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सौदा फिर

सौदा फिर कोई कर रहा है, जो बार बार मेरे ख्यालों में आ रहा है, बहुत निकालने की कोशिश की है उन्हे अपने ख्यालों से लेकिन वो ख्यालों का पिच नहीं छोड़ रहे है, सौदा फिर कोई कर रहा है
मेरे ख्यालों का
तुम याद रखना इस बात को सौदा कोई कर रहा है
फिर मेरे ख्यालों का
जुबान ,दिल ,दिमाग , सब अस्त व्यस्त हो रहे है, उन्हे मालूम नहीं है
क्युकी
अब सवाल उठ रहा है जहन में उनसे दूर हो जाने का, उनसे रूठ जाने का,
उनको भूल जाने का,
उनको सच्चा ओर खुद झूठा बनाने का,
उनका चित्र सजाने का खुद को चरित्रहीन बताने का, उनको मासूम बताने का और खुद शैतान बनाने का वक्त है।

यह ही पढे: सोचकर बाजार गया, सच का सफर, विनम्रता ही सम्पदा,

विचार क्या है

विचार क्या है, कहाँ से आते है यह ? क्यों ये इतना बड़ा रूप ले लेते है ? तथा यह किस प्रकार से कार्य करते है ? विचारो का विचारो से जुड़ना ही सोच का रूप लेता है, क्या आपने कभी विचारो को देखा है ? कितने सूक्ष्म विचारो को आप अब तक देख पाए है ? सबसे महिन ध्वनि आजतक कौनसी सुनी है वह किस प्रकार की ध्वनि है क्या कोई बता सकता है ? कैसे यह विचार बढ़ते ओर घटते है ? क्या इन विचारों को नियंत्रण लिया जा सकता है, या फिर अनियंत्रित विचारों के साथ ही बह रहे है।

हम अपने साथ कितने ही ऐसे विचारो को बांध लेते है जिनका कोई महत्व नही होता बस वो हमारे मन मस्तिष्क में अपना घर सा बना लेते है जैसे कोई एक राज्य से उठ कर किसी दूसरे राज्य में चला जाता है और वही बस जाता है उस पर कोई निगरानी नही रखता और वह अपना काम और आदि कार्य करता रहता है और वही अपना घर बसा लेता है उसी प्रकार यह विचार भी कही से आ जाते है और इस मस्तिष्क में अपने घर बना लेते है।

विचारो का आपस में टकराना एक विचार से दूसरे विचार पर जाना और उन विचारो का श्रृंखला में परिवर्तित हो जाना हमारे विचारो में हमारी ही विभिन्न प्रकार की किर्या और प्रतिक्रिया का होना , हम अलग अलग तरीको से सोचते है उन पर अपनी प्रतिकिर्या देते है यह बात मोटेे स्तर पर समझी जा सकती है और बहुत महीन स्तर जहाँ शब्दो की बात है तो मोटा स्तर और जब एक सूक्ष्म सा विचार हो तो बहुत गहराई में छिपा कर इन बातो का अर्थ जो शब्दो में नही समझाया जा सकता है।

जब बहुत सारे विचार एक जैसे हो तो वह विचार शसक्त हो जाता है, जब वह विचार सिर्फ एक हो और उसका कोई सहारा नही दे रहा हो तो विचार अकेला पड़ा रहता है, जब तक उसे उठाने के लिए दूसरा विचार ना आये इसलिए हमारे जो विचार और शब्द हमेसा आपस में टकराते है, और संबंध बनाने की परस्पर कोशिश करते है जो हमारे जीवन को आगे बढ़ाते है, इस हर एक विचार का अपना योगदान है जो हमारे मस्तिष्क में हमेसा कार्यरत रहता है।

