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मुस्कुराहट छुआ छूत

जरा देखिए दिखे कोई चेहरा जो नहीं रहा हो मुस्कुरा….
दीजिए उसको मुस्कुराहट उसका भी चेहरा खिले ये ख़ुशी का इशारा ।
मुस्कुराहट छुआ छूत की बीमारी…..
इच्छा ये लगे सबको, है इतनी प्यारी ।

जरा मुस्कराइए….
ख़ुशी के महामार्ग पे चढ़ जाइए ।
जीवन के प्रति कृतघ्न भाव अपनाइए….
जीवन भी पूरी क्षमता से ख़ुद को लुटाइए।

जगमगाते रंगों के बीच एक चेहरा है,
जो नहीं रहा हो मुस्कुरा।
उसकी आँखों में छुपी दर्द की बूंदें,
जीवन की गहराईयों में घिरा।

पर उसे चाहिए था एक मुस्कान का इशारा,
जिससे उसका भी चेहरा खिले।
वो खुशी का संकेत जो भर दे उसके दिल को,
और हर गम को दूर कर दे मिटाए।

मुस्कुराहट छुआ छूत की बीमारी है,
जो देती है दिल को आराम।
वो बतलाती है कि जीने का असली मजा,
खुशियों को बांटने में है समाया।

जब चेहरे पर लगी मुस्कान की छांव हो,
दिल की धड़कनें भी जगमगाए।
हर दर्द को दूर कर दे वो प्यारी मुस्कान,
और खुशियों से सजाए।

तो जरा देखिए, दिखेगा वह चेहरा है,
जो नहीं रहा हो मुस्कुरा।
उसे दीजिए वो मुस्कुराहट का तोहफा,
जिससे उसका जीवन बन जाए सुहाना।

हल्का फुल्का

हल्का -फुल्का सा है जीवन बस सारा बोझ तो इच्छाओ का है …..
बात अपने आप में हल्की दुलकी नहीं तो बहुत भारी , बात सारी मन को समझ आने का है ।

हल्का-फुल्का सा है जीवन, बस सारा बोझ तो इच्छाओं का है,
बात अपने आप में हल्की-दुलकी नहीं, तो बहुत भारी,
बात सारी मन को समझ आने का है।

हर दिन की दौड़ में खो रहे हैं हम,
कहाँ हैं हमारे अपने, खुद को भूल रहे हैं हम।
इच्छाओं की जंगली धूम में खो जाते हैं हम,
परमार्थ के बंधनों में बंध रहे हैं हम।

छिपा है सच्चाई का राज,
जीने की ख्वाहिशों से बनती है इसकी आवाज।
पर जब तक मन को न समझें, न सही राह चुनें,
हर क्षण बस नापसंद बिताएँ, खो दें अपनी खुशियाँ।

हल्का-फुल्का सा है जीवन, बस सारा बोझ तो इच्छाओं का है,
मन के अन्दर की गहराइयों को समझने का है राज।
अपने अंदर के संघर्षों को न छिपाएँ,
उनसे मैत्री करके, समझ के आगे बढ़ जाएँ।

हर स्वास्थ्य समस्या का हल नहीं दवाओं में है,
हर परेशानी का समाधान नहीं सोच-विचार में है।
हल्का-फुल्का सा है जीवन, बस सारा बोझ तो इच्छाओं का है,
मन को छूने के लिए, अपनी भावनाओं को पहचानो।

हमेशा खुश रहें, आत्माओं को सम्मान दें,
आपातकाल में भी आपने को न भूलें।
हल्का-फुल्का सा है जीवन, बस सारा बोझ तो इच्छाओं का है,
मन को समझें, खुद को पहचानें, और ख्वाबों की उड़ान भरें।

अहंकार का कद

अहंकार का कद चार फीट ही ठीक….
ज़्यादा बड़ा अहंकार बना देता डीठ ।
चार फीट अहंकार है आत्मसम्मान ….
वही ऊर्जा अधिक करती लहुलुहान।

