मित्रता का सर्वोत्तम रिश्ता ।
निभाता उसे वो ही फ़रिश्ता॥
मित्रता दिल से दिल का सम्बंध ।
खून के रिश्ते भी गहरा इसका बंध ।
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यह जिंदगी ना तेरी
यह जिंदगी ना तेरी ना मेरी
जिंदगी रूठ ना जाये कही
चलता रहा साथ जिंदगी के
यह थम ना जाये कही
तू सांस लेले खुलकर
कही सांस रुक ना जाये यही
जी ले थोड़ा सा जिंदगी को यही
कौन जाने अगला पल है या नही
दम भर ले जितना तू चाहे
फिर दम भरने को तू होगा या नही
फिर कही ये दम छूट ना जाये
हुंकार मार , दहाड़ , चिल्ला
जीवन को जी खुलकर आज और यही
अगला पल किसको खबर है या नही
आज तू इसका यही बुगल बजा
नाच हंस खिलखिला बस तू यही
पता चलने दे हर लोक को गाथा तेरी ,
अगला पल किसको खबर है या नही
यह जिंदगी ना तेरी ना मेरी
यह जिंदगी रूठ ना जाये कही
यह भी पढे: जिंदगी बस इसी तरह, हिन्दी कविताए, जिंदगी की राह,
उल्फत
बड़ी उल्फत हुई
बड़े ख्याल आए
बड़ी बाते हुई
कुछ सवाल ओर कुछ जवाब
जिनमें सिर्फ तेरा ज़िक्र था
बस
उनको ही तव्वजो दी इसलिए
आज वो नहीं है पास
तो यह ख्याल भी है उदास
उनके ना आने से वापस
मेरा यह दिल भी हो गया
अब हताश
समय दीजिए
ना जाने किसको आपके समय , आपकी जरूरत है अपने आसपास थोड़ा गौर कीजिए क्या पता आपके कुछ मिनट किसी को एक नई जिंदगी की ओर ले जा सके।
आज जो समय चल रहा है वह बेहद ही तनाव से भरा हुआ है इसलिए स्वयं पर और अपने साथ रहने वालो का ध्यान रखिए।
इस संसार में ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका निवारण नहीं हो सकता थोड़ा विलंब अवश्य हो सकता है, परन्तु निवारण जरूर होगा इसलिए सब्र रखना जरूरी है।
हम सभी को स्तब्ध कर दिया है, सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु ने यह एक गंभीर बात है, जो एक कलाकार हमारे लिए छोड़ गए जिन पर हमें ध्यान देना है हम नहीं जानते उन्होंने ऐसा क्यों किया ?
परंतु यह एक सवाल जो अपने पीछे छोड़ गए वो बेहद गंभीर है ऐसा क्यों ? उनके साथ ऐसा क्या हुआ जिस वजह से उन्होंने यह कदम उठाया
Best Part Of Life
best part of life is to love yourself just love yourself nothing else your life is very important for you and for others too.
हार की संभावना
यदि हार की कोई संभावना ना हो, तो जीत का कोई अर्थ नहीं है। हार की संभावना ने
अधिक सोचा मुझे भाई
क्या ये सोच हमें लड़ाती है
या हमें करीब ले जाती है?
कभी-कभी जीत से ज्यादा
हमें हार का डर सताता है
पर जब हम हार को गले लगाते हैं
तो नई जीत का आनंद मिलता है
हमें समय समय पर नहीं भूलना चाहिए
जीत और हार एक जैसे होते हैं
हार हमें नए पथ पर ले जाती है
जहाँ नए अवसर होते हैं
जिंदगी की मुसीबतों से
हमें कुछ ना कुछ सीखना होता है
हार से हमें सीख मिलती है
और हम नए जीवन का संचार करते हैं
तो डरने की जगह जीत के लिए लड़ें
और हार को अपने साथ चलाएं
क्योंकि जीत हार का परिणाम होती है
और हार जीत का द्वार खोलती हैं।
यह भी पढे: क्या हार भी अच्छी, प्रेरणा एक संभावना, नई संभावनाओ से, सफलता का सफर,
बेइंतहा मोहब्बत
बेइंतहा मोहब्बत ,गिला-शिकवा ,
दर्द ए सितम,
ना मरहम कोई उन्होंने लगाया
बस
वक़्त बेवक्त
जख्म को नासूर बनाया
क्या क्या ना उन्होंने – क्या क्या ना उन्होंने
मुझ पर आजमाया
देखो तो सही अरे देखो तो सही
कमाल उनका था ये
उन्होंने हथियार भी ना उठाया
ओर
खून खंजर बिन मेरा कर दिया
और अब उन पर
इस जुल्म इल्जाम भी नहीं आया।
मिट्टी का घरौंदा
मिट्टी का घरौंदा अक्सर टूट जाता है
मिट्टी का घरौंदा ही तो है, जो मै बनता हूं बार बार ,
फिर क्यों मैं ? यहाँ पर अपना
दिल और दिमाग इतना मै लगाता हूं
टूट जाता है, यह मिट्टी का घरौंदा जिसे
मैं इतनी मेहनत से बनाता हूं
एक दिन तो छोड़ जाना है सबकुछ, कुछ साथ नहीं मुझे अपने लेकर जाना है
फिर क्यों मैं?
