंतर आपके मन मस्तिष्क को पकड़े रहते है ओर कभी खाली नही रहने देते आप किसी ना किसी बात पर इन शब्दो के माध्यम से ही विचार करते हो। 

10) यदि आपको अपना मन स्वस्थ रखना है तो आपको अच्छे शब्दो का संग्रह करना चाहिए क्योंकि शब्द ही है जो आपको हमेसा शांत,स्थिर चित वाला व्यक्ति बना सकते है। 

शब्द किसे कहते है:

11) यदि आपने यह समझ लिया की शब्द से आपका जीवन निर्मित हो रहा है तो आप बहुत सरलता से अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकते है आप स्वयम को आत्मविश्वास से भर सकते है।

12) यदि आप लगातार नकरात्मक शब्दो का प्रयोग कर रहे है तो आपका जीवन भी नकरात्मक स्तिथि की और अग्रसर होता हुआ चला जाएगा जिसकी वजह से आप हमेसा नकारात्मक विचारों को पैदा करेंगे और जीवन की हर परिस्तिथि को नकारात्मक रूप से ही देखेंगे। 

13) शब्द वो है जो एक बार आपकी जुबान से निकल गए फिर वापस नही लिए जा सकते शब्द एक तरकस में तीर की तरह है जिसे एक बार छोड़ कर वापस नही लिया जा सकता। 

14) क्या हम शब्दो को सही रूप , आकर , तरीके से समझ रहे है ? क्या इनमें अब भी कोई भेद है या हम शब्दो से अनजान है  कौन बताए ? कौन समझाए ? ये शब्द क्या है कौन है ? यह शब्द वो शब्द नही जो हम समझ रहे है शब्द सिर्फ शब्द नही है यह कुछ और ही है जिनको हम समझ नही पा रहे है इनके मतलब अलग अलग हैये होते कुछ है ओर समझ में कुछ आते है इनका कोई सीधा सीधा मतलब समझ नही पाता है बस इन शब्दो में हर कोई गुम हो जाता है इनके आने का नही पता इनके जाने का नही पता हमे हमे बस यह शब्द है जो कभी खुद को ही कर लेते निशब्द है यह खुद को बयान भी करना जानते है ओर खुद मौन भी अच्छे से कर लेते है, 

15) यह शब्द है बुद्धि की पकड़ में भी नही आते है इधर उधर भागते हुए नजर आते है इन शब्दो पर लगाम किसी की लग नही पाती है यह शब्द किसी की कैद में रह नही पाते यह शब्द तो आज़ाद से है लगते जो कहना चाहते है वो कह चले जाते , ना जाने कौनसे मतलब , मायने यह जीवन को हमें सीखा जाते है यह शब्द है शब्द विज्ञान , शब्द ज्ञान , अति उत्तम , शब्द धन बखान कर शब्द चले जाते कभी तो यह शब्द प्यार जताते तो कभी कोहराम मचाते ना जाने ये शब्द किस और से आते और कहाँ चले जाते है। अनेकों अर्थ , भावनाए , एहसास यह शब्द अपने भीतर है समाते यह शब्द है 

16) शब्द ही है जो मन को भी इधर उधर चक्कर है लगवाते क्या मन शब्द को पकड़ पाता है या जैसा शब्द है चाहता वैसा मन हो जाता। शब्दो की प्रकृति को कोई नही जान पाता कभी यह शब्द त्रिगुणा तीत तो कभी त्रिगुन से पार हो जाता इन शब्दो का पार लेकिन कोई नहीं पा पाता 

17) मन से ऊपर  बुद्धि है लेकिन जब शब्द की बात हम करते है तो शब्द ही सबसे ऊपर है क्योंकि मन को चंचल , चल, अचल , स्थिर ,  विचलित भी करते शब्द है शब्द को ठहराव भाव में लाते भी शब्द है 

18) मैं आपको कुछ  शब्दो की बात बताता हूं इनकी बाते सुनो इनको जानो तुम जरा पहचानो इनको यह शब्द कौन है ? इनका जरा मेल मिलाप तो देखो यह मानव तन में आते है फिर यह क्या क्या करतब दिखाते है जरा देखो जानो- पहचानो 

19) शब्दों का साइज तो देखो कभी मोटे है तो पतले लंबे छोटे नाटे गिट्टे भी है , गूंगे, बहरे , अंधे, काने, लूले, लंगड़े भी है  ये शब्दइनका कुछ पता नही बड़े शातिर है तो बड़े सीधे भी है ये शब्द कभी भोले बन जाए तो कभी गुस्से से लाल नजर ये शब्द 

20) कभी आये कभी जाए इस और से आये तो उस और जाए यही रह जाए तो पता ये भी नही कहाँ चला जाए कुछ भी समझ ना आये ये भाग दौड़ा चला जाए कभी हाथ आये तो कभी गायब हो जाए अजीब अजीब करतब दिखाए इन शब्दों को कोई समझ ना पाए ये बताते रोज एक नई कहानी खुद की जुबानी ये बुनते है कहानी किसीको नही पता ये कैसे गुंद लेते है ये नई नई कहानी।

शब्द किसे कहते है:

21) कौन है ये शब्द ? क्या ये कहलाते है ? भगवत गीता में शब्द को श्री कृष्ण बताते है शब्द आकाश का विकार है और स्पष्ट करते है की किस प्रकार से शब्द ही पूरे ब्रह्मांड का निर्माण करते है किस प्रकार से शब्द ही सबमे व्याप्त है। शब्द ही प्रमाक्षरशब्द ही ब्रह्म कहलाते है यही मानव रूप में इस पृथ्वी पर अवतरित होकर है एक शब्द यह जो हम हर समय प्रयोग करते है जिन्हें बोलते शब्द कहते है 

