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सुनने की शक्ति

श्रवण शक्ति और सुनने की शक्ति, अच्छा श्रावक बने, हमारे कानो के द्वारा हमे बाहरी आवाजे सुनाई देती है जिसकी वजह से हम बहुत सारे शब्दों पर कार्य करते है,

सुनने की शक्ति हमे कानो के द्वारा कुछ सूक्ष्म आवाजो को सुन सकते है यदि हम अपनी सुनने की शक्ति को बढ़ाले तो हम अति सूक्ष्म धवनियो को आसानी से सुन सकते है परन्तु अभी तो हम कई बार अपने टीवी की आवाज को भी तेज़ करते है कि सुनाई नहीं रहा , बहुत जोर से रेडियो speaker आदि लगाकर सुनते है जैसे हम खुद नहीं सुनना पूरी दुनिया को सुनाना चाहते है हम सब शोर पसंद कर रहे है

हमारे साथ तो ऐसा भी होता है की घड़ी की सुई बज रही होती है परंतु हमारे मस्तिष्क में विचारो का इतना शोर होता है की उस घड़ी की आवाज भी नही सुनाई देती आजकल तो हम सभी का यह हाल हो चुका है की सड़क पर चलते रहते है औए बहुत सारी गाड़िया हॉर्न बजाती है और हमे उन्हें निकलने की जगह भी नही देते बस वो भी बजाते रहते है, हॉर्न और हम अपने कानो को जैसे बन्द करके चलते है यह कोई दिन में आप मगन नही होते यह तो आपके बाहर सारे विचार है जो आपके मस्तिष्क में एकत्रित हो जाते है जिसके कारण आप कुछ भी सुन नही पा रहे  मतलब सुनकर भी अनसुना कर रहे हो या उन्ह विचारो में खो जाते हो


कानो में मोबाइल की लीड लगाकर रोड पार करते है इधर उधर घूमते है और बाहर का तथा अंदर का शोर दोनो एक साथ सुन रहे होते है, किसी भी आवाज को अपनी और आने नही देना अपनी
बहुत सारी ऐसी बाते भी सुन सकते हो जो सामने वाला कहना तो चाह रहा हो परंतु होठो तक ला कर ही रोक लिया हो ब्रह्मंड में ऐसी बहुत सारी ध्वनियां गूंज रही है जो आसानी से नही सुन पाते वो सिर्फ और सिर्फ ध्यान की गहराई में उत्तर जाने के बाद सुन सकते है जिसमे ऐसा अनुभव होता है की कोई हमे बहुत कुछ बोला चला जा रहा और हम सुन रहे है समझ रहे है

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हमारे कान क्या सुन्ना चाह रहे है ?
ये किस प्रकार की ध्वनि सुन्ना चाहते है? 
किसी भी सूक्ष्म ध्वनि को सुनने में सक्षम होते है

परंतु हम उन सूक्ष्म ध्वनियों को सुन्ना नही चाहते या सुन नही पा रहे है क्योंकि हमारा  मस्तिष्क हमेसा  बहुत सारे विचारो के साथ उलझा हुआ है लगातार शोर में जीने कि आदत हो गई है हमें
हमारे मस्तिष्क के कारण हम अंदर की ध्वनियों को सुन नही पा रहे है हम उन पर ध्यान केंद्रित नही कर पा रहे है हम उन सभी ध्वनियों पर अपना ध्यान केंद्रीत कर ही नही पाते  हमारे कान हमेसा बाहर की ध्वनियों को सुनने में ज्यादा मसरूफ रहते है ये अंदर की ध्वनियों को सुनने के लिए ज्यादा सजग हो नही पाते उसके लिए हमे ध्यान की लंबी प्रकिर्यायों से गुजरना होता है

समय नहीं मिला

जिस जिस को समय नहीं मिला उन सभी के लिए समय की कोई कमी नहीं है। सोच तू
कितना सोच सकता है
लिख तू
कितना लिख सकता है
सो तू
कितना सो सकता है

नाच तू
कितना नाच सकता है
गा तू
कितना गा सकता है
खा तू
कितना खा सकता है

आराम कर तू कितना कर सकता है
पढ़ तू
कितना पढ़ सकता है
टीवी देख
तू कितनी देख सकता है

गेम खेल
तू कितना खेल सकता है
बात कर , गप्पे मार
तू कितनी कर सकता है
तू क्या ? और कितना कर सकता है

वो सब आजमा ले आज जो तू करना चाहता था अपनी जिंदगी में कभी करले अब अगर थक जाए तो छोड़ देना वो सब तू जो करना चाहता था नहीं थका वो सब करके , नहीं पका वो सब करके तो बाकी सब छोड़ देना ओर वहीं अपनी जिंदगी में अपना लेना जो तू बस करना चाहता है। फिर ये ना कहना हो की समय नहीं मिला