आत्मसम्मान ज़रूरी होता वो मर्यादित….
उसकी सीमा में  रहना स्वय का हित ।
यह सफल स्वस्थ जीवन का पथ…..
ओ सारथी पथ पर सही से चलेगा रथ

अहंकार का कद चार फीट ही ठीक,
ज़्यादा बड़ा अहंकार बना देता डीठ।
चार फीट अहंकार है आत्मसम्मान,
वही ऊर्जा अधिक करती लहुलुहान।

यह जीवन का नियम, यह सत्य है,
अहंकार के बिना व्यक्ति अधूरा रहे।
पर ध्यान रहे, बड़ा अहंकार न करो,
वरना खो दोगे सबकुछ, हो जाओगे हरजाये।

चार फीट अहंकार से भरे रहो,
आत्मसम्मान को सदा बनाए रखो।
पर अहंकार में खुद को न खो दो,
अपने मूल्यों को न समझो छोड़ दो।

जीवन की ऊर्जा बढ़ाने का यह राज,
सम्मान का रखो आदर्श संग ताज।
घमंड और अभिमान से दूर रहो,
सच्चे आत्मसम्मान में बस जीने रहो।

अहंकार का क़द चार फीट ही ठीक,
ज़्यादा बड़ा अहंकार बना देता डीठ।
चार फीट अहंकार है आत्मसम्मान,
वही ऊर्जा अधिक करती लहुलुहान।



वो नहीं है बराबर

अंगुलियाँ बताती की वो नहीं है बराबर
हर उँगली का अपना जादू और हुनर ।
देती उँगलियाँ परस्पर एक दूसरे का साथ…
हथेली संग मिलकर कहलाती वो हाथ ।

अंगुलियाँ से हाथ की सुंदरता….
प्यार करे सहलाये मारे बचाये ,थप्पड़ या मुक्का सब इनकी क्षमता ।
इसी प्रकार जीवन में कोई छोटा कोई बड़ा ….
परस्पर सहयोग से कार्य करे नहीं होगा झगड़ा ।

अंगुलियाँ बताती की वो नहीं है बराबर
हर उंगली का अपना जादू और हुनर।
देती उंगलियाँ परस्पर एक दूसरे का साथ,
हथेली संग मिलकर कहलाती वो हाथ।

बड़ी उंगली सभी को राह दिखा जाती,
मध्यम उंगली संगठन को बनाती।
अनामिका सृजनशीलता में निपुण,
कनिष्ठिका योग्यता से भरपूर है यह दुनिया किसी की नहीं।

अंगुलियों की संगठनशीलता,
अद्वितीयता का प्रतीक बनती है।
एक दूसरे को समर्थन देती,
संयोग का प्रभाव जगाती है।

हर उंगली में छिपी है अनगिनत शक्ति,
प्रतिभा, कौशल और संवेदनशीलता की लिप्त।
जब वे मिल जाती हैं, एकजुट होकर,
दुनिया को छूने का अवसर मिलता है सबको।

अंगुलियों की मिलनसार ताकत,
साकार और असाकार के बीच जो बांध लेती।
वे बनाती हैं हाथ को समृद्ध,
सफलता की ओर अग्रिम बढ़ाने की कल्पना खुद ही कर लेती।

अंगुलियाँ हैं बराबर नहीं होती,
पर अपने महत्व में सभी को झोंकती।
हर उंगली अपना जादू प्रगटाती,
हुनर की चमक दुनिया को दिखाती।

बचपन के खिलौने

बचपन के खिलौने
लट्टू कंचे फोटो रंग चिट ….
पढ़ते नंदन चंदामामा की
कॉमिक्स ,रहते थे हम फिट।

बचपन की यादे मीठी मीठी….
नींबू शिकंजी भी लगती थी अनूठी।
पड़ोसियों से माँग कर बर्फ….
इंजॉय ही इंजॉय थी सब तरफ़।

बचपन के खिलौने, अनमोल और खूबसूरत,
लट्टू, कंचे, फोटो, रंग, चिट-चिट छोटे-मोटे।
दिनभर खेलते थे हम उनसे,
खुशियों के रंग में रंगे जीवन के आखिरी पल तक।