22) शब्द एक तो मतलब अनेक है शनदो के रूप अनेक है 

23) शब्दो जैसी अनोखी चीज़ इस पूरे ब्रह्मांड में नही है शब्दो से महत्वपूर्ण तो इस पूरे ब्रह्मांड में कोई दूसरा कुछ भी नही है। शब्द ही मंत्र है तो शब्द परम अक्षर है शब्द ही आत्मा तो शब्द ही परमात्मा है। शब्द ही हर ओर व्याप्त है शब्द ही निर्मित करते है तो शब्द ही विनाश भी

24) शब्द हस्ते है तो शब्द रोते भी है 
ये ठहाके मार मार हँसते है तो कभी बहुत वेदना के साथ रोते है 

25) इनकी भी अजीब है कहानीहर पल में हो जाती है  इनकी बाते बेईमानी  

26) अपने मुह मिया मिट्ठू भी बन जाते अपनी प्रशंसा सुन खुश हो जाते है यह शब्द 

27) शब्द बच्चे भी है तो जवान भी है ये बूढ़े भी है इनमें अब जान भी कुछ नही है 

28) यह  शब्द बड़े अनजाने है  कभी कभी बहुत जाने पहचाने भी हो जाते है शब्द है तो सबसे मतलब भी रखते है तो कभी बेमानी बाते ये करते है 

29) यह शब्द बड़े मतवाले भी बहुत है इनकी चाल निराली हर बात निराली है। 

30) यह शब्द बड़े निराले , अनोखे इनमें निरालापन भी बहुत है और इनका अनोखापन गजब है इन शब्दों का मुस्कुराना देखो।

शब्द किसे कहते है:

31)  इनका इतराना देखो शब्द निराश भी बैठे है हतास भी है 

32) उदास भी बैठे कभी कभी ये लाजवाब भी बैठे है। शब्द गुस्सा भी बहुत करते है और शांत भी हो जाते है 

33) शब्दों के चेहरे भी अलग अलग है इनकी बाते भी अलग है। शब्दों का मटकना देखो शब्दों का नाच भी देखो यह नाचते बहुत है 

34) इनके करतब अजीब है कभी कभी ये शब्द बहुत बत्तमीज है।  कभी कभी सीखा देते है  ये सलीका और तमीज़ है 

35) शब्द अपने ही शब्दों में करते कहानी बयान हैशब्द की अपनी कहानी और अपने निशान है 

36)  न इनकी कोई जुबान है और  ना इन पर कोई लगाम है। अपनी मर्जी के मालिक है  यह शब्द ही कहलाते भगवान है। 

37) अगर लगाना चाहो इन शब्दो पर लगाम तो ये क्रोधित  हो जाते है यह कभी किसी के काबू में भी नही आते ना जाने क्या क्या है कर जाते 

38) यह शब्द कभी कभी मौन भी हो जाते है तो कभी कभी ये रोते, चीखते और चिल्लाते है 

39) शब्द तो कभी चुप भी इनमे मौन रहने की क्षमता भी है। तो कभी इनमें कोई क्षमता नही नजर आती है।

शब्द किसे कहते है:

40) शब्द सर्वशक्तिमान भी और अपने आपमें असहाय भी है शब्द परिश्रम करता ही दूसरे शब्द के लिए है 

41) स्वयं शब्द तो खुद को भूल ही गया है शब्द ही शब्द का सहारा है वरना शब्द बेचारा बेसहारा है 

42) शब्दों की भीड़ बहुत है, शब्द अकेले भी रह जाते है। यह शब्द बेचारे अकेलेपन से है घबराते 

43) शब्द शोर बहुत मचाते है भीड़ तंत्र के राजा ये शब्द ही कहलाते है शब्द शांत भी हो जाते है। 

44) शब्द ही शब्द का सहारा है बिना एक शब्द के दूसरा शब्द बेसहारा है 

45) इनका होश तो देखो इनका जोश तो देखो कभी कभी ये कितनी बड़ी बड़ी बातें कर जाते मतलब जिन का सिर्फ यह सीखा पाते है 

46) शब्दों के अनेकानेक खेल इन्ह शब्दो ने रचना की पूरे ब्रह्मंड की इन ही शब्दों से हुआ जगत का खेल शुरू 

47) कुछ शब्द गुम हो जाते है तो कुछ महान बन जाते है कुछ प्रसिद्ध हो  जाते है तो कुछ बेचारे गुमनामी के  अंधेरे में कही खो ये शब्द जाते है  ना कोई ठिकाना ना कुछ मुकाम   हासिल कर पाते बेचारे ये   शब्द खुद के बिछाए जाल   में फंस जाते है इनसे ये बाहर   निकल नही पाते है बार बार ये    कोशिश करते हुए नजर आते है    कभी नाकामी पाते है तो कभी    सफलता भी हासिल कर जाते है।  
कुछ नाकाम रह जाते है तोकुछ शब्द बन जाते है तो कुछ शब्द बिगड़ जाते है कुछ अलग राह पकड़ आगे निकल जाते है तो कुछ भेड़ चाल की तरह चलते हुए ही नजर आते है कुछ नया नही बस वही पुराना सभी शब्द करते नजर आते है इनमें करने की चाह बहुत है कुछ कर जाते है कुछ चाल जाते है तो कुछ ठहर जाते है 
49)
शब्द शब्द ही सुंदर, अतिसुन्दर है शब्द बदसूरत भी दिखते है।

