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वो सहम गए

वो सहम गए , वो सहम रहे है
जो वहा रह रहे है ,
जो अब भी है वहां ,ना चैन से सो रहे
और ना चैन से जाग रहे है

वो डर गए , वो सहम गए , वो कांप गए
जिनके घर वाले मारे गए
कौन कसूरवार था ? कौन बेकसूर था ?
क्यों वो इतनी हैवानियत से मारे गए
क्युकी उस भीड़ का कोई नाम नहीं
भीड़ का कोई नाम नहीं था।

उनका कोई धर्म – मजहब नहीं
रात को पहरा अब भी घर के बाहर
लगाकर लोग बैठे है सप्ताह हो गया
दिन भर बैठ कर दिन कट रहा है,
रात की नींद दहसत में उड़ गई है

लगता है घर के बाहर आग लगा गया कोई
क्या मेरा फिर से घर जला गया कोई ?
देहसत तुमने फैला दी

मेरे दिल में नफ़रत की आग लगा दी
तुम्हे अपना भाई कैसे कहूं ?
जो तुमने इतनी हैवानियत दिखा दी
मै डरता हूं , मै डरती हूं अब तुम्हारे पास आने से
मै घबरा गया हूं , मै घबरा गई हूं
तुम्हे अपना भाई बनाने से।

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मंजिल की तलाश

ना मंजिल का पता है ना उस ठिकाने का बस चल रहा हूँ, कुछ खास नही बस हर लम्हे में इस तरह से जीने की आदत हो गयी है जैसे अब समय कही नही है। बस चलते ही जा रहे है ना कोई बंधन है ना कोई रोक टोक , ना कोई सीमा है बस निकला हूँ मंजिल की तलाश में

मंजिल की तलाश
मंजिल की तलाश

जीवन तो स्वत् चल रहा है आप चलो या फिर ना चलो यह गतिमान की अवस्था में है आप किसी दौड़ का हिस्सा नही होना चाहते फिर भी जीवन आपको बहा कर ले जा रहा है अपने साथ, क्योंकि आपका खुद पर कोई नियंत्रण नही है
समय और परिस्थितिया आपको नियंत्रित कर रही है।

यदि आप भीतर से खुद के साथ प्रवाहित है खुद के लिए तो बस फिर जीवन आपको आपके अनुसार ही आपको लेकर जाएगा फिर आप उस दौड़ में नही होंगे जिसमे पूरी दुनिया भाग रही है और सिर्फ भागना चाहती है परंतु किसी से पूछे तो कोई नही बताता क्यों भाग रहा है भाई ?

उनको “ना अपनी मंजिल का पता है ना उस ठिकाने का” की उनको जाना कहाँ है? और वे जानने की कोशिश भी नही करते की हम कहाँ जा रहे है क्यों जा रहे है ? बस समय और परिस्थितितयो के साथ बहते जाते है।

लेकिन बस वो पागलो की भागता ही रहा है, क्यों बाकी के लोग भी उसी तरह से भाग रहे है जीवन आपके अनुसार चले आप जीवन के अनुसार ना चले समय तो गतिमान है, उसे चलने दे जैसे वो चल रहा है आप अपनी चाल को नियंत्रित रखे और सजग रहे जितने सजग आप होंगे उतना ही नियंत्रित आपका जीवन भी होगा जिसकी डोर आपके हाथ में होगी।

जब आप हाइवे पर गाड़ी चला रहे होते हो तब आपको लगता है कि गाड़िया कितनी तेज़ चल रही है उसी वक़्त आपको भी लगता है की गाड़ी उतनी ही तेज़ी से चलाई जाए और आगे निकल जाए वरना कोई पीछे से टक्कर ना मार जाए और यदि आप साइड में चल रहे तो कोई आपको परेशान नही करता लेकिन एक आनन्दित सा लगता है बहुत धीमी रफ्तार लोग निकल रहे है आगे, फिर भी एक अलग मजा होता है उस एक तरफ चलाने का और लोगो को देखने का की बस लोग निकल रहे है। और हम अपनी मस्ती में बस चलते ही जा रहे है।

