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टालना

कुछ बच्चे अपनी पढ़ाई को बहुत देर से शुरू करते है ओर कुछ बहुत जल्दी यह जो बहुत देर वाले बच्चे है न कुछ ज्यादा ही पीछे रह जाते है कुछ जल्दी वाले कुछ ज्यादा ही आगे भी निकल जाते है , इतने लटक लटक कर यह बच्चे चलते है की इनको पकड़ कर चलना पड़ता है यदि इनको कोई काम दिया जाए तो यह बच्चे उस काम को टालते रहते है समय पर कोई काम नहीं करते बस टालते रहते है आखरी समय में इनको याद आता है की कुछ काम करना है इनका काम पूरा नहीं होता

आखरी समय में कुछ बच्चे पढ़ते है पूरा साल पढ़ाई को स्किप करते है वह सिर्फ बहाने लगते रहते है की मैं पढ़ाई को कल शुरू करूंगा लेकिन शुरुआत होती नहीं दिखती है

किसी भी कार्य को टालना कोई अच्छी आदत नहीं है, टालने से समय की हानी होती है ओर समय को बर्बाद नहीं करना चाहिए इसका भरपूर तरीके से प्रयोग करना चाहिए

कुछ बच्चे लगातार यही बोलते है की अभी तो पूरा साल बच हुआ है पढ़ लेंगे आराम से लेकिन वो कल नहीं आता वो किसी का नहीं आया तो आपका कैसे आएगा इसलिए शुरुआत आज से करे चाहे थोड़ा थोड़ा पढे लेकिन पढ़ना शुरू कीजिए जिससे की आपका कोर्स जल्द से जल्द खतम हो ओर आखिरी में आपको बोझ ना लगे

365 दिनों को अच्छे से प्लान करे की आपको किस तरह से पढ़ाई करनी है सभी दिनों अच्छे से मैनेज करे क्युकी साल में लगभग 112 छुट्टिया होती है इसलिए इसमे भी पढ़ाई करे इनको टालना नहीं

पूरे साल में बहुत सारी छूटिया आती है उनको भी आपको मैनेज करना है उन छूटियों का सही उपयोग करना है

होली हो या दिवाली लेकिन आपको पढ़ना है, अपनी पढ़ाई से कोई समझोंता नहीं करना है

आजकल बच्चों के पास कुछ एक्स्ट्रा सब्जेक्ट भी होते है जिन वह ध्यान नहीं देते ओर न ही उनको पढ़ते है लेकिन वह सब्जेक्ट उनकी प्रतिशत की मात्र को बढ़ाने के लिए काम आते है इसलिए इन सब्जेक्ट को भी अच्छे से पढ़ना चाहिए।

टालना अर्थात लक्ष्य में रुकावट
टालना नहीं

जो एक्स्ट्रा सब्जेक्ट है वो आपके शारीरिक शिक्षा, भारतीय कला का इतिहास , हिन्दी , या कोई ओर भी हो सकता है लेकिन इन सब्जेक्ट को आप ध्यान से पढे जिससे की आपको आपकी परीक्षा में यदि किसी सब्जेक्ट में कम नंबर हो तो उसका संतुलन हो सके इन सब्जेक्ट को बाद के लिए ना टाले इन सब्जेक्ट पर भी पूरा ध्यान दीजिए

हममे से बहुत सारे बच्चे ट्यूइशन भी पढ़ते है लेकिन इन बच्चों को आखिरी के 15 दिन पहले याद आता है की अब पढ़ना भी है तो ट्यूइशन लगा लेते है यदि आपको लगता है की खुद ही तैयारी कर सकते है ओर आपको ट्यूइशन की आवश्यकता नहीं है तो यह कोई जरूरी अनही है लेकिन यदि आपको लगता है की मैं बिना ट्यूइशन के नहीं कर पाऊँगा तो आप देरी ना करे

यदि आप आज से शुरुआत कर रहे है तो आपको ज्यादा से ज्यादा पढ़ने का मौका मिलेगा ओर जो पढ़ा है वह याद भी रहेगा बस उसको एक बार रिवीसन ही करना पड़ेगा ओर वह पूरा याद हो जाएगा

पढ़ाई में कभी टालमटोल न करे क्युकी यह आपका भविष्य बना रही है, इसलिए बाकी सभी चीजों को टालना चाहिए परंतु पढ़ाई को नहीं।

