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आँखे मन का दर्पण

आँखे मन का दर्पण है , इन आँखों से दिख जाते सारे भाव , सुंदरता आँखो को
ओर व्यक्तित्व हृदय को प्रिय….

आँखे हृदय मेरे ही अंग….
ये सब जीवन कथा के प्रसंग ।

आँखे मन का दर्पण….
भीतर की सूचना से वो सम्पन्न ।

ये आँखे सुख दुःख में रोना जानती….
बताती क्या चल रहा मन में उसे कह जाती ॥

आँखे मन का दर्पण है,
इन आँखों से दिख जाते सारे भाव।
सुंदरता आँखों को,
ओर व्यक्तित्व हृदय को प्रिय।

जब ये आँखें हँसती हैं,
बिना कुछ कहे सब कह जाती हैं।
आँखों में चमक और उमंग होती है,
जीवन में नई राहें बनाती हैं।

जब ये आँखें रोती हैं,
बीते पलों की यादें लेकर सोती हैं।
आँखों में आंसू और गहराई होती है,
दुख और दर्द को खुद में समेट लेती हैं।

जब ये आँखें चिंतित होती हैं,
भविष्य की भारी सोच में खोती हैं।
आँखों में उलझन और विश्वास होता है,
संकट के समय भी साथ निभाती हैं।

ये आँखें हृदय की बातें कहती हैं,
इश्क़ और प्यार की आवाज़ उठाती हैं।
आँखों में प्रेम और आदर्श होता है,
सुखी और समृद्ध जीवन का राज बनाती हैं।

आँखे मन का दर्पण है,
इन आँखों से दिख जाते सारे भाव।
सुंदरता आँखों को,
ओर व्यक्तित्व हृदय को प्रिय।

ये आँखें जीवन की कहानी सुनाती हैं,
बिना शब्दों के भी बहुत कुछ कह जाती हैं।
इन आँखों में सच्चाई और निर्मलता होती है,
जीवन के हर मोड़ पर साथ देती हैं।

चाहे आँखें हों छोटी या बड़ी,
हर इंसान की आँखों में खूबसूरती होती है।
इन आँखों को समझो और महसूस करो,
हर रंग और भाव की छवि यहां मबनी रहती है।

आँखों की झलक से भावनाएं प्रकट होती हैं,
जैसे मन की गहराई से निकलती हैं।
चाहे खुशी की बौछार हो या गम का सागर,
आँखों में ही छुपी होती हैं वह सारी कहानियां।

जब आँखें मुस्काने लगती हैं,
दिल में खुशियों की बहार उगलती हैं।
आँखों में प्रेम और स्नेह की ज्योति होती है,
खुशहाल रिश्तों को नया अर्थ देती हैं।

जब आँखें आंसू बहाती हैं,
दर्द और दुख की कहानी सुनाती हैं।
आँखों में संवेदना और सहानुभूति होती है,
आपस में जुड़े हुए हमसफ़रों को जाग्रत करती हैं।

आँखे मन का दर्पण हैं,
जो दिखाती हैं सच्चाई की पहचान।
व्यक्तित्व के रंग और अभिव्यक्ति की कला,
हर आँख में बसती हैं वही अद्भुत छान।

इसलिए आँखों को सदा महत्व देना चाहिए,
क्योंकि वे मन के रहस्यों को छूने का द्वार हैं।
जब हम आँखों की ओर ध्यान देते हैं,
तभी हम प्रेम और समझ के आदर्श अर्थ को समझ पाते हैं।

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जब मैं तेरे बारे

जब मैं तेरे बारे सोचता हूँ

आंखे भीग जाती है मेरी

दिन का चैन खो जाता है

और

रातो की नींद उड़ जाती है

सारे सपने भूल जाता हूं

ना सोता हूं ना जागता हु

पागलो की तरह बड़बड़ाता हुआ

लोगो को नजर आता हूं

जब मैं तेरे बारे में सोचता हूं

ना काम कर पाता हूं

ना खाली बैठ पाता हूं

तेरी याद में ना जाने कहाँ खो जाता हूं

तुझको भूल ही नही पाता हूं

फिर ये बात भी गलत लगती है

कि मैं तेरे बारे सोचता हूं

तू तो मेरे खयालो से नही जाती है

हर पल हर दम तू मेरी

सांसो की धड़कनों में धड़कती

हुई सुनी जाती है 

फिर कैसे कह रहा था मैं

की जब भी तू मेरी यादों में आती है

अब तो यह बात मेरी सांसो ने भी झुठलादी है

की जब तू मेरी यादों में आती है, आंखे भीग जाती है मेरी जब भी तेरी याद आती है।  

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