50) शब्दो की चाल बड़ी निराली है इनकी दुनिया भी बड़ी निराली है। शब्द समझते खुदको बलवान है लेकिन भरी हुई इनमे बहुत थकान है जन्म जन्म से बह रहे है ये शब्द है जो अपनी गाथा कह रहे है  शब्द सिर्फ शब्दो के द्वारा बह रहे है  शब्दों का ना कुछ अता है ना पता  ये किधर से आ रहे है और जा रहे है  बस बन रही है इनकी अपनी गाथा है  यह शब्द अब तक अपनी विजयगाथा चला रहे।

शब्द किसे कहते है:

 51) शब्द शोर मचाते तो शब्द चिल्लाते भी बहुत है इनकी हंसी भी गजब है इनका रुदन भी देखो ये रोते है चिल्लाते झटपटाते हैै शब्द उछलते है, कूदते है, नाचते है, झूमते है, घूमते है 

52) शब्द अकड़ कर चलते है, कभी सुरा झुका मिलते धम्ब साहस स्वयम में यह शब्द भरते है 

53) शब्द खुद से भी बाते करते है शब्द अपनी जीत का जश्न भी मनाते है शब्दो मे हलचल है, शोरगुल है लड़कपन है शब्द शर्माते भी है और इतराते भी है 

54) शब्दों की शब्दों से क्या बात कहे ? शब्दों को मालुम नहीं वो खड़े कहाँ है शब्द तो भूल जाते है की हम कौन है? स्वयम को भूल जाने की इनकी प्रवृति है यह कभी दुसरो के संग मिल जाते है तो खुद को भूल जाते है 

55) शब्द खाली है तो भरे भी है शब्द चलते है भागते, दौड़ते है तो रुक भी जाते है थक हार भी जाते है कभीहिम्मत जुटाते है तो कभी दम तोड़ते हुए भी  ये शब्द नजर आते है हाथ पाँव हो या नही पूरे हो या नही फिर भी जिंदगी के  साथ जीते हुए नजर आते है  अपना समपर्ण देते  है किसी  दूसरे शब्द का सहारा बन जाते है  तो कभी सिर्फ अपना मतलब  सीधा करते हुए ही ये  शब्द नजर आते है तो कभी  जिसको जरूरत है उसका  सहारा बन ये शब्द जाते है   शब्द को शब्द मिल जाए तो   शब्द के मायने बदल जाते है   56शब्द अपना खुद प्रचार प्रसार करे शब्दों की कहानियां भी बहुत है 

57) शब्द अंगड़ाई भी तोड़े और सोते भी बहुत है इनको जगाने की कोशिश करो तो ये देर लगाते भी बहुत है 

58) शब्द अपनी मर्जी से आते है अपनी मर्जी से जाते है इनका कोई ठिकाना नही है बस जुबान से निकल ये जाते जैसा मतलब बनाओ ये शब्द खुद बना जाते है तोड़ मरोड़ शब्दों को बनाओ या जोड़ जोड़ कर देखो जैसा मर्जी इन्हें बनालो ये खूब काम आते है कुछ भी कैसा भी ये शब्द बन जाते है आड़े टेढ़े तिरछे शब्द भी देखें बहुत है जाते यह शब्द बहुत काम भी आते है इनको कही भी लगादो शब्दो के अपने मतलब और मायने बदल जाते है 

59) आज फिर यह शब्द कही भाग रहे है इनकी दौड़ समझ नही आ रही है ये जाना कहाँ चाहते इनका तो सफर ही खत्म नही होता हुआ दिखता बस यह चलते हुए जा रहे है, कहां रुकेंगे ? और कब तक चलेंगे ? क्या है इनका ठोर ठिकाना यह कैसे है पता लगाना ? 

शब्द किसे कहते है

60) शब्द कितना भी उचा उड़ जाए लेकिन आना उन्हें जमीन पर ही है जब तक वो निशब्द ना हो वो इस आकाश से बाहर ना हो पाए। 

61) इन शब्दो पर जोर नही है चलता यह कुछ भी और कभी भी जो मन चाहता वो है कह ये शब्द जाते अब इन शब्दो को कौन समझाए इनसे ऊपर कैसे जाए और कौन जाए ? यह तो हर दम अपनी मर्जी चलाये , मन , मस्तिष्क के भीतर यह शब्द घर कर जाए फिर देखो यह कैसे उत्पात मचाये 

62) मन पूरा क्रोध से भर देते है तन मन में आग लगा देते है यह शब्द रोम रोम राम से रावण हो जाते है ये शब्द फिर किसी की सुन नही पाते है। 

63) सारे गुण अवगुण इन शब्दो में समाए इनसे कौन भीड़, लड़  पाए ये शब्द सबको पीछे छोड़ आगे निकल जाए त्रिलोक विजय भी ये शब्द पाए परमेश्वर भी इनका सहारा ले धरती पर आये 

64) आज मैं भी शब्दों से बाते करता हूं जो आते है मेरे विचार में उनको पन्नो पर उतार देता हु फिर उनको पूरा करता हूं जो भी जैसा भी कोई एक विचार मेरे मन को छू जाता है वो लिख डालता हूं इन्ह पन्नो पर ताकि कभी न कभी तो उसका अर्थ मैं ढूंढ पाऊंगा और उन सभी शब्दों को पूरा कर मैं लिख पाऊंगा 

