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जीवन में सफलता

दोस्त हंसते मुस्कुराते सदा रहे,
ख़ुशियों की सदा हवा बहे,
समस्याओं का सदा हल मिले,
जीवन में सफलता के फूल खिले ।

दोस्ती का रंग चढ़ाए रंग जीवन के,
हर गम को दूर कर दे आपकी हंसी-मुस्कान के।
मिलकर बनाएं खुशियों का गुलिस्तान,
जीवन के हर पल में बढ़ती रहे आपकी मित्रता की पहचान।

चाहे रुक जाए जीवन की धुप कभी,
दोस्त रहे साथ, बने रहें सबसे कभी।
अपनी आँखों में ख़ुशी छलकाएंगे हमेशा,
दिल से निकलेगा हंसी का गीत सदा।

हर कठिनाई को मिटा देगी ये दोस्ती,
सब परेशानियों को भुला देगी ये मित्रता।
सदा बनी रहे आपके होंठों पर मुस्कान,
जीवन की हर उड़ान पे बने जीवन में सफलता का निशान।

ये कविता याद रखेगी दोस्ती की मिठास,
सदा रहेगी हमारी यारी की आस्था।
चलो मिलकर बनाएं एक ख़ूबसूरत दुनिया,
जहां दोस्ती का रंग बने हर पल की पहचान।

एकला चलो

एकला चलो रे , कभी ये मन में मत सोचिए आप अकेले है……
सोचो की आप अकेले ही काफी, सही राह पे हे….

सोच की जब दिशा सही तो फिर नही मन में लाए संशय…
और व्यक्ति भी जरुर जुड़ेंगे मन में जब होगा पक्का निश्चय ।

जब दुनिया बिखरी हुई, और रास्ते अँधेरे हों,
आप अकेले ही सहारा हैं, जो सच्चाई पे चले हों।

जब लोग विचारों में फंसे हों, और उम्मीदें टूट जाएं,
आप अकेले ही आग हैं, जो ज्ञान की रोशनी लाएं।

जब वक्त के साथ बदलें, और जगमगाती दुनिया हों,
आप अकेले ही ध्यान हैं, जो शांति का संगीत गाएं।

जब भारी हो जिम्मेदारियाँ, और थका मन हो जाए,
आप अकेले ही साथ हैं, जो संघर्षों को गले लगाएं।

जब दुनिया का शोर हो चरम, और चुप्पी से भरी हो रात,
आप अकेले ही आवाज हैं, जो सत्य की आवाज बन जाएं।

एकला चलो रे , कभी ये मन में मत सोचिए आप अकेले हे…
सोचो की आप अकेले ही काफी, सही राह पे हे।

अच्छे विचार

अच्छे विचार में होती ताकत खुशियां होती उनकी परछाई ….
सोचो और जीयो अच्छे विचारो को सबका जीवन हो सुखदाई….

अच्छे ओर सच्चे विचारों की ऊर्जा भी होती निश्छल निकपट….
खुशियां जो जन्मती इनसे जीवनों में होती चमत्कार की आहट ।

अच्छे विचारों में होती ताकत, खुशियां होती उनकी परछाई,
सोचो और जीयो अच्छे विचारों को, सबका जीवन हो सुखदाई।

जब मन में उजियारे जगमगाते हैं,
अंधकार दूर होकर रौशनी बिखराते हैं।
दुखों की बादलों को दूर भगाते हैं,
सुख-शांति की बूंदें हर दिल में बहाते हैं।

जीवन की राहों में अगर विचार सच्चे हों,
खुशियों का संगीत हमेशा सुनाते हों।
जीवन के पत्थर भी रास्ता बन जाते हैं,
जब आपके मन में अच्छे विचार आते हैं।

गलतियों से सीख कर आगे बढ़ना,
चाहे जितनी भी मुश्किलें सामने आएं।
खुशियों की बारिश में नचते रहना,
और अच्छे विचार के संग जीने आएं।

हर दिन नये सपने सजाकर चलो,
खुशियों के संग जीवन को भर दो।
मुश्किलों को हराकर हंसते मुस्कानों को बरकरार रखो,
अच्छे विचार के संग सबको प्यार दो।

जीवन का सफर खुशियों से सजाओं,
अच्छे विचारों को अपनी ज़िन्दगी में पाओं।
सोचो और जीयो पूरी उमंग के साथ,
हर दिन खुशियों से सजाएं अपनी रात।

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हर अंत नई शुरुआत

हर अंत नई शुरुआत हे
अंत जैसा कुछ नहीं सब समझे तो अंत निरंतर का हिस्सा हे एक नई शुरुआत हे ।
हर अंत नयी शुरुआत हे…..
यह समझने की बात हे ।
हर अंत नयी शुरुआत हे….
सच्चाई से मुलाक़ात हे ।
हर अंत नयी शुरुआत हे….
ये जीवन का उत्पाद हे ।
यही जीवन का संवाद है ।
यह सच बात हे यह सच बात हे।

