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तेरी तारीफ

तेरी तारीफ में क्या लिखूं,
अल्फ़ाज़ भी कम पड़ जाते हैं,
जो देखे तुझको इक नज़र,
वो तेरा दीवाना बन जाता है।

तेरी तारीफ करूं या तेरी अदाओं की बातें करूं,
ख़ूबसूरती तेरी देखूं या तेरी मुस्कान की बातें करूं।

लफ़्ज़ों में कैसे बयान करूं हुस्न की तहरीर,
तू खुदा की सबसे खूबसूरत तस्वीर।

जो देखे तुझे, बस देखता ही रह जाए,
चाँद भी शरमाए, तेरा नूर जब मुस्काए।

तारीफ़ तेरी करते हैं सब, मगर यकीं कर,
हमने तुझे चाहा है, तेरी रूह को समझकर।

“तारीफ क्या करूं तुम्हारी” पर शायरी

तारीफ़ क्या करूं तुम्हारी, हर लफ्ज़ छोटा पड़ जाता है,
तेरी हंसी के आगे तो चाँद भी फीका नज़र आता है।

तारीफ क्या करूं तुम्हारी, तूम तो खुद ही एक ग़ज़ल हो,
हर लफ्ज़ तेरा जैसे मोहब्बत की अचल है।

तारीफ क्या करूं तेरी, जुबां पर लफ्ज़ नहीं आते,
तेरा नूर देखके खुद सितारे भी शर्मा जाते।

तारीफ क्या करूं तुम्हारी, कोई हद भी तो हो,
खूबसूरती में तेरा कोई मुकाबला भी तो हो।

तारीफ क्या करूं तुम्हारी, खुदा भी फख्र करे,
जिसे बनाया इतने प्यार से, वो कोई और कैसे हो?

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हिन्दू धर्म

हम सभी को अभी या बाद में हिन्दू धर्म स्वीकार करना ही होगा, यही असली धर्म है, मुझे कोई हिन्दू तो मुझे बुरा नहीं लगेगा, मैं इस बात बात को स्ववेकर करती हूँ क्युकी यही सच बात है ओर सही भी, इस बात को अस्वीकार करने जैसे कुछ नहीं है।

यह मन भी

यह मन भी ना जाने क्या क्या करता है कभी, लिखने का मन
कुछ करने का मन
कुछ हो जाने का मन
कुछ भाग जाने का मन
कुछ दूर जाने का मन, कभी पास होने का मन
कुछ नजर चुराने ओर मिलाने का मन
यूं गम को छिपाने और गम बताने का मन
फिर उसको समझाने का मन, कुछ ना बताने का मन
मालूम नहीं क्या क्या
और किस किस
हद्द से गुजर जाने का मन
बस आज यह मन चाहता है,कुछ करने को, कुछ होने को

जिंदगी से कुछ बात

जिंदगी की जिंदगी से कुछ बात होना चाहती है, आज जुबान पर कुछ शब्द आना चाह रहे है
जैसे
शब्द अपनी आप बीती सुनाना चाह रहे है।

कही से आज फिर शुरुआत होना चाहती है
मानो
आज फिर जिंदगी से कुछ बात होना चाहती है।

यु ना तुम रूठ जाओ जिंदगी मनाना चाह रही है
बात अब
मान जाओ मौन होकर ना बैठो यह कुछ तुमसे 
कहना चाह रही है।

बात कुछ है तभी तो जिंदगी तुमसे आज बतियाना 
चाह रही है।

जरा पास बैठो जिंदगी यह तुमसे आज कुछ कहना चाह रही है।

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बहाना और जवाब

बहाना और जवाब बहुत सारे लोगों के पास के बहाने होते है ओर वो अपने जीवन को बहनों के साथ ही व्यतीत करते है, ओर कुछ लोगों के पास बहाने नहीं होते वो उनका जवाब देते है, अपने जीवन में उन बहनों का सहारा नहीं लेते, अपने कर्मों को करते हुए आगे बढ़ते जाते है, ओर जो सफलता हासिल करना चाहते है वह बहाने नहीं बनाते।

बहाना  :- मेरे पास धन नही….