65) ऐसे शब्द जो इस ब्रह्मांड मैं कही ना कही विचर रहे है परंतु अभी तक हमसे उनका टकराव नही हो पाया है और जिन शब्दो का किसी से टकराव हो पाया है वो मोक्ष को प्राप्त हो गए है जिन्होंने शब्द रहस्य को जान लिया है वो पूरी तरह मोक्ष को प्राप्त हो चुके है आइए जानते है शब्दों के बारे में हमारे मुख से निकले शब्द इस बृह्मांड में चर और विचर  करते है यह शब्दों की प्रकर्ति पर निर्भर करता है , शब्द किस प्रकार का है ? शब्द की मूल पृकृति क्या है ? कैसे बना है और क्यों तथा किन कारणों से यह भी जानना अतिआवश्यक है क्योंकि यदि यही नही जान पाए तो उस शब्द का मूल कारण समझ नही पाए और वो शब्द इस ब्रह्मांड में चर विचार करता रहेगा जब तक उसे अपना अन्तोगत्वा स्थान ना प्राप्त हो जाए।

66) हम यहाँ कुछ शब्द के बारे में जानते है शब्द किसे कहते है यह विस्तार से बताया गया है, किसी भी रोग का उपचार शब्द से हो सकता है, शब्द अथवा जिन्हें मन्त्र कहा है, उनके द्वारा करना सम्भव है, तथा अनेकानेक रोगों को भी सिर्फ बोलने वाले मंत्र से उपचार किया जा सकता है, इसके लिए हमें इन पर रिसर्च करनी होगी जो हमने पिछले कई शातबदियो से नहीं की है हमारे वेद पुराणों में बहुत कुछ लिखा हुआ है परन्तु हमने उन्हें भी कभी समझने कि कोशिश नहीं की है  लेकिन कभी तो  हमे समझना होगा और बहुत सारी ऐसी किर्यायाओ से होकर गुजरना होगा जैसा की हमारे ग्रंथो में दिया है या फिर आज कल के युग में कई विधानों ने कह दिया है आपके शब्द ब्रह्माण्ड को प्रभावित करते है जैसा आप सोचते,  विचरते है उसी प्रकार की प्रकृति बन जाती है और प्रकृति पर आवरण भी उसी प्रकार से आवरण चड़ता है ,  मन के भावों से तथा आपके जीवन में आप जो कुछ भी कार्य कर रहे उनके द्वारा सारा जीवन बदल सकता है लेकिन हम शारीरिक रूप से जितने सक्षम है उतना ही कार्य कर सकते है और जो होना चाहते है वहीं हो सकते है  मशीनों का प्रयोग करके हम आने वाले कुछ सालों में बहुत सारी ऐसी रचनाएं करे जो हम आज के युग में सोच नही पा रहे हो परंतु यह सभी बाते संभव है क्योंकि संभावना आपके विचारो पर ही निर्भर करती है।

बाहरी दुनिया बहुत सारी ध्वनियां छोड़ रही है परंतु ये ध्वनियां किसी भी काम की नही लग रही सब की सब बेमतलब है जिनका औचित्य नही प्रतीत हो रहा है इस समय इन सभी ध्वनियों को कभी ना कभी अर्थ मिलेंगे परंतु वो किस और जाएंगे ये समय पर निर्भर करता जहाँ तक मेरा अंदेशा है ये विनाश की और अग्रसर हो रहा है इसलिए इन्ह ध्वनियों को सुनने का कोई फायदा नही है मुझे अपने भीतर की दुनिया को ही सचेत रखना है जो ध्वनियां मेरे भीतर बज गुंज रही है मुझे उन्हें ही मूल रूप से सुन्ना है और समझना है बाहरी दुनिया में बेबुनियादी विचारो की एक अलग दुनिया बन चुकी है जिनमे आप खुद को भी भूल जाते है और इस चक्रव्यूह में फंस जाते है जिससे निकलना मुश्किल सा प्रतीत होता है अनगिनत विचार आप के मस्तिष्क में चलते है जिनका कोई आधार नही है और वो आपको सिर्फ बाहरी दुनिया के चक्कर लगवाते है और कुछ भी नही इनका निष्कर्ष बिल्कुल अर्थहीन है जो आपकी इच्छाओ को बढ़ावा दे रहे है। दिन प्रतिदिन आपने विचारो में ही फंसते हा रहे है 

बाहरी वस्तुयों में शोर है, रगड़ना है जिसमे कोई मधुर आवाज मधुर संगीत नही है ये सभी ध्वनियां मिल तो ओम ॐ को रही है परंतु उनका जो उच्चारण स्थान है वो अलग है रगड़ना जिससे इन ध्वनियों को सही दिशा मिल रही है और इनके अर्थ अब अर्थहीन दुनिया की अग्रसर है, 
अगर हम ब्रह्मांड के साथ एक ही साउंड में खुद को मिलाने की कोशिश करे तो शायद हमारा जोड़ आकाश से हो जाए पूरी धरती पर जितने प्राणी है उन साभी को ये एक साथ करना होगा और 

कुछ शब्द आते है समूह बनाते है और वार्तालाप करते है कुछ शब्द एक प्रधान शब्द के पास आते है और बाते करते है किसी एक मत पर अपनी सहमति देने के लिए नजदीक आते है और देते है उनका प्रधान एक मत छोड़ता है और सभी शब्द उस पर अपना मत देते है सहमति हाँ में होती है निष्कर्ष परिणाम हा निकल गया है यहाँ पर है हम सहमत है सभी सहमत होते है एयर चले जाए है।

शब्द किसे कहते है ?