इस बात को इस तरह से समझ लीजिए हमारा जीवनकाल  निश्चित है हम इस शरीर को धारण कर यहाँ पर निम्न प्रकार के कार्य कर रहे है कभी कभी हम तेज़ी से कार्य करते है और कभी कभी हम धीमा हो जाते है इस प्रकार हमारा एक विचार भी कभी धीमा कभी तेज़ हो जाता है जब हम बहुत लोगो से मिलते है तो हमे अच्छा लगता है उसी प्रकार से एक विचार अपने ही तरह के विचारो से मिलता है तो अच्छा लगता है वो गतिशील होता है और गति से कार्य करता है और वह विचार एक जैसे अनेकों विचारो को स्वयं के साथ जोड़ लेता है।

इसलिए हमे उन सभी विचारो के समूह को हमेशा तैयार करते रहना चाहिए जिसका हम अपने जीवन में अधिक मात्रा में परिणाम देखना चाहते है, जिस वस्तु, विषय आदि इत्यादि की हमे अपने जीवन में आवश्यकता है उसी को हमेशा अपने विचारो के माध्यम से जोड़ते रहना चाहिए
और उन विचारो को हटाते रहना चाहिए जो बेकार में हमारे मस्तिष्क में जगह बनाकर बैठ चुके है, उन विचारों से लगातार दूरी बनाकर रहना चाहिए, जिनका हमारे जीवन से कोई मतलब नही है जिससे कोई रस नही पैदा होता, जो हमारे जीवन में हानी पहुंचा रहे है।

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बहाना और जवाब

बहाना और जवाब बहुत सारे लोगों के पास के बहाने होते है ओर वो अपने जीवन को बहनों के साथ ही व्यतीत करते है, ओर कुछ लोगों के पास बहाने नहीं होते वो उनका जवाब देते है, अपने जीवन में उन बहनों का सहारा नहीं लेते, अपने कर्मों को करते हुए आगे बढ़ते जाते है, ओर जो सफलता हासिल करना चाहते है वह बहाने नहीं बनाते।

बहाना  :- मेरे पास धन नही….

जवाब :- इन्फोसिस के पूर्व चेयरमैन नारायणमूर्ति के पास भी धन नही था, उन्होंने अपनी पत्नी के गहने बेचने पड़े…..

बहाना और जवाब
बहाना और जवाब

स्वयं को जानेंगे

एक दिन आप स्वयं को जानेंगे –
“One day you will know yourself”
लेकिन कैसे ? इससे पहले तो क्या आप जानना चाहते है स्वयम को?
यह भी एक जिज्ञासा है यदि आपके भीतर स्वयं को जानने की इच्छा है तभी आप अपने गंतव्य तक पहुंच सकते है।
क्या आप जिज्ञासु है स्वयम के प्रति ? स्वयं को जानने के लिए , स्वयम को जानने की इच्छा होना ही जिज्ञासु कहाँ जाता है।

इस पुस्तक के माध्यम से आप स्वयम को पहचान सकते है बहुत सारे सवाल जो मेरे भीतर उठ रहे है क्या को आपके भीतर भी उठ रहे है ? यदि हां तो आप इस पुस्तक के माध्यम से पड़ाव दर पड़ाव अपने लक्ष्य की ओर अगर हो सकते है।
ये पुस्तक आपके और आपके जीवन का दर्पण दिखाने में सहायक होगी,
सफर है स्वयं को पहचाने का , जानने का , समझने का आप स्वयं को जानेंगे

क्या है हमारा मूल स्वरूप इस बात का पता लगाने का है?  कैसे कैसे हम सभी इस जीवन की दूरी को तय कर रहे है इस सफर को पूरा करने की क्या क्या कोशिश कर रहे है इस जीवन को हम किस प्रकार से समझ रहे है,
इस सफर को किस और ले जा रहे है ?
इस जीवन का क्या महत्व है ?
हमारे जीवन में  सभी व्यक्ति समय के अनुसार आते है और जाते है जिसका एक अपना कारण है हर एक व्यक्ति का अपना ही अलग कारण और महत्व होता है, जिसकी वजह से ये सारी घटनाएं होती है।

