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आदिपुरुष फिल्म

समय बता रहा है की पैसा बहुत बड़ी चीज है, यदि आप देख रहे है आदिपुरुष फिल्म तो आप समझ ही जाएंगे की आपकी भावनाओ से फिल्म के निर्देशक ओर ऐक्टर को आपकी भावनाओ से कोई लेना देना नहीं है इस फिल्म में आपको भद्दी भाषा, अमर्यादित रूप, रावण एक ब्रह्माण था जिस ब्रह्माण के हाथों में गोश्त का टुकड़ा दिखाते है।

आदिपुरुष फिल्म में इस तरह से आपकी भावनाओ को आहात किया गया है की आप सोच भी नहीं सकते मनोज मुंतसिर एक टीवी इंटरव्यू में कहते है की उनकी नानी- दादी उनको इसी भाषा में कथा सुनाया करती थी यदि वो इसी भाषा में सुनाया करती थी तो वह अपने बच्चों को सुनाया करे ना इस तरह से हमारे देश में गंदगी क्यों परोस रहे है?

क्या आप आदिपुरुष फिल्म को देखकर खुश है?

मैं तो बिल्कुल भी खुश ओर सहमत नहीं हूँ आदिपुरुष फिल्म को देखकर , मैंने आदिपुरुष फिल्म पहले दिन देखी ओर यह फिल्म बर्दास्त करने की हद से बाहर थी मध्यांतर के बाद तो, लेकिन मैं रुका रहा शायद अब अच्छा कुछ दिखेगा लेकिन आदिपुरुष फिल्म अपने अंतिम चरण में आ गई थी परंतु कुछ अच्छा नहीं दिखा बस दिखा तो सिर्फ नुकसान जो राम कथा का इन लोगों ने किया।

क्या आपके पास शब्द कम पड़ गए थे? जो आपने संवाद खत्म कर दिया था, आदिपुरुष फिल्म में संवाद का कोई स्थान नहीं था, कही से कही तक कोई भी संवाद नहीं था जहां आपको कुछ सीखने को मिले उल्टा आदिपुरुष फिल्म देखने पर भद्दी हंसी आती है जिसको हम कहते है की यह क्या कह दिया है मतलब सिर्फ किरदारों का अपनाम नहीं शब्दों का भी मान नहीं रखा मनोज मुंतशीर ने।

मनोज मुंतशीर माफी मांगने को भी तैयार नहीं है उन्हे लगता है की उन्होंने कोई गलती नहीं है बस बता रहे की हम डाइअलॉग को बदल कर फिर से आपके सामने फिल्म आदिपुरुष को दुबारा पेश कर देंगे कुछ दिनों में

आदिपुरुष फिल्म के ऐक्टर प्रभास जो अभी तक फिल्म को बढ़ावा दे रहे है ओर हर रोज ट्विटर पर अपडेट कर रहे है की उनकी फिल्म हर रोज रिकार्ड ब्रेक कर रही है ओर खूब अच्छी कमाई कर रही है, वैसे यह सभी झूठे आकडे दिखा रहे है, क्युकी फिल्म एक भद्दा मजाक है इसमे कुछ अच्छा नहीं है एसा की फिल्म को देखा जाए ओर सराहा जा सके इस फिल्म में सिर्फ डाइअलॉग ही नहीं उसके अलावा भी बहुत सारी कमिया है फिल्म आदिपुरुष में जिस प्रकार से रावण एक पक्षी को मीट खिला रहा है।

इंदरजीत के पूरे बदन पर टैटू बने हुए है

हनुमान जी प्रणाम की जगह सीने पर हाथ रखते है यह लोग यह पर मिस्टर इंडिया की फिल्म के हियर कमैन्डो कर रहे थे क्या? कुछ समझ नहीं फिल्म में क्या हो रहा था।

श्री राम श्वेत वस्त्रों में दिखते है भाई हम लोग साधु है यीसु नहीं

रावण के बालों का डिजाइन

सुग्रीव ओर बाली को गोरिल्ला बना देना

माता सीता का अपहरण

कुल मिलाकर फिल्म को बढ़ावा ना दे सेंसर बोर्ड को यह फिल्म पास नहीं करनी चाहिए थी ओर अब फिल्म को बैन कर देना चाहिए दुबारा कभी इसे किसी भी टीवी चैनल व अन्य किसी माध्यम से नहीं दिखनी चाहिए।