दिल इस दुनिया से लगाता हूं, जो अक्सर टूट हुआ दिल ही नजर आता है, यह शरीर मिट्टी का घरौंदा ही है जो अक्सर टूट जाता है।
दुख क्या है ?
दुख क्या है ? दुख क्यों पैदा होता है ? दुख के पैदा होने का कारण क्या है?
जीवन में जब हम विषम परिस्थिति देखते है तब हम चिंता यानी दुःख को आमंत्रण देने लग जाते है, जिसकी वजह से हमारे मन और मस्तिष्क में नकरात्मक विचारो का संग्रह होना शुरू हो जाता है,
वैसे तो दुख जैसा कुछ भी नही है, बस एक विचार है जिसको हमने बहुत बड़ा बनने का मौका दिया है, इस दुख शब्द को हमने थोड़े भाव क्या दे दिए ,ये दुख तो हमारे सिर पर ही चढ़ने लग गया है।
और हमारे सिर पर ही मंडरा रहा है तथा इस दुख शब्द ने हमारे मस्तिष्क को जकड़ कर रखा हुआ है जिसके कारण हम शुभ विचारों का चिंतन नहीं कर पाते , यदि हम हम अच्छे विचारों का लगातार चिंतन करे ओर नकारात्मक विचारों का चिंतन लगातार करते रहे तो दुख हमारे जीवन में कभी आए ही नहीं।
ताकि हम इससे छूट ही ना सके दुख मात्र एक शब्द है एक विचार है एक ऐसी नकरात्मक सोच है जो हमारे मस्तिष्क पर लगातार हावी हो रही है जिसकी वजह से हमारे भीतर डर भी बढ़ता है
अपने जीवन पर हावी होने मौका दिया है और यह बस बढ़ता ही जाता है और सुख का आनंद क्षणभंगुर होता जाता है।
अब सुख का जो समय है वो छोटा हो गया क्योंकि हमने दुख को अधिक महत्व दे दिया है दुख को हम पाल पोष रहे है लेकिन सुख को बस एक पल का समझ कर जिये जा रहे है सोचते है यही कुछ पल है जी लो सुख के लेकिन यह कुछ पल हमने ही सीमित किये है इनको हमने ही सिकोड़ कर रख दिया है दुख अपना विस्तार कर रहा है और सुख सिकुड़ता ही जा रहा है।
दुख एक विचार है और यह विचारो का एक समूह बना लेता है इस मस्तिष्क में जिसके कारण दुख बढ़ता जाता है जो बार बार अलग तरीको से हमारे मन के द्वारा बुद्धि को बार बार नकारात्मक बिचारो की और बल दिलवाता है जिसके कारण है हम सिर्फ अपने भीतर उन विचारो का समावेश कर लेते है जिनसे हम अपना मानसिक संतुलन खो देते है।
जब दुख को आमंत्रण दिया है तो इस दुख को भी हँसना सिखाओ उसके साथ भी खेलो दुख ही एक ऐसा रिश्तेदार है जिसकी खातिरदारी करने पर वो भाग जाता है यदि इन दुखो को देखकर ओर दुखी होने लग जाओगे, तो फिर यह दुख भी ओर समय तक रुक जाता है और चिंताएं बढ़ाता है, तथा आप जितना दुख का चिंतन करते है यह उतना ही और बढ़ता जाता है,
इसलिए दुख का चिंतन नहीं करे इसे स्वीकार ले और यह दुख स्वत ही दूर हो जाएगा , दुख आपके पास कभी भी रुकने , ठहरने के लिए नहीं आता यह दुख सिर्फ आपको यह बताने आता है की अब तुम्हारा वक्त बदलने वाला है।
इसलिए दुख जैसा रिश्तेदार कहा मिलेगा? जिसकी खातिरदारी करने से वो जल्दी चला जाए ऐसे रिश्तेदारों को तो गले से लगाना चाहिए।
दुख को अपनेे जीवन से कैसे निकाले?