लोगो को निकालने दो वो उनका सफर है, आपका सफर है साइड में आराम से देखकर चलना मतलब सजग रहना जीवन के प्रति वही सम्पूर्ण आनंद है हर एक पल को आनन्दित होकर जीना यही लक्ष्य है हमारा , आन्नद सम्पूर्ण आनंद लेना जीवन को पूर्णतया से जीना।

बस जीवन एक लहर की तरह बह रहा है जिसका छोर खुद ब खुद अंत पा लेंगा , ना कुछ पाने की तम्मना है और ना ही कुछ खोने का डर बस जीवन हो चुका है एक मधुर सफर, मंजिल की तलाश पूरी होगी।

जीवन विचार

जीवन विचार क्या है, जीवन को बदल देने वाले कुछ ऐसे विचार जो हमारे पुरे जीवन का दृश्य बदल देते है, जैसा आप सोचते है वैसे ही आप होते जाते है, आपके जीवन पर आपकी सोच का प्रभाव पड़ता है प्रतिदिन लाखो ही विचार आपके मस्तिष्क में आते और जाते है उनमे से आप कितने विचारो पर गौर करते है, यह महत्वपूर्ण है और जिन पर नहीं करते उनका भी प्रभाव आपके जीवन पड़ता है परंतु कम लेकिन असर कम हो ज्यादा असर तो असर है छोटा या बड़ा उसका प्रभाव ही जीवन की दिशा और दशा बदल देता है, हर समय आप कौनसे विचारो के साथ जीना चाहते हो आपके जीवन के लक्ष्य क्या है जो आपको प्राप्त करने है, यदि आपके विचारों में भटकाव है तो क्या आप अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते ? नहीं आपको अपने लक्ष्य तक पहुचने के लिए अपने विचारों को एक ही दिशा की अग्रसर करना होगा।

हमने बहुत सारे विचार पढ़े और समझे तथा शेयर भी किये। यदि आपने उन्ह विचारो पर अपनी असल जिंदगी में कोई कार्य नहीं किया तो वो सभी विचार कही बह जायेंगे जिनका फिर कोई मोल नहीं होगा आपके जीवन में। लेकिन अब इन विचारो को अपने जीवन का एक हिस्सा बनालो जिनसे आपकी पूरी जिंदगी परिवर्तित हो सकती है। क्योंकि सिर्फ आप खुद अपनी जिंदगी को बदलने में सामर्थ्य रखते है दूसरा कोई और नहीं। यदि आप इन् को मन्त्र की तरह रोज अपने जीवन में प्रयोग करेंगे तो अवश्य ही आप अपने जीवन अद्भुत परिवर्तन देखेंगे।

कौन हूँ मैं ?
मैं कौन और क्या होना चाहता हूँ ? यह आप पर निर्भर करता है यह आपका जीवन है जिस प्रकार से आप अपने जीवन के बारे में सोचेंगे उसी प्रकार से आप स्वयं का जीवन बना सकते है

मैं ऊर्जा हूँ

मैं ऊर्जा हूँ यही है जीवन विचार
मैं ऊर्जा हूँ

मैं बलवानो का बल हूँ

मैं बलवानों का बल हूँ यही है जीवन विचार
मैं बलवानों का बल हूँ
मैं बुद्धिमानों की बुद्धि हूँ यही है जीवन विचार
मैं बुद्धिमानों की बुद्धि हूँ
मैं प्रेम हूँ यही है विचार
मैं प्रेम हूँ
मैं जीवन की मुस्कुराहट हूँ यही है जीवन विचार
मैं जीवन की मुस्कुराहट हूँ
मैं निशब्द हूँ  यही है जीवन विचार
मैं निशब्द हूँ
मैं शब्द हूँ  यही है जीवन विचार
मैं शब्द हूँ
मैं जीवन की प्रेरणा हूँ यही है जीवन विचार
मैं जीवन की प्रेरणा हूँ
मैं ही निशब्द हूँ यह है जीवन विचार
मैं ही निशब्द हूँ
मैं जीवन का आधार हूँ यही है जीवन विचार
मैं ही जीवन का आधार हूँ
मैं जीवन का श्रोत्र हूँ यही है जीवन विचार
मैं जीवन स्रोत हूँ