शब्द एक विवेकशील प्राणी है परंतु प्रकाश (लाइट) नही शब्द तरंगे उन्हें और समझ सकती है परंतु लाइट सिर्फ गतिमान है एक सीधी रेखा में अग्रसर है जिसका अपना कोई भी मत नही है तरंगे , ध्वनियां , शब्द , कम्पन ये आपस में विचारक तत्व है इनमें समझ है ये निर्णायक है स्वयम निर्णय भी ले सकती है क्या सही है ? क्या गलत है ? परन्तु लाइट में नही होती यह क्षमताये, लाइट सिर्फ चलती है जहां प्रकाश हा सकता है सिर्फ वहीं तक किरणे जाती है तो एक सीधी रेखा में जिसका अपना कोई अस्तित्व नही होता सिर्फ प्रकाश की गति में गतिमान है।

हमने यहाँ एक विस्तृत जानकारी दी है की शब्द किसे कहते है, शब्द क्या करते है, शब्दों का महत्व, शब्दों के कार्य आदि आदि प्रकार से आपको शब्दों के बारे में समझाया है, मैं उम्मीद करता हूँ आपको शब्दों के बारे काफी जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी यदि आपके मन में कुछ प्रश्न चल रहे हो तो हमे कमेन्ट कर पूछ सकते है। और इसके साथ साथ नीचे शब्द पर ही कुछ और भी ब्लॉग्स है जिनका लिंक नीचे दिया गया है आप उन्हे भी पढे।

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सुस्ती भरा दिन

एक सुस्ती भरा दिन यूं ही बीत चला गया जिसका पता भी नही चला, आज पूरे दिन रजाई में लेटा और बैठा रहा फिर क्या था बस मैं अपने ही ख्यालों में कही गुम रहा कुछ विचार आए और कुछ नही

सुस्ती शारीरिक थी लेकिन दिमागी कतई भी नही कभी उठ बैठ जाता और अपनी स्पाइरल वाली नोटबुक में लिख देता बस आज यही किया क्युकी आज कही जाना तो नही था सप्ताह के आखिरी दो दिन दिल्ली बंद है

कुछ विचारो पर कार्य किया और कुछ नही
कुछ विचार बहुत जरूरी थे और कुछ का कोई मतलब नहीं था , कुछ ऐसे विचार थे जिनसे 2022 को प्लान करना था और कुछ ऐसे जिनको दिमाग से हटाना था

लगातार विचारो से खेलना मेरी आदत बन गई है हां मुझे व्यायाम करना कोई खास पसंद नही है लेकिन अपने विचारो को देखने में नही संकुचता तनिक भी

यह आज सुस्ती भरा दिन आज ऐसे ही खतम होने लगा था तो सोचा कुछ लिख देता हूँ वैसे कुछ खास नहीं था बस यही की विचारो को देखना , पढ़ना , समझना , जानना अत्यंत है जरूरी क्युकी इन्ही से बनती जिंदगी पूरी

अपने विचारो को यूं ही मत बिगाड़े इन्हे बस सवारे

यही था आज का विचार चलता हूं सुस्ताता हूं फिर आता रहूंगा बार बार मिलूंगा आपसे यही हर बार

जीवन शिक्षा

अनावृत जीवन शिक्षा न रुके सदा नया कुछ न कुछ रहे सीखते ….
जीवन निरंतर शिक्षा देता बिना शुल्क के ।
सदा सीखने जब होगी आदत में शुमार….
जीवन का हृदय से आपके प्रति आभार ॥

जीवन आपको सौंपने आया अपना सर्वोत्तम ..
भरपूर ख़ज़ाना उसका कभी नहीं होता कम ।
वादा करे सदा जीवित रहे सीखने का जनून..
ख़रीदी हम पे आधारित की थोक या परचून॥

