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कुछ जो ख्वाब थे

कुछ जो ख्वाब थे ,कुछ इन ख्वाबों की बाते थी ,इन ख्वाबों संग कुछ यादे भी थी ,वो यादे जो थी कुछ बेहतर होने को ,जिंदगी संग जिंदगी होने को

कुछ जो ख्वाब थे, वो आज भी ताजा हैं,
जैसे नदी के पानी में तैरते थे वो आज भी संग हैं।

छोटी-छोटी उमंगों से भरी थी वो रातें,
जब अकेले में भी लगता था कुछ साथ हैं।

वो ख्वाब बन कर उड़ जाते थे सुबह को,
जैसे हवा में ताजगी का एहसास हो।

खुली आंखों से देखा जाए तो लगता है,
वो ख्वाब ही थे जो असलीता से भी बेहतर हैं।

जो ख्वाब थे, वो आज भी ताजा हैं,
जैसे नदी के पानी में तैरते थे वो आज भी संग हैं।

हर एक ख्वाब ने दिल में उत्साह भरा था,
जैसे बनाना हो खुशियों का घेरा था।

मगर जब राह में आई तकलीफें और मुश्किलें,
तब ख्वाबों ने मदद की थी और सहारा दिया था।

जो ख्वाब थे, वो आज भी ताजा हैं,
जैसे नदी के पानी में तैरते थे वो आज भी संग हैं।

ख्वाबों से भरी हुई थी हमारी जिंदगी,
जो बनते थे हमारे सपनों की रचनाएं।

आज उन ख्वाबों को हम बहुत याद करते हैं,
जो हमको जीने की राह दिखाते थे और भरोसा दिलाते थे।

इन ख्वाबों को नहीं भूल सकते हम,
क्योंकि इन्ही ख्वाबों से हमने अपने जीवन की कहानी लिखी हैं।

जो ख्वाब थे, वो आज भी ताजा हैं,
जैसे नदी के पानी में तैरते थे वो आज भी संग हैं।

ढूँढता ही रहा

ढूँढता ही रहा जिंदगी को ना जाने कहाँ काहाँ

ए ख्वाब जिंदगी तू इतनी हसीन क्यों बस थोड़ी बहुत नमकीन हो ,

मेरी जिंदगी इस कद्र रह की भरपूर सुकून हो।

ढूँढता ही रहा उस ठिकाने को बस जिसकी तलाश में निकल चल था मैं
ढूँढता ही रहा

जिंदगी को समझने

बड़ी कोशिश है जिंदगी को समझने की

इस जिंदगी से कुछ रूबरू होने की

इस जिंदगी को मैं समझता लेकिन

फिर भी समझ से पार हो जाती है जिंदगी लेकिन समझ नही आती है जिंदगी कही दूर निकल जाती है फिर लौटकर भी नही आती है यह जिंदगी

वो ख्वाब मंजिलों सी

वो ख्वाब मंजिलों सी दूर हो गई, यह जिंदगी अब जिंदगी सी मजबूर हो गई इस जिंदगी के ख्यालों में कही ओर जिंदगी हो गई , क्या जिंदगी है ख्वाब सी जो ये मजबूर हो गई इस जिंदगी के जख्म इतने गहरे के ये नासूर हो गई , संभालो इसे यह जिंदगी अब मरने को मजबूर हो गई.

सम्पूर्ण ब्रह्मांड

सम्पूर्ण ब्रह्मांड एक साथ जुड़ा हुआ है, यह कही से भी अलग नहीं है ,हमारा ब्रह्मांड सम्पूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है, जो तिनका मात्र भी अलग नहीं है।

ब्रह्मांड किस तरह से जुड़ा हुआ है : ब्रह्मांड हमारे शब्दों की ध्वनि के रूप में जुड़ा हुआ है जो ध्वनि इस ब्रह्मांड में चर विचर रही है वही इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड को जोड़े हुए है।

सफर कितना बेहतर है

सफर कितना बेहतर है इस जीवन का बस इस सफर को देख जिए जा रहा हूँ। इस जीवन का सफर कितना बेहतर ओर आनंददायक है, बस यही एक विचार मेरे मन को हर्षित कर देता है, लगता है सभी सुख इस पृथ्वी पर है, ओर कही नहीं हम सभी यहाँ किसी कारण से आए है परंतु मुझे जो लगता है।

एक मुख्यत कारण है आनंद जिसे हम सभी अनुभूत करने के लिए इस जीवन रूपी संसार में आए है, उस जीवन का आनंद हमे लेना है।