बस कोशिश है

बस कोशिश है
हां कोशिश है कुछ लिखने की, कुछ बता देने की, कुछ भीतर जो हो रहा है, दिल में उसको बयां कर देने की, ये जो कोशिशे है ना लगातार चलती रहनी चाहिए।
जो मन के भीतर है दबा कहीं यह कोशिश है, उन सभी दबे हुए विचारो के लिए एक कोशिश है, जो उन विचारों को बाहर निकाले ओर उनके साथ कुछ बाते हो, कुछ तालमेल बने वरना वो विचार कही घुटकर मर ना जाए, जिन विचारों से चल रहा है यह जीवन

जिनको बाहर निकाल पाना बहुत मुश्किल सा है।

लेकिन फिर भी बस एक कोशिश है, कुछ हो जाने की, कुछ करने की
कुछ कह पाना
कुछ समझा पाना
कुछ बता पाना, कुछ हो पाना,

अभी वक़्त है

अभी वक़्त है
कुछ और करने का
ना यू लड़ने का
ना झगड़ने का
बस जिंदगी को आइना मानलो
खुदको समझने का

खुद में जीने का , खुद जान लेने का, खुद को पहचान जाने का

अभी वक़्त है, कुछ और करने का।
ना यू लड़ने का, ना झगड़ने का।
बस जिंदगी को आइना मानलो।

देखो आज को, नई सुबह लाई है।
खुद को ज़रा समझो, खुशियों की राही है।
मुसीबतों से ना डरो, आगे बढ़ो तैरो,
ख्वाबों को पकड़ो, नई दुनिया को छेरो।

ज़िन्दगी है रंगों की पलटाना,
खुद को खो देने की इंतहा नहीं।
चाहिए बस यकीन, और थोड़ा सा होशियारी,
हर चुनौती को देखें एक सफ़लता की तयारी।

जीने का मज़ा लो, खुश रहो हमेशा,
प्यार से सबको गले लगाओ सदा।
बदलो दुश्मनों को दोस्तों में,
खुदा से दुआ लो, बहार लो वफ़ा में।

अभी वक़्त है, कुछ और करने का।
ना यू लड़ने का, ना झगड़ने का।
बस जिंदगी को आइना मानलो।

पता नहीं

पता नहीं वो कौनसे राज छिपा के बैठे है अपने सीने में जो वो हर पल मुस्कुराते ही रहते है। ना वो हमसे कुछ कहते है और जिंदगी से उदास रहते है।

पता नहीं वो कौनसे राज छिपा के बैठे हैं,
अपने सीने में जो वो हर पल मुस्कुराते ही रहते हैं।

उनकी हंसी की बारिश में खो जाता हूँ,
मेरे दिल की झील में बह जाते हैं वो बार-बार।

जैसे छिपा हुआ है खुदा का एक राज़,
बिना वजह मुस्काने का वो उपहार देते हैं।

ना जाने कौनसे संगीत की सुरीली धुन,
उनके होंठों से बहती है बार-बार।

जब भी उनकी आँखों में देखता हूँ,
एक नया जहां बनता है हर बार।

वो राज़ी हैं खुदा से और अपने दिल से,
जैसे खिलते हैं फूल हर बगिया में बार-बार।

इतनी खुशियों से भरी है उनकी ज़िंदगी,
जैसे उजियारे हों सबके आस-पास हर जगह।

पता नहीं वो कौनसे राज छिपा के बैठे हैं,
पर उनकी मुस्कान से जगमगाती है दुनिया हर पल।

आओ बाहर

आओ बाहर उन विचारो से बाहर निकल कर देखो जिनमें उलझे हो ना जाने कितने ही जन्मों से तुम अब तो आओ बाहर यह वक़्त है कुछ कर गुजरने का , कुछ हो जाने का , खुद को जानने का , समझने का , पहचानने का

देखो उस आसमान को, जो अपार है,
जहां सितारे चमकते हैं न्यारे-न्यारे।

जीवन का रंग देखो, चमक उठाओ बहार,
मुसीबतों के बावजूद खुद को बनाओ अद्वितीय यार।

सुंदरता को छूने का हौसला रखो,
आपातकाल में भी खुद को मजबूत बनाओ।

हर एक चुनौती को स्वीकारो,
खुद को परिवर्तित करो, समस्याओं को विकारो।

जीवन की गतिशीलता को समझो,
उच्चतम लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ो।

जो भी हुआ है, वह बीत चुका है,
आगे बढ़ो, नया चर्चा करो, नया रास्ता चुनो।

जन्म-जन्मांतर की कठिनाइयों से हार मत मानो,
अपनी प्रगति को बाधित नहीं होने दो।

आओ बाहर निकलो, विचारों के जंगल से,
नए दृष्टिकोण से देखो जीवन के खेलों को, ये विश्व संसार।