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मेरी दिनचर्या

हर रोज की मेरी एक नई कहानी है, मेरी दिनचर्या जिसमे मैं कभी लिखता हूँ तो कभी कुछ नहीं लिखता लेकिन सोचता बहुत हूँ मैं की क्या मुझे नया लिखना चाहिए, कैसे मैं अपने दिन को बेहतर बना सकु मेरा दिन तो तभी बेहतर होता है जब मेरे मन में अच्छे विचार आते है, ओर विचारों को पन्नों पर उतार देता हूँ बस फिर क्या वही दिन बेहतर, शानदार ओर जबरदस्त हो जाता है।

मैं सुबह 8:30 ओर 9 बजे के बीच में उठता हूँ, थोड़ा बहुत शरीर को स्ट्रेच करता हूँ जिससे की शरीर खुल जाए, फिर फ्रेश होता हूँ ओर नहाता हूँ समय 9:45 लगभग हो जाता है, सुबह का नाश्ता करके 11 बज जाते है, इस समय के दौरान भी लैपटॉप पर कुछ समय काम कर लेता हूँ ओर साथ ही स्टॉक मार्केट भी देख लेता हूँ, 11 बजे मैं अपना लैपटॉप उठाकर बिल्कुल तैयारी के साथ काम करने लग जाता हूँ, फिर मैं अपने विचारों को देखता हूँ ओर लिखता हूँ।

लगभग समय तो इसी तरह से ही निकल रहा है, कुछ अपने घर के छोटे मोटे काम में भी उलझ जाता हूँ, ओर फिर क्या बस घर का झाड़ू पोंछा भी मैं ही कर रहा हूँ जबसे मैं घर में रुकने लगा हूँ, यह काम करने लग गया हूँ जिससे मम्मी के काम में उनको मदद मिल जाती है थोड़ी बहुत उसके बाद मैं पापा की दुकान पर चला जाता हूँ, लगभग 2:30 घंटे दुकान पर बिता कर आता हूँ, दुकान पर भी मैं अपना काम करने के लिए लैपटॉप साथ लेकर जाता हूँ, कुछ समय अपना काम भी कर लेता हूँ। बस मेरी यही सोच रहती है की जितना ज्यादा से ज्यादा समय अपने लिखने के लिए निकाल सकु उतना निकाल लिया करू, नहीं तो लिखने की आदत भी कम हो जाएगी।

4.30 बजे लगभग घर पर आकार चाय पीता हूँ, ओर कुछ खाता हूँ, ओर साथ साथ कुछ देर टीवी चलाकर देखता हूँ समय तो फिर से भागा हुआ ही दिखता है कब 8 बजने को होते है पता ही नहीं चलता ओर फिर मेरा दुबारा दुकान पर जाने का समय हो जाता है। उससे पहले मैं 7:15 पर एक कप चाय ओर पी लेता हूँ।

8 बजे मैं फिर से दुकान पर चला जाता हूँ, फिर 1 घंटे के बाद आता हूँ समय लगभग 9 बज जाता है कुछ उआर भी हो जाता है कभी कभी, घर आकार हाथ मुँह धोने के बाद रात का भोजन करता हूँ ओर कुछ समय फिर टीवी देखते हुए जब समय दस ओर सवा दस का हो जाता है उसके बाद मैं अपने कमरे में जाकर काम करने लग जाता हूँ, दो से ढाई घंटे लगभग काम करता हूँ उसके बाद सोता हूँ।

यही एक तरह की मेरी दिनचर्या हो गई है, हर रोज मैं लगभग इसी तरह से अपने समय को व्यतीत कर रहा हूँ जिसमे मुझे कभी उत्पादक लगता है ओर कभी नहीं क्युकी कई बार मेरा समय अपने घर के कार्यों में भी बीत जाता है, ओर काफी बार दुकान पर भी पूरे ध्यान से अपना काम नहीं कर पाता हूँ, इसलिए इस दिनचर्या को ओर बेहतर बनाने की ओर कोशिश कर रहा हूँ, ओर हर बार आपको कुछ न कुछ बेहतर करने की कोशिश करते ही रहना चाहिए, कुछ अच्छा करने की कोशिश ओर चीजों में लगातार सुधार करने से रोजाना का जीवन बेहतर होता है।