रात के ख्याल

रात के उन ख्यालों को कैसे अकेला छोड़ दु

उन ख्यालों संग ना खेलू क्या ………………………

ख्यालों को कैसे अकेला छोड़ दु जो अकेले है

रात में उन के साथ क्या खेलू नहीं

उन ख्यालों से क्या मिलू भी नहीं

वो ख्याल ही है जिनकी वजह से नींद का मज़ा आता है

ये ख्याल मुझे हर रोज नई दुनिया की सैर कराते है

मेरी कल्पनाए एक रूप ले लेती है

उन कल्पनाओ के साथ मैं इन ख्यालों को सजाता हूँ,

देखता हूँ , ओर खूब खेलता हूँ मुझे इन ख्यालों संग अच्छा लगता है

ये ख्याल मेरा बहुत ख्याल रखते है

मैं उठू या नहीं उस रात के बाद इस बात की भी चिंता नहीं

यह ख्याल मुझसे दूर कर देते है फिर कैसे ना देखू मैं ख्याल,

फिर कैसे रहू रात भर बिन ख्याल

समय की ये बाते

समय की ये बाते समय के परे थी समय कही नहीं है, बस यह हमारी सोच का एक हिस्सा है।

समय रहते ही तुमने जाना था इन बातों को ये समय दायरे में थी ,समय की चादर जितनी खोलो उतनी खुल जाएगी यह असीमित है , समय से हटकर तुम सोचो समय खुद बन जाओगे

कुछ लोग लगातार व्यर्थ के शब्दों का चिंतन करते है जिनमे वह लोग या तो किसी दूसरे की बुराई करते है या फिर स्वयं की जिसकी वजह से यह लोग लगातार अपने विचारों को खराब करते है, इनके शब्द हमेशा कोसने वाले होते है या तो ये लोग खुद को कोसते है या दूसरों को लेकिन क्यों ? ऐसा ये लोग क्यों करते है क्या कोसने से सभी चीज़े ठीक हो जाएगी या फिर कोई मतलब होता है।

किसी को भी कोसने से क्या लाभ होगा यह तो सिर्फ शब्दों की हानी है, आप शब्दों की हानी कर रहे है शब्द अनमोल है इन शब्दों को तोल मोल कर प्रयोग में लाना चाहिए, शब्द बहुत शक्तिशाली, प्रभावशाली होते है।

किसी को अपशब्द बोलने से क्या ही ठीक होगा, बल्कि गलत प्रभाव पड़ेगा आपके जीवन पर ही इसलिए शब्द का उचित ओर ध्यानपूर्वक प्रयोग करे, कुछ लोग ऐसे बोलते है उनके शब्द देखिए अरे यार तूने तो हद्द करदी

यह शब्द बड़ी गजब की चीज है जिनसे आपके जीवन में बदलाव होता है, ओर आप इन शब्दों की भांति बनते जाते है, जैसे जैसे इन शब्दों का प्रयोग आप करते है।

जैसे ही आप बोलते है, की मैं पागल हूँ

मैं बेवकूफ हूँ

मैं दुखी हूँ

मैं ठीक नहीं हूँ

मेरी तो बुद्धि ही खराब हो गई है  

मेरी जिंदगी में कुछ भी ठीक नहीं होता मेरी तो किस्मत ही खराब है

मेरी तो जिंदगी ही खराब है , मेरा जीवन व्यर्थ हो गया है, मुझे यह परेशानी है इन लोगों के पास परेशानी के अलावा कुछ नहीं है, ये लोग कभी अच्छी चीजों पर बात नहीं करते हमेशा परेशानियों , तकलीफ की बाते करते है इसलिए इनके जीवन में परेशानी दुख तकलीफ बड़ी होती जाती है तथा एक बाद के बाद एक परेशानी आती है, जिनका अंत होता नहीं दिखता क्युकी यह परेशानियों का ही चिंतन करते है सदेव, इन परेशानियों को कम करने के लिए हमे लगातार सकारात्मक सोचना चाहिए तभी यह परेशनीय खत्म होगी अन्यथा यह तो बढ़ती रहेगी, इनके अंत होने का कोई छोर नहीं दिखेगा।

हम सभी साधारण है लेकिन हमे उन्नति करने का पूरा अधिकार है हमे अपनी क्षमतायो को बढ़ाने का अधिकार है हमे अपनी क्षमतायो पर कार्य करना चाहिए।