नंदन चंदामामा की कहानियों का सफर,
हर रात नए चमत्कार से सजा आसमान।
उड़ जाते थे हम उस अंधेरे गगन में,
चंद्रमा की दुनिया में छुपी थी हर खुशियों की पहचान।

कॉमिक्स के पन्नों का जादू,
पल-पल बदलती थी दुनिया की भाषा।
शीर्षकों में खो जाते थे हम विश्वास की गाथा,
अपनी दुनिया में बसे थे हम जीवन की अपार साथा।

बचपन की यादों का जादू बना,
हमारे दिलों में बसी थी विनोद की धुन।
खेल-खिलौने, कविताएं और कहानियों का संगम,
हमारा बचपन था सच्ची खुशियों का ध्यान।

प्यारे खिलौनों की यादें आज भी ताजगी से भरी हैं,
बचपन की मस्ती और खुशियों की वह फुहारी हैं।
जीवन की इस रेलगाड़ी में, जब भी बहुत हो जाए थकी,
एक नजर डालते हैं हम बचपन के खिलौनों की दुकान पे।

बचपन के खिलौने, वो सुंदर और मधुर यादें,
हमारे दिल की आस्था और ख्वाहिशों की पहचान।
बस एक खिलौना नहीं, वो हमारी पूरी दुनिया थी,
जो हमेशा रहेगी हमारी जीवन की मधुर कहानी।

विचारों का पिटारा

अच्छे विचारों का पिटारा
हो मस्तिष्क तुम्हारा…..
फिर हार में या जीत में
सदा खुला रहेगा यह द्वारा ।

अच्छा व्यक्तित्व व्यापार की पूजी के समान मज़बूत सहारा ….
सब अच्छा ,जब अच्छे विचारो का पिटारा
हो मस्तिष्क तुम्हारा ।

अच्छे विचारो का पिटारा,
हो मस्तिष्क तुम्हारा।
फिर हार में या जीत में,
सदा खुला रहेगा यह द्वारा।

जब भी दुख सताए आपको,
और जीवन थकाए आपको।
तो खोल लें इस पिटारे को,
विचारों का अमृत पाएं आपको।

यहाँ निवेदन करें आपको,
अपार ज्ञान प्राप्त हो आपको।
ज्ञान की कठपुतली बनें आप,
और दुर्बलता को हराएं आप।

चाहे जीत हो या हार हो,
चाहे अंधकार हो या प्यार हो।
यह विचारों का पिटारा,
सदैव चमके यहाँ तुम्हारा।


यादे दिमागी भोजन

यादे दिमागी भोजन
चलता रहता यह चंचल मन ।
याँदो का मन में चलचित्र…..
केंद्र में आपका चरित्र ।
मन जाने क्या सच्चा क्या झूठ….
मन हारे हार है , ले मन से सब दिल लूट

यादे दिमागी भोजन
चंचल मन का खजाना।
विचारों का चलचित्र है,
जीवन का निर्माणा।

सच्चा और झूठ जानना,
मन के लिए मुश्किल है।
हारता है वह जीत है,
दिलों को लूटता है।

विचारों की अवधारणाएं,
सच और भ्रम मिल जाते हैं।
मन की अनियंत्रितता के आगे,
बहुत सरकार झुक जाते हैं।

मन का चरित्र सदैव बना रहे,
सत्य को जानने के लिए।
चंचल मन को संयम दे,
जीवन को शांति दे।

यह चंचल मन विचारों का संग्रह,
जीवन का निर्माण करे।
अपने दिल की सुने हमेशा,
सफलता की ओर बढ़े।

चंचल मन को संयम दे,
विचारों का प्रबंध करे।
जीवन को सुखी बनाने के लिए,
मन को प्रशांत करे।

यादे दिमाग़ी भोजन,
चलता रहे यह चंचल मन।
जीवन के पथ पर आपका चरित्र,
अग्रणी बने जीवन का ध्यान।