इस पृथ्वी पर किसी एक व्यक्ति  की महत्वकांशा कैसी है
तो किसी दूसरे व्यक्ति की कैसी सबकी अलग अलग है ओर कुछ की समान हो सकती है
सभी व्यक्ति इच्छाओ को लेकर पैदा हो रहे है और इच्छाओ की पूर्ति करने के लिए ही अपना जीवन व्यतीत करते है सभी व्यक्तियों की महत्वकांशा एक जैसी नही होती
महत्वकांशा– महत्व + आकांशा
हम अपनी इच्छाओं को जितना महत्व देते है यह उतनी ही बढ़ती जाती है

जो कभी पूरी नही होती सिर्फ वहीं इच्छाएं पूरी होती है जिनके साथ आधार मिल जाता है इसके विपरित नहीं इसलिए कुछ ना कुछ इच्छा हमारे साथ जुड़ी ही रहती है जिसका हमे पता भी नही चलता परत दर परत वो इच्छाएं हमसे जुड़ी है जो कभी ना समाप्त होती का एक फेर है हर एक असावधानी पर कुछ और घटना हमारे जीवन के साथ जुड़ जाती है जिनसे हट पाना बहुत मुश्किल सा प्रतीत होता है

हम सभी अलग अलग दिशा में कार्य करने की कोशिश करता है तथा उसी क्षेत्र में ही सफल होना चाहता है तथा इनमें कुछ बहुत सारे कार्यो को एक साथ करना चाहते है और उन सभी कार्यो में सफलता प्राप्त करना चाहते है , परंतु कुछ ही व्यक्ति उनमें से सफल हो पाते है और कुछ अपने जीवन स्तर से ऊपर भी नही उठ पाते

ऐसा क्या कारण है की वो अपने जीवन को एक उन्नत जीवन नही बना पाते ? या बनाना नही चाहते?
कौनसा है हमारे जीवन स्थान का बिंदु ? किस स्थान पर पहुचना है हमे ? कहाँ पहुचना चाहते है हम ? कैसे उस स्थान पर पहुचा जा सकता है ?
लेकिन इन प्रश्नों से पहले तो हमारे मन में शायद कितने ही प्रश्न उठते है हर व्यक्ति जानना चाहता है ऋषि मुनि कितने ही पुरुषों महापुरषो के मन में ऐसे प्रश्न आते रहते है ?
की  कौन हूँ मै ?
मैं इस पृथ्वी पर क्यों आया हूँ ?
कहाँ से आया हूं, कहाँ जाना है ?
अथवा जाउ तो कहाँ जाउ जैसा प्रश्न भी हो सकता है ? आप स्वयं को जानेंगे जब आप स्वयं से इसी तरह के प्रश्न पूछेंगे।

यदि हम नही भी जाना चाहते है तो हम अपनी मंजिल की और अग्रसर होते है। परंतु इन बातो में कुछ अंतर होता है इस जीवन से  हम क्या प्राप्त करना चाहते है ?
क्या कुछ है जो बाकी रह गया है ? जिसको हम पूरा करना चाहते है
किस और जाना चाहते है तथा क्या कारण है और क्यों ?

क्यों आवश्यक है हमे इस जीवन अर्थ को जानना यदि हम अपनी गति में नही चल रहे है तो भी चलना पड़ता ही है परंतु तब हम पृकृति के अनुसार नही चल रहे है इसका मतलब ये है की हमे एक सहयोगी तत्व बनाना है उसके अनुसार चलना है हमे अपनी खोज करनी है हमे हमारा वास्तविक स्वरूप जानना है उसका सही रूप से अवलोकन करना है की हम किस कारण से यहाँ आये है तथा हमारा वास्तिविक स्वरूप क्या है।

