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चिंतन मनन

क्या विचार एक विद्युत है? चिंतन, मनन, और विचार में आपको क्या फर्क नजर आता है?
विचार विद्युत नहीं बल्कि विद्युत से भी कई गुना अधिक है,इन विचारों को समझना आसान नहीं है , यह विचार इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड में चर विचर कर रहे है , विचार इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड का जोड़ है, जिसकी वजह से ही यह सम्पूर्ण ब्रह्मांड जुड़ा हुआ है यह विचार काही से भी अलग नहीं है

जिस प्रकार से श्री मद भागवत गीता में लिखा हुआ है शब्द आकाश के विकार है। यदि आप विचारों को समझेंगे तो सम्पूर्ण चराचर जगत में विचार ही विचार है जिसकी वजह से हमारे इस ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है, यह कभी ना रुकने वाली वाली प्रक्रिया है।

अब बात करते है मनन , चिंतन, ओर विचार की यह एक ही प्रक्रिया से जुड़े हुए तीन आकार में बदलाव है इसके विपरीत कुछ नहीं यदि आपके भीतर कोई विचार प्रकट होता है तो आपका उस पर अपनी क्रिया ओर प्रतिक्रिया रूप देते है जो मनन वाली श्रेणी में रखते है इसके बाद इन विचारों के समूह पर शांत चित से चिंतन करते है वही आपका चिंतन है।

चिंतन, मनन और विचार तीनों ही मानसिक क्रियाएँ हैं जो हमारे मन और बुद्धि की गतिविधियों को व्यक्त करती हैं। हालांकि, इन तीनों में थोड़ा अंतर होता है।

चिंतन एक ऐसी मानसिक क्रिया है जो हमारे मन में उत्पन्न होने वाले विचारों को ध्यान से सोचने का काम करती है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो हमें अपने विचारों के बारे में सोचने की समझ देती है और हमें अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में सोचने की अनुमति देती है। चिंतन हमें अपनी विचारों के बारे में गहनता से सोचने की अनुमति देता है ताकि हम अपनी जिंदगी के विभिन्न पहलुओं को बेहतर बनाने के लिए उन्हें समझ सकें।

मनन एक ऐसी क्रिया है जो हमें अपने विचारों को विस्तार से विचार करने की अनुमति देती है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हम अपने मन की समस्याओं को हल करने के लिए उनसे निपटने की अनुमति देते हैं। मनन हमें अपने विचारों के पीछे छिपी हुई भावनाओं और दृष्टियों को समझने की अनुमति देता है ताकि हम अपनी समस्याओं के समाधान के लिए उचित कदम उठा सकें।

विचार एक ऐसी मानसिक क्रिया है जो हमारे मन में उत्पन्न होने वाले विभिन्न विचारों को व्यक्त करने की अनुमति देती है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हम अपने मन में उत्पन्न होने वाले विभिन्न विचारों को संगठित करने का काम करते हैं और उन्हें व्यक्त करने के लिए उचित शब्दों का चयन करते हैं। विचार हमें अपने अंतर्मन के भावनाओं और विचारों को समझने की अनुमति देता है और हमें विभिन्न मुद्दों और समस्याओं के समाधान के लिए उचित विचारों का चयन करने में मदद करता है।

इस प्रकार, चिंतन, मनन और विचार तीनों ही मानसिक क्रियाएं हैं जो हमारे मन और बुद्धि की गतिविधियों को व्यक्त करती हैं, लेकिन इनमें थोड़ा अंतर होता है। चिंतन हमें अपने विचारों के बारे में सोचने की समझ देता है, मनन हमें अपने विचारों को विस्तार से विचार करने की अनुमति देता है और विचार हमें अपने विभिन्न विचारों को व्यक्त करने की समझ देता है।