जिंदगी अनमोल

जिंदगी जिसको मिली है उसको कद्र नही होती और जिसको नही मिलती उससे पूछो जरा क्या है जिंदगी ? वही कद्र करता है जिसको एहसास होता है कि जिंदगी अनमोल है। इस जिंदगी का मोल कोई चुका नही सकता।

जिंदगी अनमोल

सुखद आनंद

मुस्कुराहट का ही तो एक नाम है जिंदगी , ये जिंदगी रोने के लिए नही है इसे मुस्कुराना सिखाओ ओर खो जाओ उन सभी लम्हो में जो तुम्हे सुखद आनंद देते है।

सुखद आनंद

मुस्कुराहट

परेशानिया खुद दम तोड़ देती है, जब वो मेरी मुस्कुराहट के सामने आती है।

परेशानिया खुद दम तोड़ देती है जब वो मेरी मुस्कुराहट के सामने आती है
मुस्कुराहट

मुस्कुराहट के सामने तो अच्छे अच्छे झुक जाते है, लक्ष्मी देवी भी वही आती है जहां मुस्कुराहट होती है, मुस्कुराने से बहुत सारी समस्याओ का हल हो जाता है, बहुत बड़ी बड़ी परेशानी खुद ही छोटी होने लगती है।

मुस्कुराहट में जादू है, एक अद्भुत शक्ति है, इस शक्ति का प्रयोग करो, बहुत बड़ी बड़ी लड़ाई टल जाती है जब इन होंठों पर मुस्कुराहट आती है।

जाग्रत कौन है?

वास्तव में सुख से कौन सोता है? जाग्रत कौन है?

दो प्रश्न हैं और उनका उत्तर है जिनकी संक्षिप्त व्याख्या दो भागो में करते हैं .

पहले प्रश्न पर चलते हैं, दोनों का उत्तर पढ़ना आवश्यक है इस पूरी स्थिति को समझने के लिए.

वास्तव में कौन है जो समाधि निष्ठ हो कर सुख से सोता है? 

वही व्यक्ति अथवा सत्ता जो परमात्मा के स्वरुप में हमारे ही अंतकरण में स्थित या स्थापित है!  परमात्मा का एक “स्वरुप” ही हम हैं और वह ही सब करता है. “हम” कौन हैं फिर? “मै  जो जाग्रत अवस्था में सोचता है, करता है, जिसे भूख प्यास लगती है हमारा अहंकार है जो हमें इस शरीर से जोड़कर उसी को “मै – हम”  बना देता है, पर आत्मिक ज्ञान होने पर जब सब दीखता है तो ज्ञात होता है के जिस सत्ता को हम “मै ” समझते थे, वह तो केवल एक हाड मांस का एक शरीर है जिसे चलाने वाला वही अंतकरण में स्थापित देव मूर्त परम आत्मा है।

जिसे हम अनदेखा कर, इस शरीर व् मायावी संसार के चक्कर में, पाप पर पाप करते चले जाते हैं. याद रखे के इसीलिए हम सुख से नहीं सो पाते, क्यूंकि हमने पापो का इतना बोझ पीठ पर लाद रखा है के हम दुःख में ही रहते हैं पर जब हम उस अंतर स्थित स्थापित सत्ता से जुड़ जाते हैं और इस संसार के मायावी रूप के लबादे को उतार कर, हलके फुल्के हो जाते हैं।