मन की बाते

मन की बाते अब मन में ना ठहर जाए
कुछ बाहर आ जाए कुछ तुमसे कह जाए

राग कोई नया तुमसे छेड जाए
फिर बिछड़े तार , टूटे तार जुड़ जाए

मन की बाते अब मन में ना ठहर जाए
कुछ बाहर आ जाए कुछ तुमसे कह जाए।

दिल के रास्ते जब खोलते हैं हम,
अनकही बातें जुबां से कह जाएं।
जैसे हवा चलती है बेख़बर,
मन की चिंगारी तुम तक पहुँच जाए।

पलकों के पीछे छुपी हैं ख्वाहिशें,
दिल की धड़कनों में बसी है आसहिष्णुता।
कहने की हिम्मत जब मिल जाती है,
वो अनहद गीत तुमसे कह जाएं।

हर एक रात को छूने की ख्वाहिश है,
हर एक चाँद को अपने में समेटने की चाहत है।
जब तुम्हारे साथ रहते हैं हम,
सुकून की नदी में बह जाएं।

अभी तो कुछ अधूरी बातें रह गईं हैं,
जो तुम्हें सुनाने को हमें तरस रही हैं।
होने को बहुत कुछ बाकी है दोस्त,
वो अविरल स्नेह तुम्हें पहुँच जाएं।

तो चलो, आओ मन की बातें करें,
जीवन की हर राह पर साथ चलें।
अनजाने रास्तों में खोये रहें,
पर एक दूसरे को खो ना जाएं।


उत्सुकता

जीवन को जानने के लिए हम उत्सुक है ओर हमें अपनी उत्सुकता को बढ़ाना चाहिए।

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समस्या ओर समाधान

समस्या ओर समाधान कि बात की जाए तो बेहतर है, यदि सिर्फ समस्या ही गिनते रहेंगे तो आप एक दिन समस्यायों को इतना बड़ा कर लेंगे की फिर उभर नहीं पाएंगे, उन समस्याओ का समाधान ढूँढने के लिए लगातार प्रयास करते रहे, क्युकी समस्या को बड़ा नहीं होने एक बार जब समस्या बड़ी हो जाती है तो उससे निकलना मुश्किल हो जाता है, इसलिए जब भी कोई समस्या आती है उसको वही पर खतम करे, उसे देख लेंगे, या छोड़ो न कहकर ना खतम करे, उसका हिसाब वही पर चुकता करे यही एक बेहतर समाधान है, क्युकी जब हम समाधान ढूँढने के लिए जाते है तो उसका समाधान नहीं मिलता, बस समस्या बड़ी हो जाती है ओर हम उसमे फंस जाते है।

समस्या का समाधान अवश्य मिलता है लेकिन उसमे तकलीफ को बड़ा ना होने दे, कैसी भी समस्या हो आपको उसका हाल मिल ही जाता है, बस आप समस्या को रबड़ की तरह ना खींचे यही आकी जिम्मेदारी है।

इसलिए यदि समस्या है तो उसका समाधान भी अवश्य है, इसलिए साथ साथ उसको भी बताए सुझावों की सूची बनाएं।

सुझाव दीजिए तभी आप सशक्त होंगे तभी हम बेहतर बन पाएंगे।

सफर रोज मेट्रो का

सफर रोज मेट्रो का कुछ इस तरह से चल रहा है, जैसे जिंदगी का कुछ हिस्सा एक दूसरे हिस्से को मिल रहा है।

यात्रा रोज़ की, मेट्रो की रेलों में,
जीवन का टुकड़ा चल रहा है अधिकारों में।
यात्रा का हर स्थान, हर स्टेशन नया,
कुछ दूसरे हिस्से को सलाम कर जाता है।

जैसे सफर चलता है, जीवन भी चलता है,
हर किसी को अपना रास्ता ढूंढ़ना है।
मिलते हैं रास्ते, ना जाने कहाँ कहाँ,
दूसरे हिस्से को पाने का सब्र करता है।

धूप-छाँव, गाड़ी में आवाज़ों की बौछार,
जीवन की कठिनाइयों का कर रहा सामना यहां।
एक दूसरे को संभालते, संगठित ढंग से,
जिंदगी भी सीख रही है सहनशीलता यहां।

मेट्रो की रेलें, जीवन का प्रतीक हैं,
जोड़ती हैं अलग-अलग लोगों की भीड़ को।
प्यार और सदभावना से भरी यात्रा है यह,
जहां दूसरे हिस्से को जीने का मौका मिलता है।

सफर रोज मेट्रो का, एक बदलाव है,
जिंदगी का आदान-प्रदान यहां दिखाई देता है।
एक दूसरे से जुड़े रहने की शिक्षा देता,
ओर जीवन को सही दिशा में ले जाता है।

चलती रहे मेट्रो की यात्रा, बढ़ती रहे रेलें,
जीने का संघर्ष रहे सबके पास अवसर।
जब सफर के अंत में हम एक दूसरे को मिलें,
जिंदगी का सफर एक संगठित हिस्सा बन जाए संगीत।