जवाब :- इन्फोसिस के पूर्व चेयरमैन नारायणमूर्ति के पास भी धन नही था, उन्होंने अपनी पत्नी के गहने बेचने पड़े…..

बहाना और जवाब
बहाना और जवाब

मन की बाते

मन की बाते अब मन में ना ठहर जाए
कुछ बाहर आ जाए कुछ तुमसे कह जाए

राग कोई नया तुमसे छेड जाए
फिर बिछड़े तार , टूटे तार जुड़ जाए

मन की बाते अब मन में ना ठहर जाए
कुछ बाहर आ जाए कुछ तुमसे कह जाए।

दिल के रास्ते जब खोलते हैं हम,
अनकही बातें जुबां से कह जाएं।
जैसे हवा चलती है बेख़बर,
मन की चिंगारी तुम तक पहुँच जाए।

पलकों के पीछे छुपी हैं ख्वाहिशें,
दिल की धड़कनों में बसी है आसहिष्णुता।
कहने की हिम्मत जब मिल जाती है,
वो अनहद गीत तुमसे कह जाएं।

हर एक रात को छूने की ख्वाहिश है,
हर एक चाँद को अपने में समेटने की चाहत है।
जब तुम्हारे साथ रहते हैं हम,
सुकून की नदी में बह जाएं।

अभी तो कुछ अधूरी बातें रह गईं हैं,
जो तुम्हें सुनाने को हमें तरस रही हैं।
होने को बहुत कुछ बाकी है दोस्त,
वो अविरल स्नेह तुम्हें पहुँच जाएं।

तो चलो, आओ मन की बातें करें,
जीवन की हर राह पर साथ चलें।
अनजाने रास्तों में खोये रहें,
पर एक दूसरे को खो ना जाएं।

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आशा ओर निराशा

जीवन कभी आशा ओर निराशा के तत्वों से निर्मित…..
आश ओर निराश दोनो ही अस्थाई उनका बल सीमित….

इससे उपजी शिक्षा से स्वयं के जीवन को सजना संवारना ….
मेरे दर्द से बड़े बड़े दूसरों के दर्द इस सत्य को सदा पहचाना ।

जीवन कभी आशा ओर निराश के तत्वों से निर्मित,
आशा ओर निराशा, दोनों ही अस्थाई, उनका बल सीमित।

जब आशा की किरणें बांधती हैं सपनों की डोर,
प्रेरणा के पंखों पर उड़ जाता है मन मोर।

सपनों की भूमि पर खिलती है खुशियों की बारिश,
आनंद के संगीत सुनती है मन में मधुर वादियां।

लेकिन जब निराशा की घटाएं छाती पर सँवार,
धैर्य के पंखों से उड़ जाता है अचल संघर्ष।

परिश्रम की धूप में तपते हैं सपनों के बीज,
उग्र विपत्तियों के मैदान में जीवन भर संघर्ष करते हैं।

आशा और निराशा, जीवन के दो पहलू हैं,
ये चक्रव्यूह बनाते हैं अनुभवों का मेल-जोल।

हर नये सवेरे को लेकर आती है आशा की बूंद,
जो जीने की आग होती है दिलों में नई उमंग।

पर जब तन को घायल करे विचारों की हिमाकारी,
निराशा की धूंस छाती को बांध लेती है बंधकारी।

हार नहीं माननी चाहिए जब आशा की खिलती है खेती,
दृढ़ संकल्प और प्रगति के संग बढ़ती है आगे हर रेती।

निराशा के बादलों को तोड़कर आकाश को छू लो,
नये सपनों की उड़ान भरो आशा की परिंदों के साथ।