इस समय को अनमोल बनाने के लिए मुझे बेहतर सोचना पड़ेगा तभी दिन बेहतर हो पाएगा, इस समय के अंदर ही मुझे ओर समय निकालना होगा जिससे की मैं ज्यादा काम कर सकु ओर बेहतर लिख सकु, मुझे लगभग 8 महीने हो गए है इसी तरह से मुझे मेरी दिनचर्या को अपनाते हुए, जिसमे मैं बहुत कुछ नया नहीं कर पा रहा हूँ, लेकिन जितना मुझे लगातार होना चाहिए था इस समय मैं उतना अपने काम के प्रति लगातार हूँ, जिसकी वजह से मैं अपनी काम करने की रफ्तार को बरकरार रख पा रहा हूँ, ओर बेहतर बना रहा हूँ।

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क्लब महिंद्रा

Club Mahindra का विज्ञापन देखा क्या आपने जिसमे एक बच्चा बोलता है अपनी टीचर से की मेरे पापा क्लब महिंद्रा के मेम्बर है,

इस विज्ञापन में उस बच्चे के अंदर इतना attitude दिखता है ओर घमंड भी दिखता है जो बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं है, इस प्रकार के विज्ञापन को बनाना भी ठीक नहीं है जो समाज की दृष्टि व सोच में नकारात्मक परिवर्तन पैदा करे।

इसी प्रकार से इस कंपनी के ओर भी विज्ञापन आता है, जिसमे एक व्यक्ति बताता है की आपको बेस्ट पापा बनने के लिए एक क्लब महिंद्रा की मेम्बर्शिप ले लीजिए तो आप भी दुनिया के बेस्ट पापा बन जाओगे, अब यहाँ आप बताए की बेस्ट पापा बनने के लिए क्लब महिंद्रा की मेम्बर्शिप लेनी जरूरी है ? या पापा पहले से ही बेस्ट है, एक बड़ी उम्र के बच्चे को यह बात समझ आती है लेकिन क्या उन छोटी उम्र के बच्चों को यह बात समझ आएगी बिल्कुल नहीं, व तो इस प्रकार के विज्ञापनों को बिल्कुल नकारात्मक रूप से लेना शुरू कर देंगे ओर आजकल के बच्चों में इस तरह के विचार डालना कहाँ तक उचीत है।

इस प्रकार के विज्ञापनों पर रोक लगाई जाए ओर उचीत से उचीत कदम उठाए जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार के विज्ञापन ना बने जिससे समाज में नकारात्मकता ओर हीनता नहीं फैले।

आपकी क्या राय है? क्या कंपनी को इस प्रकार के विज्ञापन बनाने चाहिए, या नहीं क्या करना चाहिए? इस तरह के विज्ञापन हमे हमारी जरूरतों से बाहर निकलने को ललचाते है, ओर हमे अपनी जिम्मेदारियों से दूर करते है, इस प्रकार के विज्ञापन हमे नीचा दिखते है की हम किसी भी तरह से अच्छे पिता नहीं है, अच्छे इंसान नहीं है जो अपने परिवार की इच्छाओ को पूरा नहीं कर रहे, यदि हम बच्चों को क्लब महिंद्रा का कूपन न ले तो हम अच्छे इंसान नहीं है, ले ले तो हम बहुत अच्छे इंसान ये कैसा दोगलापन है, यह बात विचारणीय है।

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जीतने की आदत डालो

जीतने की आदत डालो यह जीतने की आदत ऐसे ही नहीं आई है,

ये बड़ी मसकक्त की है मैंने,तभी वो हार मेरी जीतने की आदत से हार पाई है

जीतने की आदत डालो,
तो जीवन का रंग बदल जाएगा।
कोई बाधा आए तो,
उसे नये अवसर में बदल जाएगा।

जीवन के संघर्षों में,
जीत की तलाश में निकलो।
थकान और हार से नहीं,
जीत के लिए तुम दौड़ो।

जीत की आदत डालो,
तो सफलता के रास्ते खुल जाएंगे।
अगर एक बार हार मान लो,
तो अगली बार जीत पाने के लिए तुम नहीं तैयार होंगे।

जीत की प्रतिज्ञा लो,
तो विजय की गरिमा तुम्हारी होगी।
बच्चों को एक नया संदेश दो,
जीत के लिए बनो तुम भी तैयार होंगे।

जीत की आदत डालो,
तो जीत से जुड़ी सभी बाधाएं दूर होगीं।
जीत की मीठी खुशबू में डूब जाओ,
तो जीवन का रंग बदल जाएगा।

यह भी पढे: जीत की उम्मीद, सफलता का सफर, क्या हार भी अच्छी, हिम्मत कर राही, इस उम्मीद

विचारों से बदले जिंदगी

विचारों से बदले जिंदगी हम सभी कुछ ना करने ओर होने के बस बहाने ढूंढ़ते है लेकिन उन बहानो से नुकसान हमारा ही होता है कुछ ना होना चल सकता लेकिन उस चीज के लिए तुमने यदि प्रयास ही नहीं किया तो यह ग़लत है यह तो भागना हो गया।

किसी भी कार्य में सफलता को पाने के लिए उसमे मेहनत ओर लगातार कार्य करना पड़ता है तभी वह कार्य परिणाम ओर सफलता का रूप लेती है।

क्या आप बहुत सारे बहानों के साथ सफल हो सकते है ?