हर अंत नई शुरुआत है,
जब एक द्वारा समझा जाता है यह बात है।
अंत की भावना सब नहीं समझ पाते,
पर वो है जो हम सबका हिस्सा बनाते।

जीवन का चक्र अटल है निरंतर,
हर अंत से होती है नई शुरुआत यहाँ।
लहरों की तरह चलती रहती है यह धारा,
सबके जीवन में इसकी होती है प्यारा।

हर अंत एक मंच है दूसरी शुरुआत की,
नये सपनों की ऊँचाई फिर से पाने की।
चाहे हो जीवन की राहों में कोई अटकाव,
विजय की ओर बढ़ते हैं हम अपने कदम।

अंत का आगाज हमेशा नया होता है,
नई उम्मीदों की धूप सदैव छा जाती है।
हर अंत एक संदेश है नई जीवन का,
जैसे कि सूरज का संध्या में उदय होना।

तो चलो, आओ अंत को स्वीकार करें,
नयी शुरुआत की आग में उड़ जाएं।
हर अंत नई पहचान है हमारी,
जगा दो ख्वाबों को, बन जाओ तैयारी।

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जिम्मेदारियां

ये जिम्मेदारियां ही हे जो आपको बनाती मजबूत ओर परिपक्व……
परिपक्वता का आयु से कुछ लेना नही ये आती जब जगता अनुभव….

जिम्मेदारियां और अनुभव आपस में हे तालमेल हे जिगरी मित्र…..
जिम्मेदारियां बुरी नही उनके प्रति सोच संवारती आपका चरित्र।

ये जिम्मेदारियां ही हैं जो आपको बनातीं मजबूत और परिपक्व,
परिपक्वता का आयु से कुछ लेना नहीं, ये आती जब जगाता अनुभव।

समय के साथ बदलती हैं ये जिम्मेदारियां,
जब मानसिकता होती हैं प्रगाढ़ और प्रगतिशील।
धीरे-धीरे सीखते हैं हम जीने का कला,
जब जीवन की लहरें आतीं हैं और जातीं हैं अनुभवों की तरंगें।

परिकल्पना की पंखों पर उड़ते हैं हम,
जब सपनों की दुनिया को हम अपनाते हैं।
संघर्षों के मोर्चों पर खड़े होते हैं हम,
जब ज़िन्दगी की मुश्किलें हमें चुनाती हैं।

परिपक्वता की गाथा सुनाते हैं हम,
जब नये अनुभवों के साथ बढ़ते हैं हम।
समय की ओर चलते हैं हम निरंतर,
जब जिम्मेदारियों का भार हमें संभालते हैं।

परिपक्वता के पथ पर चलते हैं हम,
नई दिशा में अपनी आवाज़ उठाते हैं।
जीवन के रंगों को चढ़ाते हैं हम,
जब जिम्मेदारियों को समझते हैं और निभाते हैं।

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उपलब्धियाँ

उपलब्धियाँ नहीं इतनी आवश्यक ।
अच्छे सम्बंध ही जीवन में सहायक ॥
जीवन के अंतिम पड़ाव का ये ज्ञान ।
जियें ओर जाने इस नियम का विज्ञान ॥

उपलब्धियाँ नहीं इतनी आवश्यक,
अच्छे सम्बंध ही जीवन में सहायक॥

जीवन के अंतिम पड़ाव का ये ज्ञान।
समय की चाहत में जब बदल जाए आधार,
थके अरमानों के ये आश्रय के मायने,
मिटें भरोसे के ये भीखारी दिल के।

जीवन की पथचारिनी में चलते चलते,
खो गए बहुत से सपने और कायरतें,
अस्थिरता की लहरों में भटकते भटकते,
ख्वाहिशों के रंगों से रंगते रंगते।

पर जब आया वह दिन जब शोध लिया हाथ,
शुद्धता की लालसा के गहरे सागर में,
बिखरे एहसासों को जोड़कर वहां,
पाया असली सुख का वह अद्वितीय रंग।

उपलब्धियाँ की तो सबने खोजी थी राह,
पर सम्बंधों का बलिदान था वह सच्चा कारण।
जीवन के अंतिम पड़ाव की यही ज्ञान,
बनाता है संगीत सुखी इस मन का वास्तविक आधार॥

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आशा ओर निराशा

जीवन कभी आशा ओर निराशा के तत्वों से निर्मित…..
आश ओर निराश दोनो ही अस्थाई उनका बल सीमित….