जीवन में उलझन

उलझन क्या है ? उलझन एक अवसर होता है, जो हमें अपने दोषों को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करता है। जब हम उलझन से निपटते हैं, तो हम अपने अनुभवों से सीखते हैं और अपने दोषों को स्वीकार करते हैं। ये हमें अपने आप को सुधारने की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है, जो हमें अपनी सीमाओं को छोड़कर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। जब हम उलझन से निपटते हैं, तो हम अपनी आत्मा को विकसित करते हैं और जीवन में एक नयी दिशा के साथ आगे बढ़ते हैं।

जिंदगी में उलझन एक स्थिति है जो हर किसी को सामने आती है। जब हम अपने जिंदगी में उलझे हुए होते हैं, तो हमें अधिक सोचने की आवश्यकता होती है। ये उलझन हमारे मन को अधिक चिंतित और उत्तेजित करती हैं।

उलझन से निपटने के लिए, हमें धैर्य और संयम रखने की आवश्यकता होती है। हमें उलझन से निपटने के लिए अपनी आत्मविश्वास और विश्वास को बढ़ाने की आवश्यकता होती है। जब हम अपने आप में विश्वास रखते हैं तो हम उलझन से निपटने में सफल होते हैं।

उलझन एक संदेश होता है: जो हमें बताता है कि जीवन में सफलता के लिए हमें संकटों का सामना करने की क्षमता होनी चाहिए। जब हम उलझन से निपटते हैं, तो हम जीवन में सफल होने के लिए तैयार होते हैं।

फादर ऑन रेंट

फिल्म फादर ऑन रेंट ( The Trail Period ) जिओ सिनेमा पर रिलीज हुई पहले तो इस नाम की वजह से मैं देखना ही नहीं चाह रहा था, लेकिन कुछ लोग इस फिल्म की तारीफ करते हुए नहीं थक रहे थे, इसलिए फिल्म देखने बैठ ही गए।

फादर ऑन रेंट
 

वैसे भी फिल्म में अभिनेत्री जेनिलया देशमुख मेरी पसंदीदा कलाकार है उनकी बेहतरीन ऐक्टिंग ओर चुलबुलापन ओर कलाकारी को जीवित रखने का अंदाज बहुत प्यार है, जिसके लिए फिल्म देखी जा सकती थी, बस जो शंका थी नाम से उसको खतम करी और फिल्म देख ली क्युकी पिछले दिनों में ब्लडी डैडी फिल्म आई फिल्म का नाम ही इतना अटपटा रखते है की फिल्मों को देखना ऐसा लगता है की क्या ही होगा, लेकिन फिल्म की शुरुआत से मानव कौल के जो शब्द आते है

अधिकतम खुदरा मूल्य अरे आप जानते नहीं MRP” फिल्म का तीसरा ही दृश्य था, जिसमे मन फिल्म को पकड़ बैठ गया, फिर क्या था। फिल्म एक बार देखनी शुरू की तो फिल्म से नजरे खुद ही नहीं हटी इस समय में इतनी साफ सुथरी फिल्म कहाँ आती है, भाई इसलिए भी हम देखने बैठ गए ओर यह फिल्म मैंने अकेले में देखी क्युकी काम करते हुए देख रहा था लेकिन काम नहीं कर पाया फिल्म ही देखी मैंने

यह लोग बहुत अजीब है आर जिंदगी अजीब है सुसरे” गजराज राव ( GAJARAJ RAV ) उम्दा अभिनय के साथ शक्ति कपूर ओर शीबा चड्डा अपने अपने किरदार में बहुत ही फिट कलाकार है

इस फिल्म में एक बात बड़ी प्यारी है जो स्वभाव से अच्छे होते है वो बुरे नहीं बन पाते जो जैसा होता है वो वैसा ही रहता है। इसइस प्रकार अभिनय निभाया है मानव कौल ( MANAV KAUL)

इस फिल्म में बच्चे की ऐक्टिंग भी बहुत बढ़िया है, अभी से बच्चे में है दम कुछ करेगा बड़ा होकर एकदम ZIBANE BRAZ URF ROMI