ये शरीर , बुद्धि और मन और मन के भीतर के विचार किस प्रकार के है
हमे इनको जानना है,
ये शरीर क्या चाहता है? इस शरीर की इच्छा और अनिच्छा क्यों और कैसे उतपन्न हो रही है?
क्या इच्छा है और ये इच्छाएं किस प्रकार से कार्य करती है?
हमारे शरीर के अंग हमारी किस प्रकार से सहायता करते है?
ये शरीर हमे किस स्तिथि की और अग्रसर कर रहा है? हमारा जीवन किस और जा रहा है ? ये सफर लंबा है इस जीवन की यात्रा हमे किस और लिए जा रही है ? हमारा अस्तित्व क्या है ? क्या है हमारा मूल स्वरूप हम सभी यह जानना चाहते है

इस जीवन की यात्रा को कैसे सुखद जीवन बना सकते है? हमने यह सफर कहाँ से शुरू किया और ये सफर हमे कहाँ ले जा रहा है, क्या इस यात्रा का कोई अंतिम चरण है या ये यात्रा इसी प्रकार से चलती जा रही है ? कहते है हमे 84 लाख योनियों से होकर गुजरना पड़ता है यह हमारी इस जीवन यात्रा का सच है लेकिन क्यों हमे इन 84 लाख योनियो से गुजरना पड़ता है क्या कारण है?
यदि हमे ना जाना हो तो?

क्या कोई जबरदस्ती है की यही सफर तय करना पड़ेगा और कोई रास्ता नही है क्या ?
जो इतनी लंबी यात्रा है, इस जीवन की असल में ये लंबी नही बल्कि छोटी है, उन सभी के लिए जिनकी इच्छओं की पूर्ति नही हो रही क्योंकि वो जीवन मरण के चक्र को छोड़ना ही नही चाहते उनकी छोटी इच्छाएं इस प्रकार से चिपकी हुई है मानो वो कभी छोड़ना ही नही चाहते है।

यह भी पढे: स्वयं को नहीं रोकना, स्वयं से मुलाकात, स्वयं को समय दे, स्वयं की झोपड़ी,

भविष्य के निर्माता

आप ही हो अपने भविष्य के निर्माता है इसलिए इसे समझे
बहुत सारे सवाल है जो प्रश्न मेरे मस्तिस्क में आते है,  किस से पूछे हम अपने इन सवाल को ? कौन बताएगा इन सवालो के जवाब ? यह ऐसे सवाल है जिनका उत्तर सिर्फ हम स्वयं ही जान सकते है और कोई आपको नहीं बता सकता।

क्या मेरा कोई अंतिम स्थान है?
क्या है मेरी मंजिल ?
मुझे किस ओर जाना है?
मुझे किस मंजिल की तलाश है?
मैं कहाँ से आया हूँ?
और कहाँ जा रहा हूँ ?
मैं अपनी मंजिल तक कैसे पहुँचूँ?
कैसे पहुँचूँगा?
क्या है मेरी मंजिल का साधन ?

मेरे विचार और मेरी खोज किस तरह से मेरी मंजिल तक पहुचने में मेरी मदद कर रही है?
   
बहुत सारे प्रश्नो का अम्बार हमारे इस मस्तिस्क में लगता जा रहा है।

ऐसा लगता है की हमारे पूछे ही सवालो का जवाब नहीं होता हमारे पास
मै बड़ा बेबस सा महसूस करता हूँ जब नहीं मिलता कोई जवाब लेकिन रुकता नहीं थकता नहीं हूँ आगे निकल चलता हूँ क्युकी मुझे ऐसा लगता है एक समय आता है जब सभी सवालों का जवाब सामने आता है जो पूछ रहा हूं आज उन सभी प्रश्नों का समधन कभी तो मिलेगा इसलिए आज सिर्फ मै सवाल पूछ रहा हूं।

