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पनौती

परेशानियाँ दुर्भाग्य कहलाती पनौती….
कुछ व्यक्ति पनौती समाज के लिए चुनौती ।
कुछ पनौती घूमे परेशानियाँ बपौती ….
सदा करते विलाप फूटा भाग्य उनकी सम्पति ।

प्रश्न क्या पनौती एक सच्चाई…..
या दुर्बलता को छिपाने की इकाई ।
पनौती या सौभाग्य नहीं रहते सदा ….
खोजे समता पनौती सौभाग्य में सर्वदा ।
क्या सोचती हो तू, मन में जब उठती है ये सवाल,
क्यों मुश्किलों से डरती है, अपनी ताकत कम समझती है

जीवन के मैदान में कभी नहीं रहती सुख-दुख की सुनीली छाँव,
जैसे दिन रात की रोशनी का खेल चलता रहता है प्रतिदिन नयी रात की छाँव।
जितनी बड़ी हो जाए तेरी परेशानियाँ, उतना ही मजबूत बनता है तू,
हर चुनौती तू पार करती है, अपनी आत्मा को जानती है तू,

घूमे परेशानियाँ, आगे बढ़े न कभी थकती,
जैसे बादलों की छाँव अंधकार को तोड़ती।
हर कठिनाई तू पर आती है, लेकिन अपने मन को नहीं हारती,
अग्रसर तू बनती है, समय के साथ बढ़ती है तू,

पनौती व्यक्ति नहीं है किसी बुराई का कारण,
बल्कि वो है समाज के लिए चुनौती की पहचान।
उनकी मेहनत और संघर्ष है जो उन्हें सशक्त बनाते हैं,
उनकी साहसिकता और पराक्रम है जो उन्हें आगे बढ़ाते हैं,

तो चलो आओ, जीवन की पनौतियों को गले लगाएं,
खुद को बदलकर एक नया आदमी बनाएं।
परेशानियों को आगे बढ़ाकर जीत जाएंऔर जीवन की सभी चुनौतियों को हराएं।

समय नहीं मिला

जिस जिस को समय नहीं मिला उन सभी के लिए समय की कोई कमी नहीं है। सोच तू
कितना सोच सकता है
लिख तू
कितना लिख सकता है
सो तू
कितना सो सकता है

नाच तू
कितना नाच सकता है
गा तू
कितना गा सकता है
खा तू
कितना खा सकता है

आराम कर तू कितना कर सकता है
पढ़ तू
कितना पढ़ सकता है
टीवी देख
तू कितनी देख सकता है

गेम खेल
तू कितना खेल सकता है
बात कर , गप्पे मार
तू कितनी कर सकता है
तू क्या ? और कितना कर सकता है

वो सब आजमा ले आज जो तू करना चाहता था अपनी जिंदगी में कभी करले अब अगर थक जाए तो छोड़ देना वो सब तू जो करना चाहता था नहीं थका वो सब करके , नहीं पका वो सब करके तो बाकी सब छोड़ देना ओर वहीं अपनी जिंदगी में अपना लेना जो तू बस करना चाहता है। फिर ये ना कहना हो की समय नहीं मिला

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इश्क़ की बात

फिलहाल ए दिल तू
इश्क़ की बात ना कर
मै तो बर्बाद हूं पहले से
अब और मुझे
तू बर्बाद ना कर

बेफिजूल की चर्चा है ये इश्क़
इस पर बेशकीमती शब्दों को
बर्बाद ना कर

बेमतलब , बेवजह
किसी के ख्यालों में डूबकर
अब वक़्त को तो
तू बर्बाद ना कर

छोड़ बैठ जा बस
इश्क़ एक रोग है
लाइलाज
दिल ओर दिमाग का
अजब सा संजोग है

इस इश्क़ पर
तू अपना पंचभूत
शरीर बर्बाद ना कर …….