यदि सचिन तेंदुलकर , लता मंगेश्कर आदि महान लोग बहाने बनाते तो क्या आज वो इस मुकाम को हासिल कर पाते।

Corona काल सभी के लिए आया है लेकिन क्या आप इस समय का सदुपयोग कर पा रहे है ? या फिर आप के पास बहुत सारे बहाने है कि हम क्या कर सकते है घर बैठकर

घर बैठकर भी बहुत कुछ एसा है को आप ही कर सकते है कोई ओर नहीं क्युकी जिंदगी में अच्छी आदतों का चुनाव आपको ही करना है

यही समय है जब आपको अपने लक्ष्यों का निर्धारण करना है , आइए अपने विचारों से बदले जिंदगी

1- अपने पुरानी आदतों को बदल कर नया रूप देना

2- अच्छे विचारो का संग्रह करना है

3- आपके जीवन का क्या लक्ष्य है आपको जानना है

4- आप क्या बनना चाहते है यह आपको ही सोचना है

5- पिछले बीते हुए समय में हमसे कहां गलतियां हुई है उनको समझना है।

6- अपने समय को ओर बर्बाद नहीं करना यह निश्चय करना है।

7- क्या अभी जो आप कर रहे है? वो सही है या इसमें भी कुछ बदलाव लाना है यह भी आपको ही सोचना है।

8- अगले 5-10-15-20 साल में आप अपने आपको कहा देखना चाहते है यह भी आपको ही तय करना है।

9- क्या आप अपनी विफलता को लेकर ओर भी बहाने बनाना चाहते है यह भी आपको ही तय करना है।

10- आपको क्या नया सीखना , पढ़ना , लिखना है यह भी आप ही करिए।

11- जिस कार्य में अधिक रुचि है उसको इस समय में भरपूर कर लीजिए।

पढ़ाई की आदत

पढ़ाई की आदत कैसे बदली जाए , आजकल हम सभी देख रहे है, कि बच्चो का पढ़ने का तरीका बदल गया ज्यादातर हम सभी हैरान हो जाते है कि बच्चे पढ़ते कम है , परन्तु अच्छे नंबर ना जाने कैसे लेे आते है, कुछ बच्चे वाकई पढ़ते भी बहुत है, लेकिन उनके नंबर कम हो जाते है क्या उनको याद नहीं रहता है? या वो याद किया हुआ भूल जाते है।

यह उन बच्चों के लिए एक समस्या है जब वो पेपर देने जाते है बहुत बार जो याद किया हुआ वो भूल जाते है फिर उन्हे उस प्रश्न का उत्तर देने में मुश्किल होती है इस समस्या से बचने के लिए हमे किसी भी विषय को याद करने से उस विषय को समझना जरूरी है, सिर्फ याद करने से कुछ नहीं होता।

कुछ बच्चो का ऐसा होता है कि वो पढ़ते तो बहुत है परन्तु उनके अंक हमेशा कम आते है।

कुछ बच्चो को याद नहीं रहता जो भी वो पढ़ते है भूल जाते है, कुछ बच्चो को जल्दी समझ नहीं आता तथा उनमें से कुछ बच्चो यदि कुछ समझ आ जाए तो वह बच्चे वहीं बात भूलते नहीं है।

सबका दिमाग अलग अलग प्रकार से कार्य करता है ,

यदि किसी का मन नहीं लगता पढ़ाई में तो उन्हे आधे घंटे पढ़ने के बाद कुछ देर टहलना चाहिए ताकि दिमाग फिर से खुल सके नहीं तो जो पढ़ा है, वो भी भूल जाएंगे इसलिए थोड़ी देर बाद ही पढ़ाई में अंतर देना चाहिए।

जो याद कर रहे है उसको लिखकर याद किया जाए।

जो पढ़ लिया है अब उसको दोहराए, तथा उसे अच्छे तरीके से समझे जिससे की वो देर तक याद रहे।