पेरन्टींग पर एक बहुत अच्छी फिल्म है, जिसे सभी को देखनी चाहिए। पेरन्टींग पर कुछ ओर इस तरह की फिल्म बननी चाहिए , समाज में इस तरह की फिल्मों की बहुत जरूरत है ओर इस तरह की फिल्मे बनती रहे तो ज्यादा अच्छा है।

कब शुरू ओर कब खत्म होने को हुई फिल्म पता ही नहीं चला , कभी कभी लगता है फिल्म कभी खत्म न हो कुछ फिल्मे इस तरह की ही होती है, बस उन्मे से ही एक फादर ऑन रेंट भी इसी तरह की फिल्म निकली, फिल्म आपको कुछ दृश्यों में हल्का हल्का सा रुक हुआ महसूस करती है, बाकी फिल्म अपने आप में अच्छी है, कुछ खट्टे मीठे पल ओर ईमोशन भी है, कुछ चीजों को नजरअंदाज करके फिल्म को देखे आपको बहुत मज़ा आएगा अगर आप सिनेमा में जाकर देखेंगे तो मैं फिल्म 3.5 अंक दु ओर यदि आप घर पर जिओ सिनेमा पर देख रहे है तो फिल्म को 4.5 की रेटिंग मिलनी चाहिए क्युकी यह एक पारिवारिक फिल्म है, पिछले काफी लंबे समय से OTT पर कोई फिल्म नहीं इस तरह की जिसे पूरे परिवार संग देखा जा सके।

कर्म से भाग्य

कर्म से भाग्य बदल सकते है, ये बात क्या पूर्णतया सत्य है ?
जी हाँ, कर्म से आपके भाग्य में बदलाव होता है साथ ही जो हाथ की रेखाए उन्मे भी परिवर्तन होता है, ऐसा अनुभव से ही कह पा रहा हूँ,

भूतकाल जिसमे हम जाकर कुछ भी ठीक नहीं कर सकते लेकिन कुछ फेर बदल की जा सकती है, जो आपके पूर्व के कर्म बन चुके है उनको पूर्णतया बदलना मुश्किल है परंतु असंभव नहीं असंभव का अर्थ यहाँ इस प्रकार है की जो घटना आपके साथ होनी थी उसका रुख बदल जाएगा, उसमे कई ओर रास्ते खुल जाएंगे , आपको दरवाजों की चाबी मिल जाएगी जिन दरवाजों पर आपके लिए ताले लगे हुए थे उनकी या तो चाबी मिल जाएगी या फिर पहले से ही खुले हुए मिलेंगे ( इसीको फेर बदल कहते है )

जैसे जैसे आपके कर्म , आपके विचार अच्छा सोचते है, आपके साथ फिर से कुछ नई घटनाओ का जमा घटा होता है जिसके कारण आने वाली घटनाए बदल जाती है उनका परिणाम बदल जाता है।

इसको करके देखे : आप किसी ज्योतिष के पास जाए ओर उनसे पूछे की क्या अंदेशा है मेरे साथ अगले 5-10-15 साल में घटनाओ का फिर आप उसके हिसाब से अपने विचार ओर कर्मों में बदलाव कीजिए ओर उन्हे लिखित रूप में अपने पास रखे आपको समझ आ जाएगा की घटना तो उन्होंने सही बताई लेकिन परिणाम बड़े रोचक आ रहे है यह सब आपके साथ तभी होगा जब आप अपने विचारों ओर कर्मों को एक साथ पूरी मेहनत के साथ कार्य करेंगे, और आप अपने कर्म से भाग्य को बदल पाएंगे।

स्वयं के अनुभव से मैं आपको यह बात बता रहा हूँ, क्युकी हमारी सोच हमारे आने वाले भविष्य का निर्माण करते है, जैसा आप सोचते है वैसा होता हुआ चल जाता है, जिस प्रकार के कार्य करते है उसी तरह के परिणाम आपके सामने आते है, आपके कर्म से भाग्य का निर्माण होता है, इसी को जानकार ओर समझकर हमे सभी कार्यों को करना चाहिए।

यह भी पढे: गुणों में निरंतर विकास, परिस्थितिया, मस्तिष्क, काल, मन के विचार, सम्पूर्ण विश्वास,

शुभकामनाए

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाए इस प्रकार दे अपने मित्रजनों को

  1. “जय हिंद, जय भारत, स्वतंत्रता दिवस की बधाई हो!”