इश्क़ की बात ना कर
इश्क़

फिलहाल ए दिल तू, इश्क़ की बात ना कर

मेरे दिल की धड़कनों को तू ना छीन,
मैंने तुझे प्यार किया था, ये जाने ना तू,
अब क्या कहूँ, कैसे समझाऊं तुझे,
मेरी आँखों में आँसूओं को तू ना भरे।

जो बीत गया है, वो बीता हुआ है,
अब तो अपने आप को संभालना है,
मैं जी रहा हूँ अकेलापन के साथ,
तू मेरे दर्द को और गहरा ना कर।

हर रात तेरी यादों में रोता हूँ,
क्या करूँ, कैसे सहूँ, समझता हूँ,
तेरे जाने के बाद भी, ये दिल तेरी ही है,
पर अब तू इसे और दर्द ना कर।

फिलहाल ए दिल तू, इश्क की बात ना कर,
मैं तो बर्बाद हूँ पहले से, अब और मुझे,
तू बर्बाद ना कर।

खुल के जिये

आपका दिवस हो प्रसन्नपूर्ण…..
खुल के जिये जीवन हो अर्थपूर्ण ।
अर्थ शब्द इंगलिश भाषा में पृथ्वी……
हिंदी भाषा में अर्थ का सार्थक ,
सार्थकता वाली हो आपकी छवि ।

खुल के जिये जीवन हो अर्थपूर्ण,
अर्थ को जाने हम, इस अभियान में जुड़े हम सब.
अर्थ से ही बनता है जीवन का आधार,
हर काम में जो अर्थ मिले, होता है उद्धार.

पृथ्वी में छिपे अनेक अर्थों की है राशि,
जीवन को वह देती है रंगों की भाषा.
सार्थकता से भरी है यह धरा,
जीवन का जीने का इसमें है अधिकारा.

अर्थ का सार्थक होना है हमारा लक्ष्य,
जीवन को देता है यह अर्थ एक नया रूप.
जब रंग भर जाते हैं अर्थ की पालकी,
तभी बनता है जीवन खुशहाली की धारा.

अर्थ नहीं हो तो जीवन बन जाता है व्यर्थ,
हर रास्ते पर जगमगाते हैं अर्थ के तारे.
इंसानियत को बचाते हैं इसके संकेत,
अर्थ से जीने का है यह अद्भुत रहस्य गहेरा.

अर्थ को जाने हम, साथ चले सबका विकास का पथ,
हर क्षण में उजाला बने अर्थ की लालिमा.
खुल के जिये जीवन हो अर्थपूर्ण,
हम सब मिलकर बनाएं इस दुनिया को खुशहाल और निर्मल।

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प्रकृति को शीघ्रता नहीं

प्रकृति को शीघ्रता नहीं है ….
तब भी सब कार्य हो रहे समय पे
ये उसकी सुंदरता ।

पशु पक्षी कीट पतंगे सब प्राणी
प्रकृति के अंग प्रत्यंग….
ये ज़िम्मेदारी मनुष्यों की न हो
नुक़सान , सब धरती रहे संग संग ।

प्रकृति की शीघ्रता नहीं, यह सत्य है,
फिर भी सब कार्य होते हैं समय पर निश्चित रीति से।

देखो प्रकृति की सुंदरता को, जो अद्वितीय है,
समय का प्रभाव उसे बदल नहीं पाता, यह विस्मयकारी है।

प्रकृति की गतिशीलता, नियमों की अद्भुतता,
सब कुछ चल रहा है उसकी अद्वितीय प्राकृतिक सृष्टि में।

हमें सीखना चाहिए उसकी तेजी से,
समय का महत्व समझना चाहिए जीवन के लिए।

कार्यों को समय पर पूरा करना,
प्रकृति के संगठन में संयम बनाना।

समय की कीमत को महसूस करो,
प्रकृति की सुंदरता के साथ उन्नति करो।

जीवन को सफलता से भरो,
समय के महत्व को सदैव ध्यान में रखो।

प्रकृति को नहीं है शीघ्रता, यह सच है,
उसकी सुंदरता को सदैव सराहें, यही हमारी प्रार्थना है।