ढूँढता ही रहा

ढूँढता ही रहा जिंदगी को ना जाने कहाँ काहाँ

ए ख्वाब जिंदगी तू इतनी हसीन क्यों बस थोड़ी बहुत नमकीन हो ,

मेरी जिंदगी इस कद्र रह की भरपूर सुकून हो।

ढूँढता ही रहा उस ठिकाने को बस जिसकी तलाश में निकल चल था मैं
ढूँढता ही रहा

जिंदगी को समझने

बड़ी कोशिश है जिंदगी को समझने की

इस जिंदगी से कुछ रूबरू होने की

इस जिंदगी को मैं समझता लेकिन

फिर भी समझ से पार हो जाती है जिंदगी लेकिन समझ नही आती है जिंदगी कही दूर निकल जाती है फिर लौटकर भी नही आती है यह जिंदगी

वो ख्वाब मंजिलों सी

वो ख्वाब मंजिलों सी दूर हो गई, यह जिंदगी अब जिंदगी सी मजबूर हो गई इस जिंदगी के ख्यालों में कही ओर जिंदगी हो गई , क्या जिंदगी है ख्वाब सी जो ये मजबूर हो गई इस जिंदगी के जख्म इतने गहरे के ये नासूर हो गई , संभालो इसे यह जिंदगी अब मरने को मजबूर हो गई.

सम्पूर्ण ब्रह्मांड

सम्पूर्ण ब्रह्मांड एक साथ जुड़ा हुआ है, यह कही से भी अलग नहीं है ,हमारा ब्रह्मांड सम्पूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है, जो तिनका मात्र भी अलग नहीं है।

ब्रह्मांड किस तरह से जुड़ा हुआ है : ब्रह्मांड हमारे शब्दों की ध्वनि के रूप में जुड़ा हुआ है जो ध्वनि इस ब्रह्मांड में चर विचर रही है वही इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड को जोड़े हुए है।

सफर कितना बेहतर है

सफर कितना बेहतर है इस जीवन का बस इस सफर को देख जिए जा रहा हूँ। इस जीवन का सफर कितना बेहतर ओर आनंददायक है, बस यही एक विचार मेरे मन को हर्षित कर देता है, लगता है सभी सुख इस पृथ्वी पर है, ओर कही नहीं हम सभी यहाँ किसी कारण से आए है परंतु मुझे जो लगता है।

एक मुख्यत कारण है आनंद जिसे हम सभी अनुभूत करने के लिए इस जीवन रूपी संसार में आए है, उस जीवन का आनंद हमे लेना है।

जिंदगी की नई सोच

जिंदगी की नई सोच के साथ जीवन को नया बनाओ

हर रोज नया कुछ सोचो

हर रोज अच्छा सोचे

हर रोज नया कुछ करने की सोचो

हर रोज क्या नया कर सकते हो ?

हर रोज नए सपनों को उन कोर कागज पर लिखो

जिसको आप पूरा कर सकते हो, या कर चाहते हो

हर रोज एक नयापन हो जीवन में इस तरह से सोचो

हर रोज को किस तरह से बेहतर बना सकते हो इस तरह से कुछ करो

अपने हर रोज के काम में

क्या जोड़ सकते हो उसके बारे में सोचो, कितना बेहतर हो यह जीवन

जिंदगी की नई सोच के साथ

रात के ख्याल

रात के उन ख्यालों को कैसे अकेला छोड़ दु

उन ख्यालों संग ना खेलू क्या ………………………

ख्यालों को कैसे अकेला छोड़ दु जो अकेले है

रात में उन के साथ क्या खेलू नहीं

उन ख्यालों से क्या मिलू भी नहीं

वो ख्याल ही है जिनकी वजह से नींद का मज़ा आता है

ये ख्याल मुझे हर रोज नई दुनिया की सैर कराते है

मेरी कल्पनाए एक रूप ले लेती है

उन कल्पनाओ के साथ मैं इन ख्यालों को सजाता हूँ,

देखता हूँ , ओर खूब खेलता हूँ मुझे इन ख्यालों संग अच्छा लगता है

ये ख्याल मेरा बहुत ख्याल रखते है

मैं उठू या नहीं उस रात के बाद इस बात की भी चिंता नहीं

यह ख्याल मुझसे दूर कर देते है फिर कैसे ना देखू मैं ख्याल,

फिर कैसे रहू रात भर बिन ख्याल

मन में सपनों

निकला था उस ठिकाने को ढूँढने जिसका पता भी नहीं मालूम,
मन में सपनों के अलग ही उत्साह लिए हुए।
जाने क्या मिलेगा रास्ते में,
पर मन में जज्बातों के तूफान उठे हुए।

ये दौड़ जीवन की ये चुनौती है,
जिसे अपनी ताकतों से माना जाना है।
अपने सपनों की तलाश में निकलो,
खुद को अगली मंजिल पर पहुँचाना है।

रोक नहीं सकती ये दुनिया तुम्हें,
जो तुम्हारे सपनों की उड़ान भी नहीं रोक पाती।
सफलता की राह में होगी बहुत चुनौतियां,
पर हार नहीं मानो, जीत को प्राप्त करो तुम भी।