2. “आओ मिलकर देश को समृद्ध बनाएं, स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाए!”

3. “स्वतंत्रता का महोत्सव मनाएं, देश के समृद्ध भविष्य का निर्माण करें!”

4. “स्वतंत्रता की आन बान और शान बने रहें, देश हमारा सदा समृद्ध और खुशहाल रहे!”

5. “देश की आजादी को सलाम, हम सबको स्वतंत्रता दिवस की बधाई हो!”

6. “स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाएं, बनें देश के नेतृत्व के लिए सक्रिय भागीदार!”

7. “देश की आजादी के लिए हमने किया था संघर्ष, आओ आज देश का सम्मान करें!”

8. “आजादी की खुशी में आओ मिलकर झूमें, देश के विकास के लिए सक्रिय हो!”

9. “देश की स्वतंत्रता को याद करें, देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दें!”

10. “आज स्वतंत्रता दिवस है, हम देश को और उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ाने का संकल्प लें!”

यह भी पढे: 15 अगस्त, 10 घटनाए इतिहास में, 10 बेहतरीन पुस्तक,

प्रतिज्ञान क्या है

प्रतिज्ञान क्या है ? प्रतिज्ञान एक संकल्प होता है जिसमें व्यक्ति या समूह कोई विशिष्ट कार्य निर्वाह करने का आश्वासन देते हैं और इसे पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी इच्छा ज्ञात कर दी होती है। प्रतिज्ञान वास्तविक और अनिवार्य उपलब्धियों के साथ काम करने में मदद करता है।

प्रतिज्ञा लिखने के लिए, आपको अपने उद्देश्य का स्पष्टीकरण करना होगा और फिर उसके लिए एक वाक्य लिखना होगा। उसके बाद, आपको इस वाक्य को संशोधित और संपूर्ण करने के लिए इसमें अन्य विवरणों को जोड़ने की आवश्यकता हो सकती है।

एक उदाहरण से समझे “मैं अपना वजन 6 महीनों के भीतर 10 किलो घटाने का प्रतिज्ञान लेता हूं। मैं इसे हासिल करने के लिए रोजाना व्यायाम करूंगा, स्वस्थ खाने की आदतें बनाऊंगा और नियमित रूप से अपना वजन नोट करूंगा।”

ध्यान दें कि प्रतिज्ञान लिखते समय, आपको संभवतः अपनी सीमाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए ताकि आप उन्हे पूरा कर सके सिर्फ प्रतिज्ञान लेने से नहीं बात बनती और संभवतः आप इसे निर्वाह करने के लिए समय के संबंध में भी सोचेंगे।

प्रतिज्ञान क्या है यह हमने ऊपर बताया है अब प्रतिज्ञान को हर रोज आप कम से कम दो बार दोहराए ताकि यह प्रतिज्ञान आप पूरी कर सके

  1. मैं हर दिन सुबह उठने के बाद ध्यान में बैठने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  2. मुझे रोजाना कम से कम 30 मिनट अपनी शारीरिक गतिविधियों का समय निकालने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  3. हर दिन नियमित रूप से अपने समय का एक टाइम टेबल तैयार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  4. मैं स्वस्थ और पौष्टिक भोजन करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  5. मैं रोजाना कम से कम 20 मिनट की ध्यान योग्यता का प्रशिक्षण करने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  6. हर दिन नियमित रूप से अपने सामाजिक संबंधों को बनाए रखने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  7. रोजाना कम से कम 7 घंटे की नींद लेने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  8. मैं नियमित रूप से अपने स्वयं के लिए समय निकालने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  9. रोजाना कम से कम 30 मिनट अपने अंतरंग विकास के लिए समय निकालने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  10. मैं नियमित रूप से अपने संबंधों को मजबूत बनाए रखने का प्रतिज्ञान लेता हूं।

