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सरकारी बस

दिल्ली की सरकारी बस जिनमें अभी तक कोई सुधार नहीं हुआ है, कुछ बसे नई लेकर भी आए है लेकिन उनकी भी हालत वही है, जितना बोलते है उतना यह करते नहीं है। 

वैसे तो अरविंद केजरीवाल जी कहते है कि हमारी माता , बहने हमारी जिम्मेदारी है उनकी सुरक्षा , उनका आदर हम करेंगे लेकिन यह स्लोगन दर्शाता है कि कोई जिम्मेदारी कोई भागीदारी नहीं है।

मैने पहले भी कई बार दिल्ली की सरकारी बस का फोटो लेकर सोशल मीडिया पर अपलोड किया है तथा काफी बार इसके बारे में कंपलेंट भी की है, लेकिन उसका निष्कर्ष व परिणाम कुछ नहीं निकला दिल्ली की बसों में यह स्लोगन अभी तक नहीं बदला, ओर बहुत जल्दी यह स्लोगन बदलने की कोई उम्मीद भी नहीं दिख रही जब तक नई बसे नहीं आएगी तब तक यह स्लोगन नहीं बदलेगा ऐसा ही कुछ प्रतीत होता है।

लेकिन इनकी सरकारी बसों की अवधि भी खतम हो रही है परंतु इनकी नई बसे भी नहीं आ रही है, यह दिल्ली की सरकार सारा पैसा विज्ञापन में ही लगाए जा रही है लेकिन काम कुछ कर नहीं रही है फिर कैसे इनसे उम्मीद की जाए की यह लोग कुछ काम करेंगे।

और कितना समय लगेगा ?

कौन इसकी जिम्मेदारी लेगा ?

क्या यह जिम्मेदारी नहीं है आम जनता की वह इस तरह की हरकत करने वालो को रोक कर उन्हें सजा दिलवाए

पहाड़ गंज

पहाड़ गंज एरिया की कृष्णा गली घी मंडी चौक की तारे बहुत सारे लोगो के लिए एक ऐसा स्पॉट बना हुआ

जिसे देख कर बहुत सारे लोग स्तब्ध हो जाते है, कभी सिर झुक कर चलते है तो कभी ऐसे देखते है, जैसे उन्होंने पहले कभी तारे देखि ही नहीं।

इन बिजली, केबल , वाईफाई, टेलीफोन की तारों देखने के बाद लोगो के पास शब्द नही होते और उन तारो को देखकर फ़ोटो खिंचने लग जाते है।

जब विदेशी पर्यटक इस गली से गुजरते है तो वह इन तारो की फोटोज लेते है, और इनकी ड्राइंग भी बनाते है, आज से थोड़े टाइम पहले मेरी मुलाकात साशा बेजुरोव से हुई थी जो बहुत ही मशहूर फोटोग्राफर है उन्होंने भी इन तारो की बहुत सारी फोटोज ली एवं चित्र भी बनाया था।

कहने का तात्पर्य यह है, कि यह तारे सभी को अचंभित करती है क्युकी यह बहुत नीचे है, तथा आने जाने वालो को परेशानी भी होती है यह पूरी तरह से एक झुंड बनाए हुए है।

इनको यह नीचे लटकी हुई तारे बड़ी अदभुत सी लगती है, मानो उन्होंने ऐसे तारो को नीचे की और कभी देखा ना हो, यह नजारा कभी देखा ही ना हो इसलिए यह तारे उन्हें आकर्षित करती है, परंतु यह तारे खतरनाक तारे है, यदि किसी दिन कोई हादसा हो गया तो कौन कैसे बच पायेगा एक तो पहाड़ गंज की गालियां इतनी संकरी और उसके बाद यह नीचे लटकी हुए तारे जिनका कोई समाधान नही मिल रहा है।

क्या इनका कोई समाधान है ? क्या सरकार इन लटकी हुई तारो के बारे में कुछ सोच रही है , यह तारे सिर्फ पहाड़ गंज में ही नही है। दिल्ली की काफी जगह ऐसी जहाँ इस प्रकार से तारे लटकी हुई है , नई सड़क, चावड़ी बाजार , चांदनी चौक आदि जगहों पर भी इसी तरह से तारे नीचे की और लटकी हुई है, तथा इससे भी बदतर हालात में है, और इनका कोई समाधान होता हुआ नही दिख रहा है।

दिल्ली की काफी जगह ऐसी जहाँ इस प्रकार से तारे लटकी हुई है , नई सड़क, चावड़ी बाजार , चांदनी चौक, आदि जगहों पर भी इसी तरह से तारे नीचे की और लटकी हुई है, तथा इससे भी बदतर हालात में है, और इनका कोई समाधान होता हुआ नही दिख रहा है।