आशा ओर निराशा, जीवन के दो पहलू हैं,
इनका संगम बनाता है हमें बेहतर इंसान।

यह भी पढे: आशा न बाँधिए, उम्मीद एक भावना है, उम्मीद पर जीवन, सदा आशावान,

अपमान ओर अहंकार

ज़िद ,ग़ुस्सा,लालच, अपमान ओर अहंकार ये सब खर्राटों के समान…..
जो दूसरो को चुभते परंतु स्वयं को नहीं कोई अहसास या अनुमान ।
सब गुण ,सदगुण ओर अवगुण हमारे विरासत के संस्कार…
पता चल जाता हे इतिहास व्यक्ति के व्यवहार का आधार ॥

सब कर रहे हे ग़लतियाँ नहीं कोई भी इस बात में बुराई…
बस न होना सुनने की क्षमता ये बात व्यवहार की दुखदाई ।
सुनना स्वयं की ग़लतियाँ ओर भविष्य में उससे सीखना….
नहीं कोई सम्पूर्ण ,चाहिए तो बस ग़लतियों से दूरी रखना ॥

ज़िद, ग़ुस्सा, लालच, अपमान ओर अहंकार
ये सब खर्राटों के समान।
जो दूसरों को चुभते परंतु स्वयं को नहीं कोई अहसास या अनुमान।

सब गुण, सदगुण और अवगुण हमारे विरासत के संस्कार।
ये विचार हों, हमारी रचना का सार।

ज़िद जैसी बाधाएँ हमें रोकें आगे बढ़ने से,
ग़ुस्सा को हम शांति में बदलें जीने से।

लालच का पाठ देकर सबको समझाएँ,
अपमान को दूर भगाएँ, प्रेम को लाएँ।

और अहंकार को छोड़ तेज़ ध्यान में लगे,
सदगुणों के मार्ग पर चलने को तैयार हो जाएँ।

सदगुण जैसे धैर्य, क्षमा, और संयम,
सबको सिखाएँ, आत्म-निर्माण का काम।

अवगुण को दूर भगाएँ, उनका संघर्ष करें,
हम खुद को स्वयं सद्गुणों से भरें।

ऐसी हो आपसी सद्भावना की राह,
जहाँ सब मिलकर बनाएँ खुशहाल समाज।

इस कविता के द्वारा समझाया है,
सदगुणों की महत्ता, नेकी का रास्ता।

यह भी पढे: अहंकार सत्य सच नहीं, अहंकार से मुक्ति, समाज में अधिकता, सब समान,

रुपए पैसे से बड़ा ?

रुपए पैसे से बड़ी लाइन याद की,
उससे भी बड़ी लाइन याद वाले व्यक्ति से
मुलाक़ात की ।
भीतर यादों को सजोय रखना महत्वपूर्ण….
रुपया पेसा इस कार्य में कभी नहीं सम्पूर्ण ।
यादे दिल का हिस्सा उससे वो होती जुड़ी…..
प्रेम प्यार की दिलकश वो बारीक हथकड़ी ।।

प्रकृति का सौन्दर्य

अनुपम सौन्दर्य प्रकृति का इसकी खूबसूरती जिसका नहीं कोई तोड़ है जीवन को मनमोहक करे ये प्रकृति चितचोर है। प्रकृति का सौन्दर्य

प्रकृति का अनुपम सौंदर्य….
क्या खूबसूरत झरने…
सूर्य की निराली छटा….
चंद्रमा एक प्यारा गोला …
निराले पेड़ निराले फूल…
निराले प्यारे पक्षी जानवर….
निराले दिन निराली रात…..
निराली हवायें निराली फ़िज़ाएं ….
निराली नादिया निराला समुंदर….
निराला मौसम सर्दी गर्मी बरसात ….
प्रकृति तू बहुत खूबसूरत ओर बहुत
खूबसूरत तेरे सारे व्यापार….

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