प्रतिज्ञान

आपके लक्ष्यों और उद्देश्यों के आधार पर, यहां 20 और प्रतिज्ञाएं हैं. जिन्हे आप हर रोज बार बार दोहरा सकते है यह प्रतिज्ञान आपके जीवन को बेहतर बनाती है।

  1. मैं नियमित रूप से स्वस्थ जीवन जीने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  2. मैं रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  3. मैं नियमित रूप से स्वयं के विकास के लिए समय निकालने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  4. मैं रोजाना अपनी पढ़ाई और अध्ययन को ध्यान में रखने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  5. मैं रोजाना कम से कम 10 मिनट मेडिटेशन करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  6. मैं अपनी दैनिक जीवन में हर बार रचनात्मकता को बढ़ावा देने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  7. मैं हर दिन नए चुनौतियों का सामना करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  8. मैं रोजाना कम से कम एक नया चीज सीखने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  9. मैं नियमित रूप से अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  10. मैं रोजाना अपने दोस्तों और परिवार के बीच अच्छी बातचीत करने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  11. मैं रोजाना अपने दोस्तों और परिवार के लिए सहायता में होने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  12. मैं हर दिन नए लोगों से मिलने और नए विषयों पर बातचीत करने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  13. मैं रोजाना अपने समय का उपयोग अच्छी तरह से करने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  14. मैं नियमित रूप से अपनी स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  15. मैं नियमित रूप से अपने स्वयं के साथ अकेले समय बिताने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  16. मैं रोजाना कम से कम एक अनुभव का आनंद लेने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  17. मैं नियमित रूप से अपने संबंधों में सच्चाई और विश्वास का पालन करने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  18. मैं नियमित रूप से समाज सेवा के लिए समय निकालने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  19. मैं रोजाना कम से कम एक प्रेरक किताब या कहानी का पढ़ने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  20. मैं नियमित रूप से अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने का प्रतिज्ञान लेता हूं।

10 सकारात्मक प्रतिज्ञाएं हैं जिन्हे हर रोज 2 बार दोहराए

  1. मैं हर दिन अधिक सकारात्मक सोचने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  2. मैं हर दिन अपने जीवन में नए उत्साहपूर्ण उद्यमों का समर्थन करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  3. मैं हर दिन अपने आप पर विश्वास रखने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  4. मैं हर दिन अपने दोस्तों और परिवार के साथ प्यार और सम्मान से व्यवहार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  5. मैं हर दिन अपने समय का सदुपयोग करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  6. मैं हर दिन अपने जीवन में नए संभावित अवसरों को ढूंढने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  7. मैं हर दिन अपने आसपास की सुंदरता और अच्छाई का विस्तार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  8. मैं हर दिन अपने स्वयं के विकास और सफलता के लिए नए कदम उठाने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  9. मैं हर दिन अपने जीवन में शांति और सुख का विस्तार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  10. मैं हर दिन अपने जीवन के लिए एक उत्साहजनक दृष्टिकोण का विकास करने का प्रतिज्ञा लेता हूं

10 प्रेम पर प्रतिज्ञाएं हैं

  1. मैं हमेशा अपने पार्टनर को प्रेम और सम्मान से व्यवहार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  2. मैं हर दिन अपने पार्टनर के साथ संवाद करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  3. मैं अपने पार्टनर को हमेशा समर्थन और आशीर्वाद देने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  4. मैं हमेशा अपने पार्टनर को समझने की कोशिश करता हूं और उनकी भावनाओं का सम्मान करता हूं।
  5. मैं हमेशा अपने पार्टनर को समय देने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  6. मैं हमेशा अपने पार्टनर को स्पष्टता से व्यवहार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  7. मैं हमेशा अपने पार्टनर के साथ उन्हें खुश रखने के लिए कोशिश करता हूं।
  8. मैं अपने पार्टनर के साथ अपने रिश्ते को स्थायी बनाने का प्रतिज्ञान लेता हूं।
  9. मैं अपने पार्टनर के साथ एक स्वस्थ, समृद्ध और समन्वित रिश्ते का संरक्षण करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।
  10. मैं हमेशा अपने पार्टनर के साथ उनके प्रति लगाव और प्रेम का विस्तार करने का प्रतिज्ञा लेता हूं।