क्या आप अपने बारे में जानने की इच्छा नही रखते ? क्या नहीं जानना चाहते इस जीवन के बारे में ?
क्यों आप अपनी मंजिल का रास्ता नहीं खोज रहे?
या आप इस रास्ते पर जाना नहीं चाहते ?
मंजिल आपको चुन रही है सही रास्ते
और सही दिशा के लिए

हम कैसे अपनी मंजिल की और पहुच रहे है? कौन सा रास्ता हमने चुन लिया है इस जीवन के लिए ?
क्या मंजिल तक पहुचना आसान है,
क्या मंजिल पास में ही है या बहुत दूर है ?
हम सभी को अपने जीवन के लक्ष्य की दिशा को निर्धारित करनी चाहिए  और आप पाओगे की आप सही मंजिल की ओर जा रहे है।

इस सफ़र का कोई अंत नहीं यह तो अनंत की यात्रा है यह सफ़र है स्वयं को जानने का, जीवन के कार्यो को समझने और उन्ह कार्यो को पूरा करने का , स्वयं का अनुभव पाने का स्वयं का अर्थ जानने का , स्वयं को महतवपूर्ण बनाने का , स्वयं से स्वयं की मंजिल तक पहुचने का
इस छोटे से जीवन में बहुत सारी घटनाओ का समावेश है। आपको अपने जीवनरूपी अर्थ को समझने का, बनाने का पहचानने के लिए यह घटनाये हमारे जीवन को महत्वपूर्ण बनाती है। और और अर्थपूर्ण बनाती है। हमे स्वयं में होने का एहसास दिलाती है। यह सभी घटनाये हमारे जीवन की विकासशील परिकिर्यायो से विकसित होने तक सहायता करती है।

यह सभी घटनाये हमारे जीवन में गति प्रदान करती है तथा हमे मृत्यु का भी बोध कराती है।
हम अपने जीवन बिंदु को किस प्रकार से जान सकते है, समझ सकते है? पहचान सकते है?
किस तरह से हम अपनी मंजिल की और बढ़ रहे है ? ऐसे कौनसे सहायक तत्व है जो हमारे जीवन में हमारी मदद करते है आगे बढ़ने के लिए एक सही दिशा की अवसर होने के लिए उन दिशा निर्देशों को हमें भली प्रकार से समझना चाहिए।

हम ही हमारे भविष्य के निर्माता है।

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घूमर फिल्म

घूमर फिल्म में कुछ ऐसे वाक्य जो हमारी जिंदगी को बदलने में सहायक है, कुछ ऐसे विचार जिनको पढ़कर आपको हिम्मत मिले