जीवन सदा देने के लिए बना हे ये मॉडल ऐसे तैयार हे इसका निर्माता हे जो कोई क्लेम नहीं करता लेकिन हे सब चीज़ें एक दूसरे को सपोर्ट करती हे सहायक हे जीवन को आगे सही से चलाने में वो एक अंग का काम करती हे अब ये व्यक्ति विशेष पे आधारित हे वो इस जीवन से क्या क्या ले सकता हे ओर क्या क्या लौटा सकता हे ।
मुझे लगता हे जीवन सही से चलाने के लिए इसको इस्तेमाल करके इसकी भरपाई भी करे ताकि ये प्रक्रिया चली आ रही हे उसमें अवरोध न उत्पन्न हो आप ने लिया ओर थोड़ा भी लौटाया ये जीवन उसे बढ़ा देता हे ये इसकी ख़ासियत हे ये सर्जनक़ारी व्यवस्था हे जो देने के लिए बना हे ।
ज़मीन खोदो ख़ज़ाने निकल रहे हे हीरे भाँति भाँति के खनिज पदार्थ सोना ओर चाँदी क़ीमती धातुएँ गैस अकूत सम्पदा से सम्पन्न हे ये धरा ।
वातावरण किसने इसकी रूपरेखा रखी होगी ये जंगल ,पहाड़, गुफाये ,नादिया , समुन्दर फल फूल वनस्पति पेड़ ये जानवर पक्षी नहीं बखान कर सकते एक करोड़ चीज़ें वो जान लेंगे तो एक करोड़ फिर अनजान रह जाएँगे ये सब हमें विरासत में मिला कोई गहरी विशाल अथाह अबूझ शक्ति हे जो यहाँ जीवन को पनपाना चाहती हे ओर हम उस शक्ति के बहुत ही निकट हे नहीं समझे तो दूर भी बहुत हे ओर मज़े की बात पहचाने तो वो बहुत निकट हे ओर नकारे तो कुछ भी नहीं हे क्या ग़ज़ब का ये खेल हे न ? ये मेरा प्र्श्न हे मुझे लगता हे ये एक खेल हे आपका क्या कहना हे ।
मुद्दा ये हे कि इस जीवन से सीख ले इसके डिज़ाइन इसकी संरचना से सीख ले तो काफ़ी सारे मेरे हिसाब से सब उठे प्रश्नो के उत्तर इसी में छुपे हे ।
अब का तो मुझे पता नहीं पहले अंग्रेज़ी के पेपर में एक दो प्रश्न इस प्रकार के होते थे जिसमें एक कहानी लिखी संवाद लिखे अब प्रश्न उसी घटनाक्रम पर आधारित 4-5 प्रश्न पूछ लिए जाते थे जिनका जवाब उसी संवाद कहानी मेन छुपा होता था कहने का मतलब ये हे की उसी प्रकार हमें भी जीवन रूपी paragraph मिला हे प्रश्नो के उत्तर इसी में निहित हे बस सही से इस मिले जीवन की कहानी को पढ़ना हे ।
सब उत्तम हुआ हे आगे भी उससे कम नहीं होगा अति उत्तम होगा .
सब का मंगल हो सभी का कल्याण हो ।
सर्वतः दा भला । जय हो सबकी विजय

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जरूरी नहीं हर बात

जरूरी नहीं हर बात अच्छी लगे, हर बात अपनी ही मनमानी की हो, कुछ ऐसी बाते होती है जो हमारे वश में होती ही नहीं है।
जरूरी नहीं हर किताब अच्छी लगे, हर फिल्म अच्छी लगे, हर मौसम अच्छा लगे हर सफर और हमसफर भी अच्छा लगे कुछ साथ मुलाकात जज़्बात ऐसे होते है जो ना चाहकर भी जिंदगी के हिस्से होते हैं , कहानी और किस्से होते है , उनका होना भी घटना है, उस घटना में बहुत कुछ अपना है तो बहुत कुछ पराया है, बहुत सारी चीज़े जो हो रही है वो हमारी समझ से पड़े होती है।

कुछ जो हमे समय आने पर समझ आ जाती है, ओर कुछ समझ नहीं आती क्युकी हमारी समझ भी उस स्तर तक नहीं पहुच पाती इसलिए जो हो रहा है, जो घटना बन रही है, वो अच्छी ओर बेहतर हो रही है, बस यही सोचकर हमे आगे बढ़ना है जिंदगी की सारी समस्या स्वयं ही हल हो जाती है।

या तो वो दुर्घटना है या फिर महत्वपूर्ण घटना यह तय करना तुम्हारी जिम्मेदारी है, की कितनी दूर साथ चले कुछ दूर या पूरी जिंदगी साथ निभाते चले कुछ को बीच रास्ते में छोड़ा जा सकता है। कुछ को बिलकुल भी नहीं फिर उसका हमारी पसंद और न पसंद से कुछ लेना देना नही,

बस साथ निभाना उसमे बहुत कुछ छिपा है, जो आपको समझना है हो सकता है वो आपके लिए सही है, लेकिन आपको पसंद नही था या नही है लेकिन वो एक दम फिट है आपके लिए , आपके जीवन के लिए।

इसलिए जिंदगी का साथ निभाते चलो
मेरे दोस्त यह जिंदगी इस जिंदगी के साथ थोड़ा मुस्कुराते चलो ,
कभी दुख होगा तो कभी सुख होगा
लेकिन सफर जिंदगी का है
अतंत अच्छा ही होगा
यूं गम को अपने सीने में दबाकर कब तक चलोगे
मुस्कुरादो उस दबे हुए घाव के भी तो गम भरेंगे, क्युकी जरूरी नहीं हर बात अच्छी लगे

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दशमेश गुरु जी

आज का विषय बहुत ही सुंदर
दशमेश गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी के जन्मदिवस के विषय में

उनका आकाशीय कथन से शुरुआत करेंगे
जो हे
चिड़ियों को में बाज से लड़ाऊ , गीदड़ों को में शेर बनाऊ !
सवा लाख से एक लड़ाऊ तभी गोविंद सिंह नाम कहाऊ !!
दशमेश गुरु जी जिन्होंने खालसा की नीव रखी सिक्खों को सिखी को जोड़ा ओर एक जीवन की अमिट निष्कलंक विधि दी अमृत पान करवा के पाँच प्यारे दिए ओर पाँच कक्के दिए जो थे कंघा ,केश, कढ़ा ,कच्छेरा ओर कृपाण
आप जी का जन्म पटना साहिब में हुआ था आपने मुग़लों से 14 बार युद्ध हुआ ओर ओर आपकी सदा जीत हुई ।