बवाल फिल्म

वरुण धवन काफी समय बाद फिर एक बार बवाल फिल्म के परदे पर दिखे है संग जाह्नवी कपूर के इस फिल्म में वरुण धवन अज्जु भैया का किरदार निभाते है जो हर जगह बहुत बहुत प्रचलित है ओर ज्ञान बाटते हुए नजर आते है लेकिन जहां ज्ञान देना होता है वहाँ ज्ञान नहीं देते बस इसी पर पूरी फिल्म की कहानी को दौड़ाया जाता है।

ऐक्टर : वरुण धवन ,जान्हवी कपूर, मनोज पाहवा, अंजुमन सक्सेना, मुकेश तिवारी, गुंजन जोशी

डायरेक्टर : नितेश तिवारी

श्रेणी:  Hindi, रोमांस, ड्रामा

अवधि: 2Hrs 2 Min

बवाल फिल्म जिसमे वरुण धवन ओर जाह्नवी कपूर मुख्य भूमिका में है फिल्म फर्स्ट हाफ में थोड़ी तेज ओर हंसी के कुछ झटके देते हुए चलती है , हालांकि निर्देशक ने कहानी और किरदारों को स्थापित करने में थोड़ा ज्यादा समय लगा दिया है, इस कारण फिल्म थोड़ी धीमी गति में आगे बढ़ती है, मध्यांतर के बाद कहानी अपने असली मकसद पर आती है।

यहां से नितेश फिल्म को एक अलग ट्रीटमेंट देते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि द्वितीय विश्व युद्ध के बैकड्रॉप पर लव स्टोरी का को बुनना एक मुश्किल टास्क ही था, मगर नितेश इसे अश्विनी अय्यर तिवारी की कहानी और पियूष गुप्ता, निखिल मेहरोत्रा और श्रेयश जैन जैसे लेखकों की टीम के साथ बखूबी निबाह ले जाते हैं। फिल्म के संवाद, ‘हम सब भी तो थोड़े बहुत हिटलर जैसे ही हैं न, जो अपने पास है, उससे खुश नहीं हैं, जो दूसरे के पास है, वो चाहिए।‘ वर्ल्ड वॉर तो खत्म हो गई, मगर ये अंदर की वॉर कब खत्म होगी ?’

क्लाइमेक्स तक आते – आते फिल्म न केवल प्यारा-सा संदेश देती है बल्कि अंदर अच्छा महसूस भी करवाती है। बवाल फिल्म की एडिटिंग थोड़ी चुस्त होती ओर थोड़ी ऐक्टिंग ऊपर दर्जे पर जाती तो मज़ा कुछ ओर ही आ जाता।

सिनेमैटोग्राफर मितेश मीरचंदानी ने लखनऊ और यूरोप को दर्शाने में अपना कौशल दिखाया है। डेनियल बी जॉर्ज का बैकग्राउंड म्यूजिक वर्ल्ड वॉर के दृश्यों में पूरक साबित होता है, मगर मिथुन, तनिष्क बागची और आकाशदीप सेनगुप्ता की तिकड़ी संगीत के मामले में कोई कमाल नहीं दिखा पाए फिल्म में गाने ओर बैकग्राउंड का म्यूजिक कडक होना चाहिए था।

फिल्म Amazon प्राइम पर Available है आप जाकर देखिए।

फिर भी फिल्म तो अच्छी लगेगी बाकी आप अपनी राय में मुझे कमेन्ट में जरूर दे

15 अगस्त

15 अगस्त भारत के इतिहास में एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है, जब भारत ने ब्रिटिश शासन से आजादी हासिल की थी। यह दिन देश के लोगों के लिए गर्व और उत्साह का दिन होता है।

भारत को स्वतंत्रता कब प्राप्त हुई?