जिस चीज के बारे में आप पढ़ते है उस टॉपिक को क्लेयर अपने दोस्तों के साथ करे।

पढ़ाई करने की आदत को बदला जाए तभी पढ़ाई का स्तर बेहतर होगा , सिर्फ रटने से कुछ नहीं होता जो पढ़ रहे हो उसे समझना भी जरूरी है।

प्रदूषण की समस्या

परदूषण की समस्या बहुत गंभीर समस्या है इस विषय पर गंभीरता से सोचन चाहिए , जब आप रोड पर गाडी चला रहे है।अथवा चल रहे है कृप्या मुह पर कपडा बाँध कर चले या मास्क ले ले ताकि आप प्रदूषण से बच सके इसी के साथ साथ यदि आपको थूकने की आदत है तो वो भी धीरे धीरे छूटने लगेगी

आप पान,बीड़ी,तम्बाकू आदि का सेवन करते है तो उस आदत से भी कुछ समय के लिए बच पाएंगे

दिल्ली जैसे शहर में 50 साल की उम्र में आपके गुर्दे ख़राब होने लग जाते है। और जीवन पर उसका बहुत असर पड़ता है। छोटी-छोटी बातो से अपने जीवन को स्वस्थ और सुन्दर बनाये जिससे जीवन जीने के लिए और बेहतर हो पाये

आज हमारे जीवन जीने की सिमा छोटी होती जा रही है आप 100 साल का जीवन भी आराम से व्यतीत कर सकते है यदि आप स्वस्थ है उस स्वस्थता को पाने के लिए आप खुद और अपने आस पास के वातावरण को सुन्दर और स्वस्थ बनाये

1.अपने आस पास के वातावरण में पेड़ पोधे लगाये यदि आपकी छत पर जगह है तो उस स्थान पर पोधे लगाये ताकि हम अपने वातावरण को और सुरक्षित कर सके पेड़ पोधे से जीवन को स्वस्थ होने के लिए शक्ति प्राप्त होती है।

2 जब तक आयु 18 वर्ष न हो तब तक उन्हें वहां चलाने की आज्ञा न दे कानूनी रूप से भी अधीकृत ना करे आजकल हमारे घरो में इतने सारे स्कूटर एवम् बाइक साइकिल है उस पर भी प्रतिबंध लगाये प्रदूषण रोड से घर आ पंहुच जायेगा वो वक़्त दूर नहीं है जब हमे घर पर भी मास्क पहन कर बैठना पड़ेगा ।

यदि हो सके तो अपने बच्चों को साइकिल दे जिससे उनका शरीर भी तंदुरस्त और मजबूत साथ ही आपका वातावरण भी स्वस्थ रहेगा, और परदूषण की समस्या से बचा जा सकेगा

3.ज्यादा से ज्यादा सार्वजानिक वाहन का प्रयोग करे और निजी प्रयोग में कमी लाये इससे धन की बचत भी होती है तथा प्रदूषण पर भी नियंत्रण होता है। हम सभी वातावरण को साफ़ करने की कोशिश करे नाकि उसे अस्वस्थ करे।

4.ध्वनि प्रदूषण की समस्या – सार्वजनिक वाहन का प्रयोग करने से वातावरण में ध्वनि प्रदूषण में भी कमी आती है। निजी वाहन से हम ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देते है। तथा वायु प्रदूषण भी फैलाते है।

5.साइकिल व् पैदल चलने की कोशिश ज्यादा से ज्यादा करे जिससे आप अपना स्वास्थ्य भी अच्छा रख पाएंगे जिससे हमे आयुष्य प्राप्त होता है। हम उम्र की सिमा बढ़ती है, हम बीमारियो तथा रोग ग्रस्त जीवन से दूर रहते है।

6.अच्छा भोजन – अपने आहार को बदले आजकल हम ज्यादातर बर्गर,पिज़्ज़ा,ब्रेड, मैदा आदि की चीज़ों का सेवन ना करे जिससे आपका स्वस्थ अच्छा रहे बर्गर आदि से हमारा पेट,लिवर,पाचन करने की क्षमता कम हो जाती है। जैसे जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हम बहुत सारी चीज़ों का सेवन नहीं कर पाते तथा बीमारियो से ग्रस्त हो जाते है इसलिए हमे Junk food के सेवन दूर रहना चाहिए

7.तम्बाकू- तम्बाकू,बीड़ी,सिगरेट, आदि का सेवन ना करे इससे बहुत खतरनाक बीमारिया उत्पन्न होती है।