इच्छाओ को ना मारो

इच्छाओ को ना मारो उनको होश पूर्वक भोगे….
होश महत्वपूर्ण बात जब सही से उसके प्रयोग होंगे ।
जो भी व्यर्थ है वो नहीं पड़ेगा छूटना वो जाएगा छूट…..
यहाँ कुछ भी अच्छा बुरा नहीं जो मिला है उसे होश से लो लूट ।

ज्ञान इतना परिपक्व नहीं पहले से अवछे बुरे से हो ग्रसित…..
जीवन में होश को लाइए उसकी कसौटी पे कार्य हो अर्पित ।

इच्छाओं को न दबाओ, होश से उन्हें जीवन दो,
प्राणवायु वायुमंडल में उड़ान भरो।
होश की महत्ता समझो, सही उपयोग करो,
बिना छूटे कुछ भी नहीं, छोड़ दो विषय तरल।

जीवन की इस यात्रा में, क्या है अच्छा और बुरा,
हाथों में लो उसे, होश से अपने चुना।
नशे की मोहमयी दुनिया में न पड़ो उलझ,
सोच-विचार नवीनता से, आगे बढ़ो चले गति से।

इच्छाओ को ना मारो, उन्हें व्यर्थ न समझो,
होश में रहकर भोगो, जीवन को खुशियों से रंगो।
संघर्षों की धूप में, उगेगा नया सवेरा,
प्रयासों के संग, होंशियारी से जीवन में बहारे।

जीवन की रंगीन छटा में, छूटेगा न कोई खोट,
होश से जीना, खुशियों की ढेर सबको दो।
हर दिन नए विचारों से बनाओ संपन्न,
इच्छाओं को न मारो, होश से जीवन का गान गाओ।

गम का साया

ना गम है , ना गम का साया है जिंदगी इसलिए किसी गम को गले ना लगाना और खुद को ना यू गम के साये में खो जाने दो , यह है जिंदगी ।

ना गम है, ना गम का साया है,
जीवन का रंगीन उपहार है।
इसलिए किसी गम को गले ना लगाना,
खुद को ना यू गम के साये में खो जाना।

जीवन की यात्रा में रहो उदासीन,
चिंताओं को तुम पर नहीं जीने देना।
हंसते रहो और हंसी बाँटो,
यही है जीने का बहुत ही आसान तरीका।

जब आए गमों की बारिश तुम्हारे जीवन में,
ध्यान दो उन्हें और भूल जाओ फिर।
आगे बढ़ो और नयी उचाईयों को छूओ,
खुशियों की सर्वदा बनी रहो नगीना।

जीवन की राहों में चलो संगीत बजाते,
आपस में प्यार और समझदारी बांटे।
बीते पलों को याद करके हंसो,
यही है जीने का सबसे अच्छा तरीका।

ना गम है, ना गम का साया है,
जीवन का रंगीन उपहार है।
इसलिए किसी गम को गले ना लगाना,
खुद को ना यू गम के साये में खो जाना।

गम का साया

तन्हाई का रास्ता

तुमने जो तन्हाई का रास्ता मुझे दिखाया था उस पर आज भी मैं तन्हा ही हूं, तुमने जो तन्हाई का रास्ता मुझे दिखाया था,उस पर आज भी मैं तन्हा ही हूं।

ज़िन्दगी की जगमगाहट में खो गया हूं,
किसी के साथ न जाने कितनी रातें बिताया हूं।

तेरे जाने के बाद ये दुनिया सुनी हो गई,
हर रोशनी भी चली गई, अँधेरे में डूब गई।

तन्हाई की इस राह पर आज भी चलता हूं,
यादों के साथ आँसू बहाता हूं।

मेरी आवाज़ को धड़कनें सुनती हैं,
मगर खुद को तन्हा ही पाता हूं।

ये तन्हाई भरी ज़िंदगी अजनबी सी हो गई,
खुद को खो बैठा हूं, खुद से अलग हो गई।

क्या ये तन्हाई ही ज़िंदगी का मतलब है?
या कोई और मुझे समझा ही नहीं है।