आपजी हृदय से कवि ओर मस्तिष्क से एक अपराजित योद्धा थे ओर परम ज्ञानी कई भाषाओं के जानकार जिसने संस्कृत ,गुरमुखी अरबी , फ़ारसी ओर न जाने ओर कौन कौन सी भाषाओं में वो पारंगत थे ओर 9 वर्ष से भी एक महीना क़रीब कम में वो दसवे गुरु की पदवी मिली।

हम नमन करते हे उनके किए बलिदान के लिए , पूरा परिवार पिता जी श्री तेग़ बहादुर जीं ने शीश को काटा गया गुरुद्वारा श्री शीश गंज उसका बलिदान की गवाह हे उनको खुद 42 वे वर्ष में धोखे से मुग़लों ने सीने में घाव देकर हुई उससे पहले उनके दो पुत्र चमकौर के युद्ध में शहीद हो गए ओर दो पुत्रों को मुग़लों ने ज़िन्दा दिवार में चुनवा दिया।

चमकौर का युद्ध क्या कमाल का था एक तरफ़ 40-43 सिख थे ओर दूसरी तरफ़ 10 लाख की विशाल मुग़ल सेना ओर क़ाबिले तारीफ़ बात ये थी गुरु गोविंद सिंह जी ने जो मेने शुरुआत में उनके वचन को लिखा था कि चिड़ियों से में बाज़ लड़ाऊ , गीदड़ को मैं शेर बनाऊ ! सवा लाख से एक लड़ाऊ तभी गोविंद सिंह नाम कहाऊ !! को सिद्ध कर दिखाया ये थे महान महान श्री श्री गोविंद सिंह जी ।

मेने अपनी जीवा से उनका नाम लिया हे मेरी लेखनी मेरी जीवा भी शुद्ध हो गई ऐसा प्यारा प्यारा नाम श्री गुरु गोविंद सिंह ।
वाणी नहीं कर सकती उनका बखान ये वाणी की कमी जो कभी पूरी नहीं की जा सकती आज के दिन ऐसी पुण्यात्मा महान विभूति संत श्री गोविंद सिंह जी को क्षत क्षत नमन वंदन ।
जो बोले सो निहाल ससरियाकाल।

योग क्या है

योग क्या है आप जानते हैं ? असल में योग क्या है ?
क्या योग शब्द सुनते ही आपके दिमाग में शरीर को अलग-अलग अवस्थाओं में रखने की फोटो सामने आने लगती है ?
क्या आप योग को केवल एक शरीर की चर्बी घटाने का या फिर अत्यधिक बढ़े हुए वजन को कम करने का माध्यम समझते हैं?

ऐसे ही न जाने कितने सवाल है अलग-अलग मनुष्यों के मस्तिष्क में आते हैं। मैं काफी समय से योग से जुड़ा हुआ हूं। योग के बारे में मैंने काफी पढ़ा भी है और समझा भी है, परंतु यह कैसी प्रक्रिया है जिसे आप केवल पढ़कर नहीं समझ सकते, इसमें आपको स्वयं संलग्न होना पड़ेगा, केवल तभी आप इसकी गुणवत्ता को समझ पाएंगे।

शरीर की चर्बी घटाना या वजन को कम करने के लिए एक कारगर उपाय है इसमें कोई शंका वाली बात नहीं है परंतु योग को इतना छोटा समझना काफी गलत होगा।


हमारे में से अधिकतर लोग योग को सिर्फ आसन तक ही जानते हैं या फिर प्राणायाम, जो कि आजकल कई योगियों ने प्रचलित कर दिया है। परंतु इसके और भी कई आयाम है।


अगर आप हिंदी भाषा के भी जानकार है तो योग का हिंदी में अर्थ होता है जोड़ना या जमा करना। ठीक उसी प्रकार एक योगी स्वयं को इस प्रकृति से जोड़ता है। योग के भी कई प्रकार है। जैसे कि अष्टांग योग,कर्म योग, भक्ति योग या ज्ञान योग इत्यादि। यहां में केवल अष्टांग योग की पर बात करना ज्यादा अच्छा समझता हूं क्योंकि जिस योग के बारे में आज का मनुष्य समझता है, वह अष्टांग योग का एक बहुत छोटा सा हिस्सा है।

अष्टांग योग:
अष्टांग का सीधा सा अर्थ है आठ अंगों का होना। योग के आठ अंग कौन से हैं क्या आप जानते हैं?

यह सभी आठ अंग इस प्रकार हैं:
१ यम
२ नियम
३ आसन
४ प्राणायाम
५ प्रत्याहार
६ धारणा
७ ध्यान
८ समाधि

साधारणतया आज के समय में मनुष्य बिना ज्ञान के अभाव में सीधा आसन करने की कोशिश करता है। परंतु यह थोड़ा मुश्किल है क्योंकि इसके लिए आपको अपने सारे नियम पालन करने होंगे। सर्वप्रथम योगी का खानपान उसकी दिनचर्या योग के अनुकूल होनी आवश्यक है। आसन करने के समय उसका उदर बिल्कुल साफ होना चाहिए। इसके अलावा आपको एसी जगह का चुनाव करना होगा जहां आपको वायु पर्याप्त मात्रा में मिल सके।

इसके बाद अगर बात की जाए आसनों की तो आसन कई प्रकार के हो सकते हैं। परंतु साधारणतया मैंने ध्यानात्मक आसन, खड़े होकर किए जाने वाले आसन और लेट कर किए जाने वाले आसनो की श्रेणी में रख सकते हैं।