अनमोल वचन

अनमोल वचन क्या होते है अब जानते है की अनमोल वचन क्या होते है, हम सभी हर रोज अनमोल वचन ढूंढते है, सुबह का शुभ विचार देखते है, किसी ने कोई सुबह सुबह व्हाट्सप्प पर मैसेज भेज होता है, तो हम उसे देखने लग जाते यही पढ़ते ओर फिर वही आगे भेजते है, लेकिन क्या हम उस अनमोल वचन को जीवन में उतार रहे है।

फिर क्या फायदा इन अनमोल विचारों का यदि आप इन अनमोल विचारों, बेहतरीन विचारों, प्रेरणादायक विचार, शुभ विचार को पढ़कर अपने जीवन में नहीं उतार रहे तो क्या कर रहे है, इनका बस यू ही आपके व्हाट्सप्प पर आया ओर आगे की ओर आपने भी दौड़ा दिया बस यू ही चल रहा है, सब बिना सोचे समझे आपको वो विचार एक पल के लिए अच्छा लगा बस इसके विपरीत उस विचार पर आपने कोई परिश्रम नहीं किया ,कोई कार्य नहीं किया।

यदि आप साल में 365 विचार पढ़ते है तो उसका कोई फायदा हम सभी हर रोज एक विचार तो कम से कम पढ़ रहे है, जिन लोगों के पास टेक्नॉलजी का अभी तक अभाव है, यदि उनको हत्या भी दिया जाए तो 90% जनसंख्या शुभ विचारों को पढ़ रही है, चाहे वो किसी भी धर्म का हो वह एक मानव है।

ओर मानवीय विचारों को ग्रहण कर रहा है तथा भक्ति भावना से भरपूर विचार भी ग्रहण कर रहा है, परंतु यहाँ एक प्रश्न यह उठता है, की हम सभी में विचारों को पढ़ने के बाद परिवर्तन कितना आता है? कुछ बदलाव है, हममे या फिर कुछ भी नहीं सिर्फ हम उन विचारों को इधर से उधर किए जा रहे है।

क्या आप भी विचारों को आगे बढ़ा देते है ? यदि हाँ तो क्यों ? ओर यदि आप उन विचारों पर अमल करते है तो अभी कितना बदलाव आया है ओर वो कौनसे ऐसे विचार है, जिनको आपने अपनी जिंदगी में उतार लिया है अभी तक।

अपनी अकल लगाओ

ऐसा बचपन में सुनने को मिलता था अपनी अकल लगाओ ओर कुछ बन जाओ लेकिन आजतक अकल मैं नही बैठा यह सबक मुझे आज भी फेसबुक पर देखने को मिल रहा है, आंखे गड़ा कर बैठ हम जाते 9 घंटे तक, पलके भी नहीं झपकाते, बस मोबाइल की स्क्रीन को ऊपर और नीचे ही कर समय बिताते, फ़िल्म देखने जाते और अपनी सीट को ऐसे पकड़ कर बैठते है, कि कुर्सी थोड़ी सी भी आगे पीछे ना हो जाये।

इतना दिमाग क्रिकेट और फिल्मों में हम अपना लगा देते है तो क्या होता? अपनीअकल लगाओ
यदि इतना दिमाग पढ़ाई और काम करने में लगा दे तो शायद हम भी एक सफल व्यक्ति बन सकते है, सही है क्या ? किसी भी चीज को पाने को चाहत आपको कहा तक ले जा सकती है।

अगर इतनी मेहनत पढ़ाई में लगाये बिना पलक झपकाए पढ़ें तो टॉपर ही ना बन जाये काहे हम अपनी अकल लगाए
अरे भाई हमको ये बात काहे को समझ आये।

पढ़ाई में मन नही लगता
काम में मन नही लगता,
जो चीज़ करने बैठता हूं उसी से दूर भागने लगता हूं
फिर क्या करूँ और क्या नही ?

यही समझ नही आता, क्या मैं कम अकल का बच्चा हूँ

दुखडा मेरा है खुद को ही मैं समझाता हूं
देखते ही देखते दोस्त टोपर भी बना,
एक बड़ा बिजनेसमैन भी बन गया
मै ना जाने क्यों वही का वही अटक गया

लगता है में कही भटक गया
नींद बड़ी प्यारी लगती थी इसलिए
जिंदगी में नीचे लटक गया

सुबह उठ नही पाता था जल्दी
पढ़ नही पता था देर तक,
कानो मैं लीड लगाकर सो जाता था
जो याद किया था वो भी भूल जाता था।

फिर घंटो तक जो पढ़ा था उसीको दोहराया करता था
इतनी गलती करने पर भी में नही पछताया करता था
इसका नतीजा हार है यही एक विचार है।

अपनी अकल लगाओ

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