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अच्छा समय आएगा

अच्छा समय अभी आएगा
मित्रता सत्रुता सबक़ भी सिखाएगा ।

अच्छा समय अभी आएगा….
जो अच्छे कर्मों से उसे बुलाएगा।

अच्छा समय अभी आएगा,
मन में जगाएगा उम्मीद का दीपक।
मित्रता सत्रुता सबक़ भी सिखाएगा,
खुशहाली लेकर आएगा आपके द्वार पर।

मित्रता का संगम होगा सबको,
दूर भी होंगे झगड़े और लड़ाई।
दिलों में बसेगा एकता का रंग,
एक दूसरे का होगा आदर-सम्मान।

विश्वास की किरण जगाएगा सबका,
अच्छाई का पूरा विश्व में फैलाएगा।
समझदारी सबको सिखाएगा,
गलतियों से सबक यही ले आएगा।

प्रेम की बारिश होगी फूलों की बहार,
बदल जाएगा दुश्मनी का संसार।
हंसी और मुस्कान की लहरें उठेंगी,
खुशियों के गीत हम सब गाएँगे।

दोस्ती का त्योहार मनाया जाएगा,
दूरियों को भी छूकर गले लगाया जाएगा।
बंधनों को तोड़कर हम आगे बढ़ेंगे,
प्रेम और सदभाव से सबको जोड़ेंगे।

आएगा वह दिन जब इंसानियत की जीत होगी,
बुराइयों की हार और सच्चाई की जीत होगी।
इस कविता की आवाज़ सबको सुनाई देगी,
और नया भविष्य अच्छाई से सजाई देगी।

अच्छा समय ज़रूर आएगा हमारे पास,
मित्रता सत्रुता सबक़ सिखाएगा साथ।
हम सब मिलकर इसे बनाएंगे,
हर दिन अच्छाई और प्रेम से जीएंगे।

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स्वयं की झोपड़ी

स्वयं की झोपड़ी अच्छी दूसरों के महल से…
झोपड़ी में राज ओर महल ग़ुलामी परोसे ।
स्वाभिमान का प्रतीक स्वयं की झोपड़ी….
महल प्रतीक हाथ पेरो पे लगी हथकड़ी ॥

मौज में रहना हे छोड़नी पड़ेगी ग़ुलामी…
ग़ुलामी का जीवन एक मानसिक ख़ामी ।
जो भी मिला ओर कोशिश करते रहे सुधार ..
स्वयं की मेहनत से उपजे वही सही आधार ॥

स्वयं की झोपड़ी अच्छी दूसरों के महल से…
झोपड़ी में राज और महल गुलामी परोसे।
स्वाभिमान का प्रतीक स्वयं की झोपड़ी…
महल प्रतीक हाथ पे रो पे लगी हथकड़ी।

ये झोपड़ी छोटी, दीन-हीन, अपनी सी,
इसमें रहती है गरीबी, अधीनता की भी।
पर इसकी दीवारों में है आत्म-सम्मान,
जो कभी नहीं झुकता, न ये हार मान।

महलों की चमक, क्रीड़ाभूमि की खुशियां,
सब यहां हैं पर भाग्य की कर्मभूमि यहां।
ये झोपड़ी सदा देती है हमें शक्ति,
क्योंकि जीवन में इसकी है अद्वितीय महत्त्विता।

महलों की उच्चाई, झोपड़ी की सरलता,
होती है अंतरंग और व्यापारिकता।
पर अच्छाई, सादगी, स्नेह और सौहार्द,
सब यहां हैं, जो नहीं मिलता महलों में बार-बार।

झोपड़ी है स्वर्ग, उसका अभिमान है शान्ति,
महल तो बस भटकने वालों की हैं मंत्रिति।
हमारी झोपड़ी, हमारी पहचान है ये,
महलों के सामर्थ को हम करें नहीं मान।

तो चाहे अन्याय हो, या गरीबी की लाचारी,
झोपड़ी हमेशा रहेगी निर्मलता की भूमि।
यहां प्यार है, सम्मान है, जीने का हौसला,
झोपड़ी है अपनी, ऐसी है हमारी आशा।

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