इससे उपजी शिक्षा से स्वयं के जीवन को सजना संवारना ….
मेरे दर्द से बड़े बड़े दूसरों के दर्द इस सत्य को सदा पहचाना ।

जीवन कभी आशा ओर निराश के तत्वों से निर्मित,
आशा ओर निराशा, दोनों ही अस्थाई, उनका बल सीमित।

जब आशा की किरणें बांधती हैं सपनों की डोर,
प्रेरणा के पंखों पर उड़ जाता है मन मोर।

सपनों की भूमि पर खिलती है खुशियों की बारिश,
आनंद के संगीत सुनती है मन में मधुर वादियां।

लेकिन जब निराशा की घटाएं छाती पर सँवार,
धैर्य के पंखों से उड़ जाता है अचल संघर्ष।

परिश्रम की धूप में तपते हैं सपनों के बीज,
उग्र विपत्तियों के मैदान में जीवन भर संघर्ष करते हैं।

आशा और निराशा, जीवन के दो पहलू हैं,
ये चक्रव्यूह बनाते हैं अनुभवों का मेल-जोल।

हर नये सवेरे को लेकर आती है आशा की बूंद,
जो जीने की आग होती है दिलों में नई उमंग।

पर जब तन को घायल करे विचारों की हिमाकारी,
निराशा की धूंस छाती को बांध लेती है बंधकारी।

हार नहीं माननी चाहिए जब आशा की खिलती है खेती,
दृढ़ संकल्प और प्रगति के संग बढ़ती है आगे हर रेती।

निराशा के बादलों को तोड़कर आकाश को छू लो,
नये सपनों की उड़ान भरो आशा की परिंदों के साथ।

आशा ओर निराशा, जीवन के दो पहलू हैं,
इनका संगम बनाता है हमें बेहतर इंसान।

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नकारात्मक सोच

नकारात्मक सोच , अच्छी अच्छी घटनायें घटती जब नकारात्मक से होती दूरी……
नकारात्मकता मात्र एक पहलू एक पक्ष , उससे दूरी ही ज़रूरी…..

जितना हो सके पर किन्तु परंतु न पड़े इसकी ज़रूरत……
फिर हर समय शुभ ही शुभ हर मुहूर्त ही शुभ मुहूर्त ।

नकारात्मक सोच से परे,
जीवन में उजियारे;
एक दूसरे को समझते,
सहयोग से बदलते हाले।

आँधी चली, तूफान आये,
मगर हम अकेले न जाये;
संगठन में मजबूती है,
संयम से खुशियाँ बांटे।

नकारात्मकता को दूर भगाए,
सकारात्मक सोच से निभाए;
समृद्धि और खुशहाली की राह,
हम सब मिलकर चलें संग।

आपसी मेलजोल का खजाना,
मिटाए असाधारणता का भ्रम;
जीवन में बनाए अच्छी राह,
नकारात्मकता से दूर करें विचार।

सकारात्मकता की ज्योति जलाएं,
प्रकाश फैलाएं, खुशियाँ पाएं;
अच्छी अच्छी घटनाएं होंगी,
नकारात्मकता को हम भगाएं।

सबको आपस में जोड़े रखें,
खुशहाली की राह बनाएं;
नकारात्मकता से हो दूरी,
सबको खुशियों से भरे मौसम से डूबे।

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साधना

साधना किसे कहते है ? पत्थर पर यदि बहुत पानी एकदम से डाल दिया जाए तो पत्थर केवल भीगेगा।

फिर पानी बह जाएगा और पत्थर सूख जाएगा।

किन्तु वह पानी यदि बूंद-बूंद पत्थर पर एक ही जगह पर गिरता रहेगा, तो पत्थर में छेद होगा और कुछ दिनों बाद पत्थर टूट भी जाएगा।

इसी प्रकार निश्चित स्थान पर नाम स्मरण की साधना की जाएगी तो उसका परिणाम अधिक होता है ।
चक्की में दो पाटे होते हैं।

उनमें यदि एक स्थिर रहकर, दूसरा घूमता रहे तोअनाज पिस जाता है और आटा बाहर आ जाता है।

यदि दोनों पाटे एक साथ घूमते रहेंगे तो अनाज नहीं पिसेगा और परिश्रम व्यर्थ होगा।

इसी प्रकार मनुष्य में भी दो पाटे हैं –

एक मन और दूसरा शरीर।

उसमें मन स्थिर पाटा है और शरीर घूमने वाला पाटा है।

अपने मन को भगवान के प्रति स्थिर किया जाए और शरीर से गृहस्थी के कार्य किए जाएं।

परालब्ध रूपी खूँटा शरीर रूपी पाटे में बैठकर उसे घूमाता है और घूमाता रहेगा,

लेकिन मन रूपी पाटे को सिर्फ भगवान के प्रति स्थिर रखना है।

देह को तो परालब्ध पर छोड़ दिया जाए औरमन को नाम-सुमिरन में विलीन कर दिया जाए –

यही नाम साधना है।

साधना किसे कहते हैं, जाने ऐसा कोई नहीं,
वह अनुभव की गहराइयों में छिपी रही रहस्यमयी हैं।
यह एक अभ्यास है, यह एक अवस्था है,
जिसका साधक निरंतर खोजता है सत्य की दिशा हैं।