भारत काफी लम्बे समय तक अंग्रेजों का गुलाम बनकर रहा। अंग्रेजों ने हम भारतीयों पर करीब 200 वर्षों तक राज किया। भारत में आजादी के लिए कईं क्रांतियाँ हुई और कईं लोगों ने अपना बलिदान दिया।

तब जाकर भारत को 15 अगस्त 1947 को एक स्वतंत्रता प्राप्त हुई। उसी दिन से प्रतिवर्ष 15 अगस्त के दिन को भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

15 अगस्त 1947 के दिन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लगभग 100 साल के संघर्ष के बाद ब्रिटिश साम्राज्य से आजाद हुआ था। इस दिन नेहरू जी ने राष्ट्र के नाम एक ऐतिहासिक भाषण दिया था जिसमें उन्होंने स्वतंत्रता के लिए लोगों को धन्यवाद दिया


स्वतंत्रता का महत्व:

स्वतंत्रता दिवस हमें याद दिलाता है कि हमारी आजादी की कीमत क्या है। हमें यह याद दिलाता है कि हमें लगातार अपने देश के विकास और उन्नति में योगदान देना चाहिए। हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें अपने देश में अमन और शांति को बनाए रखना चाहिए।

स्वतंत्रता का महत्व वही समझ सकता है, जिसने गुलामी का स्वाद चखा हो। स्वतंत्रता का हम सभी के जीवन में काफी महत्व है।

एक पराधीन व्यक्ति अपनी मर्जी से कोई भी कार्य नहीं कर सकता है लेकिन, एक स्वतंत्र व्यक्ति अपनी मर्जी से प्रत्येक कार्य कर सकता है। यही इनके बीच में मुख्य अंतर है।

भारत को आजादी ऐसे ही रातों-रात नहीं मिली बल्कि, इसके लिए कईं लोगों ने संघर्ष किया है। उन्होंने अपना सब कुछ न्योंछावर के बाद यह आजादी हमें दिलवाई है।

उन्हीं की वजह से आज हम सभी आजादी की साँस ले रहे है। आज हम किसी भी चीज के लिए अपनी आवाज उठा सकते है और मांग कर सकते है

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस हमारे लिए एक गर्व का दिन होता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे देश के संघर्ष के पीछे अनेक लोगों का बलिदान होता है। इस दिन हमें ये भी याद दिलाना चाहिए कि हमें अपनी स्वतंत्रता का उपयोग उन्नति और समृद्धि के लिए करना चाहिए।

इस दिन हमें ये भी समझना चाहिए कि हमें अपने देश के लिए एक होकर काम करना चाहिए। हमें इस दिन को अपने देश के उज्जवल भविष्य के लिए एक संकल्प का दिन बनाना चाहिए। हमें ये भी याद रखना चाहिए कि हमें अपने देश के भलाई के लिए नहीं बल्कि सभी देशों के लिए काम करना चाहिए।

स्वतंत्रता दिवस हमें ये भी समझाता है कि हमें अपने देश के ऐसे महान् व्यक्तियों को याद रखना चाहिए, जिन्होंने अपनी जान देकर देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया था। हमें उन्हें सम्मान देना चाहिए और उन्हें एक आदर्श के रूप में रखना चाहिए।

स्वतंत्रता दिवस हमें एक नयी शुरुआत का दिन भी बनाता है। हमें अपनी स्वतंत्रता के लिए शुक्रिया अदा करना चाहिए और उसकी हिफाजत करना चाहिए। हमें अपनी स्वतंत्रता के लिए देश के विकास में योगदान देना चाहिए और अपने देश को एक बेहतर भविष्य की ओर ले जाने के लिए काम करना चाहिए।