  1. लगातार कोशिश करने से जीत हासिल होती है।
  2.  जिंदगी में कब कौनसी परेशानी आपको घेर ले ये बात किसी को नहीं पता।
  3.  हम अपने सपनों को बहुत बड़ा कर लेते है लेकिन हमे नहीं पता चलता वो कब टूट जाते है।
  4.  कोई किसी के लिए नहीं रुकता , आपके बदले कोई ओर जगह जरूर लेगा , बिल्कुल वैसा हो  या नहीं वो शायद आपसे बेहतर या फिर बस कुछ कम हो सकता है बिल्कुल आप जैसा न भी हो तो भी।
  5.  उन टूटे हुए ख्वाबों को फिर से जोड़ना मुश्किल हो जाता है, लेकिन उसका टूटना बहुत बड़ा दर्द  है।
  6.  तुम खुद को दुख से भरना चाहते हो लेकिन सुख तुम्हारे साथ ही क्युकी तुम दुख को बड़ा कर लेते हो ओर सुख को छोटा।
  7.  तुम्हारा होसला ही तुम्हें कामयाबी दिलाता है।
  8.  जिंदगी जब कही पर दरवाजा बंद करती है तब दरवाजा खोलना नहीं तोड़ना पड़ता है।
  9.  हम शरीर के कुछ अंगों को बिल्कुल भूल जाते है। जिनका प्रयोग सिर्फ कुछ ऐसे कामों के लिए करते है जिसका विकल्प भी आज मौजूद है।
  10.  जरूरी नहीं है दरवाजे को तोड़ना ही पड़े बस थोड़ी मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है, उस दरवाजे की चाबी को पाने के लिए।
  11.  तीखी बाते कभी कभी इंसान को अच्छा बनाती है, तो बहुत सारे लोगों को बुरा भी बना देता है।
  12.  हमेशा सख्त होना भी अच्छा नहीं है।
  13.  हम हमेशा परफेक्ट होने में ही लगे रहते है। लेकिन क्या परफेक्ट होना जरूरी है?
  14.  कहते है रुकना नहीं है, बस चलते रहना है तभी मंजिल मिलती है।
  15.  अपनी गलतियों को सुधारना है, ओर दुबारा गलतिया ना हो ऐसा प्रयास करना है।
  16.  जिंदगी में बहुत सारी असफलता मिलती है, लेकिन सफलता हमारा अधिकार है, जो एक दिन  अवश्य मिलेगी।
  17.  क्रिकेट अनिश्चितिताओ का खेल है कुछ भी हो सकता है।
  18.  आपकी सफलता सिर्फ आप पर ही निर्भर नहीं करती वो एक समूह का भी हिस्सा है।
  19.  विश्वास जरूरी है अंधविश्वास नहीं।
  20. जब आपकी किस्मत ही किसी ने छिन ली हो, तब किस्मत पर भरोसा करोगे या खुद पर विश्वास।

यह विचार घूमर फिल्म से है, यदि आपको अच्छे लगे हो तो कृपया कमेन्ट करके बताए इसी तरह के बहुत सारे विचार फिल्मों के माध्यम से मैं लिखता रहूँगा।

मुस्कुराओ

मुस्कुराओ ….क्युकी दुनिया का हर आदमी खिले फूलों और खिले चेहरों को पसंद करता है, जो मुसकुराता है वो दुनिया को बदलने की हिम्मत रखता है, उसका विश्वास अपनी मुस्कुराहट से ओर बढ़ जाता है, वो मुरझाए हुए चेहरों को फिर से नई जान देता है, उनके भीतर नई ऊर्जा भर देता है।

मुस्कुराओ क्युकी दुनिए का हर आदमी कहिले फूलों ओर कहिले चेहरे को पसंद करता है।
मुस्कुराओ

मुसकुराना मानो दुनिया का खुद से ही बदल जाना है, मुसकुराना एक कला है भीतर चाहे कितने ही दुखी दुखी लेकिन आपके होंठों पर मुस्कुराहट दूसरों के चेहरों पर भी मुस्कुराहट भर देता है।

यह भी पढे: मेरी मुस्कुराहट, मुस्कुराहट छुआ छूत, चेहरे की खूबसूरती, चेहरे पे मुस्कान,

परिस्थितियां

हमारे जीवन की परिस्थितिया किस प्रकार की बन रही है, और हमारे जीवन से इन परिस्थितियों का क्या संबंध है। जीवन का परिस्थितियों के साथ बड़ा गहरा संबंध है जीवन में अलग-अलग समय पर अलग-अलग प्रकार की परिस्थितियां आती- जाती है और यह सब परिस्थितियां हमारे द्वारा किये गए कर्मो के अनुसार ही आती है।

अच्छा और बुरा समय तो सबके साथ आता- जाता है सब अपने अपने तरीके से  अपनी परिस्थितियां निकालते है, कुछ लोग बुरा समय देखकर टूट जाते है तो कुछ निखर जाते है।
आप टूटना चाहते है या निखरना अब यह आप पर निर्भर करता है।

कुछ लोग किसी तरह से जीते है तो कुछ लोग किसी तरह से कौन बेहतर ढंग से जीता है ? यह निर्भर करता है उस समय पर तथा आपके मस्तिष्क के विचारो पर निर्भर करता है।
परिस्थितिया कैसी भी हो परंतु इंसान को हारना नही चाहिए हर एक व्यक्ति के जीवन में अलग अलग प्रकार की परिस्थितिया आती है।