मन की बाते

मन की बाते अब मन में ना ठहर जाए
कुछ बाहर आ जाए कुछ तुमसे कह जाए

राग कोई नया तुमसे छेड जाए
फिर बिछड़े तार , टूटे तार जुड़ जाए

मन की बाते अब मन में ना ठहर जाए
कुछ बाहर आ जाए कुछ तुमसे कह जाए।

दिल के रास्ते जब खोलते हैं हम,
अनकही बातें जुबां से कह जाएं।
जैसे हवा चलती है बेख़बर,
मन की चिंगारी तुम तक पहुँच जाए।

पलकों के पीछे छुपी हैं ख्वाहिशें,
दिल की धड़कनों में बसी है आसहिष्णुता।
कहने की हिम्मत जब मिल जाती है,
वो अनहद गीत तुमसे कह जाएं।

हर एक रात को छूने की ख्वाहिश है,
हर एक चाँद को अपने में समेटने की चाहत है।
जब तुम्हारे साथ रहते हैं हम,
सुकून की नदी में बह जाएं।

अभी तो कुछ अधूरी बातें रह गईं हैं,
जो तुम्हें सुनाने को हमें तरस रही हैं।
होने को बहुत कुछ बाकी है दोस्त,
वो अविरल स्नेह तुम्हें पहुँच जाएं।

तो चलो, आओ मन की बातें करें,
जीवन की हर राह पर साथ चलें।
अनजाने रास्तों में खोये रहें,
पर एक दूसरे को खो ना जाएं।

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जीवन में सफलता

दोस्त हंसते मुस्कुराते सदा रहे,
ख़ुशियों की सदा हवा बहे,
समस्याओं का सदा हल मिले,
जीवन में सफलता के फूल खिले ।

दोस्ती का रंग चढ़ाए रंग जीवन के,
हर गम को दूर कर दे आपकी हंसी-मुस्कान के।
मिलकर बनाएं खुशियों का गुलिस्तान,
जीवन के हर पल में बढ़ती रहे आपकी मित्रता की पहचान।

चाहे रुक जाए जीवन की धुप कभी,
दोस्त रहे साथ, बने रहें सबसे कभी।
अपनी आँखों में ख़ुशी छलकाएंगे हमेशा,
दिल से निकलेगा हंसी का गीत सदा।

हर कठिनाई को मिटा देगी ये दोस्ती,
सब परेशानियों को भुला देगी ये मित्रता।
सदा बनी रहे आपके होंठों पर मुस्कान,
जीवन की हर उड़ान पे बने जीवन में सफलता का निशान।

ये कविता याद रखेगी दोस्ती की मिठास,
सदा रहेगी हमारी यारी की आस्था।
चलो मिलकर बनाएं एक ख़ूबसूरत दुनिया,
जहां दोस्ती का रंग बने हर पल की पहचान।

हर अंत नई शुरुआत

हर अंत नई शुरुआत हे
अंत जैसा कुछ नहीं सब समझे तो अंत निरंतर का हिस्सा हे एक नई शुरुआत हे ।
हर अंत नयी शुरुआत हे…..
यह समझने की बात हे ।
हर अंत नयी शुरुआत हे….
सच्चाई से मुलाक़ात हे ।
हर अंत नयी शुरुआत हे….
ये जीवन का उत्पाद हे ।
यही जीवन का संवाद है ।
यह सच बात हे यह सच बात हे।

हर अंत नई शुरुआत है,
जब एक द्वारा समझा जाता है यह बात है।
अंत की भावना सब नहीं समझ पाते,
पर वो है जो हम सबका हिस्सा बनाते।

जीवन का चक्र अटल है निरंतर,
हर अंत से होती है नई शुरुआत यहाँ।
लहरों की तरह चलती रहती है यह धारा,
सबके जीवन में इसकी होती है प्यारा।

हर अंत एक मंच है दूसरी शुरुआत की,
नये सपनों की ऊँचाई फिर से पाने की।
चाहे हो जीवन की राहों में कोई अटकाव,
विजय की ओर बढ़ते हैं हम अपने कदम।