समाप्त में, स्वतंत्रता दिवस हमें ये याद दिलाता है कि हमारे देश की स्वतंत्रता एक अनमोल उपहार है। हमें इसे सचेत रखना चाहिए और इसे अपने देश के उन्नति के लिए उपयोग करना चाहिए। इस दिन को धीरे-धीरे एक जन-आंदोलन के रूप में मनाना चाहिए, जिससे हमारे देश की अन्य ताकतों को भी संदेश मिलेगा कि हम स्वतंत्र हैं और अपने देश के लिए हम एक होकर काम करेंगे।

15 अगस्त का महत्व यह भी है कि इस दिन के बाद से भारत एक नया चैप्टर शुरू करता है। भारत ने आजाद होने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उन्नति के लिए काम करना शुरू किया है, जैसे शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास और राष्ट्रीय एकता आदि।

इस दिन को याद करना हमें यह भी समझाता है कि हमें अपने देश के लिए काम करना चाहिए और देश के विकास में अपना योगदान देना चाहिए। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें अपनी स्वतंत्रता की कीमत समझनी चाहिए और देश के विकास में अपना योगदान देना चाहिए। इस दिन को मनाकर हम अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझते हैं और देश के विकास के लिए सक्रियता से योगदान देने का फैसला लेते हैं।

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भीड़ तंत्र का हिस्सा

क्या आप भी इस भीड़ तंत्र का हिस्सा है? जो सोचते है ऐसे ही जीना चाहिए ओर मर जाना चाहिए बिना कुछ किये बस घर से आफिस या दुकान यही सब में बीत जाती है, जिंदगी और कुछ नही कर पाते खुद को भी हम खो बैठते  शादी करना बच्चे पैदा करना बस यही एक जीवन है।

मसक्कत भरी सी लगती है क्या जिंदगी? या फिर कुछ करने की इच्छा होती है, या जो इच्छा होती है उसको दबा कर मार दिया और कुचल दिया गया है, कही अब कोई ठिकाना नही मिलने वाला उन्ह इच्छाओ को जो तुमने दबा दी है वो इच्छा अब इच्छा नही है ऐसा लगता है।

क्या आप भी भीड़ तंत्र के शिकार है ? क्या आप भी उसी भीड़ में चल रहे जिसमे लाखो करोड़ो लोग भी है जिसका  नाम समाज का दे दिया गया है परंतु वास्तविकता कुछ और ही है जहां आपको मत देने का अधिकार है परंतु खुद की एक अलग सोच रखने का कोई अधिकार नही है,
क्या ऐसा सच में है ??

मैं भी फ़िल्म और क्रिकेट खेल प्रेम हूँ, परंतु अपने विचारो को पूर्णतया जानता हूं और समझ सकता हूं की मैं क्यों? क्योंकि कुछ समझाने के लिए समझना बहुत जरूरी है फिल्में जो हमे सर्फ और सिर्फ चार दिवारी और प्रेम, और इस जीवन के जो किस्से हो रहे है बस वही बता रही है।

जिसके अलावा कुछ भी नही जैसे की आत्ममंथन कैसे करे या अपने जीवन को और बेहतर कैसे बनाये या खुद को कैसे जाने इन विषयो के बारे में कोई फ़िल्म जगत का प्राणी नही बताता सिर्फ अपनी मन की सीमाओं ओर आप बीती तथा जो आज के समय में हो रही है या हो सकने वाली घटनाओ के बारे ही एक कहानी के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है इसके अलावा कुछ भी नही।

आज कल सिर्फ लोगो के मन में शादी करलो और अपना जीवन चक्र चलाओ बस इन्हें यही सिखाया जा रहा है, जो बिल्कुल ही जीवन के विपरीत एक स्तिथि लगती है, क्योंकि आपका उत्थान होना बहुत काम हो जाता है, जब आप एक वैवाहिक जीवन जीने की और अग्रसर होते है।

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