ये दिन नहीं रहेंगे दूर,
जब तुम अपने सपनों की उड़ान उड़ा पाओगे।
रास्तों में मिलेगी अनजानी खुशियाँ,
तुम्हारी मेहनत और उमंगों से बरसाओगे।

निकला था उस ठिकाने जिसका पता भी नहीं मालूम,
पर मन में सपनों के अलग ही उत्साह लिए हुए।
दिल में अग्नि भर दो तुम,
सपनों की उड़ान तुम्हारे कदम चलाएगी आगे।

आदिपुरुष फिल्म रिव्यू

बात करते है आदिपुरुष फिल्म के बारे में इस फिल्म की कहानी तो हम सभी जानते है, लेकिन रामायण जितनी बार देखी व सुनी जाए उतनी बार नई शिक्षा मिलती है , कुछ नया सीखने को मिलता है बस यही कारण था मेरा इस फिल्म को देखने का वैसे भी काफी लंबे समय से कोई ऐसी फिल्म नहीं देखी है।

रावण

मुझे सैफ अली खान से कोई एतराज़ नहीं है न ही फिल्म के किरदारों से मुझे दिक्कत है om raut से क्युकी जिस तरह से दिखाना या दर्शाना चाहिए था ऐसा कुछ नही था, फिल्म में इस दशानन वाले सीन के अलावा सैफ अली खान की एक्टिंग थोड़ी बहुत ठीक थी, लेकिन इतने सारे दृश्य ऐसे थे जहां पर सिर्फ हसीं आ रही थी, और फिल्म को बीच में छोड़ कर जाने का मन कर रहा था परंतु पैसे तो मेरे लगे थे, Om Raut के नही इसलिए मैने फिल्म को पूरा देखा।

यह 2.59 घंटे की फिल्म है जिसमें आपको अच्छे डायलॉग , इमोशन नहीं मिलते और हम सभी के प्यारे हनुमान जी के मुख से एक बार भी जय श्री राम नही सुनाई देता, इस फिल्म में श्री राम जी को राघव नाम से संबोधित किया गया व लक्ष्मण जी को शेष नाम से।

सबसे गजब की बात तो यह दिखती है की फिल्म में खतम करने की जल्दी बहुत दिखाई गई है। कोई भी अच्छे से कवर किया ही नहीं है पता नहीं फिल्म के डायरेक्टर इस फिल्म को खत्म करके जाना कहां चाहते थे।

इमोशन का कोई स्थान नहीं है, ना ही कोई भी सीन बहुत अच्छी तरह से फिल्माया गया है, जिस जगह जरूरत थी फिल्म को दर्शकों के साथ जोड़ने की वो कोशिश भी पूरी तरह से नही की गई।

इस फिल्म में एक गलती नही बल्कि खूब सारी गलतियां की गई है शब्दों को पूरी तरह से तोड़ मरोड़ दिया गया है,भाषा का दुरुपयोग किया गया है रामायण के नाम पर इन लोगो एकता कपूर का सीरियल दिखा दिया।

जब रावण सीता माता का हरण कर रहा था तब श्री मुख से एक बार भी सीता सीता नही निकला था यह एक साधारण सी बात हुई है जैसे इस तरह से फिल्माया गया।

माता शबरी वाला सीन भी बिलकुल खराब कर दिया साथ ही सीन सही तरीके से नही दिखाया गया।

मनोज मुंतशीर के कुछ भद्दे शब्द जिन्होंने फिल्म का स्तर गिरा दिया

1) “कपड़ा तेरे बाप का! तेल तेरे बाप का! जलेगी भी तेरे बाप की”

(2) “तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने चला आया”

(3) “जो हमारी बहनों को हाथ लगाएंगे उनकी लंका लगा देंगे”

(4) “आप अपने काल के लिए कालीन बिछा रहे हैं”

(5) “मेरे एक सपोले ने तुम्हारे शेषनाग को लंबा कर दिया अभी तो पूरा पिटारा भरा पड़ा है”

Point 1. Single star movie
2 ticket price high on weekend because they know after this week no one will see
3 fault language and dialogue are so bogus
4. Acting level is like Tv serial
5. No emotion in this Epic tale
6. Chanting of Ram Ram and Jai Hanuman is missing
7. First part bit ok but 2 half is completely flat
8. Ye film toh baccho ke liye bhi nahi hai bachhe kya sikhenge is film ko dekhkar ki hanuman ji is tarah se baat karte hai?


I think don’t waste your money anymore
in cinema for this Adipurush movie  better to watch Ramayan at home

Is film ko 1.5 staar ki rating bahut hai wo isliye ki Bollywood ne aese effect and all ke liye effort lgai otherwise movie is not worth watch