अंत का आगाज हमेशा नया होता है,
नई उम्मीदों की धूप सदैव छा जाती है।
हर अंत एक संदेश है नई जीवन का,
जैसे कि सूरज का संध्या में उदय होना।

तो चलो, आओ अंत को स्वीकार करें,
नयी शुरुआत की आग में उड़ जाएं।
हर अंत नई पहचान है हमारी,
जगा दो ख्वाबों को, बन जाओ तैयारी।

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जिम्मेदारियां

ये जिम्मेदारियां ही हे जो आपको बनाती मजबूत ओर परिपक्व……
परिपक्वता का आयु से कुछ लेना नही ये आती जब जगता अनुभव….

जिम्मेदारियां और अनुभव आपस में हे तालमेल हे जिगरी मित्र…..
जिम्मेदारियां बुरी नही उनके प्रति सोच संवारती आपका चरित्र।

ये जिम्मेदारियां ही हैं जो आपको बनातीं मजबूत और परिपक्व,
परिपक्वता का आयु से कुछ लेना नहीं, ये आती जब जगाता अनुभव।

समय के साथ बदलती हैं ये जिम्मेदारियां,
जब मानसिकता होती हैं प्रगाढ़ और प्रगतिशील।
धीरे-धीरे सीखते हैं हम जीने का कला,
जब जीवन की लहरें आतीं हैं और जातीं हैं अनुभवों की तरंगें।

परिकल्पना की पंखों पर उड़ते हैं हम,
जब सपनों की दुनिया को हम अपनाते हैं।
संघर्षों के मोर्चों पर खड़े होते हैं हम,
जब ज़िन्दगी की मुश्किलें हमें चुनाती हैं।

परिपक्वता की गाथा सुनाते हैं हम,
जब नये अनुभवों के साथ बढ़ते हैं हम।
समय की ओर चलते हैं हम निरंतर,
जब जिम्मेदारियों का भार हमें संभालते हैं।

परिपक्वता के पथ पर चलते हैं हम,
नई दिशा में अपनी आवाज़ उठाते हैं।
जीवन के रंगों को चढ़ाते हैं हम,
जब जिम्मेदारियों को समझते हैं और निभाते हैं।

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चिंता में रहोगे

चिंता में रहोगे …..
भीतर के ताप से जलोगे ।
और जो खुश रहोगे….
ख़ुद स्वस्थ दूसरो को खुश कर सकोगे ।

ईर्ष्या भय चिंता और शंका…..
दुःख मुसीबतों का बजेगा डंका ।
ख़ुशी खुशी रहना सुखद संक्रमण…..
शुभ और लाभ ख़ुशी का आचरण ।

चिंता में रहोगे, दुःखों में खो जाओगे,
भीतर के ताप से जलोगे, आत्मा को भस्म करोगे।

पर जो खुश रहोगे, संतुष्ट रहोगे,
जीवन की मधुरता को आसानी से छोड़ोगे।

चिंता और चिंतन से मुक्ति पाने का रहस्य हैं,
आत्म-विश्वास और प्रेम में विलीन हो जाना हैं।

भीतर की आग को बुझाने के लिए,
आत्मा को प्रकाश की ओर ले जाना हैं।

चिंता में रहकर आत्मा तप्त हो जाती हैं,
दुःखों में खोकर जीवन अधूरा हो जाता हैं।

पर जो खुश रहें, जीवन को समझें,
आनंद के बीज बोने में लग जाता हैं।

चिंता से दूरी और मन की शांति पाने का रहस्य हैं,
आनंद का स्रोत और खुशियों का आधार हैं।

जब खुश रहोगे, तो अनुभवों को महसूस करोगे,
आत्मा की गहराई और प्रेम की ऊर्जा में लीन होगे।

तो चिंता में न रहोगे, खुश रहोगे हमेशा,
जीवन की गाथा में आनंद से रंग भरोगे।

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