सभी को अपनी परेशानिया और परिस्थितियां ज्यादा मुश्किल लगती है।
वह व्यक्ति किस प्रकार के निर्णय लेता है किस तरह से चलता है क्या संभल पाता है या नही यह उसका अनुभव ही तय करता है।

उसको संभल कर कदम बढ़ाना चाहिए और उस समय को बहुत सजगता से जीना चाहिए।
यह कहना हमारे लिए आसान है परंतु उस समय हर एक व्यक्ति की मानसिकता भिन्न होती है।
आप किस प्रकार के इंसान हो ? और आप अपने समय और परिस्थितितयो से किस प्रकार से सामना करते हो ?

यह आप पर ही निर्भर करता है कोई और आपको संभालने के लिए नही आता सिर्फ एक दिलासे के रूप में आपके साथ दिखाई तो देते है परन्तु वो साथ नही होते अक्सर परिस्थितियां देख कर लोग मुह मोड़ लेते है। लेकिन कुछ साथ भी होते है।
बुरा समय ही आपको आपके जीवन में सबसे बेहतर लोगो से मिलवाता है।

कुछ लोग खराब समय को देख कर भाग जाते है और
कुछ लोग समय को तब तक देखते है। जब तक वो समय निकल नही जाता।
जब तक वो ठीक ना हो जाए उस पर पूरी तरह से निगरानी रखते है की समय अब कोई हरकत तो नही कर रहा वह हर प्रकार का मौका ढूंढते है की समय या परिस्थितियां एक मौका दे, और हम फिर से करवट ले अपनी परिस्थितयो को बदले वह लोग डर कर भागते नही है सामना करते है और हिम्मत से खड़े रहते है। आख़िरी वक़्त तक जब तक समय बदलता नही है।
कुछ लोग समय के साथ समझौता कर लेते है की हमारा तो समय खराब है, हम कुछ नही कर सकते है और हार कर बैठ जाते है।

फिर आगे वो उसी जगह खुद को एडजस्ट कर देते है जिसकी वजह से वे लोग अपने सपने , अपनी इच्छाये मार डालते है। तथा वे
कुछ लोग समय और परिस्थितियों को दोष देते है बस और कुछ भी नही करते ,  ना वो कुछ कर पाते है।

समय बलवान है ऐसा सोचकर लोग हार मान लेते है,समय के साथ जो दुख और अनेको चीज़ आती है उसको  भी साथ पकड़ लेते है और इंसान कमजोर पड़ जाता है हार मान लेता है तथा डरने लग जाता है जिसके कारण ना जाने वो क्या क्या कर बैठता है इस बात की समझ नही आती ओर वक़्त गुजर जाता है। परिस्थितियां उनको अपने साथ बहा कर ले जाती है।

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सुनने की शक्ति

श्रवण शक्ति और सुनने की शक्ति, अच्छा श्रावक बने, हमारे कानो के द्वारा हमे बाहरी आवाजे सुनाई देती है जिसकी वजह से हम बहुत सारे शब्दों पर कार्य करते है,

सुनने की शक्ति हमे कानो के द्वारा कुछ सूक्ष्म आवाजो को सुन सकते है यदि हम अपनी सुनने की शक्ति को बढ़ाले तो हम अति सूक्ष्म धवनियो को आसानी से सुन सकते है परन्तु अभी तो हम कई बार अपने टीवी की आवाज को भी तेज़ करते है कि सुनाई नहीं रहा , बहुत जोर से रेडियो speaker आदि लगाकर सुनते है जैसे हम खुद नहीं सुनना पूरी दुनिया को सुनाना चाहते है हम सब शोर पसंद कर रहे है