दुख मात्र एक विचार है जिसको आप बढ़ावा दे रहे है मात्र कुछ भी नहीं है, अनेकानेक सम्भवनाओ के साथ जो वास्तव में कुछ भी ना थी।
दुख और सुख समानांतर ही बात है, लेकिन हम दुख का चिंतन ज्यादा लंबे समय तक करते है इसलिए दुख हमारे साथ चिपक जाता है और सुख बहुत कम समय के लिए हमारे साथ रह पाता है क्युकी सुख का जो चिंतन है उसे हम बहुत जल्दी हटा देते है हमारे मन में डर रहता है यही कारण है हमारा जीवन ज्यादातर दुख से घिरा रहता है, और सुख से अछूता होता जा रहा है।
सोच को बदलो
“सोच को बदलो जिंदगी जीने का नजरिया बदल जाए”
क्या सोच है आपकी और वो सोच किस प्रकार से बढ़ती ही जा रही है क्या उस सोच को बदलने की आवश्यकता है ?
एक बात तो यह भी है की खुद को बदलना जरूरी है ? नही बदलते जी हम तो ऐसे ही रहेंगे करलो जी जो करना है हो जाने दो जो होना हमे कोई फर्क नही पड़ता किसी भी बात से जो हो रहा है होने , छोड़ो इन बातो मत सुनाओ ये बदलने वगैरह की बाते हमे नही पसंद है यह सब
हमारे जीवन में बहुत ही पुरानी पुरानी सोच दबी हुई है।
जिन्हें हमे रूढ़िवादी विचार भी कह सकते है जिन्हें बाहर कर खत्म कर देना चाहिए क्योंकि पुराणों विचारों को छोड़कर आगे बढ़ना ही जीवन है नए नए विचारों को अपने जीवन में स्थान देना
अब यहाँ एक प्रश्न बनता की है की अगर आपकी सोच दबी है तो क्या फर्क पड़ता है दबी रहने दो उनसे हमे क्या करना ?
जिसके कारण हमारा जीवन अस्त व्यस्त सा हो रहा है और हम उस सोच को अब तक पकड़े हुए है और छोड़ ही नही पा रहे है क्या ये सोच आसानी से छूट सकती है या ये सोच ही हमारी आदत बन चुकी है पुराने विचारो को छोड़ दो इन पुरानी रूढ़ीवादी सोच को छोड़ दो।
पुरानी सोच से पीछे हट जाओ , दुसरो के विचारो में अपना जीवन व्यर्थ ना करे किसी के द्वारा गए तर्कों के ऊपर ही अपना जीवन स्थापित ना करो नए विचारो को स्थान दो जन्म दो और उन्हें ही जीवन के लिए आगे बढ़ाओ उपयोग में लाओ।
आपकी सोच आपके विचार भिन्न है अपने जीवन को खुद ही समझो जानो , खोजो, अपने अनुभव में लाओ दूसरे के अनुभव आपकी यात्रा में सहायक हो सकते है परंतु अंतिम छोर नही अपने शब्दो का अर्थ एहसास तो आप स्वयम ही पाओगे और जान जाओगे किसी और का एहसास आपका एहसास कैसे हो सकता है ??
आपको आपके अनुभव में लाना होगा हम बहुत जल्दी भावुक हो जाते है , क्रोधित हो जाते है
शब्दो को जोड़ना-तोड़ना मरोड़ना और उनको समझना होगा उन शब्दों को हमे जानना होगा हमारे शब्द का क्या अर्थ है? इस जीवन का अर्थ हमे यदि जानना है तो पहले स्वयम को जानना होगा , और स्वयम को जानने का मतलब हम सभी मानवीय किर्यायों को जानना चाह रहे है क्योंकि मैं “मैं” नही हूं मुझमे मैं का अर्थ जो सबसे है सिर्फ मैं से नही हम किसी ना किसी रूप से एक दूसरे से जुड़े हुए है हमारे शब्द हमारी सोच , विचार हमारे एहसास हमारी भावनाएं एक दूसरे से किसी ना किसी प्रकार से जुड़ी हुई है इसलिए स्वयम को मैं नही मानो “हम समझो” पूरी पृकृति की रचना संरचना पालन,पोषण, अंत सभी चीज़े एक साथ एक दूसरे से जुड़ी हुई है।