ध्यानात्मक आसन का सीधा सा अर्थ है वे सभी आसन जिन्हें की एक स्थिति में बैठकर किया जा सकता है। इसमें प्रचलित नाम है पद्मासन, सिद्धासन, गोमुखासन, विरासन, अर्ध पद्मासन तथा वज्रासन इत्यादि।

सभी आसनों की अपनी-अपनी उपयोगिता है, परंतु पद्मासन को आसान श्रेष्ठ कहा जाता है। इसमें योगी को अपने दोनों पैरों को मोड़कर विपरीत जंघाओं पर रखना होता है वह मेरुदंड को बिल्कुल सीधा रखना होता है। यह आसन ना केवल आपके पैरों पर कि जाओ डालता है परंतु आपके पूरे शरीर को मजबूत बनाता है। जब आप इस आसन को लंबे समय तक अभ्यास रद्द हो जाते हैं तो आप इसे अलग-अलग अवस्थाओं में भी कर सकते हैं। परंतु जब शुरुआती समय में अगर यह असर नहीं होता तो आप केवल एक पैर दूसरी जगह पर रखकर अर्ध पद्मासन से शुरुआत कर सकते हैं। फिर धीरे-धीरे अभ्यास रात होने के बाद आप पूर्ण पद्मासन की स्थिति में आ जाएंगे।

इसके अलावा बात अगर वज्रासन की की जाए तो केवल यह एक आसन है जिसे आप भोजन के उपरांत भी कर सकते हैं। यह आपकी पाचन प्रक्रिया को भी तो सुदृढ़ करता ही है, साथ साथ आपकी हड्डियों को भी बहुत मजबूती प्रदान करता है। यदि आप जोड़ों के दर्द से पीड़ित है, या फिर आपके पैर बहुत कमजोर है, तो आपको यह आसन शुरू करना चाहिए। केवल कुछ ही समय के अभ्यास के बाद आप पाएंगे कि आपके पैरों के घुटने काफी मजबूत हो जाएंगे। इसी प्रकार बाकी सभी आसनों की भी अपनी अपनी अलग-अलग उपयोगिता है, अगर मैं अपने अनुभव से कहूं तो मुझे पद्मासन की स्थिति सबसे श्रेष्ठ लगती है।

प्रणायाम:
आजकल व्यक्ति टीवी देख कर या पुस्तकों में पढ़ कर कुछ प्राणायाम कर रहा है वह भी उसकी उपयोगिता और तरीके को जाने बिना। आज के समय में सबसे ज्यादा अगर लोग जानते हैं तो कपालभाति और अनुलोम विलोम को। लेकिन जहां तक मैं समझता हूं, कपालभाति एक प्राणायाम ना होकर एक शुद्धि क्रिया है, जो कि योग के षट्कर्मों में से एक है। और अगर बात की जाए अनुलोम-विलोम की तो उसे अधिकतर योगी नाड़ी शोधन प्राणायाम के नाम से जानते हैं। अर्थात नाड़ियों को शुद्ध करने वाला प्राणायाम।

मेरे अर्थात प्राणायाम का सीधा सा अर्थ है प्राणों को एक अलग आयाम देना अर्थात एक अलग रास्ता देना। बात यह आती है कि यह प्राण क्या है। योग में प्राणों को वायु रूप बताया गया है व उसके पांच प्रकार बताए गए हैं।
प्राणवायु
अपान वायु
उदान वायु
व्यान वायु
समान वायु

मानव शरीर के संचालन में इन्ही पांच प्रकार की वायु का बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान है।

अलग-अलग प्पुस्तकों में अलग-अलग प्राणायामो के बारे में जानकारी मिलती है परंतु प्राणायाम के तीन मुख्य अंग बताए गए हैं:
रेचक
कुंभक
पूरक

श्वास को भीतर लेना, श्वास को बाहर छोड़ना और रुकना।
अब रुकने में भी दो अवस्थाए मुख्य रूप से बताई गई है:
बाहरी कुंभक
आंतरिक कुंभक

बाहरी कुंभक अर्थात शरीर की सारी वायु को बाहर निकाल कर उसी अवस्था में रुके रहना। इस स्थिति को धीरे धीरे बढ़ाया जा सकता है।
और आंतरिक कुंभक अर्थात स्वस्थ शरीर में पूरी तरह भरकर अंदर ही रोके रखना।
इन दोनों ही स्थितियों के अपने-अपने शारीरिक व मानसिक लाभ है। अब अगर नाड़ी शोधन या अनुलोम-विलोम की बात की जाए तो इसमें बात आती है नाड़ियों की।

योग के अनुसार मानव शरीर में 72000 नाडिया पाई जाती है। जिनमें की तीन प्रमुख है:
इड़ा
पिंगला
सुषुम्ना

इड़ा और पिंगला कोई सूर्य और चंद्र नाड़ी कहा जाता है। इसके ऊपर पूरा एक विज्ञान है जिसे स्वर विज्ञान कहा जाता है।

इसके साथ ही योग में कई क्रियाओं के बारे में बताया गया है। शांभवी क्रिया, अग्निसार क्रिया, वज्रोली और अश्विनी क्रिया आदि।

योग को केवल इतने से शब्दों में नहीं बताया जा सकता है। यह अपने आप में एक बहुत बड़ा विज्ञान है। फिर भी हमने संक्षिप्त तौर पर थोड़ा बहुत लिखने की कोशिश की है अगर इसमें कोई त्रुटि हुई हो तो हम क्षमा चाहते हैं और सभी सुधारात्मक कार्यों का स्वागत करते हैं।

धन्यवाद

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