हमारे साथ तो ऐसा भी होता है की घड़ी की सुई बज रही होती है परंतु हमारे मस्तिष्क में विचारो का इतना शोर होता है की उस घड़ी की आवाज भी नही सुनाई देती आजकल तो हम सभी का यह हाल हो चुका है की सड़क पर चलते रहते है औए बहुत सारी गाड़िया हॉर्न बजाती है और हमे उन्हें निकलने की जगह भी नही देते बस वो भी बजाते रहते है, हॉर्न और हम अपने कानो को जैसे बन्द करके चलते है यह कोई दिन में आप मगन नही होते यह तो आपके बाहर सारे विचार है जो आपके मस्तिष्क में एकत्रित हो जाते है जिसके कारण आप कुछ भी सुन नही पा रहे  मतलब सुनकर भी अनसुना कर रहे हो या उन्ह विचारो में खो जाते हो


कानो में मोबाइल की लीड लगाकर रोड पार करते है इधर उधर घूमते है और बाहर का तथा अंदर का शोर दोनो एक साथ सुन रहे होते है, किसी भी आवाज को अपनी और आने नही देना अपनी
बहुत सारी ऐसी बाते भी सुन सकते हो जो सामने वाला कहना तो चाह रहा हो परंतु होठो तक ला कर ही रोक लिया हो ब्रह्मंड में ऐसी बहुत सारी ध्वनियां गूंज रही है जो आसानी से नही सुन पाते वो सिर्फ और सिर्फ ध्यान की गहराई में उत्तर जाने के बाद सुन सकते है जिसमे ऐसा अनुभव होता है की कोई हमे बहुत कुछ बोला चला जा रहा और हम सुन रहे है समझ रहे है

Translate the words through ears
हमारे कान क्या सुन्ना चाह रहे है ?
ये किस प्रकार की ध्वनि सुन्ना चाहते है? 
किसी भी सूक्ष्म ध्वनि को सुनने में सक्षम होते है

परंतु हम उन सूक्ष्म ध्वनियों को सुन्ना नही चाहते या सुन नही पा रहे है क्योंकि हमारा  मस्तिष्क हमेसा  बहुत सारे विचारो के साथ उलझा हुआ है लगातार शोर में जीने कि आदत हो गई है हमें
हमारे मस्तिष्क के कारण हम अंदर की ध्वनियों को सुन नही पा रहे है हम उन पर ध्यान केंद्रित नही कर पा रहे है हम उन सभी ध्वनियों पर अपना ध्यान केंद्रीत कर ही नही पाते  हमारे कान हमेसा बाहर की ध्वनियों को सुनने में ज्यादा मसरूफ रहते है ये अंदर की ध्वनियों को सुनने के लिए ज्यादा सजग हो नही पाते उसके लिए हमे ध्यान की लंबी प्रकिर्यायों से गुजरना होता है।

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समय नहीं मिला

जिस जिस को समय नहीं मिला उन सभी के लिए समय की कोई कमी नहीं है। सोच तू
कितना सोच सकता है
लिख तू
कितना लिख सकता है
सो तू
कितना सो सकता है

नाच तू
कितना नाच सकता है
गा तू
कितना गा सकता है
खा तू
कितना खा सकता है

आराम कर तू कितना कर सकता है
पढ़ तू
कितना पढ़ सकता है
टीवी देख
तू कितनी देख सकता है

गेम खेल
तू कितना खेल सकता है
बात कर , गप्पे मार
तू कितनी कर सकता है
तू क्या ? और कितना कर सकता है

वो सब आजमा ले आज जो तू करना चाहता था अपनी जिंदगी में कभी करले अब अगर थक जाए तो छोड़ देना वो सब तू जो करना चाहता था नहीं थका वो सब करके , नहीं पका वो सब करके तो बाकी सब छोड़ देना ओर वहीं अपनी जिंदगी में अपना लेना जो तू बस करना चाहता है। फिर ये ना कहना हो की समय नहीं मिला

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