जाग्रत कौन है? यदि हम यह जान पाए तभी हम अपने भीतर के सभी कार्यों होते देख पाएंगे

अपने पाप कर्मो पर दृष्टि डालते हैं तब हम जिस स्थिति व् अवस्था  में होंगे वहां न कोई चिंता होगी न किसी पाप कर्म का बोझ होगा न कभी न पूरी होने वाली इच्छाओ, स्वरूपी राक्षसो का भय होगा, तब हम अपने उस स्वरुप में सम्मलित होकर एक ही रूप में होंगे और वह ही हमारा वास्तविक रूप है, ये जो दीखता है वह तो उसी स्वरूप के भावो का प्रत्यक्ष प्रतिरूप है. जब इस बाहरी रुप को उस आंतरिक स्वरुप से जोड़ देंगे तो हमें इस संसार से कोई विशेष लालच ,मोह या जुड़ाव नहीं रहेगा. इसीलिए “मै ” और “सत्ता” सुख से सोएँगे।

इंतजार क्या है

इंतजार क्या है? यह तो आप किसी भी चीज़ का करो वो हमेसा लंबा ही होगा क्योंकि प्रतीक्षा ही ऐसी चीज़ जो समय की लंबी दूरी तय करता है और लगता है वो समय की दूरी खत्म ही नही हो रही वो वही रुक हुआ है ओर बस सब्र कर बैठ है की वो आएगा चाहे वो एक पल का इंतज़ार हो या १०० साल का इंतजार तो इंतजार ही है।

  • इंतज़ार क्या है ? यह बात तो आप एक दुकानदार से पूछिये जिसकी दुकान में सुबह से शाम बीत गयी लेकिन ग्राहक नही आया।
  • इंतज़ार को प्रेम और प्रेमिका से पूछिये जो घंटों से प्रतीक्षा कर रहे है।
  • इंतजार क्या है ? उस व्यक्ति से पूछिये जो खड़ा है बस स्टॉप पर अपने गन्तव्य स्थान पर पहुँचने के लिए उस नंबर की बस के इंतज़ार में और वो बस ही नही आ रही है बाकी सभी बसे लगातार अपनी सेवा में कार्यरत है।
  • इंतज़ार क्या है? यह आप उस मरीज से पूछिये जो हॉस्पिटल में एक कमरे को लेने के लिए इंतज़ार कर रहा है और उसे कोई कमरा खाली नही मिल रहा है ऐसा लगता है वो अंतिम सांसे अपनी इसी इंतज़ार में तोड़ देगा की कोई कमरा खाली हो और मुझे जगह मिले।
  • इंतज़ार पूछो उस मरीज से जो शायद अपनी आखिरी चन्द सांसे गिन रहा हो और यहाँ इंतज़ार हो सिर्फ डॉक्टर का, उसके इलाज का इंतजार कर रहा।
  • इंतज़ार उनसे पूछिये जो अपने केस की सुनवाई में आंखे बिछाए बैठे है लेकिन उम्र बित्त रही है फैसला नही हो रहा है 10 साल में 70 बार एक केश की सुनवाई होती है।
  • इंतज़ार उस व्यक्ति से पूछिये जो सफलता को हासिल करने में पूरी जिंदगी बिता चुका परंतु सफलता हासिल नही हुई है अब तक और भी इंतज़ार में ही बैठा हो ।
  • इंतज़ार तो आप उनसे भी पूछ सकते है जिन्होंने सरकार की आवासीय योजना में अपनी एक पीढ़ी खत्म करदी हो और अब जब वो निकल गया है उसके बाद भी अगले 5 से 10 साल इंतज़ार करना बाकी है।

इंतजार एक उम्मीद ही है जो हम सभी में उम्मीद के सहारे ही इंतजार करते है किसी चीज या इंसान का इसके अलावा कुछ ओर कर भी नहीं सकते जब हम उस परिस्थिति में होते है।

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भूल जाता हूँ

भूल जाता हूँ भटक जाता हूँ , शायद बेहोशी के आलं में भी खो जाता हूँ,अपनी ही चुनी हुई राहों से फिर ठोकर खाकर होश में आता हूँ संभाल जाता हूँ चलना,दौड़ना,फिर से सिख जल्द वापस आ जाता हूँ फिर अपनी पसंदीदा राहों पर

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