जैसे पत्थर में पानी का बहाव नहीं था,
वैसे ही इंसान में अनन्त शक्ति रहती है।
साधना से मनुष्य उठता है अपार,
उसका चेतना का आभास होता हैं विचार।

साधना का मार्ग हैं अतीत की खोज,
वहां छिपी गहराइयों में छिपी हैं ज्ञान की बूँद।
ध्यान, तप, प्राणायाम और जप,
ये साधना के अंग हैं, जिनसे मिलती हैं प्रकाश की आप।

प्रेम की उन्मुखी धारा साधक को ले जाती हैं,
आत्मा के अंतर्गत वह अद्वैत अनुभव करती हैं।
वहाँ नहीं रहता द्वंद्व का भ्रम,
बस एकता, प्रेम और शांति की होती हैं धाम।

साधना न केवल शरीर की,
बल्कि मन, बुद्धि और आत्मा की स्वास्थ्य हैं।
यह एक प्रक्रिया हैं, यह एक संगठन हैं,
जो अंतर्मन को देती हैं दिव्यता की ज्ञान हैं।

पत्थर पर पानी एकदम से डाल दिया जाए,
तो पत्थर भीगेगा, इसमें कोई संशय नहीं।
लेकिन साधना से मनुष्य की अनतिम भावना,
पूर्णता की ओर बढ़ेगी, यही हैं निश्चय की राह।

मन की अवस्था

प्रेम मन की अवस्था न दे कभी किसी को मुरझाने।
नफ़रत की शक्ति व्यय होती लगती सबको वो डुबाने ॥
प्रेम में बहे प्रेम ही आगे रखके सब होवे विचार ।
नहीं नफ़रत की बचे जगह प्रेम ही होवे आधार ॥

प्रेम में बहे प्रेम ही आगे रखके सब होवे विचार।
बांधे रहे दिलों को एक-दूजे के साथी,
भावनाओं का रंग लेकर बढ़ जाएं सब के सफ़र।

विद्रोह की आग न जलाएं, प्रेम को जीवन में हराएं,
हर एक दिल को छुओते रहें प्यार के संगीत।
सबको गले लगाएं, दूर भटके विचारों को लाएं,
सृष्टि को प्रेम की ओर ले जाएं इस दौर में विचार।

प्रेम की उगलने वाली धारा, नफ़रत को लेकर सहारा,
हर एक दिल को जोड़े एक दूजे के साथ।
सृजनशीलता की लहरों में बह जाएं सबकी दुख-सुख की बात,
हो जाएं प्रेम की बारिश, और नफ़रत की जड़ जले ज़रा।

प्रेम में बहे प्रेम ही आगे रखके सब होवे विचार ।

यह कविता प्रेम की महत्वपूर्णता को व्यक्त करती है। प्रेम मन की एक अवस्था है जो हमें खुशी, समृद्धि और संतोष की ओर ले जाती है। जब हम प्रेम के भाव में रहते हैं, तो हम अपने आस-पास के लोगों के प्रति सम्मान, स्नेह और सहानुभूति व्यक्त करने की क्षमता बढ़ाते हैं।

नफरत की शक्ति एक विनाशकारी ताकत होती है जो हमारे अंदर की उज्ज्वलता को कम करती है। जब हम नफ़रत को अपने मन में बांधे रखते हैं, तो हम खुद को और दूसरों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए, हमें नफ़रत की बजाय प्रेम का चयन करना चाहिए।

प्रेम में बहे प्रेम ही आगे रखके सब होवे विचार। यह लाइन मनुष्यों को यह समझाती है कि प्रेम की शक्ति से हम सबका भला कर सकते हैं। जब हम प्रेम के भाव में रहते हैं, तो हम स्नेह, समझदारी और सहयोग के गुणों को विकसित करते हैं, जो हमें एकदृष्टि और सद्भावना के साथ दूसरों के प्रति अनुकरणीय बनाते हैं।

इस कविता के माध्यम से हमें यह याद दिलाया जाता है कि प्रेम हमारे जीवन में महत्वपूर्ण है और हमें सभी मनुष्यों के प्रति स्नेहपूर्वक बर्ताव करना चाहिए। प्रेम की शक्ति हमारे जीवन को सुंदर, समृद्ध और समान्य बनाती है। इसलिए सभी से प्रेम करते रहे, और प्रेम का संदेश फाइलाते रहे।

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